निसोथ (Turpethum or Nishoth) को कई तरह से लिखा जाता है। कई लोग निसोथ को निसोत तो अनेक लोग निशोथ लिखते हैं। इसे संस्कृत में त्रिवृत् भी बोला जाता है। आप निशोथ के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे। यह एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी है। आयुर्वेदिक किताबों में निसोथ के फायदे के बारे में कई अच्छी बातें बताई गई हैं। निशोथ के कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि बुखार, सूजन, पेट की बीमारी, और ह्रदय रोग में निसोत के इस्तेमाल से फायदे (Turpethum or Nishoth benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, कंठ से जुड़ी बीमारियों, तिल्ली विकार, एनीमिया, घाव आदि रोगों में भी निसोथ के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आप पेट के कीड़े की समस्या, टीबी की बीमारी, फोड़ा, और एनीमिया में भी निसोथ से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि निसोथ (निशोथ या निसोत) के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा और नुकसान (Turpethum or Nishoth benefits and side effects) हो सकता है।
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निशोथ की लता अनेक सालों तक जीवित रहती है। इसकी जड़ मोटी, स्थूल, मांसल, शाखायुक्त होती है। रंगों के आधार पर निशोथ दो तरह की होती हैः-
(1) श्यामला
(2) सफेद
सफेद निशोथ की जड़ सफेद रंग की और काली निशोथ की जड़ श्याम रंग की होती है। चिकित्सा कार्य के लिए त्रिवृत् की जड़ का प्रयोग किया जाता है। बाजार में इसके भूरे या सफेद-भूरे रंग के मोटे टुकड़े मिलते हैं। ये टुकड़े एक ओर फटे हुए से मिलते हैं। कई स्थानो पर जड़ के टुकड़े में इसके तने के टुकड़े को भी मिलाकर बेचा जाता है। यहां निसोथ के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Turpethum benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप निसोथ के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
निसोथ का वानस्पतिक नाम Operculina turpethum (Linn.) Silva Manso (ऑपरक्युलिना टरपिथम) Syn-Ipomoea turpethum (Linn.) R. Br., Merremia turpethum (Linn.) Shah & Bhatt. है, और यह Convolvulaceae (कान्वाल्वुलेसी) कुल की है। निसोथ के अन्य नाम ये भी हैंः-
Turpethum (Nishoth) in –
निसोथ के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
सफेद त्रिवृत् मधुर, कषाय, कटु, उष्ण, लघु, सर, रूक्ष, तीक्ष्ण होती है। श्यामले त्रिवृत् तीक्ष्ण, विरेचक, मूर्च्छाकारक, दाहकारक, मदकारक और भम कारक होती है। दोनों प्रकारों में सफेद रंग युक्त जड़ उत्तम मानी जाती है। व्यक्तियों और बालकों को इसकी जड़ का प्रयोग करने से बहुत लाभ मिलता है। हल्के कब्ज वाले व्यक्तियों को भी लाभ होता है।
श्यामले जड़ वाली निशोथ दस्त का कारण बन सकती है। यह रस, रक्त आदि धातुओं को क्षीण करके बेहोशी उत्पन्न कर देती है। क्षीण होने के कारण हृदय और कण्ठ में खिंचाव उत्पन्न कर देती है। यह दोषों को तुरंत ठीक करती है।
निसोथ के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
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पित्तज विकार में त्रिवृत् के औषधीय गुण के फायदे मिलते हैं। आप त्रिवृत् का पेस्ट बना लें। पेस्ट और एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाएं। इसके लिए दोनों को दूध और जल में पकाएं। इसे पीने से पेट साफ होता है और पित्तज विकार खत्म होते हैं।
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निशोथ, मधुशिग्रु और जड़ी के बीज को तेल में पकाएँ। इसे पीने और इससे मसाज करने से वात दोष के कारण होने वाले विकार ठीक होते हैं। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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अगर पेट की बीमारी के कारण रोगी को कब्ज हो जाए तो खाने के पहले यवतिक्ता, थूहर, निशोथ, दंती और चिरबिल्व के पत्तों की सब्जी खिलाना लाभदायक होता है।
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1-2 ग्राम निशोथ का चूर्ण लें। इसमें एक चौथाई भाग दालचीनी, तेजपत्ता और मरिच का चूर्ण मिला लें। इसे शर्करा और शहद के साथ सेवन करने से कब्ज की समस्या ठीक होती है।
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आप पेट में कीड़े होने पर निसोत के फायदे ले सकते हैं। 1-2 ग्राम त्रिवृतादि पेस्ट को छाछ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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रात में 2-3 ग्राम भूरे त्रिवृत् के चूर्ण को कलाकन्द के साथ सेवन करें। इससे सुबह पेट साफ हो जाता है, और आंतों से जुड़े रोग में लाभ होता है।
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2-3 ग्राम निशोथ के चूर्ण को त्रिफला के काढ़ा के साथ सेवन करें। इससे पीलिया की बीमारी का इलाज होता है। आप इसे बराबर मात्रा में मिश्री के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
गठिया में निशोथ, विदारीकंद और गोक्षुर का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे गठिया के उपचार में मदद मिलती है। अधिक लाभ के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें।
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विसर्प रोग होने पर निसोत के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। 1-2 ग्राम निशोथ चूर्ण को घी, दूध, अंगूर के रस के साथ पीने से विसर्प रोगी को लाभ मिलता है।
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आयुर्वेद के अनुसार कच्चा फोड़ा की अवस्था में निसोत के प्रयोग से फायदा मिलता है। फोड़ा होने पर निशोथ और 1-2 ग्राम हरीतकी के चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे कच्चे फोड़े की समस्या में लाभ होता है।
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जहरीले कीटों के काटने पर बराबर मात्रा में चौलाई की जड़ और 1-2 ग्राम निशोथ का चूर्ण लें। इसमें घी मिलाकर पीना चाहिए। इससे कीटों के काटने का इलाज होता है।
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निसोत के फायदे से टीबी रोग में लाभ होता है। काली निशोथ के चूर्ण को शर्करा, मधु और घी या अंगूर रस, गम्भारी रस, विदारीकंद रस आदि के साथ दें। इससे टीबी की बीमारी का इलाज होता है।
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पुष्य नक्षत्र में काली निशोथ की जड़ निकाल लें। इससे लाल रंग के धागे में बाँधकर रोगी को बाँधें। इससे इंफ्लुएंजा का इलाज होता है।
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रक्तपित्त (आंख-नाक-कान से खून निकलने पर) में निशोथ का चूर्ण (1-2 ग्राम) लें। इसके साथ ही निसोत रस (5-10 मिली) या काढ़ा (10-20 मिली) में अधिक मात्रा में मधु और शर्करा मिलाकर सेवन करना चाहिए।
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थूहर के दूध में पिसी हुई निशोथ और मंजिष्ठा के चूर्ण (1-2 ग्राम) का सेवन करें। इससे चूहे के काटने पर लगने वाला विष या विष के कारण होने वाले नुकसान ठीक होते हैं।
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निसोथ के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
निसोथ को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
निसोथ के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैंः-
त्रिवृत की जड़ पेट को साफ करती है और दस्त का कारण बन सकती है। इसलिए इसका उतना ही उपयोग करना चाहिए जितनी जरूरत हो। इसका प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
यहां निसोथ के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Turpethum benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप निसोथ के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए निसोथ का सेवन करने या निसोथ का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
पूरे भारत वर्ष में 1000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।
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