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सूरजमुखी फूल की खास बात ये है कि यह फूल सूरज के चारो तरफ घुमती है यानि जिस-जिस ओर सूर्य घुमता है,इसलिए इसका नाम सूरजमुखी है। सूरजमुखी एक प्रमुख तिलहन है। सूरजमुखी का तेल सूरजमुखी के बीज से बनता है जिसके गुण अनगिनत हैं। सुरजमुखी का फूल देखने में तो आकर्षक होता है लेकिन इसमें कोई सुवास नहीं होता है। सूरजमुखी के बीज में विटामिन बी1, बी3, बी6, मैग्निशियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन जैसे बहुत सारे पोषक तत्व हैं। इसलिए सूरजमुखी का प्रयोग आयुर्वेद में कई तरह के दवाईयों के लिए किया जाता है। चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं।
सूर्यमुखी पञ्चाङ्ग के एल्कोहल सत्त् में कैंसर-विरोधी-गुण पाई जाती है। यह पाचन में सहायक तथा विशेषत केंचुओं का नाशक और वातदोष को कम करने वाली है। सूरजमुखी की जड़ मूत्र संबंधी बीमारी में फायदेमंद होने के साथ-साथ दर्दनिवारक के रुप में भी काम करते हैं।
इसके फूल कड़वे और ठंडे तासीर के होते हैं। यह कृमिनाशक, कामोत्तेजक, सूजन, कुष्ठ, व्रण या अल्सर, सांस संबंधी समस्या, मूत्रमार्गगत असामान्य स्राव, पाण्डु या एनीमिया, तंत्रिकाशूल या नर्व में दर्द, लीवर की बीमारी, फेफड़े में सूजन, आँख की बीमारी, किडनी की बीमारी, कृमि, बुखार, अर्श या पाइल्स में लाभप्रद होते हैं। इसके बीज मधुर, उत्तेजक, मूत्रल कफनिसारक, दुर्बलता दूर करने वाली, रतिज दुर्बलता, प्रवाहिका, कास, प्रतिश्याय तथा बिन्दुमूत्रकृच्छ्र में लाभप्रद होते हैं। इसके पत्र वामक, कफनिसारक तथा वातानुलोमक होते हैं।
सूरजमुखी का वानस्पतिक नाम Helianthus annuus Linn. (हेलिऐन्थस ऐनुअस) Syn-Helianthus indicus Linn है। सूरजमुखी Asteraceae (ऐस्टरेसी) कुल का होता है। सूरजमुखी को अंग्रेजी में Sunflower (सनफ्लॉवर) कहते हैं। भारत के भिन्न-भिन्न प्रांतों में सूरजमुखी को विभिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे-
Sanskrit-सूर्यमुखी;
Hindi-सूरजमुखी, सुर्जमुखी;
Urdu-सुरजमुखी (Surajamukkhi);
Assamese-बेलीफूल (Beliphul);
Konkani-जीरासोल (Jirasol), सूरियाकमल (Suriakamal);
Kannada-आदित्यभक्ति (Adityabhakti), सूर्यकान्थी हूवु (Suryakanthi huvu);
Gujrati-सुमुखी (Sumukhi), सूरजमुखी (Surajmukhi);
Tamil-कुरियाकांति (Curiyakanti), सूर्या कान्ति (Suryakanti);
Telegu-आदित्यभक्ति चेट्टू (Adityabhakti chettu);
Bengali-शूरियामुक्ति (Shuriamukti), सूरजमूखी (Surajmukhi);
Marathi-सूर्यफूला (Suryaphula), ब्राहमोका (Brahmoka), सूरजमुखा (Surajmuka);
Malayalam-सूर्यकान्ति (Suryakanti)।
English-मिरासोल (Mirasol), कॉमन सनफ्लावर (Common sunflower);
Arbi-अर्जीवान (Arzivana);
Persian-आफताबी (Aftabi), गुलीआफताब (Guliaftab)।
सूरजमुखी के जड़, पत्ता, फूल और बीज के इतने सारे पौष्टिक गुण हैं कि आयुर्वेद में सूरजमुखी को औषधी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चलिये जानते हैं कि सूरजमुखी किन-किन बीमारियों के लिए औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
अगर दांत दर्द से परेशान रहते हैं तो सूरजमुखी के जड़ को पीसकर दांतों पर मलने से दांत का दर्द कम होता है।
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अगर सर्दी-खांसी या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर कान में दर्द होता है तो सनफ्वार से इस तरह से इलाज करने पर आराम मिलता है।
-सूरजमुखी पत्र कल्क एवं स्वरस से सिद्ध तेल को 1-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द एवं पूतिकर्ण में लाभ होता है। (इसका पत्र स्वरस अकेला भी प्रयोग किया जा सकता है।)
-सूरजमुखी पत्र स्वरस में थोड़ा सा त्रिकटु (सोंठ, काली मिर्च, पीपल) चूर्ण मिलाकर गुनगुनाकर, छानकर एक से दो बूंद कान में डालने से कान दर्द तथा कर्णस्राव आदि कर्ण विकारों का शमन होता है।
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सूरजमुखी का जड़ और लहसुन दोनों को पीसकर, गले पर लेप करने से गलगंड या घेंघा में लाभ होता है।
अगर खाने-पीने में गड़बड़ी होने के कारण पेट में दर्द हो रहा है तो सूरजमुखी के फूलों के रस की दस बूंदे दूध में डालकर पिलाने से पेट दर्द तथा आध्मान या अपच में लाभ होता है।
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सूरजमुखी के बीजों के तेल की एक बूंद नाभि में गिराने से रेचन क्रिया होकर पेट साफ हो जाता है।
बच्चों को विशेष रुप से पेट के कृमि की समस्या सबसे ज्यादा होती है। उनको सूरजमुखी का सेवन इस तरह से कराने पर लाभ होता है।
-1 से 3 ग्राम की मात्रा में सूरजमुखी के बीज खिलाने से पेट की कृमि निकल जाती है।
-1½-3 ग्राम बीज चूर्ण में शक्कर मिलाकर दिन में दो बार दो दिन तक देते हैं और तीसरे दिन एरंड तेल का विरेचन देते हैं, पेट की कृमि निकालने में आसानी होती है।
और पढ़े – उपदंश में शालाकी के फायदेअगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें सूरजमुखी का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।
3 ग्राम सूरजमुखी बीज चूर्ण लेकर, उसमें 3 ग्राम शक्कर मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम खाने से अर्श में लाभ होता है मगर आहार में घी, खिचड़ी और छाछ का ही प्रयोग करना चाहिए।
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आजकल के प्रदूषित खाद्द, पैकेज़्ड फूड और असंतुलित आहार के सेवन का फल पथरी की समस्या है। 2 ग्राम सूरजमुखी के जड़ को गाय के दूध में पीसकर पिलाने से अश्मरी या पथरी टूटकर निकल जाती है।
अगर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण वैजाइना में दर्द या जलन हो रहा है तो सूरजमुखी के जड़ को चावल के मांड में घिसकर योनि में लगाने से योनि यानि वैजाइना का जलन कम होता है।
सूरजमुखी के पत्तों को पीसकर उपदंशज वाले घाव में लगाने से जल्दी सूख जाता है।
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3 ग्राम सूरजमुखी के बीजों को 200 मिली दूध में उबालकर मिश्री मिलाकर पीने से कामशक्ति बढ़ती है।
अगर लंबे समय तक बैठकर काम करने के कारण कमर में दर्द हो रहा है तो सूरजमुखी के पत्तों को पीसकर कमर पर लगाने से कमर का दर्द कम होता है।
आजकल के तरह-तरह के नए-नए कॉज़्मेटिक प्रोडक्ट के दुनिया में त्वचा रोग होने का खतरा भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। सुरजमुखी के द्वारा बनाये गए घरेलू उपाय चर्म या त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं। सूरजमुखी के तेल में कपूर मिलाकर खुजली में लगाने से लाभ होता है।
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अगर काम के तनाव के कारण अक्सर आपको सिर में दर्द होता है तो सूरजमुखी का प्रयोग इस तरह से करने पर
सूरजमुखी के पत्तों के रस में ही इसके बीजों को पीसकर मस्तक पर दो तीन दिन तक लेप करने से, सिरदर्द कम होता है।
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सूरजमुखी के पत्तों का काढ़ा बनाकर अल्सर के घाव को धोने से लाभ होता है।
अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में सुरजमुखी बहुत मदद करती है।
-सूरजमुखी मूल का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से बुखार कम होता है।
-इसकी जड़ को कान में बाँधने से ज्वर छूट जाता है।
-सूरजमुखी के पत्ते और काली मिर्च को समभाग पीसकर काली मिर्च के बराबर गोलियां बना लें। इन गोलियों में से 1-1 गोली तीन दिन तक सुबह, दोपहर तथा शाम देने से शीतज्वर में लाभ होता है।
-20-30 मिली पत्ते के काढ़े को दिन में दो बार पिलाने से पैराटायफॉयड (मोतीझरा) ज्वर में लाभ होता है।
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सुरजमुखी का औषधीय गुण अस्थमा के कष्ट से राहत दिलाने में मदद करता है। सूरजमुखी पञ्चाङ्ग चूर्ण में त्रिकटु मिलाकर सेवन करने से तथा बाद में चावल तथा घी खिलाने से सांस संबंधी रोग या अस्थमा में लाभ होता है।
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सूरजमुखी के बीजों को अंकुरित कर खाया जा सकता है, इससे कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है।
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आयुर्वेद में सूरजमुखी के जड़, पत्ता, फूल एवं बीज का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
बीमारी के लिए सूरजमुखी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए सूरजमुखी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सूरजमुखी का रस 10-20 मिली या 5-10 मिली तेल का सेवन कर सकते हैं।
सूरजमुखी भारतवर्ष में लगभग सभी जगह पाये जाते हैं। सूरजमुखी के पौधे रोग उत्पन्न करने वाली आर्द्र तथा दुर्गन्धयुक्त वायु का शोषण करने की क्षमता रखते हैं। पृथ्वी से जो विष समान भाप उड़कर संक्रामक ज्वर के रूप से देश भर में फैलती है, उस विष रूपी भाप को सोखने की क्षमता सूरजमुखी के पौधे में है। इसके पौधे लगाने से वायु शुद्ध होती है तथा मलेरिया, संधिवात या अर्थराइटिस तथा आर्द्रता से उत्पन्न होने वाली बीमारियां नष्ट हो जाती हैं।
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