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क्या आपको पता है कि चित्रक (plumbago zeylanica) क्या है और चित्रक का इस्तेमाल किस चीज के लिए किया जाता है? नहीं ना! देखने में तो चित्रक का पौधा (chitrak ka podha)बहुत ही साधारण सा झाड़ीदार पौधा (chitrak plant) लगता है लेकिन सच यह है कि यह बहुत ही उपयोगी होता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि चित्रक का प्रयोग कर कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
पतंजलि के अनुसार, चित्रक के पौधे, पत्तियां और जड़ों का इस्तेमाल बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है। इससे अनेक रोगों की रोकथाम तथा इलाज की जा सकती है। हो सकता है कि आपने भी चित्रक के पौधे (chitrak plant) को अपने आसपास देखा हो लेकिन पहचान या जानकारी नहीं होने के कारण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हों। इस जानकारी के बाद आप चित्रक का पूरा लाभ ले पाएंगे।
साधारणतः चित्रक से सफेद चित्रक ही ग्रहण किया जाता है। सफेद चित्रक वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को शान्त करता है। यह तीखा, कड़वा और पेट के लिए गरम होने के कारण कफ को शान्त करता है। भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है, उल्टी को रोकता है, पेट के कीड़ों को खत्म करता है। यह खून तथा माता के दूध को शुद्ध करता है। यह सूजन को ठीक करता है।
यह टॉयफायड बुखार को समाप्त करता है। चित्रक की जड़ (plumbago zeylanica root) घावों और कुष्ठ रोग को ठीक करती है। यह पेचिश, प्लीहा यानी तिल्ली की वृद्धि, अपच, खुजली आदि विभिन्न चर्मरोगों, बुखार, मिर्गी, तंत्रिकाविकार यानी न्यूरोडीजिज और मोटापा आदि को भी समाप्त करता है। सफेद चित्रक गर्भाशय को बल प्रदान करता है, बैक्टीरिया और कवकों को नष्ट करता है, कैंसररोधी यानी एंटीकैंसर है, लीवर के घाव को ठीक करता है।
रंग-भेद से इसकी तीन जातियां पाई जाती हैं, जो ये हैंः-
सफेद चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.)
लाल चित्रक (Plumbago indica Linn.)
नीला चित्रक (Plumbago auriculata Lam.)
यह एक सीधा और लंबे समय तक हरा-भरा रहने वाला पौधा (chitrak plant) होता है। इसका तना कठोर, फैला हुआ, गोलाकार, सीधा तथा रोमरहित होता है। इसके पत्ते लगभग 3.8-7.5 सेमी तक लम्बे एवं 2.2-3.8 सेमी तक चौड़े होते हैं। इसके फूल नीले-बैंगनी अथवा हल्के सफेद रंग के होते हैं।
चित्रक का लैटिन नाम प्लम्बैगो जेलनिका (Plumbago zeylanica Linn., Syn-Plumbago scandens Linn.) है। यह प्लम्बैजिनेसी (Plumbaginaceae) कुल का पौधा कहलाता है। तीनों प्रकार के चित्रक को कई नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-
सफेद चित्रक के नाम (Names of White Chitrak)
लाल चित्रक के नाम (Names of Red Chitrak)
नीला चित्रक के नाम (Names of Blue Chitrak)
चित्रक की तीनों जातियां भिन्न-भिन्न रोगों के इलाज के लिए प्रयोग की जाती हैं। यहां तीनों के बारे में जानकारी दी गई हैः-
सफेद चित्रक के 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से नकसीर यानी नाक से खून आना बंद होता है। 500 मिग्रा लाल चित्रक के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चाटने से नकसीर बन्द होती है।
चित्रक खाँसी, पीनस यानी नाक बहना तथा महकना, कष्टसाध्य क्षय रोग यानी टीबी, बैक्टीरिया और गांठों को ठीक करती है। यह जुकाम के लिए उत्तम औषधि है। 10 ग्राम चित्रकादि लेह को सुबह और शाम सेवन करने से खाँसी, दम फूलना, हृदय रोग में लाभ होता है।
आँवला, हरड़, बहेड़ा, गुडूची, चित्रक, रास्ना, विडंग, सोंठ, मरिच तथा पिप्पली का बराबर भाग मिलाकर चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
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नीले चित्रक की जड़ के चूर्ण को नाक से लेने से सिर दर्द में लाभ होता है।
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नीले चित्रक की जड़ तथा बीज के चूर्ण को दांतों पर मलने से पायोरिया (Pyorrhea) यानी दांतों से पीव आने की बीमारी ठीक होती है। इसके साथ ही दांत का घिसना-टूटना बंद होता है।
अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार तथा चित्रक को बराबर मात्रा में मिला कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-3 ग्राम मात्रा में मधु तथा घी के साथ चाटने से स्वरभेद यानी गले की खराश दूर होती है। इसे दिन में तीन बार देना चाहिए। चित्रक और आंवला के काढ़ा में पकाए घी का सेवन करने से गले की खराश में लाभ होता है।
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भल्लातक, कासीस, चित्रक तथा दन्तीमूल की बराबर मात्रा के चूर्ण में गुड़ और स्नुही यानी थेहुर पौधे के दूध तथा आक का दूध मिला लें। इसका लेप करने से गले की गांठे ठीक हो जाती हैं। नीले चित्रक की जड़ (plumbago zeylanica root) को पीसकर लेप करने से गण्डमाला में लाभ होता है।
सैन्धव लवण, हरीतकी, पिप्पली तथा चित्रक चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-2 ग्राम गर्म जल के साथ सेवन करने से भूख लगती है। इसके सेवन से घी, मांस और नए चावल का भात तुरंत पच जाता है।
2-5 ग्राम चित्रक (chitraka) चूर्ण में बराबर मात्रा में वायविडंग तथा नागरमोथा चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम भोजन से पूर्व सेवन करने से भोजन में अरुचि, भूख की कमी तथा अपच की समस्या ठीक होती है।
घी में पकाए चित्रक (chitraka) के काढ़ा और पेस्ट को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम खाने के बाद लें। इससे कब्ज ठीक होता है।
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चित्रक के जड़ की छाल के 2 ग्राम चूर्ण को भोजन से पहले छाछ के साथ सुबह और शाम पीने से बवासीर में लाभ होता है।
चित्रक की जड़ (plumbago zeylanica root) को पीसकर मिट्टी के बरतन में लेप कर लें। इसमें दही जमा लें। इसी बर्तन में उस छाछ को पीने से बवासीर में लाभ होता है।
ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के 10-20 ग्राम गूदे पर चित्रक की छाल के 1-2 ग्राम चूर्ण को बुरक लें। इसे सुबह और शाम खिलाने से तिल्ली की सूजन ठीक होती है।
चित्रक की जड़, हल्दी, आक (मदार) का पका हुआ पत्ता, धातकी के फूल का चूर्ण में से किसी एक को गुड़ के साथ दिन में तीन बार खाएं। इसे एक से दो ग्राम तक खाने से तिल्ली की सूजन दूर होती है।
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10 ग्राम चित्रक (chitraka) की जड़ के चूर्ण में दो चम्मच मधु मिलाकर महिला को चटाने से प्रसव सामान्य और सुख पूर्वक होता है। प्रसव के दौरान चित्रक की जड़ (Plumbago Zeylanica Root) सूंघने के लिए देना चाहिए। इससे प्रसव जल्दी होता है।
चित्रक की जड़, इन्द्रजौ, कुटकी, अतीस और हरड़ को समान भाग में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से वात के कारण होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।
चित्रक की जड़, आंवला, हरड़, पीपल, रेवंद चीनी और सेंधा नमक को बराबर भाग लेकर चूर्ण बनाकर रखें। 4-5 ग्राम चूर्ण को सोते समय गर्म पानी के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द, वायु के रोग और आंतों के रोग मिटते हैं।
लाल चित्रक की जड़ की छाल को तेल में पकाकर, छानकर लगाने से पक्षाघात यानी लकवा और गठिया में लाभ होता है।
लाल चित्रक की जड़ को पीसकर, तेल के साथ मिलाकर पका लें। इसे छानकर लगाने से आमवात यानी गठिया में लाभ होता है।
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चित्रक (plumbago zeylanica) की छाल को दूध या जल के साथ पीसकर कुष्ठ और त्वचा के दूसरे प्रकार के रोगों में लेप करने से आराम मिलता है। इन्हीं चीजों को एक साथ पीसकर पुल्टिस (पट्टी) बनाकर बाँध दें। छाला उठने तक बाँधे रखें। इस छाले के आराम होने पर सफेद कुष्ठ के दाग मिट जाते हैं।
लाल चित्रक की जड़ को पीसकर, तेल के साथ मिलाकर पकाकर, छानकर लगाने से सूजन, कुष्ठ, दाद, खुजली आदि त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है। लाल चित्रक की जड़ को पीसकर लगाने से मण्डल कुष्ठ में लाभ होता है।
नीले चित्रक की जड़ को पीसकर चर्मकील में लगाने से चर्मकील (Wart) का शमन होता है।
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चित्रक (plumbago zeylanica) की जड़, ब्राह्मी और वच का समान भाग चूर्ण बनाकर 1 से 2 ग्राम तक की मात्रा में दिन में तीन बार देने से हिस्टीरिया (योषापस्मार) में लाभ होता है।
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चित्रक की जड़ के चूर्ण में सोंठ, काली मिर्च तथा पिप्पली का चूर्ण मिला लें। इसे 2-5 ग्राम की मात्रा में देने से बुखार ठीक होती है।
बुखार में जब रोगी खाना नहीं खा सके, उस समय चित्रक की जड़ के टुकड़ों को चबाने से अच्छा लाभ होता है।
2-5 ग्राम चित्रक (plumbago zeylanica) की जड़ के चूर्ण को दिन में तीन बार सेवन करने से से बुखार कम हो जाती है। प्रसूति को बुखार आने पर इसे निर्गुंडी के 10-20 मिली रस के साथ देना चाहिए।
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चित्रक की छाल के चूर्ण को तेल में पकाकर तलुए पर मलने से चूहे का विष उतर जाता है।
लाल चित्रक तथा देवदारु को गोमूत्र के साथ पीसकर लेप करने से फाइलेरिया या हाथीपाँव (श्लीपद) में लाभ होता है।
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लाल चित्रक के निम्न फायदे होते हैंः-
लाल चित्रक को दूध में पीसकर लेप करने से खुजली ठीक होती है।
1-2 ग्राम लाल चित्रक की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है।
लाल चित्रक की जड़ को पीसकर लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।
इसके अलावा लाल चित्रक (chitramoolam) खाना पचाने, भूख बढ़ाने, मोटापा बढ़ाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। यह घावों में पीव को बहने से रोकता है। इसकी थोड़ी मात्रा का प्रयोग करने पर केन्द्रीय तंत्रिकातंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम), मांसपेशियां अधिक सक्रिय हो जाती है। इसके अलावा यह पसीना, पेशाब की ग्रंथियों तथा पित्ताशय भी सक्रिय करता है।
यह सूजन, दर्द, खांसी, श्वसनतंत्र नलिका की सूजन, पुराना बुखार, सिफलिश को भी ठीक करता है। खून की कमी यानी एनीमिया, एक्जीमा, सफेद दाग, दाद तथा कुष्ठ रोग में भी लाभ पहुँचाता है।
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नीले चित्रक के निम्न फायदे होते हैंः-
नीले चित्रक की जड़ का काढ़ा बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पीने से कालाजार के बुखार में लाभ होता है।
इसके साथ ही नीला चित्रक (chitramoolam) बाल औप भूख बढ़ाने और भोजन को पचाने वाला होता है। यह बवासीर, कब्ज, कुष्ठ, पेट के कीड़े का इलाज करता है। इससे खांसी ठीक होती है।
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जड़ का चूर्ण – 1-2 ग्राम
चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन करें।
जड़
अत्यधिक गर्म होने के कारण चित्रक का प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
लाल चित्रक गर्भ को गिराने वाला होता है इसलिए इसका प्रयोग गर्भवती स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।
इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पक्षाघात यानी लकवा एवं मृत्यु भी हो सकती है।
चित्रक (Chitrak Plant) एक औषधीय पौधा है, जिसकी खेती पूरे भारत में की जाती है। यह भारत के सभी स्थानों विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत के पर्णपाती यानी पतझड़ी और पथरीले वनों में तथा खाली पड़ी भूमि पर पाया जाता है।
सफेद चित्रक (chitramoolam) विशेषतः पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दक्षिण भारत तथा श्रीलंका में होता है। जबकि लाल चित्रक खासिया पहाड़, सिक्किम, बिहार में अधिक मिलता है।
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