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Ginger: सेहत के लिए कमाल का है अदरक – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

अदरक (ginger) सभी घर में उपयोग की जाती है। शायद ही ऐसा कोई घर होगा जिसमें अदरक वाली चाय नहीं बनाई जाती होगी। अदरक सभी घरों में सब्जी में भी इस्तेमाल की जाती है। दरअसल अदरक के सेवन से इतना अधिक लाभ होता है कि हर घर में अदरक रोजाना उपयोग में लाई जाती है। इसके अलावा भी अदरक के कई सारे गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि अदरक एक जड़ी-बूटी भी है, और पाचन-तंत्र, सूजन, शरीर के दर्द, सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों में अदरक के इस्तेमाल से फायदे (ginger benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, ह्रदय रोग, रक्त विकार, बवासीर आदि रोगों में भी अदरक के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

 

Ginger benefits and side effects

 

आयुर्वेद में अदरक के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए बहुत जरूरी है। आप भूख की कमी, बदहजमी, वात-पित्त दोष आदि में अदरक के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप घाव, पथरी, बुखार, एनीमिया और मूत्र रोग में भी अदरक से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि अदरक के सेवन से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि अदरक से नुकसान (ginger side effects) क्या-क्या हो सकता है। 

 

Contents

अदरक क्या है? (What is Ginger in Hindi?)

भूमि के अन्दर उगने वाले प्रकन्द को आर्द्र अवस्था में अदरक, जबकि सूखी अवस्था में सोंठ कहते हैं। प्राचीन ग्रन्थों में अदरक का उल्लेख पाया जाता है। बहुत सालों से औषधि चूर्ण, काढ़ा, गुटिका (गोली) तथा अवलेह आदि में अदरक का प्रयोग किया जा रहा है। 

अदरक सुगन्धित होता है। अदरक का पौधा कई वर्षों तक जीवित रहता है। यह लगभग 90-120 सेमी ऊँचा, कोमल होता है। हर साल प्रकन्द से नई शाखाएं निकलती हैं। इसका प्रकन्द सफेद या पीला रंग का होता है जो बाहर से भूरे रंग का होता है। अदरक में धारियां होती हैं और यह गोलाकार होने के साथ-साथ एक या अनेक भागों में विभाजित होता है। 

यहां अदरक के फायदे और नुकसान (ginger benefits and side effects)की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप अदरक के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

 

Ginger benefits and side effects

 

अनेक भाषाओं में अदरक के नाम (Name of Ginger in Different Languages)

अदरक का वानस्पतिक नाम Zingiber officinale Rosc. (जिंजिबर ऑफिसिनेल) Syn-Amomum zingiber Linn. है और यह Zingiberaceae  (जिन्जिबेरेसी) कुल का है। अदरक को देश-विदेश में अनेक नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-

Ginger in –

  • Hindi-अदरक, आदि, सोंठ
  • English- Wet ginger root (वैट जिंजर रूट), जिंजर (Ginger), जिंजीबिल (Zingibil), कॉमन जिंजर (Common ginger)
  • Sanskrit-नागर, अदरक, शृङ्गवेर, कटुभद्रा, आर्दिका, विश्वा
  • Urdu-अद्रक (Adrak), अदरका (Adraka)
  • Oriya-ओडा (Oda)
  • Assamese-अदा (Ada) 
  • Konkani-अलेम (Alem)
  • Kannada-अल्ल,(Alla)  हसीसुण्ठी (Hasisunthi), इन्ची (Inchi)
  • Gujarati-आदु (Adu), शुंठ (Sunth)
  • Telugu-अल्ल (Alla), अल्लमू (Allamu)
  • Tamil-अलाम (Allam), इंजी (Inji)
  • Bengali-आदा (Ada), शुण्ठी (Shunthi)
  • Nepali-अदुवा (Aduva)
  • Punjabi-अदरक (Adrak), आदा (Ada)
  • Marathi-आले (Ale) 
  • Malayalam-इंची (Inchi), चुक्कु (Chukku)
  • Arabic-जिंजीबिल रतब (Zinjibil ratab) 
  • Persian-जंजबीले तर (Janjbeele tar), जंजबिल (Zanjabil)

 

अदरक के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Ginger in Hindi) 

सोंठ उष्ण होने से कफ-वात शामक, शोथहर, उत्तेजक, वेदनास्थापक, नाड़ियों को उत्तेजना देने वाली, तृप्तिघ्न, रुचिकारक, दीपन, पाचन, वातानुलोमन, शूल-प्रशमन तथा अर्शोघ्न है। उष्ण होने के कारण हृदय एवं रक्तवह-संस्थान को उत्तेजित करती है। अदरक कटु और स्निग्ध होने के कारण कफघ्न और श्वासहर है। यह मधुर विपाक होने से वृष्य है। तीक्ष्णता के कारण यह स्रोतोवरोध का भी निवारण करती है।

 

अदरक के फायदे और उपयोग (Ginger Benefits and Uses in Hindi)

अदरक के सेवन या औषधीय प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

 

सिर दर्द में अदरक के सेवन से लाभ (Benefits of Ginger in Relief from Headache in Hindi)

50 मिली दूध में 5 ग्राम सोंठ का पेस्ट मिला लें। इसे छानकर नाक के रास्ते लें। इससे तेज सिर दर्द का उपचार होता है।

 

Benefits of Ginger in Relief from Headache

और पढ़ेंः सिर दर्द के लिए घरेलू उपाय

अदरक के औषधीय गुण से कान के दर्द का इलाज (Ginger Benefits for Ear Pain in Hindi)

  • अदरक के रस को हलका गर्म कर लें, या आप अदरक, मधु एवं बनाएं को मिलाकर तेल में पका लें, या फिर चारों को मिलाकर गुनगुना कर 1-2 बूंद कान में डाले। इससे कान के दर्द का उपचार होता है।
  • बराबर-बराबर मात्रा में कैथ फल का के रस, बिजौरा नींबू का के रस तथा अदरक के रस को मिला लें। इसे थोड़ा गर्म कर लें। इसे छानकर 1-2 बूंद कान में डालें। इससे कान के दर्द का इलाज होता है।
  • सके रसों के तेल में अदरक, मुलेठी मिला लें। इसे थोड़ा गर्म कर लें। इसे छानकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान के दर्द में बहुत लाभ होता है।
  • सोंठ के रस को गुनगुना कर 2-5 बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

और पढ़ेंः कान दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

 

दांतों के दर्द अदरक के फायदे (Uses of Ginger to Treat Dental Pain in Hindi)

  • दांत के दर्द में अदरक के इस्तेमाल से फायदे होते हैं। सोंठ के टुकड़े को दांतों के बीच दबाने से दांत के दर्द का इलाज होता है।
  • 5 मिली अदरक के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी ठीक होती है।

और पढ़ेंः दांत दर्द का घरेलू इलाज

 

अदरक के औषधीय गुण से खांसी और जुकाम का इलाज (Ginger Uses in Fighting with Cough and Cold in Hindi)

  • 100 मिली दूध में 2 ग्राम अदरक चूर्ण मिलाकर पिएं। इससे जुकाम में लाभ होता है।
  • 2 चम्मच अदरक के रस में मधु मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। इससे सांसों से जुड़ी बीमारी, खांसी तथा जुकाम आदि रोगों में लाभ होता है।
  • 5 मिली अदरक के रस में चौथाई भाग मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से सांस, खांसी, जुकाम और बुखार ठीक होता है।
  • जुकाम और खांसी से राहत के लिए दिन में दो बार अदरक का काढ़ा बनाकर पिएं

 

Ginger Uses in Fighting with Cough and Cold

और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपाय

अदरक के औषधीय गुण से उल्टी पर रोक (Ginger Uses to Stop Vomiting in Hindi)

10 मिली अदरक के रस में, 10 मिली प्याज का के रस मिलाकर पिलाने से जठराग्नि का दीपन होता है।

और पढ़ेंः उल्टी रोकने के लिए घरेलू उपाय

 

ठंड लगने (शरीर के ठंडे होने पर) पर अदरक का औषधीय गुण फायदेमंद (Ginger is Beneficial in Cold Body Condition in Hindi)

आपका शरीर जब ठंडा पड़ जाय का ठंड के दिनों में आपको अधिक ठंड लग रही हो तो सोंठ के रस में थोड़ा लहसुन का रस मिला लें। इससे मालिश करने से शरीर में गर्माहट आ जाती है।

 

बुखार में अदरक के सेवन से लाभ (Benefits of Ginger in Fighting with Fever in Hindi)

  • सोंठ एवं धमासा का काढ़ा बनाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।
  • सोंठ, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, खस, लाल चन्दन, सुगन्धबाला को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में पीने से बुखार तथा अधिक प्यास लगने की समस्या में लाभ होता है।
  • सोंठ, गन्धबाला (सुगन्धबाला), पित्तपापड़ा, खस, मोथा तथा लाल चन्दन का काढ़ा बना लें। इस काढ़ा को ठंडा करके सेवन करने से अधिक प्यास लगने की समस्या, उल्टी पित्त दोष के कारण होने वाले बुखार और शरीर की जलन में लाभ होता है।
  • बुखार के दौरान भूख नहीं लगने पर 5 मिली अदरक के रस में 1 ग्राम बनाएं डालकर गर्म करके धारण करना चाहिए।
  • ताजे अदरक के रस को 2 मिली मात्रा में पहले दिन दें। इसके बाद रोज 2-2 मिली की मात्रा में बढ़ाते जाएं। इस प्रकार जब 20 मिली की मात्रा हो जाये तो एक माह तक ऐसे ही देते जाएं। इसी तरह 2-2 मिली करके घटाते हुए बंद कर दें। औषधि पचने के बाद रोज दूध या जूस के साथ अन्न का सेवन करना चाहिए। इस प्रकार अदरक का सेवन करने से ट्यूमर (गांठ), पेट के रोग, बवासीर, सूजन, डायबिटीज, सांसों की तकलीफ, जुकाम, भूख की कमी, अपच, सूखा रोग, पीलिया, मनोविकार, खांसी तथा कफ-वृद्धि आदि रोगों में लाभ होता है।
  • एक चौथाई अदरक के पेस्ट, चार गुना अदरक का रस और गाय का दूध लें। इसमें 750 ग्राम घी को मिला लें। इसे पकाकर रोज सेवन करें। इससे जुकाम, पेट के रोग तथा अपच में लाभ होता है।
  • गुड़ के साथ बराबर-बराबर मात्रा में सोंठ या अदरक को 1 गाम की मात्रा से प्रारम्भ कर, रोज 1-1 ग्राम बढ़ाते हुए, 30 ग्राम होने पर 1 माह तक सेवन कर फिर उसी क्रम से कम करते हुए बंद करने से सूजन, जुकाम आदि कफ एवं वात के रोगों का निवारण होता है।
  • त्रिकटु, बनाएं और अदरक के रस को समान मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है
  • आर्दक (अदरक) के रस में बनाएं और त्रिकटु (सोंठ, मरिच और पिप्पली) का चूर्ण मिला लें। 3-4 बार गण्डूष धारण करने से कण्ठ, हृदय प्रदेश, मन्या तथा सिर में जमा हुआ सूखा कफ बाहर निकलने लगता है। बुखार, पर्वभेद, बेहोशी,  खांसी, कण्ठ एवं मुंह के रोग, आंखों की बीमारी, शरीर की जड़ता, उल्टी आदि की समस्या ठीक होती है।
  • विभिन्न प्रदेशों के विभिन्न प्रकार के जल को पीने से यदि बुखार आदि रोग हो जाए तो बराबर-बराबर मात्रा में अदरक तथा यवक्षार के 1-2 ग्राम पेस्ट को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

 

Benefits of Ginger in Fighting with Fever

और पढ़ेंः बुखार के लिए घरेलू उपचार

 

निमोनिया में अदरक का औषधीय गुण फायेदमंद (Ginger Benefits for Pneumonia Treatment in Hindi)

5 मिली अदरक के रस में 1 या दो वर्ष पुराना घी व कपूर मिलाकर गर्म कर छाती पर मालिश करें।

और पढ़ेंः निमोनिया के इलाज के लिए घरेलू उपाय

 

पाचन-तंत्र विकार में अदरक के फायदे (Uses of Ginger for Digestive System Related Disorder in Hindi)

10-20 मिली अदरक के रस में बराबर-बराबर मात्रा में नींबू का के रस मिलाकर पिलाने से अग्नि का दीपन होता है।

और पढ़ेंः पाचनतंत्र विकार में अलसी के फायदे

बदहजमी (अपच) में अदरक के फायदे (Ginger Benefits in Indigestion in Hindi)

  • भोजन के पहले गुड़ में बराबर-बराबर मात्रा में शुण्ठी चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे बवासीर और कब्ज में लाभ होता है।
  • किसी भी व्यक्ति को अगर बदहजमी का आभास हो तो भोजन के पहले हरीतकी और सोंठ के बराबर-बराबर मात्रा में चूर्ण को 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे बदहजमी में लाभ होता है।
  • सोंठ, अतीस तथा नागरमोथा का काढ़ा आम का पाचन करता है।
  • सोंठ, अतीस, नागरमोथा का पेस्ट, केवल हरीतकी का चूर्ण या सोंठ का चूर्ण मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन (मात्रा-500 मिग्रा से 2 ग्राम तक) करें। इससे भी आम का पाचन होता है। 
  • यदि सुबह ऐसा लग रहा हो कि रात का भोजन नहीं पचा है तो हरड़, सोंठ तथा बनाएं के चूर्ण को जल से सेवन करें। इसे थोड़ा भोजन करने के बाद दोपहर या शाम के समय लें।
  • शृंगवेराद्य घी को 10-20 ग्राम की मात्रा में रोज सेवन करने से अपच, दर्द, कब्ज, पेट के फूलने, गठिया, कमर दर्द, आंतों के रोगों में लाभ होता है।
  • रोज 2-3 ग्राम हरीतकी और सोंठ के बराबर-बराबर मात्रा लें। इनका चूर्ण बनाकर गुड़ में मिलाएं। इसे खाने से अथवा सोंठ चूर्ण में गुड़ मिलाकर रोज सेवन करने से हाजमा ठीक होता है। इससे पाचनतंत्र विकार ठीक होता है और बवासीर में लाभ होता है।
  • सोंठ का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली में शहद मिलाकर पीने से पाचनशक्ति मजबूत होती है।
  • धनिया तथा सोंठ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से पाचनशक्ति ठीक रहती है।
  • 1-2 ग्राम सोंठ के चूर्ण में 5 मिली नींबू का रस डाल लें। इसे चार गुना शक्कर की चाशनी में मिला लें। इसमें 1 ग्राम त्रिकटु चूर्ण डालकर सेवन करे। इससे पाचनशक्ति ठीक होती है और भूख की वृद्धि होती है।
  • 2-5 ग्राम बेल के पेस्ट में 1 ग्राम सोंठ चूर्ण मिला लें। इसे गुड़ के साथ सेवन करें और छाछ का सेवन करें। इससे अपच रोग में लाभ होता है।

और पढ़ेंः अपच में गोरखमुंडी के फायदे

 

एसिडिटी में अदरक के फायदे (Ginger Uses in Acidity Treatment in Hindi)

सोंठ तथा परवल का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे एसिडिटी, उल्टी, खुजली, बुखार, फोड़ा और शरीर की जलन की समस्या ठीक होती है।

 

Ginger Uses in Acidity Treatment

और पढ़ेंः एसिडिटी के इलाज के लिए घरेलू उपाय

भूख बढ़ाने के लिए अदरक का सेवन (Uses of Ginger to Increase Appetite in Hindi)

  • सोंठ और पित्तपापड़ा को पकाकर सेवन करने से बुखार, अपच, अधिक प्यास लगने की समस्या तथा भूख की कमी ठीक होती है। इसे 5-10 ग्राम की मात्रा में रोज सेवन करें।
  • सोंठ, चिरायता, नागरमोथा तथा गुडूची को पकाकर 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे बुखार, अधिक प्यास लगने की समस्या तथा भूख की कमी दूर होती है।
  • 1 ग्राम यवक्षार में बराबर-बराबर मात्रा में सोंठ का चूर्ण मिला लें। इसमें दोगुना घी मिला लें। इसका सेवन करें। इससे भूख की कमी दूर होती है।
  • आप 2 ग्राम सोंठ चूर्ण को गुनगुने जल के साथ रोज सुबह सेवन करें। इससे भी भूख की कमी दूर होती है।
  • 2 ग्राम सोंठ चूर्ण को घी के साथ अथवा केवल सोंठ चूर्ण को गर्म जल के साथ रोज सुबह खाने से भूख बढ़ती है।
  • रोज भोजन की शुरुआत में नमक एवं अदरक की चटनी खाने से जीभ एवं कंठ के विकार दूर होते हैं। भूख बढ़ती है और ह्रदय बलवान होता है।
  • अदरक का अचार खाने से भूख बढ़ती है।
  • अजवायन, बनाएं, हरड़ तथा सोंठ के चूर्णों को समान मात्रा में मिलाकर रखें। 2-4 ग्राम मात्रा में सेवन करने से यह दर्द को खत्म करता है। इससे भूख बढ़ती है।

और पढ़ें: भूख बढ़ाने के लिए जीरा का सेवन फायदेमंद

 

अदरक के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Benefits of Ginger to Stop Diarrhea in Hindi)

  • पिप्पली, सोंठ, धनिया, भूतिक, हरीतकी, वचा और ह्रीबेर, नागरमोथा, बेल, सोंठ, धनिया का सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।
  • 3-6 ग्राम सोंठ के चूर्ण में बराबर मात्रा में घी डालें। इसे एक एरण्डपत्र से लपेटकर पका लें। पके चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह सेवन करने से दस्त और दस्त के दौरान होने वाला पेट का दर्द ठीक होता है।
  • दस्त में सुगंधबाला तथा सोंठ से पकाया हुआ जल पीने से लाभ होता है।
  • कफ एवं आम दोष के कारण दस्त हो रही हो तो 1-2 ग्राम सोंठ पेस्ट को गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे लाभ होता है।
  • शुण्ठी, घी का सेवन करने से सूजन, आंतों के रोग, आम रोग, एनीमिया रोग, प्लीहा (तिल्ली) रोग, खांसी और बुखार आदि में लाभ होता है।
  • सोंठ, खस, बेल की गिरी, मोथा, धनिया, मोचके रस तथा नेत्रबाला का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में पीने से दस्त और पित्त-कफज बुखार में लाभ होता है।
  • धनिया (10 ग्राम) तथा सोंठ (10 ग्राम) को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे रोगी को सुबह और शाम 10-30 मिली मात्रा में सेवन कराएं। इससे बुखार, दर्द और दस्त ठीक होता है।
  • बराबर मात्रा में सोंठ और इद्र जौ लें। इनके चूर्ण को चावल के पानी के साथ पिएँ। जब चूर्ण पच जाए, उसके बाद चांगेरी, छाछ, और दाड़िम का रस डालकर पकाई गई यवागू का सेवन करें। इससे लाभ होता है।
  • सुगंधबाला और अदरक को पानी में पका लें। इसे पीने से दस्त में लाभ होता है।
  • आँवले के पेस्ट या दाल की पीठी से नाभि के चारों तरफ घेरा बना लें। इसमें आर्दक (अदरक) के रस को भरें। जब तक रोगी रह सके तब तक बिना हिलाए रहने दें। इससे दस्त पर रोक लगती है और दस्त के दर्द से आराम मिलता है।

और पढ़ेंः दस्त को रोकने के लिए असरदार घरेलू नुस्खे

पेट की गैस की समस्या में अदरक के फायदे (Ginger Benefits to Treat Gas Problem in Hindi)

  • नमक, अदरक, सरसों तथा मरिच की बत्ती बना लें। इसे गुदा में डालने से वायु एवं मल का अवरोध खत्म होकर गैस की समस्या ठीक होती है।
  • अदरक के रस को दूध में गर्म करके सेवन करने या चबाने से पेट के रोगों  में लाभ होता है।
  • अदरक पेस्ट को दूध के साथ सेवन करने से पेट की गैस आदि पेट के रोगों में तुरंत लाभ होता है।
  • नागरादि यमक (150 ग्राम सोंठ तथा 3 किलो दही के पानी से पकाया हुआ 250 ग्राम घी एवं तेल) का सेवन करने से पेट से संबंधित सभी रोगों में लाभ होता है।
  • निसूजन और सोंठ चूर्ण (2-4 ग्राम) का सेवन गोमूत्र या दूध या फिर अंगूर के रस के साथ करें। इससे पेट की गैस की समस्या ठीक होती है।
  • 25 ग्राम काला तिल (छिलका रहित) 100 ग्राम गुड़ और 50 ग्राम शुण्ठी के चूर्ण को मिला लें। 2-5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से वात दोष के कारण होने वाली पेट की गैस की समस्या, आंतों के रोग तथा योनि के दर्द में लाभ होता है।
  • सोंठ एवं एरण्ड जड़ के 25-50 मिली काढ़ा में 25 मिग्रा हींग एवं सौवर्चल नमक (1-1 ग्राम) नमक मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है।

 

Ginger Benefits to Treat Gas Problem

और पढ़ेंः गैस की समस्या से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

 

शरीर के दर्द में अदरक के फायदे (Uses of Ginger for Body Pain in Hindi)

  • बराबर मात्रा में सोंठ, एरण्ड की जड़ और जौ का काढ़ा बना लें। इसे 25-50 मिली की मात्रा में पीने से शरीर का दर्द खत्म होता है।
  • सोंठ तथा सहिजन का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से शरीर का दर्द ठीक होता है।
  • 10-30 मिली सोंठ काढ़ा में 1 ग्राम कालानमक, 125 मिग्रा हींग तथा 2 ग्राम सोंठ चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से कफवातज दोष के कारण होने वाले ह्रदय का दर्द, पसलियों का दर्द, पीठ का दर्द, जलोदर तथा हैजा आदि रोग में लाभ होता है।
  • यदि कब्ज की शिकायत हो तो इसके चूर्ण को यव के काढ़ा के साथ पीना चाहिए।

और पढ़ेंः पीठ के निचले हिस्से में दर्द से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

 

हैजा में अदरक का औषधीय गुण लाभदायक (Ginger Uses to Treat Cholera in Hindi)

  • सोंठ तथा बेल का काढ़ा (10-30 मिली) या कट्फल, सोंठ तथा बेल का काढ़ा (10-30 मिली) पीने से उल्टी और हैजा रोग में लाभ होता है।
  • 10 ग्राम अदरक में 5 ग्राम पिप्पली को मिलाकर दोनों को खरल कर लें। इसकी काली मिर्च के बराबर (65 मिग्रा) गोली बना लें। इन गोलियों को गुनगुने पानी के साथ देने से हैजा रोग में लाभ पहुँचता है।

और पढ़ेंः हैजा में फायदेमंद संजीवनी वटी का उपयोग लाभदायक

 

अदरक के औषधीय गुण से पेचिश का इलाज (Benefits of Ginger for Dysentery in Hindi)

सोंठ, नागरमोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर जल से काढ़ा बना लें। इस काढ़ा को सुबह और शाम पीने (मात्रा 20 से 25 मिली) से अपच, कब्जी की पुरानी बीमारी एवं बदहजमी रोग में लाभ होता है। 

 

Benefits of Ginger for Dysentery

और पढ़ेंः पेचिश में कैसे फायदेमंद होता है शमी का उपयोग 

आंतों के रोग में अदरक के फायदे (Ginger Benefits to Cure Intestinal Disease in Hindi)

गिलोय, अतीस, सोंठ, नागरमोथा को काढ़ा बनाकर पीने (मात्रा 20 से 25 मिली दिन में दो बार) से आंतों के रोग में लाभ होता है।

और पढ़ेंः आंतों के रोग में पीला के सेवन से लाभ

 

पेट के रोग में अदरक के सेवन से फायदा (Uses of Ginger for Abdominal Disease in Hindi)

  • सिरका एवं अदरक को समान मात्रा में मिलाकर सेवन करें। इससे पाचनतंत्र विकार ठीक होते हैं।
  • नींबू, पुदीना तथा अदरक के 100-100 मिली के रस को दोगुने खाँड के साथ चाँदी के बर्तन में पकाकर गाढ़ा कर लें। इसका सेवन करने से पाचनतंत्र ठीक रहता है।
  • रोज भोजन करने से पहले अदरक का सेवन करने से जिह्वा तथा कण्ठ शुद्ध होते हैं। इससे सूजन, हृदय रोग, पेट की गैस, बवासीर, कब्ज तथा पेट के फूलने की समस्या ठीक होती है।
  • अदरक को मधु के साथ मिलाकर नियमित सेवन करें। इससे सूजन, भूख की कमी, हृदय रोग, पेट का फूलना, पेट का रोग, खांसी, सांसों से जुड़ी समस्या और बुखार आदि में लाभ होता है। इसका गुड़ के साथ प्रयोग करने पर आंखों को फायदा होता है। पाचनशक्ति ठीक रहती है। 
  • आर्दक के रस और गोदुग्ध को समान भाग में मिला ले। इसे पीने से पेट के रोग में लाभ होता है।
  • दस गुने आर्दक के रस को तिल के तेल में पका लें। अन्न का त्याग करते हुए इसे पीने से पेट के रोग में तुरंत लाभ होता है।
  • सोंठ, हरीतकी, बहेड़ा तथा आँवला को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पेस्ट बना लें। गाय का घी 2½ ली तथा तिल का तेल, 2½ ली दही का पानी को मिलाकर विधिपूर्वक घी को पकाएं। इसे तैयार हो जाने पर छानकर रख लें। इस घी को 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करें। इससे सभी प्रकार के पेट के रोगों में लाभ होता है। इससे कफज, वातज एवं पेट के फूलने की बीमारी में भी फायदा होता है।
  • रोज सुबह और शाम सोंठ, इन्द्रयव तथा चित्रक के बराबर मात्रा के चूर्ण (2-4 ग्राम) को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से वात दोष में बहुत लाभ होता है।

और पढ़ेंः पेट के अल्सर के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

 

पीलिया में अदरक का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Ginger in Fighting with Jaundice in Hindi)

  • 3-5 ग्राम इन्द्रायण तथा सोंठ चूर्ण में बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।
  • अदरक, त्रिफला और गुड़ को समान मात्रा में मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग का इलाज होता है।

 

Benefits of Ginger in Fighting with Jaundice

और पढ़ेंः पीलिया के इलाज के लिए घरेलू उपाय

अदरक के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज (Ginger Uses to Treat Piles in Hindi)

  • बराबर मात्रा में चित्रक की जड़ और सोंठ चूर्ण (1-4 ग्राम) को सीधु के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
  • सूखे बवासीर में सोंठ एवं धनिया के काढ़ा (10-30 मिली) का सेवन करना चाहिए। इससे लाभ मिलता है।
  • चतु सम मोदक का सेवन करने से (सोंठ, भिलावा, विधारा तथा गुड़ से निर्मित मोदक) बवासीर को ठीक होता है
  • 2-4 ग्राम सोंठ के चूर्ण में दोगुना गुड़ मिला लें। इसकी गोली बनाकर सेवन करने से आम दोष से होने वाले विकारों में लाभ होता है।
  • मिश्री, पिप्पली, सोंठ तथा हरीतकी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। चूर्ण (2-4 ग्राम) को गुड़ के साथ सेवन करने से बवासीर ठीक होता है।
  • दुरालभा, पाठा और बेल का गूदा या अजवाइन और पाठा या फिर सोंठ और पाठा में से किसी के चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे बवासीर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • सत्तू में बराबर मात्रा में गुड़, घी तथा आर्दक मिला लें। इसे कांजी के साथ सेवन करने पर कब्ज नष्ट होता है और बवासीर आदि रोग ठीक होता है।
  • अदरक का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से सूजन एवं बवासीर का दर्द तथा कब्ज में लाभ प्राप्त होता है।

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मूत्र रोग में अदरक के सेवन से फायदा (Ginger Benefits to Treat Urinal Disease in Hindi)

  • सोंठ के 2 चम्मच के रस में मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है।
  • 1 ग्राम सोंठ, 1 ग्राम कटेली की जड़, 1 ग्राम बला मूल 1 ग्राम गोखरू तथा 10 ग्राम गुड़ को 250 मिली दूध में उबाल लें। इसे सुबह और शाम पीने से मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होना, रुक-रुक कर पेशाब होना, बुखार तथा सूजन आदि में लाभ होता है।

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अदरक के औषधीय गुण से कुष्ठ रोग का इलाज (Benefits of Ginger for Leprosy Treatment in Hindi)

सोंठ, मदार की पत्ती, अडूसा की पत्ती, निसूजन, बड़ी इलायची, कुंदरू को समान भाग लेकर चूर्ण बना लें। इसे पलाश के क्षार और गोमूत्र में घोलकर लेप बना लें। लेप को लगाकर धूप में तब तक बैठें जब तक वह सूख न जाए। इससे कुष्ठ फूट जाता है और उसके घाव शीघ्र ही भर जाते हैं।

 

Benefits of Ginger for Leprosy Treatment

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अण्डकोष विकार में अदरक के सेवन से फायदा (Uses of Ginger for Testicle Disorder in Hindi)

  • 10-20 मिली के रस में 2 चम्मच मधु मिलाकर पीने से अंडकोष वृद्धि की समस्या ठीक होती है।
  • 5-10 मिली आर्दक के रस में 5-6 ग्राम मधु मिलाकर सुबह और शाम पीने से अंडकोष के बढ़ने, जुकाम आदि में लाभ होता है।
  • रोज सुबह 5 मिली अदरक के रस में बराबर-बराबर मात्रा में तेल मिलाकर पीने से अंडकोष विकार में लाभ होता है।

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वात दोष में अदरक के फायदे (Ginger Uses for Vata Dosha in Hindi)

  • पिप्पली और सोंठ का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में सुबह और शाम पीने से गठिया होता है।
  • सोंठ तथा एरण्डमूल का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा में 125 मिग्रा हींग और 1 ग्राम सौवर्चल नमक मिलाकर पीने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
  • बराबर मात्रा में अदरक के रस, मातुलुङ्ग के रस, चुक्र तथा गुड़ को घी या तेल के साथ मिलाकर पिएं। इससे कमर, पीठ का दर्द, पेट का फूलना, सायटिका तथा आंतों के रोग ठीक होते हैं।
  • तेल तथा घी में अदरक के रस या मातुंग के रस मिलाकर चुक्र एवं गुड़ का प्रक्षेप देकर पिएं। इससे कमर, पीठ का दर्द, पेट का फूलना, सायटिका तथा आंतों के रोग ठीक होते हैं।

और पढ़ेंः वात दोष को संतुलित करने के लिए डाइट प्लान

 

सूजन की समस्या में अदरक के फायदे (Ginger Benefits to Reduce Inflammation in Hindi)

  • सोंठ, पिप्पली, जमालगोटा की जड़, चित्रक की जड़ तथा वाय विडंग को समान भाग लें। इसमें दोगुनी मात्रा में हरीतकी चूर्ण मिला लें। इस चूर्ण को 3-6 ग्राम की मात्रा में गर्म जल के साथ सुबह और शाम सेवन करने से सूजन ठीक होता है।
  • सोंठ, पिप्पली, गजपिप्पली, छोटी कटेरी, चित्रक जड़, पिप्पला जड़, हल्दी, जीरा तथा मोथा को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इनको कपड़े से छान लें। चूर्ण को मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को 2 ग्राम की मात्रा में गुनगुने जल के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे सामान्य सूजन और सूजन की लंबी बीमारी ठीक होती है।
  • अदरक के 10 से 20 मिली रस में गुड़ मिलाकर सुबह सेवन करने से सूजन ठीक होती है। इस दौरान केवल बकरी का दूध का सेवन करें।
  • एक चौथाई अदरक के पेस्ट, चार गुना अदरक का रस और गाय का दूध लें। इसमें 750 ग्राम घी को मिला लें। इसे पकाकर रोज सेवन करें। इससे सूजन का उपचार होता है।
  • 5-10 मिली अदरक के रस में आधी मात्रा में पुराना गुड़ मिला लें। केवल बकरी के दूध का भोजन करते हुए इसे सेवन करें। इससे सभी तरह की सूजन का इलाज होता है।
  • अदरक तथा गुड़ को समान मात्रा में मिलाकर एक माह तक सेवन करने से सूजन का इलाज होता है।

 

Ginger Benefits to Reduce Inflammation

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रक्तपित्त (नाक-कान-गुदा-योनि से खून बहना) में अदरक के फायदे (Ginger Benefits to Stop Bleeding in Hindi)

5 मिली अदरक के रस में गुड़ मिलाकर पीने से रक्तपित्त (नाक-कान-गुदा-योनि से खून बहने की समस्या) में लाभ होता है।

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दमा में अदरक का औषधीय गुण लाभदायक (Benefits of Ginger in Fighting with Respiratory Disease in Hindi)

  • 1 ग्राम पिप्पली तथा 1 ग्राम बनाएं चूर्ण को मिला लें। इसे 5 मिमी अदरक के रस के साथ सोने के समय सेवन करने से दमा रोग में अत्यन्त लाभ होता है।
  • 2 चम्मच अदरक के रस में मधु मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। इससे सांसों से जुड़ी बीमारी में लाभ होता है।

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जोड़ों के दर्द में अदरक का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Ginger to Relief from Joint Pain in Hindi)

  • अदरक के एक लीटर रस में 500 मिली तिल का तेल डालकर आग पर पका लें। जब रस जलकर केवल तेल रह जाये तो उतारकर छान लें। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।
  • सोंठ, तिल और गुड़ को समान मात्रा में पीस लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में 50-100 मिली दूध के साथ पिएं। इससे 3-7 दिनों में गठिया का दर्द ठीक होने लगता है।

 

Benefits of Ginger to Relief from Joint Pain

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बेहोशी में अदरक का औषधीय गुण फायदेमंद (Uses of Ginger in Syncope in Hindi)

  • 7 दिनों तक अदरक और गुड़ को समान मात्रा में मिलाकर रोज सुबह त्रिफला चूर्ण के साथ खाएं। इसके साथ ही रात में मधु युक्त त्रिफला का सेवन करें। इसके साथ आहार-विहार का पालन करें। इससे सुस्ती, बेहोशी, पीलिया और मैनिया जैसे रोगों में लाभ होता है।
  • अदरक के रस (1-2 बूंद) को नाक से देने पर बुखार में होने वाली बेहोशी ठीक होती है।

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इन्फ्लुएंजा में अदरक के सेवन से फायदा (Ginger Uses for Influenza  Treatment in Hindi)

6 मिली अदरक के रस में, 6 ग्राम शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे इन्फ्लुएंजा रोग का इलाज होता है।

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त्वचा रोग में अदरक का औषधीय गुण लाभदायक (Ginger Benefits for Skin Disease in Hindi)

  • रोज 25 मिली आर्दक के रस में 10-12 ग्राम पुराना गुड़ मिलाकर पीने से त्वचा रोग जैसे पित्त उछलने की समस्या ठीक होती है।
  • 750 ग्राम अदरक, 200 ग्राम गोघी, 1.5 ली गोदुग्ध, 750 ग्राम शर्करा लें। इसके साथ ही 50-50 ग्राम पिप्पली, पिप्पलीमूल, मिर्च, सोंठ, चित्रकमूल, वायविडङ्ग, नागरमोथा लें। इसके अलावा नागकेशर, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपत्ता तथा कर्चूर लें। इन सबको विधिपूर्वक पकाकर रोज सुबह 5-10 ग्राम की मात्रा में खाएं। इससे पाचनशक्ति ठीक होती है। बल, वीर्य की वृद्धि तथा शरीर की कमोजरी दूर होती है। पित्त निकलने जैसी त्वचा की बीमारी, टीबी, रक्तपित्त आदि रोग ठीक होते हैं।
  • 5 मिली अदरक के रस में गुड़ मिलाकर पीने से पित्त निकलने की बीमारी में लाभ होता है।

 

Ginger Benefits for Skin Disease

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अदरक के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Ginger in Hindi)

अदरक के इस भाग का इस्तेमाल किया जाता हैः-

प्रकन्द

 

अदरक का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Ginger in Hindi?)

अदरक का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिएः-

  • चूर्ण 1-2 ग्राम
  • अर्क- 0.3-0.6 मिली
  • के रस- 5-10 मिली

 

अदरक से नुकसान (Ginger Side Effects in Hindi)

अधिक मात्रा में अदरक का सेवन (6 ग्राम या अधिक) करने से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-

  • हृदय संबंधित विकार
  • केन्द्रीय तंत्रिका-तंत्र संबंधित विकार
  • आमाशय विकार
  • उच्च रक्तचाप 
  • अदरक का सेवन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए।
  • पित्त दोष के कारण होने वाली पथरी की बीमारी और बच्चों को बुखार होने पर अदरक का इस्तेमाल नहीं कराना चाहिए।

यहां अदरक के फायदे और नुकसान (ginger benefits and side effects)की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप अदरक के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए अदरक का सेवन करने या अदरक का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

 

अदरक कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Ginger Found or Grown?)

 

Ginger plant benefits and side effects

अदरक की खेती पूरे भारत में की जाती है।

अदरक से जुड़े कुछ अक्सर पूछे जाने सवाल (FAQ related to Ginger in Hindi)

1- क्या अदरक के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है?

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, अदरक में कई ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने में मदद करते हैं इसलिए सर्दियों के मौसम में और मौसम में बदलाव के दौरान होने वाले रोगों (जैसे कि सर्दी-जुकाम) से बचाव के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक सीमित मात्रा में अदरक के सेवन की सलाह देते हैं इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी भी रोग के घरेलू उपाय के रूप में अदरक का सेवन सीमित मात्रा में ही करें क्योंकि अधिक मात्रा का सेवन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है

2- क्या अस्थमा के मरीजों के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद है? 

अस्थमा के मरीजों में सांस से जुड़ी तकलीफ का एक मुख्य कारण कफ का जमाव है और अदरक में कफ को शांत करने वाले गुण होते हैं विशेषज्ञों के अनुसार अगर अदरक के रस का सेवन शहद के साथ मिलाकर किया जाये तो यह अस्थमा के लक्षणों को कम करने में काफी प्रभावी है क्योंकि अदरक और शहद दोनों ही कफ को शांत करने में मदद करते है। 

3- सर्दियों के मौसम में अदरक का सेवन कैसे करें?

सर्दी के मौसम में आप अदरक का उपयोग कई तरीकों से कर सकते है। आप चाहें तो अदरक की चाय या चटनी बना सकते हैं या फिर आप अदरक के रस को शहद में मिलाकर खा सकते हैं.  इसके अलावा रोजाना घर में बनने वाली सब्जी में भी अदरक की थोड़ी सी मात्रा मसाले के रूप में डाल सकते हैं।

4- कफ दूर करने के लिए अदरक का उपयोग कैसे करें?

जाड़ों में कफ बढ़ना एक आम समस्या है. कफ के कारण बार- बार खाँसी होती है और गले में भी जकड़न बनी रहती है। कफ से जुड़ी इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप अदरक के रस का उपयोग शहद के साथ मिलाकर करें. 

 

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