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बबूल के फायदे, नुकसान और औषधीय गुण (Babool ke Fayde, Nuksan aur Aushadhiya Gun)

Contents

बबूल का परिचय (Introduction of Babool)

बोया पेड़ बबूल (acacia in Hindi) का आम कहां से खाय। आपने यह कहावत जरूर सुनी होगी। जी हां, इस कहावत में इसी बबूल का जिक्र किया गया है। जो लोग शहरों में रहते हैं वे भी बबूल के पेड़ (Babool tree) को जरूर देखे होंगे या इसके बारे में जानते होंगे, लेकिन अगर गांवों की बात की जाय तो लगभग हर व्यक्ति बबूल के पेड़ से परिचित होता है। कई लोग बबूल से ब्रुश किया करते हैं तो अनेक व्यक्ति बबूल की लकड़ी को कई चीजों के लिए उपयोग में लाते हैं। बबूल का उपयोग केवल इतना ही नहीं है बल्कि बबूल के फायदे और भी हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, बबूल एक बहुत ही उत्तम औषधि है। इसलिए अगर आप बीमारियों में बबूल का इस्तेमाल करते हैं निःसंदेह आपको बहुत फायदा मिल सकता है। आइए जानते हैं कि जिस पेड़ को आप लोग बहुत ही साधारण पेड़ समझते हैं उस बबूल से लाभ क्या-क्या मिल सकता है?

बबूल क्या है (What is Babool?)

औषधि के रूप में बबूल का इस्तेमाल बहुत सालों से किया जा रहा है। इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती हैं। इस पेड़ में कांटे होते हैं। गर्मी के मौसम में बबूल के पेड़ पर पीले रंग के गोलाकार गुच्छों में फूल खिलते हैं और ठंड के मौसम में फलियां आती हैं। बबूल की छाल और गोंद का व्यवसाय किया जाता है। इसकी निम्नलिखित प्रजातियां भी पाई जाती हैं जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

  • त्रिकंटकी, श्वेत खदिरी (Acacia senegal (Linn.) Willd.)

यह बबूल की प्रजाति का और बबूल की तरह दिखने वाला पेड़ है। यह छोटा, वृक्ष होता है जिसमें कांटे होते हैं। इसकी छाल पतली तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं तथा पुराने हो जाने पर काले रंग के हो जाते हैं। इसके पौधे से निर्यास निकलता है जिसका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

  • क्षुद्र बर्बुर, क्षुद्र किंकिरात (Acacia arabica var. nilotica (Linn.) Benth.)

यह लम्बा, झाड़ीदार और कांटे वाला वृक्ष होता है। इसके कांटे लम्बे तथा तीखे हैं। इसके पत्ते बबूल के पत्तों जैसे लेकिन उससे कुछ बड़े और गहरे हरे रंग के होते है। इसके फूल पीले वर्ण के होते हैं। इसकी फलियां लम्बी होती हैं। फलियां कच्ची अवस्था में हरे रंग की, चपटी तथा मुड़ी हुई होती हैं।

अनेक भाषाओं में बबूल के नाम (Babool Called in Different Languages)

बबूल का वानस्पतिक नाम अकेशिया निलोटिका (Acacia nilotica (Linn.) Willd ex Delile, Syn Acacia arabica (Lam.) Willd.), मिमोसेसी (Mimosaceae) है लेकिन इसे देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Babool in-

  • Hindi (acacia in Hindi) – बबूर, बबूल, कीकर
  • English – ब्लैक बबूल (Black babool), गम अरेबिक ट्री (Gum arabic tree), इण्डियन अरेबिक ट्री (Indian arabic tree)
  • Sanskrit – बब्बूल, किङिकरात, सपीतक, आभा, युग्मकण्टक, दृढारूह, सूक्ष्मपत्ते, मालाफल
  • Uttrakhand – बबूल (Babul)
  • Oriya – बबुलो (Babulo), बोबुरो (Boburo)
  • Urdu – बबूल (Babul)
  • Konkani – बबुल (Babul)
  • Kannada – बबूली (Babbuli), पुलई (Pulai)
  • Gujarati – बावल (Babal), बाबलिआ (Babalia)
  • Tamil – करू बेलमरम (Karu belmaram)
  • Telugu – तल्लतुम्म (Talltumm), बर्बुरूमु (Barburumu)
  • Bengali – बाबला (Babla), बबूल (Babul)
  • Nepali – बबूल (Babul)
  • Punjabi – बाबला (Babla), बबूल (Babul)
  • Malayalam – कारूवेलकाम (Karuvelakam), कारूवेलम (Karuvelam)
  • Marathi – बभूल (Babhul), बबूल (Babul)
  • Arabic – उम्म-ए-गिलान (Umm-e-ghilan)
  • Persian – मुगिलाँ (Muginlan), खारेमुघीलान (Kharemughilan)

बबूल के फायदे (Babool Tree Uses and Benefits in hindi)

बबूल के औषधीय प्रयोग का तरीका, औषषीय प्रयोग मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

अधिक पसीना आता है तो मिलेगा बबूल से लाभ (Babool Tree Uses in Relieving Sweating in Hindi)

अधिक पसीना आने की परेशानी में बबूल के पत्ते और बाल हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर महीन पीस लें। इस चूर्ण की पूरे बदन पर मालिश करें और कुछ समय नहा लें। नियमित रूप से यह प्रयोग कुछ दिन तक करने से पसीना आना बन्द हो जाता है।

बबूल के पत्ते के पेस्ट का उबटन लगाने से पसीना आना बंद हो जाता है।

शारीरिक जलन की परेशानी में करें बबूल का इस्तेमाल (Babool Tree Uses in Body Irritation in Hindi)

शरीर के किसी अंग में जलन हो रही हो तो बबूल की छाल के काढ़े में मिश्री मिलाकर पिलाने से जलन में लाभ होता है।

बबूल के उपयोग से कमर दर्द का इलाज (Babool ki Fali Benefits in Relieving Back Pain in Hindi)

कमर दर्द में फायदा लेने के लिए बबूल की छाल, फली और गोंद को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द में आराम मिलेगा।

बबूल के इस्तेमाल से दाद या खुजली का उपचार (Babool Tree Uses in Fighting Ringworm in Hindi)

दाद या खुजली को ठीक करने के लिए बबूल के फूलों को सिरके में पीस लें। इसे दाद या खुजली पर लगाएं। दाद और खुजली में लाभ होता है।

और पढ़ें: दाद के इलाज में बुरांश के फायदे

घाव को ठीक करता है बबूल (Benefits of Acacia in Wound Healing in Hindi)

बबूल के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है।

खांसी को ठीक करने के लिए करें बबूल का प्रयोग (Babool Tree Uses in Cough Treatment in Hindi)

बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।

इसी तरह 1 ग्राम बबूल निर्यास चूर्ण का सेवन करने से खांसी ठीक होती है।

और पढ़ें: खांसी में अलसी का प्रयोग

बबूल का उपयोग पेट के रोग में फायदेमंद (Uses of Babool tree in Relief from Abdominal Disease in Hindi)और पढ़ें – एक्जिमा में बबूल फायदेमंद

बबूल की छाल का काढ़ा बनाएं। थोड़ा गाढ़ा काढ़ा को 1-2 मिली की मात्रा में मट्ठे के साथ पीएं। इससे पेट की बीमारी में लाभ होता है। इस दौरान सिर्फ मट्ठे का आहार लेना चाहिए।

पेट के दर्द से आराम पाने के लिए बबूल के फल को भून लें। इसका चूर्ण बनाकर, उबले हुए जल के साथ सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिलती है।

बबूल के छाल से बने काढ़ा को छाछ के साथ पीने से और आहार में छाछ का सेवन करने से जलोदर रोग में लाभ होता है।

और पढ़े: जलोदर में केवांच के फायदे

बबूल का सेवन भूख को बढ़ाता है (Use of Acacia in Increasing Appetite in Hindi)

भूख की कमी या भोजन से अरुचि की समस्या को ठीक करने के लिए बबूल की कोमल फलियों का अचार लें। इसमें सेंधा नमक मिलाकर खिलाएं। इससे भूख बढ़ती है और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।

मुंह के छाले को ठीक करता है बबूल (Babool Tree Uses in Mouth Ulcers Treatment in Hindi)

मुंह के छाले की परेशानी में भी बबूल से फायदा मिल सकता है। बबूल की छाल के काढ़े से 2-3 बार गरारे करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।

और पढ़ें: सुपारी का इस्तेमाल कर मुंह के छाले का इलाज

दांत के रोग में बबूल के उपयोग से फायदा (Babool ki fali Uses in Dental Disease Diagnosis in Hindi)

दांतों में दर्द होने पर बबूल की फली का छिलका लें। इसमें बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।

इसी तरह बबूल की कोमल टहनियों की दातून करने से भी दांत की बीमारी ठीक होती है। दांत मजबूत होते हैं।

दांत के दर्द की परेशानी में बबूल की छाल, पत्ते, फूल और फलियां लें। सभी को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण का मंजन करने से दांतों के रोग दूर होते हैं।

इसके अलावा बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।

बबूल की छाल के काढ़े से गरारा करने से भी दांत के दर्द से राहत मिलती है।

और पढ़ें: दाँत के दर्द में अजमोदा से लाभ

बबूल के सेवन से कंठ रोग का इलाज (Uses of Babool Tree in Treatment Throat Disorder in Hindi)

बबूल के पत्ते और छाल एवं बड़ की छाल लें। सबको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छान कर रख लें। इससे कुल्ला (गरारा) करने से गले के रोग मिट जाते हैं।

इसके अलावा बबूल की छाल के काढ़े से गरारा करने से भी कंठ रोग में लाभ होता है।

आंख के रोग में उपयोगी बबूल का इस्तेमाल (Uses of Kikar Tree in Prevention Eye Disease in Hindi)

बबूल के कोमल पत्तों को गाय के दूध में पीस लें। इसका रस निकाल कर 1-2 बूंद आंख में डालें। इससे आंखों के दर्द ठीक होते हैं। आंखों की सूजन में भी यह लाभकारी होता है।

आंखों से पानी बहने पर बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाएं। इसमें शहद मिलाकर काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों से पानी बहने की परेशानी ठीक होती है।

बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का काढ़ा बनाकर आंखों को धोएं। इससे अन्य आंंखों की बीमारी भी ठीक हो जाती है।

और पढ़ें: अलसी के फायदे आंखों के रोग में

श्वसन तंत्र विकार में बबूल के इस्तेमाल से लाभ (Benefits of Babool tree in Breathing Problem Solution in Hindi)

बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से श्वसन तंत्र की बीमारी में लाभ होता है।

इसी तरह 1 ग्राम बबूल निर्यास चूर्ण का सेवन करने से सांस रोग ठीक होता है।

बबूल के सेवन से मूत्र रोग का इलाज (Uses of Acacia in Urinary Disorder Treatment in Hindi)

बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर पानी में ही रखें। सुबह उस पानी को निथार कर पीएं। इससे पेशाब की जलन में लाभ मिलता है।

इसी तरह 15-30 मिली बबूल तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से बार-बार पेशाब आने की परेशानी ठीक हो जाती है।

और पढ़ें: मूत्र रोग में गिलोय से लाभ

वीर्य रोग (धातु रोग) में उपयोगी बबूल का इस्तेमाल (Babool Tree Uses for Treatment Sperm Related Disorder in Hindi)

बबूल की फलियों को छाया में सुखाकर पीस लें। बराबर की मात्रा में मिश्री मिला लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम रोज पानी के साथ लें। इससे वीर्य के विकार ठीक होते हैं।

बबूल के गोंद को घी में तलें। इसको खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है।

इसके अलावा 2 ग्राम बबूल के पत्ते में 1 ग्राम जीरा तथा चीनी मिलाएं। इसमें 100 मिली दूध मिलाकर सेवन करें। इससे शुक्राणु रोगों में लाभ होता है।

और पढ़े: वीर्य रोग में गुलब्बास के फायदे

स्वप्न-दोष में बबूल के इस्तेमाल से फायदा (Babool Tree Uses to Stop Nightfall in Hindi)

स्वप्न दोष का उपचार करने के लिए बबूल उपयोगी होता है। 20 ग्राम बबूल पञ्चाङ्ग में 10 ग्राम मिश्री मिलाएं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करें। इससे स्वप्न दोष में लाभ होगा।

योनि के ढीलेपन को ठीक करने के लिए करें बबूल का प्रयोग (Babool tree uses for Vaginal laxity in Hindi)

एक हिस्से बबूल की छाल को 10 हिस्से पानी में रात भर भिगोएं। सुबह उस पानी को उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छान कर बोतल में भर लें। इस पानी से योनि को धोने से योनि का ढीलापन ठीक होता है।

बबूल की फलियों का चिपचिपा पदार्थ लें। इससे थोड़े मोटे कपड़े को 7 बार गीला करके सुखा लें। संभोग से पहले इस कपड़े के टुकड़े को दूध या पानी में भिगोएं। इस दूध या पानी को पी लें। इससे योनि के ढीलापन की समस्या ठीक होती है।

मासिक-विकार में फायदेमंद बबूल का प्रयोग (Babool tree uses for Treatment of Menstrual Disorder in Hindi)

बबूल का 4.5 ग्राम भुना हुआ गोंद लें। गेरु 4.5 ग्राम लें। इनको पीसकर सुबह सेवन करने से मासिक विकारों में लाभ होता है।

बबूल की 20 ग्राम छाल को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा 100 मिली बच जाए तो दिन में तीन बार पीएं। इससे मासिक धर्म की बीमारी जैसे मासिक धर्म में खून अधिक आने की समस्या ठीक होती है।

और पढ़ें: अत्यधिक रक्तस्राव में फायदेमंद अर्जुन

बबूल के प्रयोग से मेनोरेजिया में लाभ (Babool Tree uses for treatment of Menorrhagia in Hindi)

बबूल के गोंद और गेहूं को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मेनोरेजिया में लाभ होता है।

बबूल के उपयोग से ल्यूकोरिया में फायदा (Babool Tree Uses to Treat Leucorrhoea in Hindi)

ल्यूकोरिया के इलाज के लिए 10 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिली जल में पकाएं। जब काढ़ा 100 मिली रह जाए तो काढे में 2-2 चम्मच मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम पीएं। इसके अलावा इस काढ़े में थोड़ी सी फिटकरी मिलाकर योनि को धोने से ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है।

इसके अलावा 15-30 मिली बबूल के तने की छाल का काढ़ा का सेवन करें। इससे भी ल्यूकोरिा में लाभ होता है।

और पढ़ें: ल्यूकोरिया में सफेद मूसली के प्रयोग से लाभ

बबूल के प्रयोग से सूजाक का इलाज (Babool Tree uses in Prevention Gonorrhea in Hindi)

बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। सुबह उस पानी को निथार कर पीने से सूजाक में लाभ मिलता है।

10 ग्राम बबूल की कोंपलों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे सुबह मसलकर छान लें। इसमें 20 ग्राम गर्म घी मिलाकर पिलाएं। दूसरे दिन भी ऐसा ही करें। तीसरे दिन घी मिलाना छोड़ दें। और 4-5 दिन खाली इसका हिम पीने से सूजाक में बहुत लाभ होता है।

बबूल की 10 ग्राम गोंद को एक गिलास पानी में डालें। इसकी पिचकारी देने से योनि में दर्द और सूजन की परेशानी ठीक होती है। इसके साथ-साथ सूजाक रोग के कारण होने वाली जलन भी ठीक होती है।

बबूल के 5-10 पत्तों को 1 चम्मच शक्कर और 2 नग काली मिर्च के साथ अथवा 5-6 अनार के पत्तों के साथ पीस छानकर पिलाने से सूजाक में लाभ होता है।

सिफलिस रोग के इलाज के लिए करें बबूल का इस्तेमाल (Babool tree uses in Syphilis Disease in Hindi)

बबूल के पत्ते से बने चूर्ण को सिफलिश वाले घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।

सूतिका रोग में बबूल के उपयोग से लाभ (Babool Benefits after Post Pregnancy Women in Hindi)

जो महिलाएं हाल-फिलहाल में मां बनती हैं। उनके लिए बबूल का प्रयोग फायदेमंद होता है। बबूल की छाल का 10 ग्राम चूर्ण बनाएं। इसमें काली मिर्च 3 नग मिलाएं। दोनों को पीस लें। इसे सुबह शाम खाएं। इस दौरान सिर्फ बाजरे की रोटी और गाय का दूध लें। इससे भयंकर सूतिका रोग में भी लाभ होता है।

बबूल के गोंद को घी में तलें। इसे प्रसूति काल में स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है।

दस्त को बंद करने के लिए करें बबूल का इस्तेमाल (Benefits of Babool in Diagnosis Diarrhea in Hindi)

बबूल के 8-10 कोमल पत्तों का रस लें या आप रस में 500 मिग्रा जीरा और 1-2 ग्राम अनार की कलियों को भी मिला सकते हैं। इसे 100 मिली पानी में पीस लें। पानी में एक टुकड़ा गर्म इऔट को बुझा लें। दिन में 2-3 बार 2 चम्मच पानी पिलाने से दस्त में बंद होता है।

इसके अलावा बबूल के पत्ते के रस को छाछ में मिलाकर पिलाने से हर प्रकार का दस्त ठीक होती है।

दस्त की परेशानी में बबूल की दो फलियां खाकर ऊपर से छाछ पीएंं। दस्त बंद जाती है।

दस्त तो बंद करने के लिए बबूल के पत्तों से निर्मित पेस्ट को जल में घोलकर पीएं। इससे फायदा होता है।

बबूल के पत्ते, जीरे और शयामले जीरे को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर 10 ग्राम की मात्रा में रात के समय देने से कफज विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है।

और पढ़ें: दस्त रोकने में फायदेमंद गोखरू

पेचिश में बबूल के उपयोग से फायदा (Babool Benefits in Dysentery Treatment in Hindi)

बबूल की 10 ग्राम गोंद को 50 मिली पानी में भिगोएं। इसे मसल कर छानें। इसे पिलाने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।

बबूल की कोमल पत्तियों के एक चम्मच रस में थोड़ी सी हरड़ का चूर्ण या शहद मिलाएं। इसका सेवन करने से पेचिश में फायदा होता है।

बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।

बबूल के पत्ते का काढ़ा अथवा पत्ते के पेस्ट को तण्डुलोदक के साथ प्रयोग करने से दस्त और पेचिश में फायदा होता है।

बबूल के इस्तेमाल से पीलिया का उपचार (Benefits of Babool in Jaundice Prevention in Hindi)

बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएंं। इसे 10 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।

और पढ़ें: एलोवेरा के सेवन से पीलिया में लाभ

हड्डी रोग में फायदेमंद बबूल का प्रयोग (Benefits of Babul ki Fali Related Bone Disease in Hindi)

बबूल की फलियों के एक चम्मच चूर्ण को सुबह-शाम रोज सेवन करने से टूटी हड्डी तुरंत जुड़ जाती है।

इसके अलावा बराबर-बराबर मात्रा में बबूल की फली, त्रिफला (आमलकी, हरीतकी, बहेड़ा) तथा व्योष (सोंठ, मरिच, पिप्पली) के चूर्ण लें। इसमें बराबर मात्रा में गुग्गुलु मिला कर सेवन करें। इससे भी हड्डियों के टूटने की बीमारी में मिलता है।

और पढ़ें: गुग्गुल के लाभ

रक्त-स्राव में बबूल के इस्तेमाल से फायदा (Babul tree uses to Stop Bleeding in Hindi)

शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव होता हो तो उस पर बबूल के पत्तों का रस लगाना चाहिए। इसके अलावा सूखे पत्तों या सूखी छाल का चूर्ण रक्तस्राव वाले स्थान पर छिड़क देना चाहिए। इससे रक्तस्राव रुक जाता है।

इसी तरह 10-15 बबूल के कोमल पत्ते लें। इसमें 2-4 नग काली मिर्च और 2 चम्मच चीनी मिलाएं। इसे पीस कर छान लें। इसे पिलाने से आमाशय से होने वाला रक्तस्राव ठीक हो जाता है।

बबूल के इस्तेमाल की मात्रा (How to Consume Babool)

बबूल के इस्तेमाल की मात्रा इतनी होनी चाहिएः-

  • तने का काढ़ा- 50-100 मिली
  • चूर्ण- 2-6 ग्राम
  • गोंद 3-6 ग्राम

औधषि के रूप में अधिक फायदा लेने के लिए बबूल का उपयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करें।

बबूल के इस्तेमाल का तरीका (How to Use Babool)

बबूल का इस्तेमाल निम्न तरह से किया जा सकता हैः-

  • फली
  • पत्ते
  • तने
  • गोंद
  • तने की छाल

बबूल से साइड इफेक्ट (Babool Side Effects)

बबूल के अधिक सेवन से स्तन से संबंधित रोग होता है। अधिक मात्रा में इसके निर्यास का प्रयोग करने से गुदा रोग होता है।

दर्पनाशक – बबूल का दर्पनाशक वनफ्शा है।

बबूल कहां पाया जाता है या बबूल की खेती कहां होती है? (Where is Babool Found or Grown)

वास्तव में बबूल मरुभूमि में उत्पन्न होने वाला वृक्ष है। मरुभूमि के अलावा बबूल के वृक्ष भारत में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, बिहार, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र एवं आंध्रप्रदेश के जंगलों में पाए जाते हैं। भारत में बबूल के जंगली  वृक्ष (babool tree) तो मिलते ही हैं साथ ही लगाए हुए वृक्ष भी मिलते हैं।

और पढ़ेंएक्जिमा में बबूल फायदेमंद

और पढ़ें: मुंह के छाले में अर्जुन से फायदा

बबूल से बना पतंजलि उत्पाद कहां मिलता है? (Babool Patanjali Product)

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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