तूतमलंगा (Tootmalanga) एक बहुत ही गुणी औषधि है, और यह भारत में कई स्थानों पर पाया जाता है। आमतौर पर आप तूतमलंगा को बहुत ही साधारण पौधा समझते हैं, लेकिन यह एक जड़ी-बूटी की तरह काम करता है। तूतमलंगा के कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि आंखों की बीमारियों, बवासीर, दस्त में तूतमलंगा के इस्तेमाल से फायदे (Tootmalanga benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, डायबिटीज, फोड़ा-फुन्सी, त्वचा रोग में भी तूतमलंगा के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में तूतमलंगा के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि तूतमलंगा के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि तूतमलंगा से क्या-क्या नुकसान (Tootmalanga side effects) हो सकता है।
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तूतमलंगा बहुत छोटा, रोमश या सफेद रोमश क्षुप होता है। इसकी शाखाएं आधार से निकली हुई, फैली हुई, कठोर होती हैं। इसके पत्ते छोटे, 2.5 सेमी लम्बे होते हैं। इसके फूल छोटे और 2-4 पुष्पित चक्करों में होते हैं। इसके फल 2 मिमी लम्बे, संकुचित, लगभग श्यामले रंग के, नुकीले-अण्डाकार और चिकने होते हैं। इसमें फूल और फल सालों भर आता रहता है।
यहां तूतमलंगा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Tootmalanga benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप तूतमलंगा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
तूतमलंगा का वानस्पतिक नाम Salvia aegyptiaca Linn. (सैल्विया इजिप्टियाका) Syn-Salvia pumila Benth. है, और यह Lamiaceae (लैमिएसी) कुल का है। तूतमलंगा को देश-विदेश में निम्न नामों से भी जाना जाता हैः-
Tootmalanga in –
तूतमलंगा के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
तूतमलंगा शीत और संग्राहक होता है। यह व्रण, रक्तातिसार और प्रवाहिका शामक होता है। इसके मेथेनॉल और एसीटोन सत्त में किञ्चित् मात्रा में शोथरोधी और ज्वररोधी गुण पाया जाता है। अपरिष्कृत मेथेनॉल और एसीटोन सत्त में केन्द्राrय-तंत्रिकातंत्र अवसादक और निद्राजनन गुण होता है।
इसका अपरिष्कृत मेथेनॉल एवं एसीटोन-सार मूषकों में केंद्रीय तंत्रिकातंत्र अवसादक गुण प्रदर्शित करता है, यह प्रभाव मस्तिष्कगत उद्दीपनरोधक, शामक, शोथहर एवं ज्वरघ्न क्रियाशीलता के रूप में व्यक्त होता है।
इसका मेथेनॉल-सार सूक्ष्मजीवाणुरोधी एवं अनॉक्सीकारक क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है। इसका सार निराहार (Fasting) एवं साथ ही एलोक्सान प्रेरित मधुमेही चूहों के प्रति अल्परक्तशर्कराकारक प्रभाव प्रदर्शित करता है।
तूतमलंगा के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
आंखों की कई बीमारियों में तूतमलंगा से लाभ मिलता है। तूतमलंगा के बीजों का काढ़ा बना लें। इससे आंखों को धोएं। इससे नेत्र रोगों (आंखों के रोग) ठीक होते हैं।
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दस्त पर रोक लगाने के लिए तूतमलंगा के औषधीय गुण फायदेमंद होते हैं। तूतमलंगा के 2-4 ग्राम बीज चूर्ण का सेवन करने से दस्त में लाभ होता है।
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बवासीर होने पर तूतमलंगा का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। तूतमलंगा के बीजों का प्रयोग करने से बवासीर के इलाज में लाभ मिलता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
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डायबिटीज आज घर-घर की बीमारी बन चुकी है। डायबिटीज पर नियंत्रण पाने के लिए 1-2 ग्राम तूतमलंगा बीज के चूर्ण में इच्छा के अनुसार खाँड और गाय का दूध मिला लें। इसका सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।
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तूतमलंगा को जल में भिगोकर, बिना मुंह वाले फोड़ों पर बांधें। इससे फोड़े जल्दी फूट जाते हैं, और पस निकल जाता है।
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तूतमलंगा के औषधीय गुण से त्वचा संबंधित कई रोगों का इलाज किया जाता है। तूतमलंगा को पीसकर लगाने से त्वचा केविकार ठीक होते हैं।
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सुजाक एक गंभीर रोग है। सुजाक होने पर रोगी को बहुत परेशानी होती है। सुजाक के इलाज के लिए बीजों का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे लाभ होता है।
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तूतमलंगा के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
पंचांग
बीज
तूतमलंगा को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
तूतमलंगा बीज का चूर्ण- 1-2 ग्राम
यहां तूतमलंगा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Tootmalanga benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप तूतमलंगा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए तूतमलंगा का सेवन करने या तूतमलंगा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
तूतमलंगा भारत में मुख्यतः पंजाब के मैदानी क्षेत्रों, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में पाया जाता है। तूतमलंगा दिल्ली के पहाड़ी क्षेत्रों में पश्चिम की ओर 600 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है। यह अफ्रीका में प्राप्त होता है। विश्व में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्राप्का एवं केपवर्ड द्वीप समूह में भी प्राप्त होता है।
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