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Aprajita: अपराजिता के हैं कई जादुई लाभ – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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अपराजिता का परिचय (Introduction of Aprajita)

बगीचों और घरों की शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाने वाला अपराजिता को आयुर्वेद में विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। आयुर्वेद में सफेद और नीले रंग के फूलों (aparajita flower in hindi) वालों अपराजिता के वृक्ष को बहुत ही गुणकारी बताया गया है। अपराजिता का प्रयोग महिला, पुरुष, बच्‍चों और बुजुर्गों के रोगों के उपचार के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। क्‍या आपको पता है अपराजिता का उपयोग क्या है? असाध्‍य रोगों पर विजय पाने की इसकी क्षमता के चलते ही इसे अपराजिता नाम से जाना गया है।

अपराजिता (aparajita tree) के बीज सिर दर्द को दूर करने वाले होते हैं। दोनों ही प्रकार की अपराजिता बुद्धि बढ़ाने वाली, वात, पित्‍त, कफ को दूर करनी वाली है। अपराजिता के इस्‍तेमाल से सााधारण से लेकर गंभीर बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। यह शरीर के विभिन्‍न अंगों में होने वाले सूजन के लिए भी लाभप्रद है। आइए जानते हैं आसानी से पाए जाने वाले अपराजिता के गुण के बारे में।

अपराजिता क्या है? (What is Aprajita?)

अपराजिता (aparajita flower in hindi) का वृक्ष झाड़ीदार और कोमल होता है। इस पर फूल (aparajita flower) विशेषकर वर्षा ऋतु में आते हैं। इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होता है, इसलिए इसको गोकर्णी भी कहते हैं। अपराजिता सफेद और नीले रंग के फूलों के भेद से दो प्रकार की होती है।

नीले फूल वाली अपराजिता भी दो प्रकार की होती है :-

(1) इकहरे फूल वाली

(2) दोहरे फूल वाली।

कहा जाता है कि जब इस वनस्पति का रोगों पर प्रयोग किया जाता है तो यह हमेशा सफल होती है और अपराजित नहीं होती। इसलिए इसे अपराजिता कहा गया है।

अनेक भाषाओं में अपराजिता के नाम (Aprajita Called in Different Languages)

आमतौर (aparajita flower in hindi) पर अपराजिता के नाम से प्रचलित इस औषधीय वृक्ष को अन्‍य भाषाओं में अल-अलग नाम से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Clitoria ternatea L. (क्लाइटोरिया टर्नेशिया) Syn-Clitoria bracteata Poir. और अंग्रेजी नाम Winged-leaved clitoria (विंग्ड लीव्ड क्लाइटोरिया) है, और इसके अन्‍य नाम ये हैं:-

Aprajita in –

  • Hindi – अपराजिता, कोयल, कालीजार
  • English – बटरफ्लाई पी (Butterfly pea), ब्लू पी (Blue pea), पिजन विंग्स (Pigeon wings)
  • Sanskrit – गोकर्णी, गिरिकर्णी, योनिपुष्पा, विष्णुक्रान्ता, अपराजिता
  • Oriya – ओपोराजिता (Oporajita)
  • Urdu – माजेरीयुनीहिन्दी (Mazeriyunihindi)
  • Kannada – शंखपुष्पाबल्ली (Sankhapushpaballi), गिरिकर्णिका (Girikarnika), गिरिकर्णीबल्ली (Girikarniballi)
  • Konkani – काजुली (Cazuli)
  • Gujarati – गर्णी (Garani), कोयल (Koyala)
  • Tamil – काककनाम (Kakkanam), तरुगन्नी (Taruganni)
  • Telugu – दिन्तेना (Dintena), नल्लावुसिनितिगे (Nallavusinitige)
  • Bengali – गोकरन (Gokaran), अपराजिता (Aparajita)
  • Nepali – अपराजिता (Aparajita)
  • Punjabi – धनन्तर (Dhanantar)
  • Malayalam – अराल (Aral), कक्कनम्कोटि (Kakkanamkoti), शंखपुष्पम् (Sankhpushpam)
  • Marathi – गोकर्णी (Gokarni), काजली (Kajali), गोकर्ण (Gokarn)
  • Arabic – बजरूल्मजारियुन-ए-हिंदी (Bazrulmazariyun-e-hindi)
  • Farasi – दरख्ते बिखेहयात (Darakhte bikhehayat)

अपराजिता के फायदे (Aprajita Flower Plant Benefits and Uses)

अपराजिता (aparajita tree) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग के तरीके और विधियां ये हैंः-

अधकपारी या माइग्रेन के दर्द में अपराजिता के प्रयोग से लाभ (Aprajita Plant Benefits in Cure Migraines in Hindi)

अपराजिता की फली बीज और जड़ को बराबर भाग में लेकर जल के साथ पीस लें। इसकी बूंध नाक में लेने से आधासीसी (अर्धावभेदक) में लाभ होता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है। बीज, जड़ और फली को अलग-अलग भी प्रयोग कर सकते हैं।

और पढ़े: माइग्रेन में गुलदाउदी का फायदेमंद

अपराजिता के सेवन से दूर होती है आंखों की समस्‍या (Aprajita Tree Uses in Cure Eye Disease in Hindi)

सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ की पेस्‍ट में बराबर भाग में जौ का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह से घोंट लें। अब इसकी बाती बनाकर सुखा लें। इस बाती को पानी से घिसकर अंजन (आंखों में लगाने) करने से आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का उपचार (aparajita flower benefits) होता है।

और पढ़ेंड्राई आई सिंड्रोम में एलोवेरा जेल फायदेमंद

कान दर्द में करें अपराजिता के पत्‍ते का इस्‍तेमाल (Aprajita Leaves Benefits in Ear Pain Treatment in Hindi)

अपराजिता (aparajita tree) के पत्‍तों के रस को सुखाकर गर्म कर लें। इसे कानों के चारों तरफ लेप करने से कान के दर्द में आराम मिलता है।

और पढ़ें: कान दर्द में एलोवरा का उपयोग

दांत दर्द में अपराजिता से फायदा (Aprajita Flower beneficial in Tooth pain in Hindi)

अपराजिता की जड़ की पेस्‍ट तैयार करें। इसमें काली मरिच का चूर्ण मिलाकर मुंह में रखें। इससे दांत दर्द में बहुत ही आराम (aparajita flower benefits)मिलता है।

और पढ़े: दांत दर्द में चुक्रिका के फायदे

गले के रोग में अपराजिता से लाभ (Aprajita Flower Cures Throat Disorder in Hindi)

  • 10 ग्राम अपराजिता के पत्‍ते को 500 मिलीलीटर पानी में पकायें। इसका आधा भाग शेष रहने पर इसे छान लें। इस तरह से तैयार काढ़े से गरारा करने पर टांसिल, गले के घाव में आराम पहुंचता है। गला खराब होने यानी आवाज में बदलाव आने पर भी यह काढ़े से गराना करना उपयोगी होता है।
  • सफेद फूल (aparajita flower) वाले अपराजिता की जड़ की पेस्‍ट में घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करें। इससे गले के रोग (गलगण्ड) में लाभ होता है।
  • सफेद फूल वाले अपरजिता की जड़ को घृतकुमारी या एलोवेरा (Aloe Vera) के रेशों में पिरोकर हाथ में बांधें। इससे हाल ही में हुआ गण्डमाला ठीक होता होता है।
  • 1 ग्राम सफेद अपराजिता की जड़ को पीसकर सुबह में पीने से तथा चिकना भोजन करने से गलगण्ड में लाभ होता है।
  • सफेद अपराजिता की जड़ के 1 से 2 ग्राम चूर्ण को घी में मिला कर खाएं। इसके अलावा कड़वे फल के चूर्ण को गले के अन्दर घिसने से गलगण्ड रोग शान्त होता है।

और पढ़ेगले के रोग में कम्पिल्लक के फायदे

पाचनतंत्र की बीमारी में अपराजिता का उपयोग लाभदायक (Uses of Aprajita in Indigestion in Hindi)

पुष्य नक्षत्र में सफेद अपराजिता (aparajita plant) की जड़ को उखाड़ कर गले में बांधें। इसके अलावा रोज इसकी जड़ के चूर्ण को गाय के दूध या गाय के घी के साथ खाएं। इससे अपच की समस्या, पेट में जलन आदि में शीघ्र लाभ होता है।

और पढ़ें गले के दर्द के लिए घरेलू इलाज

खांसी को ठीक करने के लिए करें अपराजिता का प्रयोग (Vishnukanta Plant Benefits in Fighting with Cough in Hindi)

अपराजिता की जड़ का शर्बत तैयार कर लें। इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से खांसी, सांसों के रोगों की दिक्‍कत और बालकों की कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।

पेट की बीमारी में अपराजिता का इस्तेमाल फायदेमंद (Benefits of Aprajita in Abdominal Disease in Hindi)

आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बना लें। इसे चूर्ण को आंच पर भून लें या 1-2 बीजों को आग पर भून लें। इसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया), तथा पेट दर्द में शीघ्र लाभ होता है।

और पढ़े: जलोदर में केवांच के फायदे

अपराजिता के उपयोग से तिल्ली विकार में लाभ (Uses of Aprajita in Spleen Disorder Treatment in Hindi)

अपराजिता (aparajita plant) की जड़ को दूसरी रेचक और पेशाब बढ़ाने वाले औषधियों के साथ मिलाकर दें। इससे तिल्‍ली विकार (प्लीहा वृद्धि), अफारा (पेट की गैस) तथा पेशाब के रास्‍ते में होने वाली जलन आदि रोग ठीक होते हैं।

और पढ़े: तिल्ली के बढ़ने की समस्या में करंज के फायदे

अपराजिता के सेवन से पीलिया में लाभ (Aprajita Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

3-6 ग्राम अपराजिता की के चूर्ण को छाछ के साथ प्रयोग करें। इससे पीलिया में लाभ होता है।

आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बना लें। इसे चूर्ण को आंच पर भून लें या 1-2 बीजों को आग पर भून लें। इसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे कामला (पीलिया) में शीघ्र लाभ होता है।

और पढ़ेंपीलिया का घरेलू उपचार

मूत्र रोग में करें अपराजिता का सेवन (Aprajita Uses to Cure Urinary Problems in Hindi)

  • 1-2 ग्राम अपराजिता (aparajita plant) की जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार सेवन करें। इससे पेशाब के रास्‍ते में होने वाली जलन दूर होती है।
  • यदि पेशाब कम हो रहा हो तो उसमें भी इसका सेवन करने से लाभ होता है।
  • अपराजिता की जड़ के चूर्ण को चावलों के धोवन के साथ पीस लें। इसे छानकर कुछ दिन सुबह और शाम से पिलाने से मूत्राशय की पथरी टूट कर निकल जाती है।

और पढ़े: मूत्र की समस्या के घरेलू इलाज

अण्डकोष को ठीक करने के लिए करें अपराजिता का प्रयोग (Uses of Aprajita Seed in Hydrocele Disorder in Hindi)

अपराजिता के बीजों को पीस लें। इसे गुनगुना कर लेप करने से अण्डकोष की सूजन का उपचार होता है।

अपराजिता के इस्‍तेमाल से गर्भधारण में मदद (Aprajita is Beneficial in  Pregnancy in Hindi)

1-2 ग्राम सफेद अपराजिता की छाल या पत्‍तों को बकरी के दूध में पीस लें। इसे छान कर और शहद में मिलाकर पिलाने से गर्भपात की समस्या में लाभ होता है।

और पढ़ेंगर्भपात रोकने के घरेलू उपाय

सामान्य प्रसव में अपराजिता से फायदा (Aprajita Help in Pregnancy Delivery and Labor Pain in Hindi)

आसानी से प्रसव के लिए अपराजिता की बेल को महिला की कमर में लपेट दें। इससे प्रसव आसानी से होता है। प्रसव पीड़ा शान्त हो जाती है।

सुजाक में इस्‍तेमाल करें अपराजिता की जड़ (Aprajita Root Bark Cure Gonorrhea in Hindi)

3-6 ग्राम अपराजिता की जड़ की छाल, 1.5 ग्राम शीतल चीनी तथा 1 नग काली मिर्च लें। इन तीनों को पानी के साथ पीसकर छान लें। इसे सुबह-सुबह सात दिन तक पिलाएं। इसके साथ ही अपराजिता पंचांग (फूल (aparajita flower), पत्‍ता, तना और जड़) के काढ़े में रोगी को बिठाएं। इससे सुजाक में लाभ मिलता है। इससे लिंग संबंधी समस्या ठीक होती है।

गठिया (जोड़ों के सूजन) से छुटकारा दिलाए अपराजिता का सेवन (Bnenefits of Aprajita in Getting Relief from Arthritis in Hindi)

अपराजिता (vishnukanta plant) के पत्‍तों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया में आराम होता है।

1-2 ग्राम अपराजिता (aparajita plant) की जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार सेवन करें। इससे गठिया में फायदा होता है।

और पढ़े- घुटनों में दर्द के घरेलू नुस्ख़े

फाइलेरिया या हाथीपांव (श्‍लीपद) में अपराजिता के गुणों से लाभ (Uses of Aprajita in Elephantiasis in Hindi)

10-20 ग्राम अपराजिता की जड़ को थोड़े पानी के साथ पीस लें। इसे गर्म कर लेप करें। इसके साथ ही 8-10 पत्तों के पेस्‍ट की पोटली बनाकर सेंकने से फाइलेरिया या फीलपांव और नारु रोग में लाभ होता है।

धव, अर्जुन, कदम्ब, अपराजिता तथा बंदाक की जड़ का पेस्‍ट तैयार करें। इसका सूजन वाले स्‍थान पर लेप करने से फाइलेरिया या फीलपांव में लाभ होता है।

अपराजिता में हैं घावों को ठीक करने वाले गुण (Aprajita Benefits in Healing Wound, Blisters in Hindi)

हथेली या ऊंगलियों में होने वाले घाव या बहुत ही दर्द देने वाले घावों पर अपराजिता के 10-20 पत्तों की लुगदी को बांध दें। इस पर ठंडा जल छिड़कते रहने से बहुत ही जल्‍दी आराम मिलता है।

10-20 ग्राम अपराजिता (vishnukanta plant) की जड़ को कांजी या सिरके के साथ पीस लें। इसका लेप करने से पके हुए फोड़े ठीक हो जाते हैं।

और पढ़ेंघाव में पीलू के फायदे

अपराजिता के प्रयोग से ठीक होती है सफेद दाग की समस्या (Aprajita Uses in Curing Leucoderma in Hindi)

  • सफेद अपराजिता की जड़ को ठंडे पानी के साथ घिस लें। इसे प्रभावित स्थान पर लेप करने से 15-30 दिनों में ही सफेद दाग में लाभ होने लगता है।
  • दो भाग अपराजिता की जड़ तथा 1 भाग चक्रमर्द की जड़ को पानी के साथ पीसकर, लेप करने से सफेद कुष्ठ में लाभ होता है।
  • इसके साथ ही अपराजिता के बीजों को घी में भूनकर सुबह शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़-दो महीने में ही सफेद कुष्ठ में लाभ हो जाता है।

चेहरे की झाई के इलाज में अपराजिता से फायदा (Vishnukanta Plant Uses in Face Freckle in Hindi)

अपराजिता (vishnukanta plant) की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिस लें। इसे लेप करने से मुंह की झांई दूर हो जाती है।

और पढ़ेंचेहरे के अनचाहे बालों के लिए घरेलू उपचार

बुखार उतारने के लिए करें अपराजिता का प्रयोग (Aprajita Benefits in Fighting with Fever in Hindi)

अपराजिता की बेल को कमर में बांधने से तीसरे दिन आने वाले बुखार में लाभ होता है।

और पढ़ेंबुखार में मोथा से लाभ

अपराजिता के इस्तेमाल से सांप के विष का इलाज (Aprajita Uses in Snake Biting in Hindi)

सर्पाक्षी तथा सफेद अपराजिता (aprajita) की जड़ के काढ़े में घी को पकाएं। इसमें सोंठ, भांगरा (भृंङ्गराज), वच तथा हींग मिला लें। इसे छाछ के साथ देने से सांप के जहर से होने वाले प्रभावों का नाश होता है।

इस्तेमाल के लिए अपराजिता के उपयोगी भाग (Useful parts of Aprajita Plant)

जड़

जड़ की छाल

पत्‍ता

फूल

बीज

विशेष  जानकारी – सफेद अपराजिता अधिक गुणकारी है।

आचार्य बाल कृष्ण द्वारा किया गया प्रयोग :-

एक बार हम लोग हिंडोन सिटी के एक घर में रुके हुए थे। वहां महिला को बहुत रक्‍त स्राव हो रहा था। हमने उन्‍हें 10 मिलीग्राम अपराजिता (aprajita) का रस निकालकर उसे 10 ग्राम मिश्री में मिलाकर दिया। इससे उन्‍हें तुरंत आराम आ गया।

कई रोगियों को अपराजिता का रस या जड़ का रस निकालकर उनके नाक में डालने पर उनका सिर दर्द तुरंत ठीक हो गया।

अपराजिता के सेवन की मात्रा (How to Consume Aprajita)

रस – 10 मिलीग्राम

चूर्ण – 1-2 ग्राम

अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श से अपराजिता का इस्तेमाल करें।

अपराजिता कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Aparajita Tree Found or Grown?)

अपराजिता (aprajita), घरों में शोभा के लिए लगाई जाती है। इसके फूल (aparajita flower) विशेषकर वर्षा ऋतु में लगते हैं। यह बाग-बगीचों, घरों के आस-पास पाया जाता है।

और पढ़े

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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