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Sehund: सेहुंड के हैं अनेक अनसुने फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

सेहुंड का परिचय (Introduction of Sehund)

Sehund benefits

सेहुंड का नाम सुनने से आपको अजीब तो लगेगा लेकिन इस कांटेदार झाड़ी को हिन्दी में थूहर कहते हैं। थूहर वैसे तो बाग-बगीचों में बाड़ की तरह इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसके अनेक औषधीय गुण भी है। थूहर के तना, पत्ते, शाखा और दूध में कई तरह के बीमारियों से लड़ने के गुण पाये जाते हैं। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।  

 

सेहुंड क्या है? (What is Sehund in Hindi?)

सेहुंड की कई जातियाँ होती हैं। साधारणतया जिसे सेहुंड कहते हैं, इसका तना व शाखाएं कांटों से परिपूर्ण होती हैं। इसे बगीचों के चारों ओर बाड़ के रूप में लगाया जाता है। थूहर की कई किस्म होती हैं – इनकी शाखाएं पतली, पोली और मुलायम होती हैं। थूहर की जातियों में त्रिधारा, चतुर्धारा, पंच, षष्ठ और चतुर्दश धारा तथा विंश धारा भी होती है। चरक के विरेचन, मूलिनी तथा सुश्रुत के अधो भागहर एवं श्यामादि-गणों में इसकी गणना की गई है। चरक के कल्पस्थान में इसके विविध-कल्पों का वर्णन मिलता है। चरक तथा वाग्भट ने भी सेहुण्ड के तीक्ष्ण बहुंटक-युक्त तथा तीक्ष्ण, किंतु अल्पकंटक युक्त ऐसे दो भेद माने जाते हैं। इनमें अल्पकंटक यानि कम कांटों की अपेक्षा ज्यादा कांटों वाले सेहुण्ड श्रेष्ठ माने जाते हैं।

इसका 1.8-4.5 मी ऊँचा, बड़ा, मांसल, कांटेदार, छोटा वृक्षक अथवा गुल्म या झाड़ी होता है। इसका तना सीधा, शाखाओं से युक्त, बेलनाकार अथवा अस्पष्ट पंचकोणीय छोटा, युग्मित, तीखा, अनुपत्र जैसा 8-12 मिमी लम्बा कांटों वाला होता है। इसकी शाखाएँ गोलाकार या पंचकोणीय, नरम, गूदेदार,कांटों वाला तथा 1.8 सेमी व्यास (diameter) की होती हैं। इसके पत्ते एकांतर, शाखाओं के अंत पर गुच्छों में, मांसल, 15-30 सेमी लम्बे, मोटे तथा आगे के भाग में कुछ गोल आकार के होते हैं। इसके पत्ते शीत या ग्रीष्म-काल में झड़ जाते हैं। इसकी शाखा या पत्रों को तोड़ने से दूध निकलता है। इसके फूल लाल रंग के या पीताभ होते हैं। इसके फल लगभग 1.3 सेमी व्यास के, गहरे 4-पालिक तथा अरोमश (रोम वाले) होते हैं। इसके बीज चपटे, कोमल तथा रोमयुक्त होते हैं। इसकी शाखाओं को तोड़कर आर्द्र-भूमि यानि नम मिट्टी में लगा देने से नया क्षुप या झाड़ तैयार हो जाते हैं। इससे निकलने वाला आक्षीर या दूध अत्यन्त विरेचक तथा विषाक्त होते हैं। अत: इसका प्रयोग चिकित्सकीय परामर्शानुसार तथा सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इसका पुष्पकाल फरवरी से मार्च तक तथा फलकाल अप्रैल से मई तक होता है।

अन्य भाषाओं में सेहुंड  के नाम (Names of Sehund in Different Languages)

सेहुंड का वानास्पतिक नाम  Euphorbia neriifolia Linn. (यूफॉर्बिया नेरीफोलिया) Syn-Euphorbia edulis Lour. है। इसका कुल  Euphorbiaceae (यूफॉर्बिएसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Indian spurge Tree (इण्डियन स्पर्ज ट्री) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि सेहुंड और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

Sanskrit-सिंहतुण्ड, वज्री, वज्रद्रुम, सुधा, समन्तदुग्ध, स्नक्?(स्नुह्) स्नुही, गुडा, नित्रिंशपत्र, सेहुण्ड; 

Hindi-थूहर, सेंहुड, सेंहुर, सेंड, मुठरिया सीज, मुठिया सीज, सौझ, थोहर; 

Urdu-जाकूम (Zakum); 

Odia-सीजु (Siju); 

Konkani-निवालकान्ती (Nivalkanti); 

Kannada-इल्लैकल्लि (Ialekalli); 

Gujarati-थोर (Thor), कांटलो (Kantalo), कंटालो तुएरीया (Kantalo tueriya); तमिल-कल्ली (Kalli), मन्जेवी (Manjevi), इलैक्कल्ली (Ilaikkalli); 

Telugu-आकुजेमुडु (Akujemudu); 

Bengali-मानसासिज (Mansasij);

 Nepali-सिउंदी (Siundi); 

Punjabi-गांगीचु (Gangichu); 

Marathi-मींगुट (Mingut), नेवागुंडा (Nevagunda); 

Malayalam-इल्लैकल्लि (Ilakalli), कल्लि (Kalli)।

English-कॉमन मिल्क हेज (Common milk hedge), हेज यूर्फोबिया (Hedge euphorbia), ओलिएन्डर स्पर्ज (Oleander spurge), मिल्क हेज (Milk hedge); 

Arbi-वजीजकर (Vajijkar)

 

सेहुंड का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Sehund in Hindi)

थूहर प्रकृति से  रेचक, तीखा और भारी होता है। यह  दर्द, पेट फूलने वाली, कफ, पेट का रोग, मानसिक बीमारी, प्रमेह या डायबिटीज, कुष्ठ, बवासीर, सूजन, मोटापा, पथरी, पांडु या पीलिया, व्रण या अल्सर, ज्वर या बुखार, प्लीहा, विष और दूषी विष को नष्ट करने के इलाज में काम आती है।

थूहर का दूध प्रकृति से उष्ण या गर्म, स्निग्ध, चरपरा, लघु, गुल्म (वायु का गोला), कुष्ठ, उदर रोग वालों को तथा लंबे समय से पेट के रोग से परेशान व कोष्ठबद्धता या कब्ज में विरेचन के लिए लाभकारी होता है।

थूहर का कांड या तना बहुत से कांटों वाला और कम कांटों वाला होता है। आचार्य चरक के मत में बहुकांटों वाला थूहर अधिक तीखा होता है। दो या तीन साल के पुराने सेहुंड को पतझड़ के अन्त में, उसमें किसी अत्र से चीर कर दूध निकालना चाहिए। सेहुंड, पलाश, शीशम, त्रिफला यह सब मेदोनाशक एवं शुक्रदोष को मिटाने वाला होता है। यह प्रमेह या डायबिटीज, अर्श या पाइल्स, पांडुरोग नाशक एवं शर्करा को दूर करने के लिए श्रेष्ठ होता है।

और पढ़े- कुष्ठ रोग में मूली का इलाज फायदेमंद

सेहुंड के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Sehund in Hindi) 

कांटों वाली सेहुंड किन-किन बीमारियों के लिए इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है, इसके बारे में जानने के लिए आगे पढ़ते हैं-

 

गंजेपन के इलाज में फायदेंमद सेहुंड (Benefit of Sehund in Baldness in Hindi)

baldness

बाल झड़कर यदि गंजेपन की नौबत आ गई है तो आस्नुही आक्षीर या दूध को समान मात्रा में सर्षप (सरसों) तेल के साथ मिलाकर सिर में लगाने से गंजेपन में लाभ होता है।

 

आँखों की बीमारियों में सेहुंड का प्रयोग लाभदायक (Sehund Beneficial in Eye Diseases in Hindi)

आँखों में दर्द, सूजन, लाल होने जैसे बीमारियों में सेहुंड का प्रयोग इस तरह से करने से जल्दी राहत मिलती है। स्नुही-क्षीर का उस स्थान में प्रयोग करने से आँखों के बीमारियों के उपचार में लाभ मिलता है। 

 और पढ़े- आँख आने पर (कंजक्टिवाइटिस ) घरेलू उपचार

कान की बीमारियों में सेहुंड का उपचार फायदेमंद (Benefit of Sehund in Ear Diseases in Hindi)

थूहर का इस्तेमाल कान दर्द, कान से रस बहना, बहरापन जैसे अनेक रोगों के इलाज में काम आता है-

 

-छिलका-रहित थूहर के तने को आग पर पकाकर, रस निकाल कर 1-2 बूंद कान में डालने से कान के दर्द से जल्दी राहत मिलती है।

 

-थूहर की त्वचा को अर्क के पत्ते में लपेटकर, आग पर गर्म कर उससे प्राप्त रस को सुबह 1-2 बूंद कान में डालने से वातज तथा पित्तज के कारण कान से रस जो बहने लगता है उसमें शीघ्र लाभ होता है।

 

-10-20 मिली थूहर के दूध को सरसों के तेल में पकाकर, जब तेल मात्र शेष रह जाय, तब 2-2 बूंद तेल कान में डालने से बहरापन दूर होता है।

 और पढ़े-दालचीनी बहरेपन के इलाज में फायदेमंद

दांत के कीड़े को नष्ट करने में फायदेमंद सेहुंड (Benefit of Sehund to Get Relief from Tooth Worm in Hindi)

यदि दांत में कीड़े लगे हैं तो थूहर के जड़ को मुख में रखने से दांत के कीड़े धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं। 

 

दांत निकालने के लिए थूहर का इस्तेमाल लाभकारी ( Use of Sehund in Removal of Tooth in Hindi)

थूहर का दूध (आक्षीर) हिलते हुए दांत पर लगाने से वह दांत सहज ही गिर जाता है, परन्तु दूसरे दांत पर दूध नहीं लगना चाहिए।

 

गलशुण्डी के दर्द से दिलाये राहत थूहर (Sehund Beneficial in Uvulitis in Hindi)

अलिजिह्वा में सूजन होने के कारण दर्द होता है। यह संक्रामक रोग होता है। इससे राहत पाने के लिए थूहर के दूध का लेप लगाने से गलशुण्डिका से राहत मिलती है।

 

खांसी से राहत दिलाये सेहुंड (Benefit of Sehund in Cough and Cold in Hindi)

cough

अगर किसी भी तरह खांसी ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है तो सेहुंड का इलाज लाभ दिला सकता है-

 

-थूहर के दो पत्तों को आग पर गर्म करके, मसलकर, रस निकाल कर थोड़ा-सा नमक मिलाकर, पीने से खांसी में आराम होता है।

 

-इसके अन्त के कोमल डंडों को आग में गर्म कर उनका रस निकालकर, उसमें गुड़ मिलाकर पिलाने से बच्चे को उल्टी और विरेचन होकर खांसी मिटती है।

 

-त्रिधारा के रस में अडूसे के 10-20 पत्तों को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर 1 से 2 गोली दिन में दो-तीन बार चूसने से खांसी मिटती है।

 

विरेचनार्थ के लिए फायदेमंद सेहुंड (Sehund Beneficial in Purgation in Hindi)

कभी-कभी पेट संबंधी परेशानियों को शांत करने के लिए विरेचन की ज़रूरत होती है। इसके लिए सेहुंड का प्रयोग इस तरह से करना चाहिए-

 

-उदर रोगों में काली मिर्च को थूहर के दूध (आक्षीर) में डुबोकर सुखा लें। तीव्र रेचन की आवश्यकता होने पर 1-2 दाने खिलाने से रेचन हो जाता है।

 

-हरड़, पीपल और निशोथ आदि रेचक औषधियों को थूहर के दूध में तर करके खिलाने पर तीव्र विरेचन होकर जलोदर (Ascitis), सूजन व अफारा या पेट फूलने की बीमारी से आराम मिलता है।

 

जलोदर की बीमारी में सेहुंड फायदेमंद (Benefit of Sehund in Ascitis in Hindi)

पेट में फ्लूइड की मात्रा ज्यादा हो जाने के कारण पेट में सूजन हो जाता है, जिसके कारण पेट फूला हुआ नजर आता है।  थूहर के रस को लम्बे समय तक बुखार आने के कारण पैदा हुए जलोदर रोग में तथा विस्फोटक रोगों में 5-10 मिली की मात्रा में इलाज स्वरूप प्रयोग किया जाता है।

 

अर्श या बवासीर में लाभकारी सेहुंड (Sehund Beneficial in Piles in Hindi)

अगर बवासीर के कष्ट से परेशान हैं तो थूहर के दूध और हल्दी के चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर लेप तैयार करें, इस लेप को लगाने से बवासीर नष्ट हो जाता है।

 

व्रण या अल्सर रोग के इलाज में फायदेमंद सेहुंड (Sehund Beneficial to Treat Ulcer in Hindi)

थूहर, अर्क, करंज तथा चमेली के पत्तों को गोमूत्र के साथ पीसकर लेप करने से सड़े हुए घाव, बवासीर तथा नासूर के कष्ट से जल्दी राहत मिलने में थूहर का औषधीय गुण काम करता है।

 

मस्सा या फून्सी को ठीक करे सेहुंड (Sehund Beneficial to Treat Wart in Hindi)

type of warts

त्वचा के ऊपर जो मस्से और दूसरे कठोर फोड़े-फून्सी हो जाते हैं, वे इसके दूध को लगाने से मिट जाते हैं।

 

सूजन को कम करने में फायदेमंद सेहुंड (Benefit of Sehund to Treat Muscles Inflammation in Hindi)

पेशियों की सूजन पर थूहर का दूध लगाने से सूजन कम होने लगती है और यह पकती भी नहीं है।

 

सेहुंड का उपयोगी भाग (Useful Parts of Sehund)

आयुर्वेद के अनुसार सेहुंड का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-जड़

-तना

-पत्ता और,

-दूध

 

सेहुंड के प्रयोग के साइड इफेक्ट (Side Effects of Sehund in Hindi)

थूहर का दूध अत्यन्त विरेचक (दस्तावर) होता है। अत: इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक तथा चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार करना चाहिए। इसके अलावा जिस घर की छत पर त्रिधारा के गमले रखे हों, उस पर बिजली नहीं गिरती है।

 

सेहुंड का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Sehund in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए सेहुंड का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 5-10 मिली तने का रस, 5-10 मिली जड़ का रस, 0.5-1 ग्राम जड़ का चूर्ण, 125-250 मिली दूध ले सकते हैं।

स्वानुभूत प्रयोग  :किसी भी प्रकार के चर्म रोग में आचार्य बालकृष्ण जी ने अपने रोगियों पर देखा है कि सेहुंड का स्वरस निकाल कर उसमें बराबर का सरसों का तेल मिलाकर, पकाकर लगाने पर सोराइसिस तक ठीक हो जाता है।

 

सेहुंड कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Sehund Found or Grown in Hindi)

इसकी शाखाओं को तोड़कर नम भूमि में लगा देने से नया झाड़ी उग जाता है। इससे निकलने वाला आक्षीर या दूध अत्यन्त विरेचक तथा विषाक्त होता है, अत इसका प्रयोग चिकित्सकीय परामर्शानुसार तथा सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इसका पुष्पकाल फरवरी से मार्च तक तथा फलकाल अप्रैल से मई तक होता है।