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Ashoka: अशोक में हैं अनेक बेहरतरीन गुण – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

अशोक का परिचय (Introduction of Ashoka)

आयुर्वेद में अशोक वृक्ष को हेमपुष्प या ताम्रपल्लव कहा जाता है। वैसे तो अशोक वृक्ष (ashok vriksha) के विभिन्न अंग यानि फूल, पत्ता आदि को महिलाओं के सेहत संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसके पौष्टिक और उपचारत्मक गुणों के कारण बहुत सारे बीमारियों के लिए आयुर्वेद में औषधि के रुप में इस्तेमाल (ashoka tree uses) किया जाता है।

ashoka tree benefits

आयुर्वेद में अशोक के छाल, पत्ता (ashok ka patta), फूल और बीज का इस्तेमाल औषधि के रुप में किया जाता है। चलिये आगे अशोक के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

अशोक वृक्ष क्या होता है? (What is Ashoka Tree in Hindi?)

प्राचीनकाल में प्रसन्नता एवं शोक को दूर करने के लिए अशोक वाटिकाओं एवं उद्यानों का प्रयोग होता था और इसी आश्रय से इसके नाम शोकनाश, विशोक, अपशोक आदि रखे गए हैं। सनातनी वैदिक लोग तो इस पेड़ को पवित्र एवं आदरणीय मानते ही हैं, किन्तु बौद्ध भी इसे विशेष आदर की दृष्टि से देखते हैं; क्योंकि कहा जाता है कि भगवान बुद्ध का जन्म अशोक वृक्ष (ashok tree in hindi)के नीचे हुआ था। इसका सम्बन्ध कामदेव से भी है। पुष्प धन्वा (कामदेव) के पंचपुष्प बाणों में अशोक पुष्प की भी गणना की गई है और इसके पर्यायवाची नामों में स्मराधिवास, नट आदि नाम भी सम्मिलित किए गए है।

मुख्यतया अशोक की दो प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। काष्ठदारु (Polyalthia longifolia) की प्राय: अशोक वृक्ष (ashok tree in hindi)के रूप में पहचान की जाती है, जो गलत है; वास्तविक अशोक (Saracaasoca) या सीता अशोक होता है, जिसमें सिंदूरी या लाल रंग के फूल आते हैं तथा काष्ठदारु में पीले-हरे रंग के फूल (ashok phool) आते हैं। काष्ठदारु वृक्ष की लम्बाई (15-20 मी तक) भी वास्तविक अशोक (6-9 मी तक) से अधिक होती है।

अशोक का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Ashoka in Hindi)

अशोक प्रकृति से लघु, रूखा, चरपरा, विपाक में कड़वा और शीतल होता है। यह दर्दनिवारक, रंग गोरा करने वाला, हड्डी जोड़ने वाला, सुगन्धित, हृद्य,तीन दोषों को हरने वाला, प्यास, जलन, कृमि, सूजन, दर्द, पेट का रोग, आध्मान या पेट का फूलना , विष, अर्श या पाइल्स, रक्त संबंधी रोग, गर्भाशय की शिथिलता, सर्व प्रकार के प्रदर या लिकोरिया, बुखार, जोड़ो का दर्द और अजीर्ण या अपच आदि रोगों का नाशक है। इसका प्रयोग कष्टार्तव, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना), अश्मरी या पथरी तथा मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी रोग में करते हैं। अशोक की छाल (ashok chhal) कटु, तिक्त या कड़वी, बुखार व तृषा (प्यास) नाशक, रक्त-विकार, थकावट, शूल या दर्द, अर्श या पाइल्स इत्यादि रोगों में लाभदायक होता है। इसके अतिरिक्त पेट बढ़ने की बीमारी, अत्यधिक रक्तस्राव तथा गर्भाशयगत रक्तस्राव में उपयोगी होता है। अशोक के बीज मूत्रल या मूत्र रोग नाशक होते हैं। अशोक के पुष्प रक्तजप्रवाहिका (खूनी दस्त) नाशक होते हैं।

नकली अशोक प्रकृति से कटु, तिक्त, उष्ण या गर्म, लघु तथा रूक्ष यानि रूखा होता है। यह कृमि रोग में फायदेमंद तथा बुखार व कुष्ठ रोग से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसका प्रयोग आमदोष, कब्ज तथा कृमिरोग में अत्यन्त लाभकारी होता है।

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अन्य भाषाओं में अशोक वृक्ष का नाम (Name of Ashoka Tree in Different Languages)

अशोक वृक्ष का वानास्पतिक नाम Saraca asoca (Roxb.) de Willd  (साराका असोका)Syn-Jonesia asoca Roxb है। अशोक Caesalpiniaceae (सेजैलपिनिएसी) कुल का होता है। अशोक वृक्ष को अंग्रेजी में Ashoka tree (अशोक ट्री) कहते हैं। भारत में अशोक वृक्ष को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-

Ashoka in-

Sanskrit-हेमपुष्प, वञ्जुल, अशोक, कङकेलि, ताम्रपल्लव, पिण्डपुष्प, गन्धपुष्प;

Hindi-अशोक, सीता अशोक;

Odia-ओशोको (Oshoko);

Kannadaअशोक (Ashoka), अशुगे (Ashuge);

Gujrati-अशोक (Ashok), अशोपल्लव (Ashopalava);

Tamil-अशोगम (Asogam), असोगु (Asogu);

Telegu-असोकामु (Asokamu);

Bengali-असोक (Asok);

Nepali-अशऊ (Ashau), अशोक (Ashok);

Panjabi-असोक (Asok);

Marathi-अशोक (Ashoka), जसुन्दी (Jasundi);

Malayalamअशोकामु (Asokamu)।

English-सौरो-लैस ट्री (Sorrow-less tree);

Arbi-अशोक (Ashok);

Persian-बर्ग अशोक (Bargh-e-ashok)

Nakli Ashoka in-

Sanskrit-काष्ठदारु;

Hindi-नकली अशोक, देबदारी;

Odia-असुपल (Asupal), देवदारु (Devdaru);

Assamese-उन्बोई (Unboi);

Kannadaउब्बिना (Ubbina), हेस्सारे (Hessare);

Gujrati-असोपल्लव (Asopallav), अशोपालो (Asopalo);

Telegu-नारा मामिदि (Nara mamidi), असोकमू (Asokamu), देवदारू (Devdaru);

Tamil-नेटिट्लिंगु (Nettilingu);

Bengali-देबदारू (Debdaru), देवदारू (Devdaru);

Nepali-नक्कली अशोक (Nakkali ashok);

Marathi-रनकासविंदा (Rankasvinda);

Malayalamअराना (Arana), चोरनी (Chorani), अरेनी (Aranei)।

English-इण्डियन फर (Indian fir), बुद्ध ट्री (Buddha tree), इण्डियन विलो (Indian willow)।

अशोक वृक्ष के फायदे (Ashok Tree Uses and Benefits in Hindi)

वैसे तो अशोक वृक्ष मूल रूप से स्त्रीजनित रोगों के लिए लाभकारी होता है लेकिन इनके अलावा अशोकारिष्ट के फायदे किन-किन रोगों के लिए  फायदेमंद हैं ये जानने के लिए आगे विस्तार से जानते हैं-

रक्तातिसार से दिलाये राहत अशोक वृक्ष (Benefits of Ashoka Tree for Blood Dysentery in Hindi)

ashoka flower

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो बांस का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा। अशोक के 3-4 ग्राम फूलों (ashok phool)को जल में पीसकर पिलाने से रक्तातिसार में फायदेमंद होता है।

सांस संबंधी बीमारी में फायदेमंद अशोक वृक्ष (Ashok ka ped Benefits in Breathing Issues in Hindi)

अगर किसी कारणवश सांस लेने में  समस्या हो रही है तो तुरन्त आराम पाने के लिए अशोक का पौधा का सेवन ऐसे करने से लाभ मिलता है। 65 मिग्रा अशोक बीज चूर्ण को पान के बीड़े में रखकर खिलाने से सांस संबंधी रोग में लाभप्रद सिद्ध होता है।

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शिशु के उल्टी में फायदेमंद अशोक वृक्ष (Ashoka Vriksha toTreat Vomiting in Hindi)

शिशुओं के उल्टी होने की समस्या बहुत आम होती है। इससे राहत दिलाने के लिए अशोक के फूलों को जल में पीसकर स्तनों पर लेप (ashoka tree uses) कर दूध पिलाने से स्तनपाई शिशुओं की उल्टी रुक जाती है।

 

रक्तार्श में फायदेमंद अशोक छाल (Ashok Chhal Benefcial in Bleeding piles or Haemorrhoids in Hindi)

जब बवासीर का रोग गंभीर अवस्था में चला जाता है तब मस्सों से खून निकलने लगता है। अशोक (ashoka in hindi) का सेवन इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है।

अशोक की छाल (ashok chhal) का काढ़ा बनाकर 15-25 मिली मात्रा में पिलाने से अर्शजन्य रक्तस्राव (Haemorrhoids)तथा मासिक विकारों में लाभ होता है।

-अशोक की छाल (ashok chhal benefits) और इसके फूलों को बराबर मात्रा में लेकर 10 ग्राम मात्रा को रात्रि में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह पानी छानकर पी लें। इसी प्रकार सुबह का भिगोया हुआ शाम को पी लें। इससे रक्तार्श में शीघ्र लाभ होता है।

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पथरी जन्य दर्द से दिलाये राहत अशोक छाल (Ashok Tree Benefits in Kidney Stone in Hindi)

आजकल के प्रदूषित खाद्द, पैकेज़्ड फूड और असंतुलित आहार के सेवन का फल पथरी की समस्या है। अशोक (ashoka in hindi) के 1-2 ग्राम बीज को पानी में पीसकर दो चम्मच की मात्रा में पीने से किडनी में पत्थर के कारण जो दर्द होता है उससे राहत दिलाने में मदद करता है।

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मधुमेह को नियंत्रित करने में फायदेमंद अशोक छाल (Ashok Chal Beneficial to Control Diabetes in Hindi)

Diabetes

अशोक छाल का प्रयोग मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होता है क्योंकि एक रिसर्च  के अनुसार अशोक छाल में एंटी -डायबिटिक का गुण पाया जाता है जो की शर्करा की मात्रा को रक्त में बढ़ने से रोकता है। 

 

संक्रमण दूर करने में अशोक फायदेमंद (Benefit of Ashok to Treat Infection in Hindi)

अशोक छाल संक्रमण को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।क्योंकि अशोक में एंटी-बक्ट्रियल गुण पाया जाता है जो कि संक्रमण को फैलने से रोकता है।  

 

पेट से कीड़ा निकालने में अशोक फायदेमंद (Ashok Beneficial to Treat Stomach Worm in Hindi)

अगर पेट में कीड़ो की समस्या है तो अशोक का प्रयोग आपको फ़ायदा पहुँचा सकता है क्योंकि अशोक में कृमिघ्न गुण पाए जाने के कारण यह पेट के कीड़ों को भी दूर करने में मदद करता है। 

 

दस्त को रोकने में फायदेमंद अशोक (Ashok Beneficial to Treat Diarrhoea in Hindi)

अशोक में एंटी डायरियल गुण पाए जाने के कारण यह डायरिया या दस्त को रोकने में मदद करता है। साथ ही इसमें कषाय गुण होने के कारण यह आँतों में होने वाले अत्यधिक जलीयांश के स्राव को रोकता है जिससे डायरिया में आराम मिलता है। 

प्रदर या सफेद पानी का आना करे कम अशोक छाल (Ashok chal to Treat Leukorrhea in Hindi)

महिलाओं को अक्सर योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या होती है। सफेद पानी का स्राव अत्यधिक होने पर कमजोरी भी हो जाती है। इससे राहत पाने में अशोक का सेवन फायदेमंद होता है।

-अशोक छाल चूर्ण और मिश्री को समान मात्रा में  पीस कर, 3 ग्राम की मात्रा में लेकर गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सफेद पानी में लाभ होता है।

-15-25 मिली अशोक छाल (ashok chhal benefits)काढ़ा को दूध में मिलाकर सुबह शाम पिलाने से सफेद पानी और रक्त-प्रदर में लाभ होता है।

-3 ग्राम अशोक छाल को चावल के धोवन में पीस-छानकर इसमें 1 ग्राम रसौत और 1 चम्मच मधु मिलाकर नियमित सुबह शाम सेवन से प्रदर में लाभ होता है। इस प्रयोग के साथ अशोक छाल के काढ़े में फिटकरी मिलाकर योनि को धोना चाहिए।

नाइट-फॉल से दिलाये छुटकारा अशोक छाल (Ashok Chal Benefits in Nightfall in Hindi)

 नाइट-फॉल पुरुषों की आम बीमारियों में से एक है। 20 ग्राम अशोक की छाल को यवकुट कर 250 मिली जल में पकाएं, 30 मिली शेष रहने पर इसमें 6 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

योनिशैथिल्य या लूज वैजाइना में फायदेमंद अशोक छाल ( Benefits of Ashok Chal to Tight Loose Vagina in Hindi)

loose vagina

लूज वैजाइना को टाइट करने के लिए अशोक छाल का इस्तेमाल ऐसे करने से जल्दी काम होता है। 

अशोक की छाल, बबूल की छाल, गूलर की छाल, माजूफल और फिटकरी को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। 50 ग्राम चूर्ण को 400 मिली पानी में उबालकर 100 मिली काढ़ा तैयार कर लें, इसे छान कर योनि को धोने से या पिचु धारण करने से योनि शीथिलता कम होती है।

-6-12 ग्राम अशोक घी को गुनगुने दूध अथवा जल के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर रोग, कमरदर्द, योनि में दर्द, अरुचि, पाण्डु या एनीमिया, श्वास, खांसी आदि रोगों से राहत दिलाता है।

-20-25 मिली अशोकारिष्ट को प्रतिदिन भोजन के बाद सेवन करने से रक्तप्रदर, ज्वर, रक्तपित्त, रक्तार्श (खूनी बवासीर), प्रमेह या डायबिटीज, शोथ या सूजन आदि रोगों में अतिशय लाभ होता है।

और पढ़ें: बबूल की छाल के लाभ

टूटी हुई हड्डी को जोड़ने में फायदेमंद अशोक छाल (Ashok Chal Beneficial in Fracture Bones in Hindi)

अशोक टूटी हड्डियों को जोड़ने और हड्डियों को मजबूत करने में फायदेमंद होता है। 6 ग्राम अशोक छाल चूर्ण को दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से तथा इसी का प्रलेप करने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है और दर्द कम होता है।

स्किन डिजीज में फायदेमंद अशोक वृक्ष (Ashoka Vriksha to Treat Skin Disease in Hindi)

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई किसी न किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त हैं। अशोक छाल इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करता है। अशोक छाल के रस में सरसों को पीसकर छाया में सुखा लें, उसके बाद जब उबटन लगाना हो तब सरसों को इसकी छाल के रस में ही पीसकर त्वचा पर लगाएं। इससे त्वचा का रंग निखरता है।

मुंहासों से दिलाये छुटकारा अशोक (Ashoka Tree Treats Pimples in Hindi)

अशोक से निर्मित छाल से बने काढ़ा को उबालकर गाढ़ा होने पर इसे ठंडा करके, इसमें बराबर की मात्रा में सरसों का तेल मिला लें। इसे मुहांसों, फोड़ों तथा फून्सियों पर लगाएं। नियमित प्रयोग करने से लाभ होगा।

अल्सर के परेशानी से दिलाये राहत अशोक वृक्ष (Ashoka Heals Ulcer in Hindi)

Mouth ulcer

कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में अशोक छाल का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है।

घी, प्रियंगु, अशोक रोहिणी की त्वचा, त्रिफला, धातकी, लोध्र तथा सर्जरस को समान मात्रा में लेकर, सूक्ष्म चूर्ण कर, अल्सर के घाव पर छिड़कने से घाव ठीक होने लगता है।

और पढ़े – अल्सर के इलाज में धातकी से लाभ

यादाश्त बढ़ाने में सहायक अशोक छाल (Ashok Chal Beneficial to Boost Memory in Hindi)

उम्र बढ़ने के साथ यादाश्त कमजोर होने लगती है। अशोक की छाल तथा ब्राह्मी चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम, एक-कप दूध के साथ नियमित रूप से कुछ माह तक सेवन करने से बुद्धि तीव्र होती है।

बदन दर्द से दिलाये आराम अशोक (Ashoka Vriksha Benefits in Body Pain in Hindi)

अशोक का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से पूरे बदन में जो दर्द होता है उससे राहत मिलता है।

अर्श या बवासीर के दर्द से दिलाये आराम नकली अशोक (Ashok Tree to Deal with Piles in Hindi)

अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स या बवासीर के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें  बवासीर का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। काष्ठदारु पत्ते को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से बवासीर में लाभ होता है।

और पढ़े: पाइल्स में अस्थिसंहार के फायदे

गोनोरिया या पूयमेह से दिलाये राहत नकली अशोक (Ashok Tree Beneficial in Gonorrhoea in Hindi)

सुजाक या गोनोरिया यौन संक्रमित रोग (एसटीडी) है। इस बीमारी में लिंग के अंदर घाव हो जाता है जिससे पस निकलता है। 2-3 ग्राम तने की छाल के चूर्ण में मक्खन मिलाकर सेवन करने तथा जननेन्द्रियों पर लेप करने से पूयमेह या गोनोरिया में लाभ होता है।

अशोक का उपयोगी भाग (Useful Parts of Ashok)

आयुर्वेद में अशोक वृक्ष की छाल, पत्ता, फूल तथा बीज का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।

अशोक का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Ashok Tree in Hindi?)

बीमारी के लिए अशोक के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए अशोक का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

 चिकित्सक के परामर्श के अनुसार

-50 मिली अशोक के छाल का काढ़ा ,

– 2-4 ग्राम बीज चूर्ण, तथा

-1-3 ग्राम पुष्प चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।

अशोक कहां पाया और उगाया जाता है (Where is Ashok Tree Found or Grown in Hindi)

यह भारतीय वनौषधियों में एक दिव्य रत्न (ashoka tree benefits) है। भारतवर्ष में इसकी कीर्ति का गान बहुत प्राचीनकाल से हो रहा है,  क्योंकि सीता माता जी को लंका में प्राय: एक वर्ष तक इसी वृक्ष के नीचे रावण ने रखा था। अशोक के वृक्ष भारतवर्ष में सर्वत्र बाग-बगीचों में तथा सड़कों के किनारे सुन्दरता के लिए लगाए जाते हैं। पश्चिमी प्रायद्वीप में 750 मी की ऊँचाई पर मुख्यत पूर्वी बंगाल, बिहार, उत्तराखण्ड, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में साधारणतया नहरों के किनारे व सदाहरित वनों में पाया जाता है।