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Bargad: बड़/बरगद के हैं अद्भुत फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

बरगद के पेड़ को बट वृक्ष या बड़ के पेड़ भी कहा जाता है। आपने अपने घरों के आसपास या मंदिरों में बरगद का पेड़ देखा होगा। महिलएं बट साबित्री की पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। बरगद का पेड़ बहुत विशाल और बड़े-बड़े पत्तों वाला होता है। क्या आप जानते हैं कि रोगों के इलाज में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ (Banyan tree) एक उत्तम औषधि भी है और आप बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।

केवल बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद के फल (bargad ka fal), बरगद के बीज, बरगद का दूध (bargad ka doodh) भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। बरगद के पेड़ (Bargad ka ped) से कफ, वात, पित्‍त दोष को ठीक किया जा सकता है। नाक, कान या बालों की समस्या में भी बरगद के पेड़ के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि बरगद के पेड़ के और क्या-क्या लाभ हैं।

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बरगद क्या है? (What is Banyan Tree in Hindi?)

बरगद का वृक्ष विशाल तना और शाखाओं वाला होता है। यह बहुत ही छायादार और लंबे समय तक जीवित रहने वाला पेड़ है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह अकाल के समय भी जीवित रहता है। मनुष्‍य बरगद के पेड़ के फल खाते हैं तो जानवर इसके पत्‍ते खाते हैं। यहां बरगद के पेड़ से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Bargat Tree in hindi) में लिखा गया है ताकि आप बरगद के पेड़ से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अनेक भाषाओं में बरगद के नाम (Banyan Tree Called in Different Languages)

बरगद को मूलतः बर या बट के नाम से ही जानते हैं, लेकिन इसके अलावा भी देश-विदेश में बरगद को कई नाम से जाना जाता है। बरगद (bargad ka ped) का वानस्पतिक नाम Botanical name FicusbenghalensisLinn. (फाइकस् बेंगालेन्सिस्) Syn-Ficus banyana Oken है और इसके अन्य नाम ये हैंः-

Banyan tree in:-

  • Hindi (bargad tree in hindi) – बर, बरगट, बरगद, बट
  • English – ईस्ट इण्डियन फिग ट्री (East Indian fig tree)
  • Sanskrit – वट वृक्ष, न्यग्रोध, वैश्रवणालय, बहुपाद, रक्तफल (bargad ka fal),  शृङ्गी, स्कन्धज, ध्रुव, क्षीरी, वैश्रवण, वास, वनस्पति
  • Oriya – बरो (Boro)
  • Urdu – बर्गोडा (Bargoda)
  • Konkani – वड (Vad)
  • Kannada– अल (Al), अला (Ala), मरा (Mara)
  • Gujarati – वड (Vad), वडलो (Vadlo)
  • Tamil – अला (Ala), अलम (Alam)
  • Telugu – मर्री (Marri), वट वृक्षी (Vati)
  • Bengali – बर (Bar), बोट (Bot), बडगाछ (Badgach)
  • Nepali – बर (Bar)
  • Punjabi – बरगद (Bargad), बर (Bar)
  • Malayalam – अला (Ala), पेरल (Peral)
  • Marathi – वड (Wad), वर (War)
  • Arabic – जतुलेजईब्वा (Jhatulejaibva), तईन बनफलिस (Taein banfalis)
  • Persian – दरखत्तेरेशा (Darakhteresha)

बरगद के पेड़ के फायदे और उपयोग (Banyan Tree Benefits and Uses in Hindi)

बरगद का पेड़ अपने विभिन्‍न औषधीय प्रयोगों और और गुणों से महिला, पुरुष, बच्‍चे और बुजुर्ग सभी के लिए अत्‍यंत फायदेमंद है। बरगद के पेड़ का उपयोग (bargad ka ped) या औषधीय इस्‍तेमाल इस प्रकार से किया जाना चाहिए:

बालों की समस्‍या में बरगद के पेड़ के फायदे (Banyan Tree Benefits to Treat Hair Problem in Hindi)

  • वट वृक्ष (bargad ka tree) के पत्तों की 20-25 ग्राम भस्म को 100 मिलीग्राम अलसी के तेल में मिलाकर सिर में लगाने से बालों की समस्‍या दूर होती है।
  • वट वृक्ष के स्वच्छ कोमल पत्‍तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर आग पर पका लें। इस तेल को बालों में लगाने से बालों की सभी प्रकार की समस्‍याएं दूर होती हैं।
  • बड़ (banyan tree uses) की जटा और जटामांसी का चूर्ण 25-25 ग्राम, तिल का तेल 400 मिलीग्राम तथा गिलोय का रस 2 लीटर लें। इन सभी को आपस में मिलाकर धूप में रखें। पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल की मालिश करें। इससे गंजेपन की समस्या खत्म होती है और बाल आ जाते हैं एवं बाल झड़ना बंद हो जाता है। बाल सुंदर और सुनहरे हो जाते हैं।
  • बड़ की जटा और काले तिल को बराबर भाग में मिलाकर खूब महीन पीसकर सिर पर लगाएं। आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर लें। अब सिर में भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाएं। कुछ दिन ऐसा करते रहने से कुछ दिनों में बाल लम्बे हो जाते हैं।

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बरगद के फायदे आंखों के रोगों में (Uses of Bargad Tree in Eye Disease in Hindi)

  • बड़ के 10 मिलीलीटर दूध में 125 मिलीलीटर कपूर और 2 चम्मच शहद मिलाएं। इसे आखों में लगाने (अंजन करने) आखों की समस्‍या दूर होती हैं।
  • बड़ के दूध को 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों से संबंधित रोगों का उपचार होता है।   (चिकित्सक की सलाह में प्रयोग करें।)

नाक से खून आने पर बरगद के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Banyan Tree to Stop Nasal Bleeding in Hindi)

  • 3 ग्राम बरगद की जड़ की छाल का चूर्ण लस्सी के साथ पिएं। इससे नाक से खून आने की समस्या में लाभ होता है।
  • 10 से 20 ग्राम तक वट वृक्ष कोपलों या पत्तों को पीस लें। इसमें शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी पित्त में लाभ होता है।

कान के रोगों में बरगद के पेड़ से फायदे (Banyan Tree Benefits for Ear Disease in Hindi)

  • कान में यदि फुंसी हो तो वट वृक्ष के दूध की कुछ बूंदों में सरसों के तेल को मिलाकर डालने से ही कान की फुंसी ठीक हो जाती है।
  • वट वृक्ष के दूध (bargad tree milk benefits) की 3 बूंदों को बकरी के 3 ग्राम कच्‍चे दूध में डालकर कान में डालने से कान की फुंसी नष्ट हो जाती है।

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बरगद के औषधीय गुण से चेहरे की चमक में बढ़ौतरी (Benefits of Banyan Tree in Glowing Skin in Hindi)

  • वट वृक्ष (bargad ka ped) के 5-6 कोमल पत्तों को या जटा को 10-20 ग्राम मसूर के साथ पीसकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर उभरने वाले मुंहासे और झांई दूर हो जाते हैं।
  • वट वृक्ष के पीले पके पत्तों के साथ, चमेली के पत्ते, लाल चन्दन, कूट, काला अगर और पठानी लोध्र 1-1 भाग में लें। इनको पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से मुहांसे तथा झांई आदि दूर हो जाते हैं।
  • निर्गुण्डी बीज, बड़ के पीले पके पत्ते, प्रियंगु, मुलेठी, कमल का फूल, लोध्र, केशर, लाख तथा इंद्रायण चूर्ण को बराबर भाग में लें। इन्हें पानी के साथ पीसकर लेप तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाने से चेहरे चमक बढ़ जाती है।

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दांतों के रोग में बरगद के पेड़ के फायदे (Benefits of Banyan Tree Bark to Treat Dental Disease in Hindi)

  • 10 ग्राम बड़ की छाल के साथ 5 ग्राम कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च लें। इन तीनों को खूब महीन पीसकर चूर्ण बना लें। इसका मंजन करने से दांत का हिलना, दांतों की गंदगी, मुंह से दुर्गंध आना आदि विकार दूर होकर दांत स्वच्छ एवं सफेद होते हैं।
  • दांत के दर्द पर बरगद का दूध  लगाने से इसमें आराम मिलता है।
  • यदि किसी दांत को निकालना हो तो उस स्‍थान पर बरगद का दूध (bargad ka doodh) लगा दें। उसके बाद दांत को आसानी से निकाला जा सकता है।
  • बरगद की जड़ की दातून बनाकर मंजन करने से दांत दर्द और मुंह से आने वाले बदबू दूर होती है।

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टॉन्सिल रोग में बरगद के पेड़ से लाभ (Banyan Tree Milk Benefits in Tonsil Disease Treatment in Hindi)

वट वृक्ष के दूध (आक्षीर)  का लेप करने से कंठमाला रोग में लाभ होता है।

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बरगद के औषधीय गुण से खांसी और जुकाम का इलाज (Bargad Tree Benefits in Fighting with Cough and Cold in Hindi)

  • वट वृक्ष के कोमल लाल रंग के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट लें। एक या डेढ़ चम्मच चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसमें 3 चम्मच चीनी मिलाकर काढ़ा तैयार कर लें। इसे सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम व नजला दूर होकर मस्तिष्क की दुर्बलता भी नष्ट होती है।
  • बरगद की छोटी-छोटी कोमल शाखाओं से शीत निर्यास तैयार करें। 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में इसका सेवन करने से कफ से होने वाली बीमारी में फायदा होता है।
  • बरगद के 10 ग्राम कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीग्राम पानी में खूब पीस लें। इसे छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम 15 दिन तक पिलाने से हृदय रोगों में लाभ होता है।

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पेचिश में बरगद के पेड़ से लाभ (Benefits of Bargad Tree to Stop Dysentery in Hindi)

दस्‍त के साथ या दस्‍त के पहले या बाद में खून गिरता हो तो वट वृक्ष वृक्ष (Bargad ke ped) की 20 ग्राम कोपलों को पीस लें। इसे रात में पानी में भिगोकर सुबह छान लें। छने हुए पानी में 100 ग्राम घी मिलाकर पकाएं। इसमें केवल घी बच जाने पर उतार लें। इस घी के 5-10 ग्राम लें और उसमें 2 चम्मच शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्‍त या पेचिश में लाभ होता है।

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बरगद के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Benefits of Bargat Tree Milk to Stop Diarrhea in Hindi)

  • बरगद के दूध (bargad ka doodh) को नाभि के छेद में भरने और उसके आस पास लगाने से दस्‍त रुक जाती है।
  • 6 ग्राम वट वृक्ष कोपलों को 100 मिलीग्राम पानी में घोंट लें। इसे छान कर इसमें थोड़ी मिश्री मिला लें। इसे पिलाने से तथा ऊपर से छाछ पिलाने से दस्‍त में लाभ होता है।
  • छाए में सुखाए गए वट वृक्ष की छाल 3 ग्राम का चूर्ण तैयार करें। दिन में 3 बार चावलों के धोवन के साथ या ताजे जल के साथ इसे देने से दस्‍ते में तुरंत लाभ होता है।
  • वट वृक्ष की 8-10 कोपलों का सेवन दही के साथ करने से दस्‍त में लाभ होता है।

खूनी की उल्‍टी रोकने में बरगद का गुण फायदेमंद (Bargat Tree Benefits in Hematemesis Treatment in Hindi)

  • वट वृक्ष की नरम शाखाओं की टहनियों में चीनी या बतासा मिलाकर सेवन करने से खून की उल्‍टी की बीमारी ठीक होती है।
  • 6 ग्राम वट वृक्ष की जटा के अंकुर लें। इसे जल में घोट छान लें। इसे पिलाने से खून की उल्‍टी बन्द हो जाती है।

बार-बार प्‍यास लगने की समस्‍या में बरगद का गुण लाभदायक (Bargad Tree Benefits in Controlling Excessive Thirsty Problem in Hindi)

वट वृक्ष की कोपल दूब, लोध्र, अनार और मुलेठी बराबर भाग में लें। इसे पीस लें। इसमें शहद मिलाकर चावलों के धोवन के साथ इसका सेवन करने से उल्‍टी और बार-बार प्‍यास लगने की समस्‍या दूर हो जाती है।

बरगद के पत्‍तों के सेवन से खूनी बसासीर में लाभ (Benefits of Banyan Tree Leaves in Piles in Hindi)

  • बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीग्राम पानी में घोंटकर पिलाने से 2-3 दिन में ही खून बहना बन्द हो जाता है। इसके पीले पत्तों की भस्म को बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लेप करते रहने से तुरंत लाभ होता है।
  • 100 मिलीग्राम बकरी के दूध और उतना ही पानी में वट वृक्ष (bargad ka pedh) की 10 ग्राम कोपलों को मिला लें। अब इसे आंच पर पकाएं, जब केवल दूध बचा रह जाय तो उसे छान कर सेवन करें। इससे खूनी पित्‍त, खूनी बवासीर, खूरी दस्‍ते में भी लाभ होता है।
  • वट वृक्ष की सूखी हुई शाखा को जलाकर इसका कायेला बना लें। इन कोयलों को महीन पीसकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ देते रहने से बवासीर में लाभ होता है।
  • कोयलों के चूर्ण को 21 बार धोये हुए मक्खन में मिलाकर मलहम तैयार कर लें। इस मलहम को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से बिना कष्ट के दूर हो जाते हैं।
  • 20 ग्राम वट वृक्ष छाल को 400 मिलीग्राम पानी में पकाएं। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर उसमें गाय का घी और खांड 10-10 ग्राम मिला लें। इसके सेवन से कुछ दिनों में लाभ होता है।
  • बड़ के पत्ते, पुरानी इऔट का चूर्ण, सोंठ, गिलोय तथा पुनर्नवा की छाल का चूर्ण को बराबर मात्रा में लें। इन्‍हें जल के साथ पीसकर भगंदर के घाव पर लेप करें। इससे नासूर में लाभ होता है।

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मधुमेह (डायबिटीज) में बरगद की छाल से लाभ (Benefits of Banyan Tree Bark in Controlling Diabetes in Hindi)

  • 20 ग्राम बरगद के फल का चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएं। जब इसका आठवां भाग बच जाए तो उतार कर ठंडा होने पर छान कर सेवन कराएं। ऐसा 1 महीने तक सुबह और शाम सेवन करने से डायबिटीज पूर्ण लाभ होता है।
  • बरगद की ताजी छाल के महीन चूर्ण में बराबर भाग खांड मिलाकर 4 ग्राम की मात्रा में ताजे जल के साथ सेवन करें। डायबिटीज में फायदा होता है। यदि बार बार वीर्य निकले तो खांड न मिलाएं।
  • बरगद के दूध को 1 बतासे पर डालकर खाएं, दूसरे दिन 2 बतासों पर 2 बूंदे, तीसरे दिन 3 बतासों पर 3 बूंद, 21 दिन तक दूध व बतासे बढ़ाते जायें। इसी तरह घटाते हुए एक बूंद और एक बतासे पर छोड़ दें। यह मधुमेह की विशेष औषधि (bargad ke ped ke fayde) है। इससे स्वप्नदोष दूर होकर वीर्य की वृद्धि होती है।
  • बरगद के पके पीले पत्ते 2.5 किलोग्राम, 15 लीटल जल में 3-4 दिन भिगोने के बाद पकाएं। इसमें एक चौथाई पानी शेष रहने पर मसल छान लें। अब इस पानी को गाढ़ा होने तक फिर से पकायें। अब इसे आंच से उतार कर इसमें गिलोय सत् (पानी में गर्म करने के बाद पानी में नीचे जम जाने वाला भाग) व प्रवाल पिष्टी 3 से 6 ग्राम तथा छोटी इलायची के बीज 2 ग्राम पीस कर मिलायें। इसकी 250 मिलीग्राम की गोली बना कर रख लें। सुबह शाम 1-1 गोली गाय की दूध या पानी के साथ सेवन करायें। इससे डायबिटीज में फायदा होता है।
  • 4 ग्राम की मात्रा में बरगद जटा के चूर्ण को सुबह शाम ताजे पानी के साथ सेवन कराने से मधुमेह में लाभ होता है। इससे धातु का स्राव एवं स्वप्न दोष की शिकायत दूर होती है।
  • बरगद (bargad ka pedh) के फल का चूर्ण लें। चूर्ण की मात्रा 10-20 ग्राम की मात्रा होनी चाहिए। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है। यह पौष्टिक व धातुवर्धक है।

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मूत्र रोग (पेशाब की समस्‍या) में बरगद के बीज से फायदा (Banyan Tree Seed Benefits for Urinary Disease in Hindi)

  • बरगद के फलों (bargad ka fal) के बीज को महीन पीस लें। इसे 1 या 2 ग्राम की मात्रा में, सुबह के समय गाय की दूध के साथ लगाकार सेवन करें। इससे बार-बार पेशाब आने की समस्‍या दूर हो जाती है।
  • बरगद की जटा का महीन चूर्ण बना लें। इसका 9 ग्राम, कलमी शोरा, सफेद  जीरा, छोटी इलायची के बीज लें। प्रत्येक का महीन चूर्ण 2-2 ग्राम मिलाकर जल में घोंटकर 2-2 ग्राम की बाती बना लें। सुबह के समय गाय के गर्म दूध के साथ सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब आने की समस्या ठीक होती है और सूजाक में लाभ होता है।

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मासिक धर्म विकार में बरगद के सेवन से फायदा (Benefits of Banyan Tree in Menstrual Disorder in Hindi)

  • 10 ग्राम बरगद की जटा के अंकुर को 100 मिलीग्राम गाय के दूध में पीस लें। इसे छानकर दिन में 3 बार पिलाने से मासिक धर्म विकार या रक्‍त प्रदर में लाभ होता है।
  • बरगद के 20 ग्राम कोमल पत्तों को 100 से 200 ग्राम पानी में घोटकर सुबह शाम पिलाने से तुरंत लाभ होता है। महिला या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो उसमें भी इसके सेवन से लाभ होता है।
  • 3 से 5 ग्राम बरगद के कोपलों का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन से मधुमेह और माहवारी रोग में लाभ होता है।

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सिफलिस (उपदंश) से में बरगद की जटा से लाभ (Bargad Uses in Treating Syphilis in Hindi)

बरगद की जटा के साथ बराबर भाग में अर्जुन की छाल हरड़, लोध्र और  हल्दी को पानी में पीस लें। इसका लेप लगाने से सिफलिस या उपदंश के घाव ठीक होते हैं।

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सूजाक में बरगद की छाल से लाभ (Banyan Tree Uses in Gonorrhea Treatment in Hindi)

छाए में सूखाए गए बरगद की जड़ (banyan tree roots benefits) के छाल का चूर्ण तैयार करें। इस चूर्ण की 3 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम शर्बत या साधारण ताजे पानी के साथ लें। इससे सूजाक में लाभ होता है।

गर्भधारण में फायदेमंद बरगद की छाल का उपयोग (Bargad Tree Bark is Useful During Pregnancy in Hindi)

  • गर्भाधारण के दौरान छाए में सुखाए गए छाल चूर्ण को लस्‍सी के साथ सेवन करने से गर्भपात नहीं होता।
  • 20-30 मिलीग्राम बड़ की छाल के काढ़े में 3-5 ग्राम लोध्र की पेस्‍ट तथा थोड़ा शहद मिला लें। इसका दिन में दो बार सेवन करने से शीघ्र ही लाभ होता है।
  • योनि से स्राव यदि ज्‍यादा हो तो बरगद की छाल के काढ़े में मुलायम कपड़े को 3-4 बार भीगोएं। इसे योनि पर रखें। यह दोनों प्रयोग योनी से सफेद पानी या ल्योूकिरिया आने की शिकायत में भी लाभदायक हैं।
  • इसके दो कोमल पत्तों को 250 मिली गाय के दूध में बराबर भाग जल मिलाकर पकाएं। केवल दूध शेष रहने पर छानकर पी लें।
  • पुष्य नक्षत्र एवं शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद के कोपलों का चूर्ण तैयार करें। इस चूर्ण का 6 ग्राम ऋतु काल में सुबह में पानी के साथ 4-6 दिन सेवन करें। इसके अलावा बरगद के कोंपलों को पीसकर बेर जैसी 21 गोलियां बना लें। 3 गोली घी के साथ सेवन करें। ऐसा करने से स्त्री अवश्य गर्भ धारण करती है।

योनि का ढीलापन की समस्या में बरगद के कोपलों का सेवन (Bargad Tree Uses in Vaginal Laxity in Hindi)

वट वृक्ष की कोपलों के रस में फाहा भिगों कर योनि (पिचू) में रोजाना 1 बार लगभग 15 दिनों तक रखें। इससे योनी की शिथिलता (योनि का ढीलापन) में लाभ होता है।

स्तनों के ढीलापन की समस्या में बरगद की जटा से लाभ (Bargad Tree Uses in Breast Laxity in Hindi)

बरगद की जटा के बारीक आगे वाले भाग के पीले व लाल तंतुओं को पीसकर स्तनों में लेप करें। इससे स्तनों की शिथिलता या स्तनों का ढीलापन ठीक होता है।

कमर दर्द में वट वृक्ष के दूध से लाभ (Uses of Bargad Tree Milk in Getting Relief From Back Pain in Hindi)

बरगद के दूध को लगाने से कमर दर्द का उपचार होता है।

शरीर को पुष्ट बनाने के लिए बरगद के फल का सेवन (Uses of Bargad Tree for Body Weakness in Hindi)

  • वृक्ष से उतारे हुए फलों को हवादार स्थान में कपड़े पर सुखा लें। ध्‍यान रखें कि इससे लोहे का सम्पर्क ना होने पाए। इसका चूर्ण तैयार कर लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। 6 ग्राम चूर्ण को सुबह में गर्म दूध के साथ सेवन करें। इससे वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन आदि विकार दूर होते हैं तथा बल की वृद्धि (bargad ke ped ke fayde) होती है।
  • बड़ के पके फल व पीपल के फल, दोनों को सुखा कर महीन चूर्ण बना लें। 25 ग्राम चूर्ण को 25 ग्राम घी में भूनकर, हलवा बना लें। इसे सुबह और शाम को सेवन करने तथा ऊपर से गाय का दूध पीने से विशेष बल की वृद्धि होती है। यदि स्त्री और पुरुष दोनों सेवन करें तो रज तथा वीर्य की शुद्धि होती है।
  • छाए में सुखाए गए कोपलों के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री मिला लें। इस चूर्ण का 7 दिन सुबह में बिना कुछ खाए 5-10 ग्राम तक की मात्रा में लस्सी के साथ सेवन करें। इससे वीर्य का पतलापन दूर होता है।

अधिक नींद आने की समस्या में वट वृक्ष के पत्‍तों का सेवन (Benefits of Bargad Tree Leaves in Excessive Sleeping Problem in Hindi)

छाए में सूखाए गए वट वृक्ष के कड़े हरे पत्तों के 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर जल में पकाएं। जब यह पानी एक चौथाई शेष रह जाए तो उसमें 1 ग्राम नमक मिलाकर 10-30 मिलीग्राम मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से अधिक नीदं आने की समस्‍या दूर होती है।

याद्दाश्‍त बढ़ाने के लिए वट वृक्ष की छाल फायदेमंद (Bargad Tree Bark Helps in Memory Increasing in Hindi)

छाए में सुखाए गए वट वृक्ष छाल के महीन चूर्ण में दोगुनी मात्रा में खांड या मिश्री मिला लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम गाय के गर्म दूध के साथ सेवन करने से स्मरण की ताकत बढ़ती है। इस दौरान खट्टे पदार्थों से परहेज रखें।

वट वृक्ष की छाल से घाव का इलाज (Benefits of Bargad Tree Bark in Healing Wound in Hindi)

    • घाव में यदि कीड़े हो गए हों या उसमें से बदबू आती हो तो वट वृक्ष छाल के काढ़े से उसे हर दिन धोएं। घाव पर बरगद के दूध की कुछ बूदें दिन में 3-4 बार डालें। इससे कीड़े नष्ट होकर घाव ठीक (bargad ke pedh ke fayde) हो जाता है।
    • साधारण घाव पर वट वृक्ष के दूध को लगाने से वह जल्‍दी ठीक होता है।
    • यदि घाव ऐसा हो जिसमें कि टाके लगाने की आवश्यकता न हो, घाव का मुंह मिला लें। जब खाल  (चर्म) के दोनों सिरे मिल जायें तब बड़ के पत्ते गर्म कर घाव पर रखकर ऊपर से कसकर पट्टी बांध दें। ऐसा करने से 3 दिन में घाव भर जायेगा तथा पट्टी को 3 दिन तक खोलें नहीं।
    • फोडे-फुन्सियों पर वट वृक्ष के पत्तों को गर्म कर बांधने से वे जल्‍द ही पक कर फूट जाते हैं।
    • वट वृक्ष के पत्तों को जलाकर उसकी भस्म में मोम और घी मिलाकर मलहम तैयार करें। इसे घावों में लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
    • वर्षा ऋतु में पानी में अधिक रहने से अगुंलियों के बीच में जख्म से हो जाते हैं। उन पर बड़ का दूध लगाने से वह जल्‍द ही अच्छे हो जाते हैं।
    • यदि किसी व्‍यक्ति को साइनस का घाव हो जाए तो बरगद की कोपलें तथा कोमल पत्तों को जल में पीसकर छान लें। इसमें बराबर भाग में तिल का तेल मिलाकर तेल को सिद्ध कर लें। इस तेल को दिन में 2-3 बार साइनस  के घाव पर लगाने से लाभ होता है। यह तेल भगन्दर पर भी लाभदायक है।

बरगद के दूध से कुष्ठ रोग का इलाज (Uses of Bargad Tree Leaves in Leprosy Treatment in Hindi)

रात के समय वट वृक्ष के दूध का लेप करने तथा उस पर वट वृक्ष की छाल का पेस्‍ट  बांधने से कुष्ठ रोग एवं घाव में लाभ होता है।

बरगद के दूध से रसौली का इलाज (Bargad Tree Milk is Beneficial in Rasauli (knar) in Hindi)

  • कूठ व सेंधा नमक को बड़ के दूध में मिलाकर लेप करें। इसके ऊपर छाल का पतला टुकड़ा बांध दें। सात दिन तक दो बार उपचार करने से बढ़ी हुई रसौली में लाभ होता है। गठिया, चोट व मोच पर बड़ का दूध लगाने से पीड़ा तुरंत कम (bargad ke ped ke fayde) हो जाती है।
  • बड़ का दूध लगाने से यदि गांठ पकने वाली नहीं है तो बैठ जाती है। यदि फूटने वाली है तो शीघ्र पक कर फूट जाती है।
  • वट वृक्ष के पत्तों पर तिल का तेल चुपड़ कर बंद गाठ पर बांधने से वह पक कर फूट जाती है।

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आग से जलने बरगद के पत्‍तों से फायदा (Bargad Tree Leaves Helps in Fire Burning in Hindi)

आग से जल जाने पर जले हुए स्थान पर वट वृक्ष (aalamaram tree) की कोंपल या कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से लाभ होता है।

बरगद के पत्‍तों से खुजली का इलाज (Benefits of Bargad Tree Leaves in Itching in Hindi)

बरगद के पेड़ (bargad ka ped) के आधा किलो पत्तों को कूटकर, 4 लीटर पानी में रात के समय भिगोकर सुबह में पकाएं। जब एक लीटर पानी बचा रहे तब उसमें आधा लीटर सरसों का तेल डालकर फिर से पकाएं। अब इसके जब केवल तेल रह जाए तो उसे छान कर रख लें। इस तेल की मालिश से गीली और सूखी दोनों प्रकार की खुजली दूर होती है।

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बरगद के पत्‍तों से सूजन की समस्या का उपचार (Banyan Tree Leaves Benefits in Reducing Swelling in Hindi)

वट वृक्ष (aalamaram tree) के पत्तों पर घी चुपड़कर सूजन पर बांधने से उसमें जल्‍द लाभ होता है।

बरगद के उपयोगी भाग (Useful Parts of Banyan Tree in Hindi)

आप बरगद के पेड़ के इन भागों का उपयोग कर सकते हैं।

  • पत्‍ते (bargad leaves)
  • जड़ (banyan tree roots benefits)
  • फल (bargad ka fal)
  • बीज (bargad seeds)
  • फूल (bargad flower)

बरगद का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Banyan Tree?)

  • काढ़ा – 50-100 मिलीग्राम,
  • बरगद के फल का चूर्ण – 3-6 ग्राम
  • दूध – 5-10 बूंद

यहां बरगद के पेड़ से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Bargat Tree in hindi) में लिखा गया है ताकि आप बरगद के पेड़ से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में बरगद के पेड़ का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

बरगद कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Banyan Tree Found or Grown?)

बरगद का पेड़ (Bargad ka Ped) हर जगह पाया जाता है। धार्मिक प्रयोजन में इस्‍तेमाल होने के कारण इसे अक्सर मंदिरों के आस-पास देखा जा सकता है। यह बाग-बगीचे या सड़कों के किनारे भी मिलता है

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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