ककड़ी (Erwaru) सभी लोग खाते हैं। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो ककड़ी का सेवन नहीं करता होगा। दरअसल ककड़ी के सेवन से इतना अधिक लाभ होता है कि जब ककड़ी बाजार में बिक्री के लाई आती है तो लोग ककड़ी पर टूट पड़ते हैं। आप ये तो जानते हैं कि ककड़ी का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ककड़ी के कई सारे औषधीय गुण भी हैं। क्या आप यह जानते हैं कि ककड़ी एक जड़ी-बूटी भी है, और मूत्र रोग, कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों में ककड़ी के इस्तेमाल से फायदे (Erwaru benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, पथरी, मुंहासे आदि समस्याओं में भी ककड़ी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में ककड़ी के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए बहुत जरूरी है। आप चेहरे पर रौनक लाने के लिए ककड़ी के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप मूत्र रोग संबंधी परेशानियों जैसे पेशाब का रुक-रुक कर होना, पेशाब में दर्द होना, पेशाब में जलन होने पर भी ककड़ी से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि ककड़ी के सेवन से आप किन-किन बीमारियों में फायदा ले सकते हैं, साथ ही यह भी जानते हैं कि ककड़ी से नुकसान (Erwaru side effects) क्या-क्या हो सकता है।
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आयुर्वेदीय ग्रंथ में ककड़ी के कई भेदों के बारे में बताया गया है। पकी हुई ककड़ी प्यास अत्यधित प्यास को खत्म करती है। इसका अधिक सेवन करने से यह वात दोष का कारण बन सकती है। यह पेशाब में दर्द होना, पेशाब रुक-रुक कर आना, पथरी, शरीर की जलन, बेहोशी और रक्तविकार में फायदेमंद होती है।
यहां ककड़ी के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Erwaru benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप ककड़ी के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए ककड़ी का सेवन करने या ककड़ी का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।
ककड़ी का वानस्पतिक नाम Cucumis melo var.utilissimus Duthie & Fuller (कुकुमिस मेलो) Syn-Cucumis utilissimus Roxb. है, और यह Cucurbitaceae (कुकुरबिटेसी) कुल की है। ककड़ी को देश-विदेश में अनेक नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-
Erwaru in –
ककड़ी के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
ककड़ी पित्तवर्धक, वातवर्धक, अग्निवर्धक, मूत्रल; उष्ण, क्लमनाशक, दाहनिवारक तथा बलकारक होती है। ककड़ी मधुर, तिक्त; शीत; गुरु, रूक्ष, कफपित्तशामक, ग्राही, रुचिकारक, मूत्रल, विष्टम्भि, अभिष्यन्दि, दीपन, अतिसार में हितकर, पाचक तथा तृप्तिकारक होती है। ककड़ी के पत्ते प्रसेक एवं क्लेद नाशक होते हैं। कोमल ककड़ी लघु, कटु, मधुर, अत्यन्त मूत्रल, शीतल तथा रूक्ष होती है।
ककड़ी के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
ककड़ी के ताजे फलों के टुकड़ों को आंखों पर लगाएं। इसे रखने से आंखों का दर्द ठीक होता है। अन्य तरीके से उपयोग के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
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पोई-शाक, सरसों, नीम, केला, कर्कारु तथा ककड़ी के क्षार जल में तिल के तेल को पका लें। इसमें सेंधा नमक डालकर प्रभावित स्थान पर मालिश करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
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ककड़ी के 5 ग्राम बीजों को पीस लें। इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 50 मिली जल में घोल लें। इसे पिलाने से पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।
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5 ग्राम कर्कटी (ककड़ी) की जड़ को 100 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से गर्भवती महिलाओं को होने वाले दर्द से आराम मिलता है।
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ककड़ी फल के रस को मुंह पर लगाएं। इससे कील-मुंहासे आदि दूर होते हैं।
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ककड़ी फल के रस को मुंह पर लगाएं। इसे चेहरे पर लगाने से चेहरे का रंग निखर जाता है।
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ककड़ी के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
ककड़ी को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
बीज 3-6 ग्राम
शीत प्रधान गुण होने से ककड़ी का सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। इसका अधिक सेवन करने से यह वात दोष का कारण बन सकती है।
यहां ककड़ी के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Erwaru benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप ककड़ी के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए ककड़ी का सेवन करने या ककड़ी का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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