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क्या आपको पता है कि अग्नितुंडी वटी (agnitundi vati in hindi) क्या है? यह एक औषधि है जिसका प्रयोग अनेक रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में यह अग्नितुंडी वटी सबसे अच्छी पाचक दवा मानी गयी है। अग्नितुंडी वटी भूख को बढ़ाती है, पाचनतंत्र को ठीक करती है और पेट की गैस की समस्या से आराम दिलाती है।
सदियों से आयुर्वेदाचार्य अग्नितुंडी वटी के इस्तेमाल से रोगों को ठीक (agnitundi vati in hindi) करने का काम कर रहे हैं। आप भी अग्नितुंडी वटी का इस्तेमाल कर रोगों में लाभ पा सकते है। आइए जानते हैं कि अग्नितुंडी वटी का प्रयोग किन-किन बीमारियों में किया जा सकता है।
अग्नितुंडी वटी एक आयुर्वेदिक औषधि (agnitundi vati in hindi) है जिसे कई जड़ी-बूटियों को मिला करके बनाया जाता है। यह दवा अनेक रोगों में काम आती है। यह शरीर में स्फूर्ति लाती है, थकान (Exertion) दूर करती है। शरीर के विभिन्न अंगों को सक्रिय करती है और पेट के रोगों को ठीक करती है। पाचन शक्ति को बढाने के लिए यह पतंजलि द्वारा दी जाने वाली यह एक प्रमुख औषधि (agnitundi vati benefits) है।
आप अग्नितुंडी वटी का प्रयोग कई रोगों को ठीक करने के लिए कर सकते हैं, जो ये हैंः-
अग्नितुंडी वटी भूख बढ़ाने के लिए बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है। जो लोग भूख ना लगने की समस्या से परेशान रहते हैं वे अग्नितुंडी वटी का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें इससे फायदा होगा।
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पाचनतंत्र की बीमारी कई अन्य रोगों के जन्म का कारण बन सकती है। अगर आप भी पाचनतंत्र विकास से ग्रस्त हैं तो आपको अग्नितुंडी वटी का सेवन करना चाहिए। यह पाचनतंत्र को ठीक करने का काम करती है।
प्रायः छोटे बच्चों को पेट के कीड़े की समस्या हो जाती है। कई बार वयस्क लोगों को भी ऐसी परेशानी हो जाती है। ऐसे में अग्नितुंडी वटी से राहत मिल सकती है।
आप थोड़ी भी मेहनत का काम करते हैं और इससे आपको थकान हो जाती है तो शायद आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं। शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए आपको अग्नितुंडी वटी का सेवन करना चाहिए। यह कमजोरी को दूर कर शरीर में बल (agnitundi vati benefits) देती है।
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पेट में गैस होना आज एक आम बीमारी है। बहुत सारे लोग इस बीमारी से परेशान रहते हैं। आप पेट की गैस की समस्या में अग्नितुंडी वटी का सेवन करेंगे तो आपको लाभ मिलेगा।
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अग्नितुंडी वटी के सेवन से आपका ह्रदय स्वस्थ रहता है और ह्रदय से जुड़े कई विकार ठीक (agnitundi vati uses) हो जाते हैंं।
पेट के दर्द में भी अग्नितुंडी वटी लाभ पहुंचाती है। अगर आप पेट की गैस या अन्य किसी कारण से पेट के दर्द से परेशान (agnitundi vati benefits) रहते हैं तो अग्नितुंडी वटी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
कई लोगों को स्वप्न दोष होने की शिकायत रहती है। अग्नितुंडी वटी स्वप्न दोष की परेशानी को भी ठीक करने में मदद पहुंचाती है।
अग्नितुंडी वटी उम्र के कारण आने वाली लिंग के तनाव में कमी में भी फायदेमंद होती है। आप अग्नितुंडी वटी के सेवन से लिंग के तनाव की समस्या में लाभ (agnitundi vati benefits) पा सकते हैं।
इन लोगों को अग्नितुंडी वटी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिएः-
अग्नितुंडी वटी का प्रयोग चिकित्सक की निगरानी में ही करें।
अग्नितुंडी वटी का उपयोग इतनी मात्रा में करना चाहिएः-
125-250 मिली ग्राम
अनुपान- नीबू पानी, गर्म पानी
अग्नितुंडी वटी के उपयोग (agnitundi vati uses) के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है-
अग्नितुण्डी वटी (अग्निमाद्य)
शुद्धसूतं विषं गन्धमजमोदां फलत्रयम् ।
स्वर्ज्जिक्षारं यवक्षारं वह्निसैन्धवजीरकम् ।।
सौवर्चलं विडङ्गानि सामुद्रं टङ्कणं समम् ।
विषमुष्टिं सर्वतुल्यं जम्बीराम्लेन मर्दयेत् ।।
मरिचाभां वटीं खादेदग्निमाद्यप्रशान्तये ।। – भैषज्य रत्नावली 9/175-178
आप इन घटकों से अग्नितुंडी वटी बना सकते हैंः-
क्र.सं. | घटक द्रव्य | उपयोगी हिस्सा | अनुपात |
1. | शुद्ध सूत (पारद) (Mercury) | 1 भाग | |
2. | शुद्ध गन्धक (Sulphur) | 1 भाग | |
3. | मीठा विष (शुद्ध वत्सनाभ) Aconitum ferox Wallex Seringe.) | कन्द | 1 भाग |
4. | अजमोदा (Carum Roxburghianum (DC) Craib.) | फल | 1 भाग |
5. | हरीतकी (Terminalia chebula Retz.) | फल | 1 भाग |
6. | बिभीतकी (Terminalia bellirica Roxb.) | फल | 1 भाग |
7. | आमलकी ( Emblica officinalis Gaertn.) | फल | 1 भाग |
8. | स्वर्जिक्षार | 1 भाग | |
9. | यवक्षार (यव) पंचांग | 1 भाग | |
10. | वह्नि (चित्रक) (Plumbago zeylanica Linn.) | मूल | 1 भाग |
11. | सैंधव लवण | 1 भाग | |
12. | जीरक (श्वेत जीरक) ( Cuminum cyminum Linn.) | फल | 1 भाग |
13. | सौवर्चल लवण | 1 भाग | |
14. | विडङ्ग (Embelica ribes Burm.f.) | फल | 1 भाग |
15. | सामुद्र लवण | 1 भाग | |
16. | शुद्ध टंकण | 1 भाग | |
17. | शुद्ध विषमुष्टि बीज | बीज | 1 भाग |
18. | जम्बीराम्ल (जम्बीरी नींबू) ( Citrus Limon (Linn.) Burm.f.) | फल | Q.S मर्दनार्थ |
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