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Apamarg (chirchita): अपामार्ग (चिरचिटा) दूर करे कई बीमारियां – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

अपामार्ग का परिचय (Introduction of Apamarg)

अपामार्ग (apamarga plant in hindi) एक बहुत ही साधारण पौधा है। आपने अपने घर के आस-पास, जंगल-झाड़ या अन्य स्थानों पर अपामार्ग का पौधा को देखा होगा, लेकिन इसे नाम से नहीं जानते होंगे। अपामार्ग की पहचान नहीं होने के कारण प्रायः लोग इस पौधे को बेकार ही समझा करते हैं। इसलिए यह भी नहीं जानते है कि अपामार्ग के फायदे क्या-क्या होते हैं या अपामार्ग का इस्तेमाल भी किया जाता है।

जी हां, अपामार्ग (chirchita plant benefits in hindi) एक बहुत ही गुणी औषधि है जिसका बरसों से आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अपामार्ग के उपयोग से विकारों को ठीक किया जाता है, बीमारियों की रोकथाम की जाती है। आप दांतों के रोग, घाव सुखाने, पाचनतंत्र विकार, खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों में अपामार्ग का लाभ ले सकते हैं। इसलिए आपके लिए यह जानकारी बहुत ही जरूरी है क्योंकि  अपामार्ग का पौधा (apamarga plant) हर जगह मिल जाता है और जानकारियां होने से आप कई रोगों में इससे लाभ ले सकते हैं।

अपामार्ग क्या है (What is Apamarg?)

अपामार्ग (chirchita plant benefits in hindi) एक जड़ी-बूटी है। बारिश की शुरुाती मौसम से ही अपामार्ग का पौधा अंकुरित होने लगते हैं। ठंड के मौसम में फलते-फूलते हैं और गर्मी के मौसम में पूरी तरह बड़े हो जाते हैं और इसी मौसम में फलों के साथ पौधा (apamarga plant) भी सूख जाता है। इसके फूल हरी गुलाबी कलियों से युक्त तथा बीज चावल जैसे होते हैं। जिन्हें अपामार्ग तंडुल कहते हैं। इसके पत्ते बहुत ही छोटे और सफेद रोमों से ढके होते हैं। ये अण्डाकार एवं कुछ नुकीले से होते हैं।

मुख्यतः अपामार्ग की दो प्रजातियां होती है। जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

  1. सफेद अपामार्ग
  2. लाल अपामार्ग

सफेद और लाल दोनों प्रकार के अपामार्ग की मंजरियां पत्तों के डण्ठलों के बीच से निकलती हैं। ये लंबे, कर्कश, कंटीली सी होती है। इनमें ही सूक्ष्म और कांटे-युक्त बीज होते हैं। ये बीज हल्के काले रंग के छोटे चावल के दाने जैसे और स्वाद में कुछ तीखे होते हैं। फूल छोटे, कुछ लाल हरे या बैंगनी रंग के होते हैं।

लाल अपामार्ग की डण्डियां तथा मञ्जरियां कुछ लाल रंग की तथा पत्तों पर लाल-लाल सूक्ष्म दाग होते हैं।

अनेक भाषाओं में अपामार्ग के नाम (Apamarg names in Different Languages)

अपामार्ग (apamarga plant in hindi) का वानस्पतिक नाम एकायरेन्थिस् एस्पेरा (Achyranthes aspera L., Syn-Achyranthes australis R. Br.), एमारेन्थेसी (Amaranthaceae) है लेकिन इसके अन्य ये भी नाम हैंः-

सफेद अपामार्ग के नाम (Names of White Apamarg)

Apamarg in-

  • Hindi – चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा
  • Urdu – चिरचिटा (Chirchita)
  • English – वाशरमैन्स प्लान्ट (Washerman’s plant), रफ चाफ फ्लॉवर (Rough chaff flower); दी प्रिक्ली-चाफ फ्लॉवर (The prickly-chaff flower)
  • Sanskrit – अपामार्ग, शिखरी, अधशल्य, मयूरक, मर्कटी, दुर्ग्रहा, किणिही, खरमंजरी, प्रत्यक्फूली
  • Assemai – अपंग (Apang)
  • Kannada – उत्तरणी (Uttarani)
  • Konkani – कान्टमोग्रो (Kantmogro)
  • Gujarati – अघेड़ो (Aghedo)
  • Tamil – नायु रुवि (Nayu ruvi)
  • Telugu – अपामार्गमु (Apamargamu)
  • Bengali – अपांग (Apang), चिरचिटी (Chirchiti)
  • Nepali – दतिवन (Dativan)
  • Punjabi – कुत्री (Kutri), पुठखण्डा (Puthkhanda)
  • Marathi – अघाड़ा (Aghada);
  • Malayalam – वनकटलटी (Vankatlati), कटलटी (Katalati)
  • Arabic – अत्कुमह (Atkumah)
  • Persian – खरेवाजहुम (Kharevazhum)

लाल अपामार्ग  (Cyathula prostrata (Linn.) Blume) के नाम (Names of of Red Apamarg)

Apamarg in

  • Hindi – लाल चिरचिटा, लाल-चिचींडा
  • Sanskrit – रक्तापामार्ग, वृन्तफल, वशिर, मरकटपिप्पली, कपिपिप्पली
  • English – परपल प्रिंसेस (Purple princess), पाश्चुरवीड (Pastureweed), प्रोस्ट्रेट पाश्चुर वीड (Prostrate pasture weed)
  • Kannnada – उत्तरनी (Uttarani), किरीमुलोइकाडन्तु (Kirrimulloi kaadantu)
  • Tamil – चिरुकटालाती (Cirukatalati)
  • Telugu – उत्तरनी (Uttarani)
  • Malayalam – चेरुकाटालाटी (Cherukatalati)
  • Marathi – भुइ घड्डा (Bhuighaada)

अपामार्ग के फायदे (Apamarg Benefits and Uses) :

अपामार्ग का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-

सफेद अपामार्ग के फायदे (Benefits of White Apamarg)

अपामार्ग के प्रयोग से होते हैं दांत मजबूत और सुन्दर (Chirchita Plant Benefits in Dental Disease in Hindi)

अपामार्ग के 2-3 पत्तों के रस में रूई को डुबाकर फोया बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांत का दर्द ठीक (apamarg ke fayde) हो जाता है।

अपामार्ग के गुण की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते ही हैं साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इस दातून के प्रयोग से दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।

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यह प्रयोग गंगोत्री के प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की माता जी किया गया है।

जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के रहने वाले  प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की 85 वर्ष माता जी हमेशा अपामार्ग के तने का दातुन करती थीं। दातुन का प्रयोग करने वाले बहुत से लोगों के वृद्धावस्था में भी दांतों की मजबूती बनी रहती है। जब अपामार्ग (apamarg) ताजा नहीं मिलता है तो सूखी हुई अपामार्ग कांड को पानी में भिगोकर दातुन कर सकते हैं।

अपामार्ग से चर्म रोगों (फोड़े-फुन्सी) और गांठों की बीमारी में फायदा (Apamarga Plant Uses in Treats Skin Problems in Hindi)

इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी आदि चर्म रोग तथा गांठ के रोग भी ठीक (apamarg ke fayde)होते हैं।

अपामार्ग के प्रयोग से ठीक होती है मुंह के छाले की परेशानी (Benefits of Apamarg in Mouth Ulcer Treatment in Hindi)

अपामार्ग के गुण मुँह संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है। इसके लिए अपामार्ग के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुखपाक या मुंह के छाले की परेशानी ठीक होती है।

और पढ़ें: मुखपाक में लाभकारी जूही के फूल

अपामार्ग के इस्तेमाल से भूख अधिक लगने की समस्या में लाभ (Apamarg is Beneficial in Appetite Disorder in Hindi)

भस्मक रोग बहुत अधिक भूख लगने की बीमारी को कहते हैं। इसमें खाया हुआ अन्न भस्म हो जाता है और शरीर एक जैसा ही रहता है। अपामार्ग के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम दिन में दो बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे या अपामार्ग के 5-10 ग्राम बीजों को पीसकर खीर बनाकर खिला देने से भस्मक रोग अथवा अधिक भूख लगने की समस्या ठीक होती है। इसके बीजों को खाने से अधिक भूख लगना बन्द हो जाती है।

अपामार्ग के बीजों को कूट छानक, महीन चूर्ण करें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ प्रयोग करें। इससे भस्मक रोग में लाभ (apamarg ke fayde) होता है।

2 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द ठीक होते हैं।

आंखों की बीमारी में लाभदायक अपामार्ग का प्रयोग (Chirchita Plant Benefits in Cure Eye Disease in Hindi)

2 ग्राम अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) के रस में 2 चम्मच मधु मिलाएं। इसे 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों के रोग ठीक होते हैं।

आई-फ्लू, आंखों में होने वाला दर्द, आंख से पानी बहने, आंखें लाल होना, रतौंधी आदि विकारों में अपामार्ग (apamarg) का प्रयोग करना उत्तम परिणाम देता है। अपामार्ग की साफ जड़ को साफ थोड़ा-सा सेंधा नमक मिले हुए दही के पानी के साथ घिसें। ध्यान रखना है कि तांबे के बर्तन में घिसें। इसे काजल की तरह लगाने से इन रोगों में लाभ होता है।

कटने-छिलने पर तुरंत रक्तस्राव को रोकता है अपामार्ग (Uses of Apamarg in Relieving after Injury in Hindi)

अपामार्ग के 2-3 पत्तों को हाथ से मसलकर या कूटकर रस निकाल लें। उसके रस को कटने या छिलने वाले लगाने पर खून का बहना रुक जाता है।

अपामार्ग की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे कटने या छिलने वाले जगह पर लगाएं। आराम मिलता है।

और पढ़ेरक्तस्राव होने पर नींबू के फायदे

घाव को सुखाने के लिए करें अपामार्ग का प्रयोग (Uses of Apamarga Tree in Healing Chronic Wounds in Hindi)

पुराने घाव में अपामार्ग रस के मलहम लगाएं तो घाव पकने नहीं है।

अपामार्ग की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे घाव पर लगाएं। इससे घाव का दर्द कम हो जाता है और घाव ठीक (chirchita plant benefits in hindi) हो जाता है।

लगभग 50 ग्राम अपामार्ग बीज में चौथाई भाग मधु मिलाएं। इसमें 50 ग्राम घी में अच्छी तरह पकायें। पकाने के बाद ठंडा करके घाव पर लेप करें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है। इसके अलावा जड़ का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से भी घाव ठोक हो जाता है।

खुजली में लाभ पहुंचाता है अपामार्ग  (Apamarg Uses in Fighting from Itching in Hindi)

अपामार्ग पञ्चाङ्ग से बने काढ़ा को जल में मिलाकर स्नान करने पर खुजली ठीक (chirchita plant benefits in hindi) हो जाती है।

और पढ़ें: खुजली में कटहल के फायदे

श्वसनतंत्र विकार में अपामार्ग के इस्तेमाल से लाभ (Benefits of Apamarg to Treats Respiratory Problems in Hindi)

दमा को ठीक करने के लिए अपामार्ग की की जड़ (apamarg ki jad) चमत्कारिक रूप से काम करता है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से श्वसनतंत्र के विकारों में लाभ होता है।

खांसी में अपामार्ग के सेवन से फायदा (Chirchita Plant Benefits in Cure Cough in Hindi)

लगभग 125 मिग्रा अपामार्ग क्षार में मधु मिलाएं। इसे सुबह और शाम चटाने से बच्चों की श्वास नली तथा वक्ष स्थल में जमा कफ दूर होता है। बच्चों की खांसी ठीक होती है।

खांसी बार-बार परेशान करती हो और कफ निकलने में कष्ट हो साथ ही कफ गाढ़ा हो गया हो तो अपामार्ग का इस्तेमाल अच्छा परिणाम देता है। इस अवस्था में या न्यूमोनिया की अवस्था में 125-250 मिग्रा अपामार्ग (apamarg) क्षार और 125-250 मिग्रा चीनी को 50 मिली गुनगुने जल में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में लाभ हो जाता है।

6 मिली अपामार्ग की जड़ (apamarg ki jad) का चूर्ण और 7 काली मिर्च चूर्ण को मिलाएं। सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।

अपामार्ग पञ्चाङ्ग की भस्म बनाएं। 500 मिग्रा भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से कुक्कुर खांसी ठीक होती है।

बलगम वाली खासी को ठीक करने के लिए अपामार्ग की की जड़ (apamarg ki jad) चमत्कारिक रूप से काम करता है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है।

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बुखार उतारने के लिए करें अपामार्ग का प्रयोग (Chirchita Uses in Fighting with Fever in Hindi)

अपामार्ग के 10-20 पत्तों को 5-10 नग काली मिर्च और 5-10 ग्राम लहसुन के साथ पीसकर 5 गोली बना लें। 1-1 गोली लेने से बुखार आने से दो घंटे पहले देने से सर्दी से आने वाला बुखार छूटता (chirchita plant benefits in hindi) है।

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अपामार्ग का प्रयोग हैजा के लिए फायदेमंद (Uses of Apamarga Plant in Cholera Treatment in Hindi)

2-3 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को दिन में 2-3 बार शीतल जल के साथ सेवन करें। इससे हैजा ठीक होता है। अपामार्ग के 4-5 पत्तों का रस निकालें। इसमें थोड़ा जल व मिश्री मिलाकर प्रयोग करने से भी हैजा में लाभ मिलता है।

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पेट के रोग में अपामार्ग के सेवन से फायदा (Chirchita Plant Benefits to Treat Abdominal Disease in Hindi)

20 ग्राम अपामार्ग पञ्चाङ्ग को लेकर 400 मिली पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तब उसमें 500 मिग्रा नौसादर चूर्ण तथा 1 ग्राम काली मिर्च चूर्ण मिलाएं। इसे  दिन में 3 बार सेवन करने से पेट के दर्द में राहत मिलती है और पेट की अन्य बीमारी भी ठीक होती है।

अपामार्ग का उपयोग कर करें बवासीर का इलाज (Benefits of Apamarg in Treatment of Hemorrhoids in Hindi)

अपामार्ग की 6 पत्तियां तथा 5 नग काली मिर्च को जल के साथ पीस लें। इसे छानकर सुबह और शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है और उससे खून बहना रुक जाता है।

अपामार्ग के बीजों को कूट छानकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ प्रयोग करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।

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खूनी बवासीर में लाभ पहुंचाता है अपामार्ग (Apamarg Benefits in Piles Treatment in Hindi)

10-20 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ पीस-छान लें।  उसमें दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से पित्तज या कफज विकारों के कारण होने वाली खूनी बवासीर की बीमारी में लाभ होता है।

पथरी की बीमारी में फायदेमंद अपामार्ग का प्रयोग (Apamarga Tree Uses in Cure Stone Disease in Hindi)

अपामार्ग की 5-10 ग्राम ताजी की जड़ को पानी में पीस लें। इसे घोलकर पिलाने से पथरी की बीमारी में बहुत लाभ होता है। यह औषधि किडनी की पथरी को टुकडे-टुकड़े करके निकाल देती है। किडनी में दर्द के लिए यह औषधि बहुत काम करता है।

और पढ़ें: पथरी मे मूली के प्रयोग

योनि में दर्द  है तो करें अपामार्ग का इस्तेमाल (Apamarg Help in Relieving Vaginal Pain in Hindi)

अपामार्ग की जड़, पत्ते एवं शाखाओं को पीस लें। आसन्न प्रसवा स्त्री की योनि में लेप करने से योनि का दर्द ठीक होता है।

अपामार्ग की जड़ के रस से रूई को भिगोएं। इसे योनि में रखने से योनि के दर्द और मासिक धर्म की रुकावट मिटती है।

अपामार्ग और पुनर्नवा की जड़ को जल में घिसकर योनि में लेप करने से प्रसव के कारण होने वाला दर्द ठीक होता है।

मासिक धर्म विकार में फायदेमंद अपामार्ग का प्रयोग (Apamarg Benefits in Menstrual Disorder in Hindi)

अपामार्ग पञ्चाङ्ग रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म विकार ठीक होता है।

अपामार्ग की जड़ के रस से रूई को भिगोएं। इसे योनि में रखने से मासिक धर्म की रुकावट मिटती है।

अपामार्ग के इस्तेमाल से गर्भधारण न होने की समस्या का समाधान (Apamarg Helps in Infertility Problem in Hindi)

अनियमित मासिक धर्म या अधिक रक्तस्राव के कारण जो स्त्रियाँ गर्भ धारण नहीं कर पातीं हैं। वे अपामार्ग के उपाय को अपनाकर लाभ उठा सकती हैं। ऋतुस्नान के दिन से उत्तम भूमि में उत्पन्न इस दिव्य बूटी के 10 पत्ते या इसकी 10 ग्राम की जड़ लें। इसको गाय के 125 मिली दूध के साथ पीसकर छान लें।

इसे 4 दिन तक सुबह, दोपहर तथा शाम पिलाने से स्त्री गर्भ धारण कर लेती है। यह प्रयोग यदि एक बार में सफल न हो तो अधिक से अधिक 3 बार करें।

और पढ़ेगर्भधारण विकार में शिवलिंगी से लाभ

अपामार्ग के इस्तेमाल से रसौली का इलाज (Apamarga Tree Uses in Cure Neoplasm in Hindi)

अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम ताजे पत्ते एवं 5 ग्राम हरी दूब को पीस लें। इसे 60 मिली जल में मिलाकर छान लें। इसे गाय के दूध में 20 मिली या इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह सात दिन तक पिलाएं। यह प्रयोग रोग ठीक होने तक नियमित रूप से करें। इससे गर्भाशय में गांठ की परेशानी ठीक हो जाती है।

प्रसव को आसान बनाने के लिए अपामार्ग फायदेमंद (Benefits of Apamarg in Reducing Pregnancy Problem in Hindi)

आप प्रसव के समय भी अपामार्ग का उपयोग कर सकती हैं। पाठा, कलिहारी, अडूसा, अपामार्ग में से किसी एक औषधि की जड़ को नाभि, योनि पर लेप के  रूप में लगाएं। इससे प्रसव आसानी से हो जाता है।

प्रसव पीड़ा शुरू होने से पहले अपामार्ग की जड़ को एक धागे में कमर पर बांधें। इससे प्रसव आसानी से होता है। ध्यान रखना है कि प्रसव होते ही उसे तुरन्त हटा लेना चाहिए।

अपामार्ग की जड़, पत्ते एवं शाखाओं को पीस लें। इसे योनि में लेप करने से सुखपूर्वक प्रसव होता है।

अपामार्ग फूलों का पेस्ट बनाकर सेवन करने से प्रजनन से जुड़े रोगों में लाभ होता है।

रक्तप्रदर या योनि से अधिक रक्तस्राव होने पर अपामार्ग से फायदा (Apamarga Tree in Diagnosis Metrorrhagia in Hindi)

अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम ताजे पत्ते एवं 5 ग्राम हरी दूब को पीस लें। इसे 60 मिली जल में मिलाकर छान लें। इसे गाय के दूध में 20 मिली या इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह सात दिन तक पिलाने से  मासिक धर्म के दौरान अधिक खून बहने की परेशानी ठीक होती है। यह प्रयोग रोग ठीक होने तक नियमित रूप से करें।

अपामार्ग पञ्चाङ्ग रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव ठीक होता है।

अपामार्ग पत्ते के रस से सिर का अभिषेक करें या पत्ते के रस को योनि में लेप करने से रक्तप्रदर (अधिक रक्तस्राव) में शीघ्र लाभ होता है।

ल्यूकोरिया में अपामार्ग के प्रयोग से लाभ (Chirchita Benefits for Cure Leucorrhoea in Hindi)

अपामार्ग पञ्चाङ्ग रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से ल्यूकोरिया ठीक होता है।

और पढ़ें: ल्यूकोरिया में भिंडी के फायदे

अपामार्ग का उपयोग कर पाएं चेचक में लाभ (Benefits of Chirchita in Fighting Chickenpox in Hindi)

हल्दी और अपामार्ग की की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इसे हाथ पैरों के नाखूनों पर तथा सिर पर तिलक के रूप में लगाने से चेचक नहीं निकलता है। यदि चेचक निकल आई हो तो अपामार्ग की साफ जड़ को पीसकर फुन्सियों पर लगाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।

कुष्ठ रोगों में फायदा पहुंचाता है अपामार्ग (Chirchita Plant Uses in Leprosy Treatment in Hindi)

अपामार्ग भस्म को सरसों के तेल के साथ मिलाकर घाव पर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

अपामार्ग रस में पिसे हुए मूली के बीज मिलाकर लेप करने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है।

अपामार्ग का इस्तेमाल साइनस में फायदेमंद (Uses of Apamarga Tree in Treatment of Sinus in Hindi)

सज्जीक्षार, सेंधानमक, चित्रक, दंती, भूम्यामलकी की जड़, श्वेतार्क, अपामार्ग बीज की पेस्ट और तथा गोमूत्र को तेल में पकाएँ। इस तेल से लेप लेने से साइनस जल्दी ठीक हो जाता है।

और पढ़ेंः साइनस में फायदेमंद कर्चूर

आधासीसी या माइग्रेन में फायदेमंद अपामार्ग का इस्तेमाल (Chirchita Plant Uses in Relieving Migraine in Hindi)

अपामार्ग के बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से आधासीसी में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाएं। इससे मस्तक के अन्दर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के जरिए निकल जाता है।

और पढ़ेंमाइग्रेन में शिरीष के फायदे

अपामार्ग के इस्तेमाल से बहरेपन की समस्या का समाधान (Uses of Apamarga Plant to Treat Deafness Problem in Hindi)

अपामार्ग की साफ धोई हुई की जड़ (apamarg ki jad) का रस निकालें। इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पका लें। जब तेल केवल रह जाए तब छानकर शीशी में रख लें।

इस तेल को गुनगुना करके हर रोज 2-3 बूंद कान में डालने से बहरापन और कान से मवाद बहने की परेशानी ठीक होती है।

अपामार्ग क्षार का घोल और अपामार्ग के पत्ते का पेस्ट बनाएं। इसमें चार गुना तिल के तेल मिलाएं। इसे पकाएं और फिर उस तेल को 2-2 बूंद कान में डालने से बहरेपन, कान का आवाज करना आदि परेशानी ठीक होती है।

जोड़ों के दर्द में फायदेमंद अपामार्ग का उपयोग (Chirchita Benefits in Cure Arthritis in Hindi)

अपामार्ग के 10-12 पत्तों को पीसकर गर्म करके जोड़ों पर बांधें। इससे जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है। जोड़ों के दर्द के साथ-साथ फोड़े-फुन्सी या गांठ वाली जगह पर अपामार्ग के पत्ते पीसकर लेप लगाने से गांठ धीरे-धीरे दूर हो जाती है।

अपामार्ग की जड़ को पीसकर लगाएं और जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे कमर दर्द और जोड़ों के दर्द से आराम मिलता है।

और पढ़ें: जोड़ों के दर्द में बुरांश के फायदे

जहरीले कीड़े-मकौड़े का काटने पर अपामार्ग से फायदा (Chirchita is Beneficial in Insect Biting in Hindi)

ततैया, बिच्छू तथा अन्य जहरीले कीड़ों के काटने वाले स्थान पर अपामार्ग पत्ते के रस लगा देने से जहर उतर जाता है। इसके बाद 8-10 पत्तों को पीसकर लुगदी बांध दें। इससे घाव बढ़ता नहीं है।

लाल अपामार्ग का उपयोग (Uses of Red Apamarg)

भूख को बढ़ाने के लिए करें लाल अपामार्ग का प्रयोग (Chirchita Plant Benefits in Increasing Appetite in Hindi)

लाल अपामार्ग की जड़ या पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर (10-30 मिली) मात्रा में सेवन करें। इससे भूख बढ़ती है।

लाल अपामार्ग से पाएं कब्ज से राहत (Apamarga Tree is Beneficial in Constipation in Hindi)

1-2 ग्राम तने और पत्ते के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की बीमारी ठीक होती है।

मूत्र रोग में फायदेमंद अपामार्ग का इस्तेमाल (Chirchita Benefits to Treat Urinary Problems in Hindi)

लाल अपामार्ग (apamarga) के पत्ते से बने 10-30 मिली काढ़ा में चीनी मिलाकर सेवन करने से मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होना और पेशाब का रुक-रुक कर आना ठीक होता है।

और पढ़ें : मूत्र रोग में मरिच फायदेमंद

पेचिश और हैजा में अपामार्ग के सेवन से लाभ (Chirchita Plant Uses for Cure Dysentery and Cholera in Hindi)

लाल अपामार्ग की जड़ या पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाएं। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से पेचिश की बीमारी और हैजा ठीक होता है।

और पढ़ेपेचिश में अमरूद के फायदे

अपामार्ग के इस्तेमाल की मात्रा (How Much to Consume Apamarg?)

आप अपामार्ग (apamarga) का इस्तेमाल इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-

रस- 10-20 मिली

जड़ का चूर्ण- 3-6 ग्राम

बीज- 3 ग्राम

क्षार- 1/2-2 ग्राम

अपामार्ग के इस्तेमाल का तरीका (How to Use Apamarg?)

अपामार्ग का इस्तेमाल इस तरह से किया जाना चाहिएः-

पत्ते

जड़ (apamarg ki jad)

पञ्चाङ्ग

अपामार्ग से नुकसान (Side Effects of Apamarg)

आमाशय के विकारों पर इसका प्रयोग अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।

अपामार्ग कहां पाया जाता है या अपामार्ग की खेती कहां होती है (Where is Apamarg Found or Grown?)

भारत के प्रायः सभी जंगली इलाकों, शहरों तथा गांवों में अपामार्ग (apamarga) पाया जाता है। यह वर्षा-ऋतु में विशेषकर पाया जाता है, लेकिन कहीं-कहीं इसके पौधे (apamarga plant) वर्ष भर भी मिलते हैं।

और पढ़ेहैजा में बड़ी इलायची के फायदे

पतंजलि के अपामार्ग उत्पाद कहां से खरीदें (Patanjali Apamarg Product)

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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