शुकनासा (Shuknasa) को कड़वी नायकन्द या कड़वी नाही भी कहते हैं। शुकनासा की लता वर्षा के मौसम में बहुत तेजी से फैलती है। आपने कई वृक्षों पर शुकनासा की लता को जरूर देखा होगा, लेकिन जानकारी नहीं होने के कारण शुकनासा के फायदे नहीं ले पाते होंगे। सच यह है कि शुकनासा के सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है। क्या आप जानते हैं कि शुकनासा के कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि शुकनासा एक जड़ी-बूटी भी है, और पेट संबंधी रोग, पेट में कीड़े होने पर, सूजन की समस्या और घाव में शुकनासा के इस्तेमाल से फायदे (Shuknasa benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, रक्त विकार, खांसी और सांसों के रोगों में भी शुकनासा (कड़वी नाई) के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में शुकनासा के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए बहुत जरूरी है। आप त्वचा विकार, सिफलिस, गठिया आदि में शुकनासा के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप दस्त, डायबिटीज और विष आदि के प्रभाव को कम करने के लिए शुकनासा शुकनासा से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां जानते हैं कि आप शुकनासा के सेवन से कितनी सारी बीमारियों में फायदे ले सकते हैं, साथ ही यह भी जानते हैं कि शुकनासा से नुकसान (Shuknasa side effects) क्या-क्या हो सकता है।
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शुकनासा को कड़वी नायकन्द या कड़वी नाही भी कहते हैं। इसकी लता वर्षा-ऋतु में जमीन पर एवं वृक्षों पर बड़ी जल्दी से फैलती है। इसके फल प्रवाल जैसे लाल रंग के होते हैं। इसकी लता में सुतली जैसी दो धारी वाली कई पतली धाराएं होती हैं। ये धाराएं हरी एवं चमकीली होती हैं। इसके तने पतले, खांच-युक्त, टेढ़ा-मेढ़ा, अरोमिल होते हैं। इसके पत्ते तिकोने या पंचकोणयुक्त, नोकदार होते हैं। पत्तों के किनारे तीक्ष्ण रोमों से युक्त होते हैं। इसके फूल हरे-पीले रंग के, छोटे-छोटे, गुच्छों में होते हैं।
इसके फल डंठलयुक्त, अण्डाकार अथवा नुकीले अण्डाकार, 9 मिमी लम्बे होते हैं। इसका मध्य-भाग गहरे लाल रंग का होता है। फल के गूदे के अन्दर छोटे-छोटे, नारंगी रंग के बीज होते हैं। इसकी जड़ बड़ी, कंदिल, शलजम के आकार की होती है। इसमें फूल एवं फल अगस्त से नवम्बर तक होता है।
यहां शुकनासा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Shuknasa benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप शुकनासा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए शुकनासा का सेवन करने या शुकनासा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।
शुकनासा का वानस्पतिक नाम Corallocarpus epigaeus (Rottler) C.B. Clarke (कोरेलोकार्पस एपिजीऍस्) Syn-Bryonia epigaea Rottl. & Willd. है और यह Cucurbitaceae (कुकुरबिटेसी) का है। शुकनासा को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-
Shuknasa in –
शुकनासा के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
कड़वी नाई का कंद तिक्त, पिच्छिल, विरेचक, कृमिनाशक, विषनाशक, शोथहर, वामक, व्रणशोधक, विषघ्न, परिवर्तक तथा रक्तशोधक होता है। इसके फल तीक्ष्ण, विरेचक तथा वामक होते हैं। शुकनासा के मूल का प्रयोग फिरंगजन्य आमवात, प्रवाहिका की अन्तिम अवस्था एवं चिरकालीन श्लेष्म-युक्त आंत्रशोथ की चिकित्सा में किया जाता है। शुकनासा की कन्द का ऐथेनॉल सार स्टैरॉयडजननरोधी (Anti-steroidogenic) क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है। शुकनासा की मूल तथा कन्द का एल्कोहॉलिक तथा जलीय सार कृमिघ्न क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है।
शुकनासा के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
1 ग्राम कटुनाही पंचांग को कूटकर रात भर के लिए जल में डाल दें। सुबह मसल-छान लें। इसे पीने से डायबिटीज और डायबिटीज के कारण होने वाले रोगों में लाभ होता है।
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कड़वी नाई के 1-2 ग्राम कंद को पीसकर पिलाएं। इससे उल्टी होने लगती है। इससे शरीर के दोष बाहर निकल जाते हैं। इससे रक्त-विकार के कारण होने वाले महाकुष्ठ, फोड़े, कील-मुंहासे, खुजली, घाव आदि त्वचा विकारों में लाभ होता है।
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कड़वी नाई के कंद को पीसकर थोड़ा नमक मिला लें। इसे लगाने से कील-मुंहासों की समस्या में लाभ होता है।
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कड़वी नाई के कंद को पीसकर सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन का इलाज होता है।
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1-2 ग्राम कन्द के चूर्ण में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिला लें। इसे सुबह और शाम खिलाने से गंभीर बुखार में लाभ होता है।
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जिस अंग पर सांप ने काटा हो, वहां पर कड़वी नाई के कंद को पीसकर लगाएं। इससे सांप के काटने से होने वाला दर्द, जलन आदि विषाक्त प्रभाव ठीक होते हैं।
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शुकनासा के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
शुकनासा को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
कंद चूर्ण- 1-2 ग्राम
शुकनासा से ये नुकसान हो सकता हैः-
इसे अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी होने की संभावना रहती है।
यहां शुकनासा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Shuknasa benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप शुकनासा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए शुकनासा का सेवन करने या शुकनासा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
शुकनासा विश्व में उष्णकटिबंधीय अफ्रिका, पाकिस्तान, श्रीलंका एवं बलूचिस्तान में प्राप्त होता है। भारत में पंजाब, सिंध, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक के सूखे भागों एवं दक्कन प्रायद्वीप के अन्य क्षेत्रों में शुकनासा का पौधा मिलता है।
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