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बबूल के फायदे, नुकसान और औषधीय गुण (Babool ke Fayde, Nuksan aur Aushadhiya Gun)

बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। आपने यह कहावत जरूर सुनी होगी। इस कहावत में इसी बबूल के पेड़ (babool tree) का जिक्र किया गया है। कई लोग बबूल से दांत साफ करते हैं तो अनेक लोग कई चीजों को बनाने के लिए बबूल की लकड़ी का उपयोग करते हैं। इतनी जानकारी तो आप भी जानते होंगे, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि रोगों के इलाज में भी बबूल के फायदे मिलते हैं। क्या आप ये जानते हैं कि  बबूल का औषधीय गुण एक-दो नहीं बल्कि अनेक रोगों के लिए फायदेमंद होता है।

 

Babool ke fayde

आयुर्वेद के अनुसार, बबूल एक बहुत ही उत्तम औषधि है। इसलिए अगर आप बीमारियों में बबूल का इस्तेमाल करते हैं निःसंदेह आपको बहुत फायदा मिल सकता है। आइए जानते हैं कि जिस पेड़ को बहुत ही साधारण समझा जाता है, उस बबूल से क्या-क्या लाभ मिल सकता है।

 

Contents

बबूल क्या है? (What is Babool in Hindi?)

इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती हैं। इस पेड़ में कांटे होते हैं। गर्मी के मौसम में बबूल के पेड़ (babool tree) पर पीले रंग के गोलाकार गुच्छों में फूल खिलते हैं। ठंड के मौसम में फलियां आती हैं। बबूल की छाल और गोंद का व्यवसाय किया जाता है। इसकी निम्नलिखित प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता हैः-

त्रिकंटकी, श्वेत खदिरी (Acacia senegal (Linn.) Willd.)

यह बबूल की प्रजाति का पेड़ है। यह छोटा वृक्ष होता है, जिसमें कांटे होते हैं। इसकी छाल पतली तथा गहरे भूरे रंग की होती है। पुराना हो जाने पर काले रंग के हो जाती है। इसके पौधे से रस निकलता है, जिसका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

क्षुद्र बर्बुर, क्षुद्र किंकिरात (Acacia arabica var. nilotica (Linn.) Benth.)

यह लम्बा, झाड़ीदार और कांटेदार वृक्ष होता है। इसके कांटे लम्बे तथा तीखे होते हैं। इसके पत्ते बबूल के पत्तों जैसे होते हैं, लेकिन उससे कुछ बड़े और गहरे हरे रंग के होते है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी फलियां लम्बी होती हैं। फलियां कच्ची अवस्था में हरे रंग की, चपटी तथा मुड़ी हुई होती हैं।

अन्य भाषाओं में बबूल के नाम (Name of Babool in Different Languages)

बबूल का वानस्पतिक नाम अकेशिया निलोटिका (Acacia nilotica (Linn.) Willd ex Delile, Syn Acacia arabica (Lam.) Willd.) है, और ये मिमोसेसी (Mimosaceae) कुल से है। बबूल को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Babool in-

  • Hindi (acacia in Hindi) – बबूर, बबूल, कीकर
  • English – ब्लैक बबूल (Black babool), गम अरेबिक ट्री (Gum arabic tree), इण्डियन अरेबिक ट्री (Indian arabic tree)
  • Sanskrit – बब्बूल, किङिकरात, सपीतक, आभा, युग्मकण्टक, दृढारूह, सूक्ष्मपत्ते, मालाफल
  • Uttrakhand – बबूल (Babul)
  • Oriya – बबुलो (Babulo), बोबुरो (Boburo)
  • Urdu – बबूल (Babul)
  • Konkani – बबुल (Babul)
  • Kannada – बबूली (Babbuli), पुलई (Pulai)
  • Gujarati – बावल (Babal), बाबलिआ (Babalia)
  • Tamil – करू बेलमरम (Karu belmaram)
  • Telugu – तल्लतुम्म (Talltumm), बर्बुरूमु (Barburumu)
  • Bengali – बाबला (Babla), बबूल (Babul)
  • Nepali – बबूल (Babul)
  • Punjabi – बाबला (Babla), बबूल (Babul)
  • Malayalam – कारूवेलकाम (Karuvelakam), कारूवेलम (Karuvelam)
  • Marathi – बभूल (Babhul), बबूल (Babul)
  • Arabic – उम्म-ए-गिलान (Umm-e-ghilan)
  • Persian – मुगिलाँ (Muginlan), खारेमुघीलान (Kharemughilan)

बबूल के फायदे (Babool Tree Uses and Benefits in hindi)

बबूल के औषधीय प्रयोग का तरीका, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

अधिक पसीना आने पर बबूल से लाभ (Babool Tree Benefits in Relief from Sweating in Hindi)

  • अधिक पसीना आने की परेशानी में बबूल के पत्ते और बाल हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर महीन पीस लें। इस चूर्ण से पूरे बदन पर मालिश करें। कुछ समय बाद नहा लें। नियमित रूप से यह प्रयोग कुछ दिन तक करने से पसीना आना बन्द हो जाता है।
  • बबूल के पत्ते के पेस्ट का उबटन लगाने से भी पसीना आना बंद हो जाता है।

शारीरिक जलन की समस्या में बबूल के फायदे (Babool Tree Uses in Body Irritation in Hindi)

शरीर के किसी अंग में जलन हो रही हो तो बबूल की छाल का काढ़ा बना लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से जलन शांत होती है।

बबूल के उपयोग से कमर दर्द का इलाज (Babool Benefits in Relief from Back Pain in Hindi)

कमर दर्द में बबूल से फायदा लेने के लिए बबूल की छाल, कीकर की फली और गोंद को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द से आराम मिलता है। 

बबूल के इस्तेमाल से दाद (खुजली) का उपचार (Babool Tree Uses in Fighting with Ringworm in Hindi)

दाद (खुजली) को ठीक करने के लिए बबूल के फूलों को सिरके में पीस लें। इसे खुजली (दाद) वाले अंग पर लगाएं। दाद और खुजली में लाभ होता है।

और पढ़ें: दाद के इलाज में बुरांश के फायदे

घाव में बबूल के फायदे (Benefits of Acacia in Healing Wound in Hindi)

बबूल के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

 

खांसी में बबूल के फायदे (Babool Tree Uses for Cough Treatment in Hindi)

  • बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
  • इसी तरह 1 ग्राम बबूल के चूर्ण का सेवन करने से भी खांसी ठीक होती है।

और पढ़ें : खांसी में अलसी का प्रयोग

बबूल के औषधीय गुण से पेट के रोगों में फायदा (Uses of Babool Tree for Abdominal Disease in Hindi)

  • बबूल की छाल का काढ़ा बना लें। काढ़ा जब थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो इसे 1-2 मिली की मात्रा में मट्ठे के साथ पिएं। इससे पेट की बीमारी में लाभ होता है। इस दौरान सिर्फ मट्ठे का सेवन करना चाहिए।
  • पेट के दर्द से आराम पाने के लिए बबूल के फल को भून लें। इसका चूर्ण बनाकर, उबले हुए जल के साथ सेवन करें। इससे पेट दर्द से राहत मिलती है।
  • बबूल के छाल से बने काढ़ा को छाछ के साथ पिएं। आहार में छाछ का सेवन करने से जलोदर रोग में लाभ होता है।

और पढ़े: जलोदर में केवांच के फायदे

भूख बढ़ाने के लिए बबूल का सेवन (Use of Acacia in Appetite Problem in Hindi)

भूख की कमी या भोजन से अरुचि की समस्या को ठीक करने के लिए बबूल या कीकर की फली का अचार लें। इसमें सेंधा नमक मिलाकर खिलाएं। इससे भूख बढ़ती है, और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।

बबूल के औषधीय गुण से मुंह के छाले का इलाज (Babool Tree Uses to Treat Mouth Ulcers in Hindi)

मुंह के छाले की परेशानी में भी बबूल से फायदा मिल सकता है। बबूल की छाल के काढ़ा से 2-3 बार गरारे करें। इससे मुंह के छाले ठीक होते हैं।

और पढ़ें: सुपारी का इस्तेमाल कर मुंह के छाले का इलाज

दांतों के रोग में बबूल से लाभ (Benefits of Babool in Dental Disease in Hindi)

  • दांतों में दर्द होने पर बबूल या कीकर की फली (babul ki fali) का छिलका लें। इसमें बादाम के छिलके की राख मिला लें। इसमें नमक मिलाकर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
  • इसी तरह बबूल की कोमल टहनियों से दातून करने से भी दांतों की बीमारी ठीक होती है। दांत मजबूत होते हैं।
  • दांतों के दर्द में बबूल की छाल, पत्ते, फूल और फलियां लें। सभी को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण से मंजन करने से दांतों के रोग दूर होते हैं।
  • इसके अलावा बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
  • बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करने से भी दांतों के दर्द से राहत मिलती है।

और पढ़ें: दाँत के दर्द में अजमोदा से लाभ

बबूल के सेवन से कंठ के रोग का इलाज (Uses of Babool Tree to Treat Throat Disorder in Hindi)

  • बबूल के पत्ते और छाल एवं बड़ की छाल लें। सबको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छानकर रख लें। इससे कुल्ला (गरारा) करने से गले के रोग मिट जाते हैं।
  • इसके अलावा बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करें। इससे भी कंठ के रोग में लाभ होता है।

आंखों के रोग में बबूल का औषधीय गुण फायदेमंद (Uses of Kikar Tree for Eye Disease in Hindi)

  • बबूल के कोमल पत्तों को गाय के दूध में पीस लें। इसका रस निकालकर 1-2 बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों के दर्द ठीक होते हैं। इससे आंखों की सूजन में भी लाभ होता है।
  • आंखों से पानी बहने पर बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाएं। इसमें शहद मिलाकर काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों से पानी बहने की परेशानी ठीक होती है।
  • बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का काढ़ा बनाकर आंखों को धोएं। इससे आंंखों की अन्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।

और पढ़ें: अलसी के फायदे आंखों के रोग में

श्वसन-तंत्र संबंधित विकार में बबूल का इस्तेमाल फायदेमंद (Benefits of Babool Tree in Respiratory Disease in Hindi)

  • बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करे। इससे श्वसन-तंत्र की बीमारी में लाभ होता है।
  • इसी तरह 1 ग्राम बबूल गोंद का सेवन करने से सांसों की बीमारी ठीक होती है।

बबूल के सेवन से मूत्र रोग का इलाज (Uses of Acacia in Urinary Disorder in Hindi)

  • बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर पानी में ही रखें। सुबह पानी को साफ कर पिएं। इससे पेशाब में जलन की समस्या में लाभ मिलता है।
  • इसी तरह 15-30 मिली बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से बार-बार पेशाब आने की परेशानी ठीक हो जाती है।

और पढ़ें: मूत्र रोग में गिलोय से लाभ

वीर्य रोग (धातु रोग) में बबूल का औषधीय गुण लाभदायक (Babool Tree Uses for Sperm Related Disorder in Hindi)

  • बबूल की फली को छाया में सुखाकर पीस लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम रोज पानी के साथ लें। इससे वीर्य के विकार ठीक होते हैं।
  • बबूल के गोंद को घी में तलें। इसको खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है।
  • बबूल के गोंद के फायदे (gond ke fayde) से पुरुषों के यौन संबंधी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।
  • 2 ग्राम बबूल के पत्ते में 1 ग्राम जीरा तथा चीनी मिलाएं। इसे 100 मिली दूध में मिलाकर सेवन करें। इससे शुक्राणु संबंधित रोगों में लाभ होता है।

और पढ़े: वीर्य रोग में गुलब्बास के फायदे

बबूल के गुण से स्वप्न दोष का इलाज (Babool Tree Uses to Stop Nightfall in Hindi)

बबूल के उपयोग से स्वप्न दोष का उपचार होता है। 20 ग्राम बबूल पंचांग में 10 ग्राम मिश्री मिलाएं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करें। इससे स्वप्न दोष में लाभ होगा।

योनि के ढीलेपन की समस्या में बबूल के फायदे (Babool Tree Uses to Treat Vaginal Laxity in Hindi)

  • एक हिस्सा बबूल की छाल को 10 हिस्सा पानी में रात भर भिगोएं। सुबह पानी को उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो छान कर बोतल में भर लें। इस पानी से योनि को धोने से योनि का ढीलापन दूर होता है।
  • बबूल की फलियों का चिपचिपा पदार्थ लें। इससे थोड़े मोटे कपड़े को 7 बार गीला करके सुखा लें। संभोग से पहले इस कपड़े के टुकड़े को दूध या पानी में भिगोएं। इस दूध या पानी को पी लें। इससे योनि के ढीलापन की समस्या दूर होती है।

मासिक धर्म विकार में बबूल का गुण लाभदायक (Babool Tree Uses for Menstrual Disorder in Hindi)

  • बबूल का 4.5 ग्राम भुना हुआ गोंद लें। गेरु 4.5 ग्राम लें। इनको पीसकर सुबह सेवन करने से मासिक विकारों में लाभ होता है।
  • बबूल की 20 ग्राम छाल को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा 100 मिली बच जाए तो दिन में तीन बार पीएं। इससे मासिक धर्म की बीमारी जैसे मासिक धर्म में खून अधिक आने की समस्या ठीक होती है।

और पढ़ें: अत्यधिक रक्तस्राव में फायदेमंद अर्जुन

मेनोरेजिया में बबूल का गुण लाभदायक (Babool Tree Benefits for Menorrhagia Treatment in Hindi)

बबूल के गोंद और गेहूं को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मेनोरेजिया में लाभ होता है।

ल्यूकोरिया में बबूल के औषधीय गुण से फायदा (Babool Tree Benefits to Treat Leucorrhoea in Hindi)

  • ल्यूकोरिया के इलाज के लिए 10 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिली जल में पकाएं। जब काढ़ा 100 मिली रह जाए तो काढ़ा में 2-2 चम्मच मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम पिएं। इससे ल्यूकोरिया में फायदा होता है।
  • काढ़ा में थोड़ी-सी फिटकरी मिलाकर योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है।
  • इसके अलावा 15-30 मिली बबूल के तने की छाल का काढ़ा का सेवन करें। इससे भी ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

और पढ़ें: ल्यूकोरिया में सफेद मूसली के प्रयोग से लाभ

बबूल के गुण से सूजाक का इलाज (Babool Tree Benefits in Gonorrhea Treatment in Hindi)

  • बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। सुबह पानी को साफ कर पिएं। इससे सूजाक में लाभ मिलता है।
  • 10 ग्राम बबूल की कोंपलों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे सुबह मसलकर छान लें। इसमें 20 ग्राम गर्म घी मिलाकर पिलाएं। दूसरे दिन भी ऐसा ही करें। तीसरे दिन घी नहीं मिलाएं। चौथे और पांचवे दिन सिर्फ इसका हिम (रात भर का भिगोया हुआ पानी) पीने से सूजाक में बहुत लाभ होता है।
  • बबूल की 10 ग्राम गोंद को एक गिलास पानी में डालें। इसकी पिचकारी देने से योनि में दर्द और सूजन की परेशानी ठीक होती है। इससे सूजाक रोग के कारण होने वाली जलन भी ठीक होती है।
  • बबूल के 5-10 पत्तों को 1 चम्मच शक्कर और 2 नग काली मिर्च के साथ या 5-6 अनार के पत्तों के साथ पीसकर छान लें। इसे पीने से सूजाक में लाभ होता है।

सिफलिस रोग के इलाज के लिए बबूल का उपयोग (Benefits of Babool Tree in Syphilis Disease in Hindi)

बबूल के पत्ते से चूर्ण बना लें। इसे सिफलिश वाले घाव पर छिड़कें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

सूतिका को होने वाले रोग में बबूल का उपयोग (Babool Benefits in Post Pregnancy Disorder in Hindi)

  • जो महिलाएं हाल-फिलहाल में मां बनी हैं। उनको होने वाली समस्याओं में बबूल से लाभ होता है। बबूल की छाल का 10 ग्राम चूर्ण बनाएं। इसमें 3 नग काली मिर्च मिलाएं। दोनों को पीस लें। इसे सुबह-शाम खाएं। इस दौरान सिर्फ बाजरे की रोटी और गाय का दूध लें। इससे गंभीर सूतिका रोग में भी लाभ होता है।
  • बबूल के गोंद को घी में तलें। इसे प्रसूति काल में स्त्रियों को खिलाने से शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है।

दस्त रोकने के लिए बबूल का इस्तेमाल (Benefits of Babool to Stop Diarrhea in Hindi)

  • बबूल के 8-10 कोमल पत्तों का रस लें। आप रस में 500 मिग्रा जीरा और 1-2 ग्राम अनार की कलियों को भी मिला सकते हैं। इसे 100 मिली पानी में पीस लें। पानी में एक टुकड़ा गर्म इऔट का बुझा लें। दिन में 2-3 बार 2 चम्मच इस पानी को पिलाने से दस्त बंद हो जाता है।
  • बबूल के पत्ते के रस को छाछ में मिलाकर पिलाने से हर प्रकार के दस्त पर रोक लगती है।
  • दस्त की परेशानी में बबूल की दो फलियां खाकर ऊपर से छाछ पिएंं। दस्त बंद हो जाती है।
  • दस्त को बंद करने के लिए बबूल के पत्तों से बने पेस्ट को जल में घोलकर पिएं। इससे फायदा होता है।
  • बबूल के पत्ते, और शयामले जीरे को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर 10 ग्राम की मात्रा में रात के समय देने से कफज विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है।

और पढ़ें: दस्त रोकने में फायदेमंद गोखरू

पेचिश में बबूल के गुण से फायदा (Babool Benefits to Stop Dysentery in Hindi)

  • बबूल की 10 ग्राम गोंद को 50 मिली पानी में भिगोएं। इसे मसलकर छानें। इसे पिलाने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
  • बबूल की कोमल पत्तियों के एक चम्मच रस में थोड़ी-सी हरड़ का चूर्ण या शहद मिलाएं। इसका सेवन करने से पेचिश में फायदा होता है।
  • बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
  • बबूल के पत्ते का काढ़ा अथवा पत्ते के पेस्ट को तण्डुलोदक के साथ प्रयोग करने से दस्त और पेचिश में फायदा होता है।

बबूल के इस्तेमाल से पीलिया का उपचार (Benefits of Babool in Fighting with Jaundice in Hindi)

बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएंं। इसे 10 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।

और पढ़ें: एलोवेरा के सेवन से पीलिया में लाभ

हड्डी संबंधित रोग में बबूल का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Babul in Bone Related Disorder in Hindi)

  • बबूल की फली (babul ki fali) को अधिक मात्रा में लें। इनका चूर्ण बना लें। चूर्ण को रोज सुबह-शाम सेवन करने से टूटी हड्डी तुरंत जुड़ जाती है।
  • इसके अलावा बराबर-बराबर मात्रा में बबूल या कीकर की फली, त्रिफला (आमलकी, हरीतकी, बहेड़ा) तथा व्योष (सोंठ, मरिच, पिप्पली) के चूर्ण लें। इसमें बराबर मात्रा में गुग्गुलु मिलाकर सेवन करें। इससे भी हड्डियों के टूटने की बीमारी में मिलता है।

और पढ़ें: गुग्गुल के लाभ

रक्त-स्राव में बबूल से फायदा (Babul Tree Uses to Stop Bleeding in Hindi)

  • शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव हो रहा हो तो उस अंग पर बबूल के पत्तों का रस लगाएं। इससे रक्तस्राव रुक जाता है।
  • इसके अलावा सूखे पत्तों या सूखी छाल का चूर्ण रक्तस्राव वाले स्थान पर छिड़कें। इससे रक्तस्राव में लाभ होता है।
  • इसी तरह 10-15 बबूल के कोमल पत्ते लें। इसमें 2-4 नग काली मिर्च और 2 चम्मच चीनी मिलाएं। इसे पीस कर छान लें। इसे पिलाने से आमाशय से होने वाला रक्तस्राव ठीक हो जाता है।

बबूल के उपयोगी भाग (Useful Parts of Babool)

बबूल का इस्तेमाल निम्न तरह से किया जा सकता हैः-

  • फली
  • पत्ते
  • तने
  • गोंद
  • तने की छाल

बबूल का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Babool?)

बबूल के इस्तेमाल की मात्रा इतनी होनी चाहिएः-

  • तने का काढ़ा- 50-100 मिली
  • चूर्ण- 2-6 ग्राम
  • गोंद 3-6 ग्राम

औधषि के रूप में अधिक फायदा लेने के लिए बबूल का उपयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करें।

बबूल के साइड इफेक्ट (Babool Side Effects)

बबूल के अधिक सेवन से स्तन से संबंधित रोग होता है। अधिक मात्रा में इसके निर्यास का प्रयोग करने से गुदा रोग होता है।

दर्पनाशक – बबूल का दर्पनाशक वनफ्शा है।

बबूल कहां पाया या बबूल उगाया जाता है? (Where is Babool Found or Grown?)

वास्तव में बबूल मरुभूमि में उत्पन्न होने वाला वृक्ष (babool tree in hindi) है। मरुभूमि के अलावा बबूल के वृक्ष भारत में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, बिहार, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र एवं आंध्रप्रदेश के जंगलों में पाए जाते हैं। भारत में बबूल के जंगली  वृक्ष (babool tree) तो मिलते ही हैं साथ ही लगाए हुए वृक्ष भी मिलते हैं।

और पढ़ेंएक्जिमा में बबूल फायदेमंद

और पढ़ें:

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