दाद एक प्रकार की त्वचागत समस्या है जो फंगल संक्रमण के कारण होता है। यह त्वचा की ऊपरी परत पर होता है तथा यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी ही आसानी से फैल सकता है। दाद को चिकित्सकीय भाषा में टिनीया (Tinea) कहते है। यह एक परतदार त्वचा पर गोल और लाल चकत्ते के रूप में दिखाई देता है और इसमें खुजली एवं जलन होते है। यह बड़ी ही आसानी से संक्रमित व्यक्ति की चीजें या कपड़े उपयोग करने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
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अत्यधिक मीठा, नमकीन, बासी भोजन, दूषित आहार और साफ-सफाई की कमी के कारण कफ और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं जिससे त्वचा पर खुजली, जलन और लालिमा जैसे लक्षण उत्पन्न होकर दाद का रूप ले लेते हैं। दाद चार प्रकार के होते हैं-
टीनिया क्रूरीस (Tinea cruris)– यह जोड़ो, आंतरिक जांघे और नितम्बों के आस-पास की त्वचा पर होता है।
टीनिया कैपीटीस (Tinea capitis)– यह दाद सिर की त्वचा (Scalp) में होता है, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह प्रकार सामान्य रूप से स्कूलों में फैलता है। इससे सिर के कुछ हिस्सों में गंजापन दिखने लगता है।
टीनिया पैडिस (Tinea Paedis)– यह दाद पैर की त्वचा पर होता है। सार्वजनिक स्थानों पर नंगे पाँव जाने से इसका खतरा अधिक रहता है।
टीनिया बार्बी (Tinea Barbae) -यह चेहरे की दाढ़ी वाले क्षेत्र और गर्दन पर होता है। इसके कारण कई बार बाल टूटने लगते है। अक्सर यह नाईं के पास दाढ़ी कटवाने जाने के दौरान होता है इसलिए इसे बारबार्स इट्च (Barbar’s itch) भी कहते है।
दाद एक तरह का फंगल इंफेक्शन होता है जो एक तरह के फंगस के संक्रमण से होता है, इसमें खुजली एवं जलन होती है तथा यह गोल चकत्तो के रूप में होते है। वहीं एक्जिमा में भी तवचा पर खुजली और लाल चकत्ते हो जाते है परंतु यह फंगल इंफेक्शन नहीं है। एक्जिमा के पीछे का सही कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं है परंतु कुछ ऐसे ट्रिगर है जो एक्जिमा को शुरू या खराब करने में जिम्मेदार होते है जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति एलर्जी जैसे-डेयरी उत्पाद, खट्टे भोजन, मछली, अंडे, मसालेदार भोजन आदि या फिर किन्हीं विशेष पदार्थों के सम्पर्क में आने से जैसे-धूल के कण, पराग, बैक्टिरीया, वायरस रूली आदि। दूसरी तरफ एक्जिमा अनुवांशिक भी होता है, दोनों माता-पिता में से यदि किसी एक को भी यह समस्या रहती है तो सन्तान में भी एक्जिमा होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
दाद फंगल के संक्रमण के कारण होता है, यह फफूंदी जैसा परजीवी बाहरी त्वचा की कोशिकाओं में पनपता है। यह बड़ी ही आसानी से तथा कई तरीकों से फैल सकता है। अगर किसी जानवर को दाद हुआ है तो उस जानवर को स्पर्श करने से भी दाद का संक्रमण मनुष्ण के शरीर में फैल सकता है। मनुष्य द्वारा किसी संक्रमित वस्तु को छूने से भी दाद का संक्रमण उनमें फैल सकता है जैसे कंघी, ब्रश, कपड़े, तौलिया, बिस्तर आदि।
दाद होने पर खुजली होने के अलावा और भी लक्षण होते हैं-
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दाद-खाज और खुजली से बचने के लिए अपने आहार और जीवनशैली में ये सारे बदलाव लाने ज़रूरी हैं। अपने आहार में निम्न सारे आहार शामिल करने से फंगल संक्रमण होने का खतरा कम होता है-
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आम तौर पर दाद-खाज और खुजली से आराम पाने के लिए लोग घरेलू नुस्खों का प्रयोग सबसे पहले करते हैं। चलिये जानते हैं कि वह घरेलू नुस्ख़े कौन-कौन से हैं-
नारियल का तेल त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए अच्छा माना जाता है। यह न सिर्फ खुजली वाली त्वचा से राहत प्रदान करता है बल्कि त्वचा को चिकना और नरम भी बना देता है। इसलिए प्रभावित क्षेत्र पर नारियल का तेल लगाने से आराम मिलता है।
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लहसुन में अजोइना (Ajoene) नाम एक प्राकृतिक एंटी फंगल एजेंट (Anti–fungal agent) होता है जो फंगल संक्रमण को ठीक करने में मदद करता है। लहसुन की एक फांक छीलकर उसकी पतली स्लाइस काट लें, प्रभावित क्षेत्र पर पतली स्लाइस को रखे और उसके चारों ओर एक पट्टी लपेट लें और रात भर के लिए इसे छोड़ दें। इसकी जगह पर लहसुन के पेस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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हल्दी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है। हल्दी और पानी को मिलाकर अच्छी प्रकार पेस्ट बना लें और रूई की सहायता से इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएँ।
एलोवेरा एंटी-फंगल और जीवाणुरोधी होते है। प्रभावित त्वचा पर सीधे ऐलोवेरा जेल को लगाएं और रात भर के लिए छोड़ दें। यह दाद चकत्ते आदि को ठीक करता है तथा यह त्वचा की स्वस्थ करने के लिए कईं पोषक तत्व और मिनरल प्रदान करता है।
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सेब के सिरके को रूईं की सहायता से दाद वाली जगह पर लगाए। दिन में कम से कम चार से पांच बार इसे दोहराए।
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टी ट्री ऑयल कई प्रकार की त्वचा समस्याओं से राहत प्रदान करता है। संक्रमित क्षेत्र पर रूईं की सहायता से दिन में तीन से चार बार टी ट्री ऑयल लगाना बेहतर होता है।
सरसों के बीजों को पानी में आधे घण्टे के लिए भिगो दें उसके बाद इसे पीसकर संक्रमित स्थान पर लगाएं।
लेमन ग्रास का काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार पिए। इससे खुजली और संक्रमण दूर होते हैं।
जैतून की पत्तियों को दिन में दो से तीन बार चबाएँ। यह शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाते हैं।
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एक चम्मच जोजोबा तेल में एक बूंद लेवेंडर तेल की मिलाएं और इसे रूईं की मदद से प्रभावित हिस्से पर लगाएँ। यह बच्चों के लिए एक अच्छा विकल्प है।
नमक और सिरके को मिलाकर पेस्ट बना लें और इसे प्रभावित क्षेत्र पर दिन में पाँच बार लगाएं।
राई के बीज को बारीक पीसकर नारियल तेल के साथ पेस्ट बनाए और दाद वाली जगह पर लगाए।
इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर दाद वाली जगह पर लगाने से शीघ्र ही दाद ठीक हो जाता है।
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नीम की ताजी पत्तियों को पानी में उबालकर पानी को ठंडा कर लें तथा इस पानी को नहाने के लिए इस्तेमाल करने से दाद और खुजली में आराम मिलता है।
करेले के पत्ते का रस और गुलाबजल मिलाकर लगाने से दाद में शीघ्र ही लाभ मिलता है।
दालचीनी के पत्ते को पीस कर शहद के साथ दाद वाली जगह पर लगाने से दाद जल्दी ठीक हो जाता है।
खुजली से आराम पाने के लिए देशी घी को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
खीरे का रस रूईं की सहायता से प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
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दाद एक फंगल संक्रमण के कारण होता है जिसमें अत्यधिक खुजली एवं जलन होते हैं। यह बड़ी ही आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और संक्रमित जानवरों से भी व्यक्तियों संक्रमित हो जाता है। उपचार के अभाव में यह तेजी से त्वचा पर बड़े चकत्तों के रूप में फैल जाता है साथ ही खुजली एवं जलन से व्यक्ति परेशान रहता है। अत दाद की शुरुआत में ही घरेलू उपचारों द्वारा इलाज करना चाहिए परन्तु यदि आराम न मिले या दाद बढ़ रहा हो तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
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