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Shallaki: शालाकी के हैं कई जादुई लाभ – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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शालाकी का परिचय (Introduction of Shallaki)

शालाकी (sallaki) एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी है, जिसका प्रयोग रोगों को ठीक करने में किया जाता है। शालाकी (sallaki) के पेड़ की छाल, राख के रंग की होती है और इसके पत्ते नीम के पत्ते की तरह होते हैं। प्रायः आयुर्वेद डॉक्टर शालाकी का प्रयोग जोड़ों के दर्द और सूजन की परेशानी को ठीक करने के लिए किया करते हैं। इसके अलावा भी शालाकी का इस्तेमाल अन्य कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार, शालाकी (shallaki) पचने पर आसान, स्वाद में तीखा, कड़वा और कसैला होता है। यह वात, पित्त, कफ को ठीक करने वाला है। यह टूटी हुई हड्डियों को जोड़ता है और दर्द, जलन, प्रदर, अनपच, कब्ज तथा बवासीर रोग में लाभकारी होता है। घाव, मोटापा, योनि विकार, खून की गर्मी, और पेचिश में भी उपयोगी (punarnava mandur benefits) होता है। शालाकी के प्रयोग सूजन और दर्द को ठीक करते हैं।

शालाकी क्या है (What is Shallaki?)

इसके पत्तों को हाथी बड़े चाव से खाते हैं, इसलिए इसे गजभक्ष्या भी कहते हैं। यह (Shallaki Plant) लगभग 18 मीटर तक ऊँचा, मंझोले से बड़े आकार का होता है। यह फैली हुई शाखाओं और ढेर सारे पत्तों वाला पेड़ है। इसका तना गोंदयुक्त और छाल धूसर, चिकनी और पतली होती है। छाल लालिमायुक्त पीली या हरा रंग लिए सफेद रंग की तथा कागज के समान छूटने वाली होती है।

अनेक भाषाओं में शालाकी के नाम (Shallaki Called in Different Languages)

शालाकी (shallaki) का लैटिन नाम बॉसवेलिया सेरेटा (Boswellia serrata Roxb. ex Colebr., Syn-Boswellia glabra Roxb.) है और यह Burseraceae (बरसरेसी) कुल का है। इसे देश और विदेशों में अनेक नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-

Shallaki in-

  • Englsih – Indian olibanum tree (इण्यिनम ओलीबेनम ट्री), कलीबेनम (Clibanum), व्हाईट डैमर (White dammer), इण्डियन प्रैंन्कीनसेन्स ट्री (Indian frankincense tree)
  • Sanskrit – सुवहा, सुरभी, रसा, सुस्रवा, गजभक्ष्या, शल्लकी, महेरुणा, कन्दुरुकी, वल्लकी, बहुस्रवा
  • Hindi – सालई, सलई गूगुल, लबान
  • Urdu- कुन्दुर (Kundur), लोबाना (Lobana)
  • Oriya – लोबान (Loban)
  • Kannada – धूप (Dhupa)
  • Guajarati – धूप (Dhup), गुगली (Gugali)
  • Tamil – कुंदुरुक्कम (Kundurukkam), अट्टम (Attam)
  • Telugu – अंडूगा (Anduga), धूपामू (Dhupamu), परंगिस्राम्रणि (Parangisramrani)
  • Bengali – कून्डूर (Kundur), सलै (Sallei)
  • Punjabi – साल्ही (Salhi)
  • Marathi – साल्लाई (Sallai), सालईचा डीक (Salaicha dik), सलाफली (Salaphali)
  • Malayalam – पालनकाम (Palankam), सेलो (Selo), हलादीनी (Hladini), मुकुन्डम (Mukundam)
  • Arabic – बास्तेज (Bastaj), कुन्दूर (Kundur)
  • Persian – कुन्दुर (Kundur)

शालाकी के फायदे (Shallaki Benefits and Uses)

शालाकी (shallaki) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-

सिरदर्द में फायदेमंद शालाकी का प्रयोग (Shallaki Benefits in Reducing Headache in Hindi)

शालाकी की छाल को पीसकर ललाट (Forehead) पर लगाएं। इससे सिरदर्द ठीक होता है।

और पढ़ें: सिर के दर्द में फायदेमंद गम्भारी

आँखों के रोग में शालाकी से फायदा  (Benefits of Shallaki to Cure Eye Disorder in Hindi)

शालाकी के रस में चीनी एवं शहद मिलाकर काजल की तरह आँखों में लगाएं। इससे आँख आने की परेशानी में लाभ होता है।

और पढ़ें: आंखों के रोग में धातकी का प्रयोग

दाँत दर्द में शालाकी से लाभ (Uses of Shallaki in Dental Pain in Hindi)

शालाकी की छाल को चबाने से दाँत दर्द और दाँतों का हिलना ठीक होता है। शालाकी की गोंद को बबूल की गोंद के साथ मिलाकर चूसें। इससे मुंह से आने वाली बदबू ठीक (punarnava mandur benefits) होती है।

और पढ़ें: दांत के रोग में बबूल के उपयोग

गले के रोग में फायदेमंद शालाकी का सेवन (Shallaki Uses in Throat Disease in Hindi)

शालाकी की गोंद को गुनगुने जल में घिसकर लेप करें। इससे गण्डमाला यानी गले के गाँठों की परेशानी में लाभ होता है।

और पढ़े: गले के रोग में वच के फायदे

घाव सुखाने में शालाकी (लोबान) का औषधीय गुण फायदेमंद  (Shallaki Benefits in Wound Healing in Hindi)

कटे या खुले हुए घाव को सिलाई करने के बाद उस पर रेशम का पतला कपड़ा रख दें। इसके बाद लोबान (शालाकी) के फल का चूर्ण छिड़क कर ठीक से बांध दें। इससे घाव जल्दी ठीक (shallaki uses) हो जाता है।

और पढ़ेंघाव सुखाने के लिए चांदनी के फायदे

सांसों के फूलने की परेशानी में करें शालाकी का उपयोग (Shallaki Treats Respiratory Problems in Hindi)

सिह्लक, शालाकी, गुग्गुलु तथा पद्मकाष्ठ के बारीक चूर्ण में घी मिला लें। इसे जला लें। इस धुआँ को सूंघने से सांस फूलने की समस्या में लाभ (punarnava mandur benefits) होता है। 2-4 ग्राम शालाकी चूर्ण में घी तथा शहद विषम मात्रा में मिला लें। इसे सेवन करने से सांस फूलना बंद होता है।

और पढ़ेंसांसों के रोग में सहजन के फायदे

पेचिश में फायदेमंद शालाकी का प्रयोग (Shallaki Uses to Stop Dysentery in Hindi)

  • बेर, अर्जुन, जामुन, आम, शालाकी (sallaki) तथा वेतस की छाल के बारीक चूर्ण (1-2 ग्राम) में चीनी एवं शहद मिलाकर चाटने से पेचिश ठीक होता है।
  • शालाकी, बेर, जामुन, प्रियाल, आम तथा अर्जुन की छाल के बारीक चूर्ण (1-2 ग्राम) को एक साथ अथवा अलग-अलग दूध में घोल लें। इसमें शहद मिला कर पीने से खूनी पेचिश ठीक (punarnava mandur benefits) होता है।
  • चिरौंजी, सेमल, पीपल, शालाकी तथा तिनिश (काला पलाश) की छालों के 2-4 ग्राम बारी चूर्ण को बकरी के दूध में घोल लें। इसमें शहद मिलाकर पीने से खूनी पेचिश ठीक होता है।

और पढ़ेंफैटी लिवर में जामुन से फायदा

उपदंश (सिफलिस) में लाभदायक शालाकी का प्रयोग (Benefits of Shallaki in Treatment of Syphilis in Hindi)

शालाकी (sallaki) की छाल के काढ़े से सिफलिस के घाव को धोएं। इससे घाव ठीक होता है।

और पढ़ेंजोड़ों के दर्द में चोबचीनी के फायदे

जोड़ों का दर्द (आर्थराइटिस) में शालाकी के इस्तेमाल से लाभ (Uses of Shallaki for Joint Pain in Hindi)

शालाकी की गोंद को गुनगुने जल में घिसकर जोड़ों में लगाने से जोड़ों का दर्द ठीक (boswellia serrata) होता है।

और पढ़ेंजोड़ो के दर्द में हैंसा के फायदे

शालाकी के इस्तेमाल से जल्दी घाव सुखता है  (Shallaki Benefits in Wound Healing in Hindi)

कटे या खुले हुए घाव को सिलाई करने के बाद उस पर रेशम का पतला कपड़ा रख दें। इसके बाद शालाकी के फल का चूर्ण छिड़क कर ठीक से बांध दें। इससे घाव जल्दी ठीक (boswellia serrata) हो जाता है।

दाद को ठीक करने में शालाकी से फायदा (Shallaki is Beneficial in Ringworm Treatment in Hindi)

शालाकी की छाल को पीसकर दाद में लगाने से दाद ठीक होता है।

और पढ़े- दाद से बचने के घरेलू उपाय

बुखार उतारने में शालाकी से लाभ (Shallaki Helps in Fighting with Fever in Hindi)

शालाकी के फूल का चूर्ण का 2-4 ग्राम सेवन करने से बुखार में लाभ (boswellia serrata) होता है।

और पढ़ेंबुखार में मोथा से लाभ

शालाकी के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Shallaki?)

औषधि के रूप में शालाकी (sallaki) का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह लें।

शालाकी के सेवन का तरीका (How to Use Shallaki in Hindi)

बाजार में शालाकी के कैप्सूल (sallaki tablets) भी मिलते हैं। आप आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह से इसका सेवन कर सकते हैं।

शालाकी के नुकसान (shallaki side effects)

शालाकी से ये नुकसान हो सकते हैंः-

शालाकी कैप्सूल लेने से गैस और जलन की समस्या (shallaki side effects) हो सकती है।

गर्भावस्था में भी इसे लेने के पहले चिकित्सक की सलाह लें या फिर लेने से परहेज करें।

शालाकी कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Shallaki Found or Grown?)

शालाकी (sallaki) भारत में मुख्यतः पश्चिमी हिमालय (Himalaya), उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के जंगलों में पाया जाता है।

और पढ़ेंसूजन को कम करने में चिरायता के फायदे

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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