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अग्नितुंडी वटी के फायदे, खुराक और उपयोग : Agnitundi Vati Benefits, Doses and Uses

Contents

अग्नितुंडी वटी का परिचय (Introduction of Agnitundi Vati)

क्या आपको पता है कि अग्नितुंडी वटी (agnitundi vati in hindi) क्या है? यह एक औषधि है जिसका प्रयोग अनेक रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में यह अग्नितुंडी वटी सबसे अच्छी पाचक दवा मानी गयी है। अग्नितुंडी वटी भूख को बढ़ाती है, पाचनतंत्र को ठीक करती है और पेट की गैस की समस्या से आराम दिलाती है।

सदियों से आयुर्वेदाचार्य अग्नितुंडी वटी के इस्तेमाल से रोगों को ठीक (agnitundi vati in hindi) करने का काम कर रहे हैं। आप भी अग्नितुंडी वटी का इस्तेमाल कर रोगों में लाभ पा सकते है। आइए जानते हैं कि अग्नितुंडी वटी का प्रयोग किन-किन बीमारियों में किया जा सकता है।

अग्नितुंडी वटी क्या है? (What is Agnitundi Vati?)

अग्नितुंडी वटी एक आयुर्वेदिक औषधि (agnitundi vati in hindi) है जिसे कई जड़ी-बूटियों को मिला करके बनाया जाता है। यह दवा अनेक रोगों में काम आती है। यह शरीर में स्फूर्ति लाती है, थकान (Exertion) दूर करती है। शरीर के विभिन्न अंगों को सक्रिय करती है और पेट के रोगों को ठीक करती है। पाचन शक्ति को बढाने के लिए यह पतंजलि द्वारा दी जाने वाली यह एक प्रमुख औषधि (agnitundi vati benefits) है।

अग्नितुंडी वटी के फायदे (Agnitundi Vati Benefits and Uses)

आप अग्नितुंडी वटी का प्रयोग कई रोगों को ठीक करने के लिए कर सकते हैं, जो ये हैंः-

भूख बढ़ाने के लिए करें अग्नितुंडी वटी का सेवन (Agnitundi Vati Benefits for Increasing Appetite in Hindi)

अग्नितुंडी वटी भूख बढ़ाने के लिए बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है। जो लोग भूख ना लगने की समस्या से परेशान रहते हैं वे अग्नितुंडी वटी का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें इससे फायदा होगा।

और पढ़ें : भूख बढ़ाने के लिए करें जीरा का उपयोग

पाचनतंत्र विकार में अग्नितुंडी वटी का प्रयोग लाभदायक (Agnitundi Vati Uses in Indigestion in Hindi)

पाचनतंत्र की बीमारी कई अन्य रोगों के जन्म का कारण बन सकती है। अगर आप भी पाचनतंत्र विकास से ग्रस्त हैं तो आपको अग्नितुंडी वटी का सेवन करना चाहिए। यह पाचनतंत्र को ठीक करने का काम करती है।

और पढ़ें : पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए करें छाछ का सेवन

पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए करें अग्नितुंडी वटी का इस्तेमाल (Uses of Agnitundi Vati to kill Abdominal worms in Hindi)

प्रायः छोटे बच्चों को पेट के कीड़े की समस्या हो जाती है। कई बार वयस्क लोगों को भी ऐसी परेशानी हो जाती है। ऐसे में अग्नितुंडी वटी से राहत मिल सकती है।

अग्नितुंडी वटी से दूर होती है शारीरिक कमजोरी (Benefits of Agnitundi Vati for Body Weakness in Hindi)

आप थोड़ी भी मेहनत का काम करते हैं और इससे आपको थकान हो जाती है तो शायद आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं। शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए आपको अग्नितुंडी वटी का सेवन करना चाहिए। यह कमजोरी को दूर कर शरीर में बल (agnitundi vati benefits) देती है।

और पढ़ें : शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए करें अश्वगंधा का प्रयोग

पेट की गैस की समस्या में अग्नितुंडी वटी से फायदा (Agnitundi Vati Benefits for Acidity in Hindi)

पेट में गैस होना आज एक आम बीमारी है। बहुत सारे लोग इस बीमारी से परेशान रहते हैं। आप पेट की गैस की समस्या में अग्नितुंडी वटी का सेवन करेंगे तो आपको लाभ मिलेगा।

और पढ़ें : गैस और एसिडिटी की समस्या से आराम दिलाते हैं ये घरेलू नुस्खे

ह्रदय को स्वस्थ बनाने के लिए करें अग्नितुंडी वटी का सेवन (Agnitundi Vati is Beneficial for Heart in Hindi)

अग्नितुंडी वटी के सेवन से आपका ह्रदय स्वस्थ रहता है और ह्रदय से जुड़े कई विकार ठीक (agnitundi vati uses) हो जाते हैंं।

पेट के दर्द में अग्नितुंडी वटी से लाभ (Agnitundi Vati Uses in Abdominal Pain Treatment in Hindi)

पेट के दर्द में भी अग्नितुंडी वटी लाभ पहुंचाती है। अगर आप पेट की गैस या अन्य किसी कारण से पेट के दर्द से परेशान (agnitundi vati benefits) रहते हैं तो अग्नितुंडी वटी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

और पढ़ें : पेट दर्द से आराम दिलाते हैं ये घरेलू नुस्खे

स्वप्न दोष में अग्नितुंडी वटी से फायदा (Agnitundi Vati is Beneficial for Night Fall Problem in Hindi)

कई लोगों को स्वप्न दोष होने की शिकायत रहती है। अग्नितुंडी वटी स्वप्न दोष की परेशानी को भी ठीक करने में मदद पहुंचाती है।

लिंग के ढीलेपन की समस्या में अग्नितुंडी वटी से लाभ (Agnitundi Vati Benefits in Fighting with Erectile dysfunction in Hindi)

अग्नितुंडी वटी उम्र के कारण आने वाली लिंग के तनाव में कमी में भी फायदेमंद होती है। आप अग्नितुंडी वटी के सेवन से लिंग के तनाव की समस्या में लाभ (agnitundi vati benefits) पा सकते हैं।

किसे अग्नितुंडी वटी का प्रयोग नहीं करना चाहिए (Who should not use Agnitundi Vati)

इन लोगों को अग्नितुंडी वटी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिएः-

  • बच्चों द्वारा और गर्भावस्था में इसे नहीं लेना चाहिए।
  • इसका लगातार प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप में भी इसका प्रयोग न करें।

अग्नितुंडी वटी का प्रयोग चिकित्सक की निगरानी में ही करें।

अग्नितुंडी वटी की खुराक (Doses of Agnitundi Vati)

अग्नितुंडी वटी का उपयोग इतनी मात्रा में करना चाहिएः-

125-250 मिली ग्राम

अनुपान- नीबू पानी, गर्म पानी

आयुर्वेद में अग्नितुंडी वटी के बारे में उल्लेख (Agnitundi Vati in Ayurveda)

अग्नितुंडी वटी के उपयोग (agnitundi vati uses) के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है-

अग्नितुण्डी वटी (अग्निमाद्य)

शुद्धसूतं विषं गन्धमजमोदां फलत्रयम् ।

स्वर्ज्जिक्षारं यवक्षारं वह्निसैन्धवजीरकम् ।।

सौवर्चलं विडङ्गानि सामुद्रं टङ्कणं समम् ।

विषमुष्टिं सर्वतुल्यं जम्बीराम्लेन मर्दयेत् ।।

मरिचाभां वटीं खादेदग्निमाद्यप्रशान्तये ।। – भैषज्य रत्नावली 9/175-178

अग्नितुंडी वटी बनाने के लिए उपयोगी घटक (Composition of Agnitundi Vati)

आप इन घटकों से अग्नितुंडी वटी बना सकते हैंः-

क्र.सं.

घटक द्रव्य

उपयोगी हिस्सा

अनुपात

1.

शुद्ध सूत (पारद) (Mercury)

1 भाग

2.

शुद्ध गन्धक (Sulphur)

1 भाग

3.

मीठा विष (शुद्ध वत्सनाभ) Aconitum ferox Wallex Seringe.)

कन्द

1 भाग

4.

अजमोदा (Carum Roxburghianum (DC) Craib.)

फल

1 भाग

5.

हरीतकी (Terminalia chebula Retz.)

फल

1 भाग

6.

बिभीतकी (Terminalia bellirica Roxb.)

फल

1 भाग

7.

आमलकी ( Emblica officinalis Gaertn.)

फल

1 भाग

8.

स्वर्जिक्षार

1 भाग

9.

यवक्षार (यव) पंचांग

1 भाग

10.

वह्नि (चित्रक) (Plumbago zeylanica Linn.)

मूल

1 भाग

11.

सैंधव लवण

1 भाग

12.

जीरक (श्वेत जीरक) ( Cuminum cyminum Linn.)

फल

1 भाग

13.

सौवर्चल लवण

1 भाग

14.

विडङ्ग (Embelica ribes Burm.f.)

फल

1 भाग

15.

सामुद्र लवण

1 भाग

16.

शुद्ध टंकण

1 भाग

17.

शुद्ध विषमुष्टि बीज

बीज

1 भाग

18.

जम्बीराम्ल (जम्बीरी नींबू) ( Citrus Limon (Linn.) Burm.f.)

फल

Q.S मर्दनार्थ

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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