ग्वारफली (Guvar gum or Gavarfali) के कई नाम हैं। इसे गुवारफली, वनसेमिया, गुवार की फली आदि भी कहा जाता है। आप ग्वारफली तो बराबर खाते होंगे, क्योंकि हरी सब्जी होने के कारण हर घर में ग्वारफली उपयोग में लाई जाती है। आप केवल इतना ही जानते हैं कि ग्वारफली हरी सब्जी है और इससे शरीर को फायदा होता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि ग्वारफली एक जड़ी-बूटी की तरह भी काम करती है, और ग्वारफली के कई सारे औषधीय गुण भी हैं। जी हां, सूजन, दाद-खाज-खुजली, डायबिटीज जैसी बीमारियों में ग्वारफली के इस्तेमाल से फायदे (Guvar gum or Gavarfali benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, साइनस, दस्त, मोच, चोट, रतौंधी और गैस्ट्रिक विकार आदि रोगों में भी ग्वारफली के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में ग्वारफली के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आइए यहां जानते हैं कि ग्वारफली के सेवन के फायदे और नुकसान (Guvar gum or Gavarfali side effects) क्या-क्या हैं।
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ग्वारफली का पौधा सीधा, पुष्ट और भूरे रंग का होता है। इसके पत्ते अरहर के पत्ते जैसे होते हैं। इसके फूल छोटे, बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी फली 3.8-5 सेमी लम्बी, और मांसल होती है। फली गुच्छों में होती है। फली चपटी और हरे रंग की होती है। हर फली में 5-12 चपटे, छोटे-छोटे बीज होते हैं। ग्वारफली के पौधे में फूल और फल अप्रैल से जून तक होता है।
यहां ग्वारफली के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Guvar gum (Gavarfali) benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप ग्वारफली के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
ग्वारफली का वानस्पतिक नाम Cyamopsis tetragonoloba (Linn.) Taub. (सायमॉप्सिस टेट्रागोनोलोबा) Syn-Dolichos psoraloides Lam. है, और यह Fabaceac (फैबेसी) कुल का है। ग्वारफली को दुनिया भर में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Guvar gum (Gavarfali) in –
ग्वारफली के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
गुवार फली मधुर, गुरु, रूक्ष, कफपित्तशामक, वातकारक, रुचिकारक, अग्निदीपक, सर और बलवर्धक होती है। इसके पत्रों का प्रयोग रतौंधी की चिकित्सा में किया जाता है।
ग्वारफली (वनसेमिया) के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
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गुवारफली और इसके पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव से होने वाला रक्तस्राव बन्द हो जाता है।
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पाचनतंत्र विकार में भी ग्वारफली के सेवन से लाभ मिलता है। गुवार की फलियों की सब्जी बनाकर सेवन करें। इससे पाचनतंत्र विकार में लाभ होता है।
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दस्त से परेशान रहते हैं तो गुवार की फलियों का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में पिलाने से पित्त दोष के कारण होने वाली दस्त पर रोक लगती है।
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गुवार फली के पत्ते और फलियों को रातभर के लिए पानी में भिगो दें। इसे सुबह छान लें, और 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।
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गुवारफली और इसके पत्तों को पीसकर साइनस वाले घाव पर लगाएं। इससे साइनस में लाभ होता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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दाद-खाज-खुजली के इलाज में वनसेमिया के औषधीय गुण से फायदा होता है। वनसेमिया की पत्तियों के साथ लहसुन को पीस लें। इसे लगाने से दाद ठीक होता है।
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आप वनसेमिया के फायदे से सूजन कम कर सकते हैं। गुवारफली के बीजों को तिल के साथ मिलाकर पीस लें। इसे सूजन पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
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मोच में ग्वारफली का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। गुवारफली के बीजों को तिल के साथ मिलाकर पीस लें। इसे मोच वाले अंग पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
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ग्वारफली के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
ग्वारफली को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
ग्वारफली के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैंः-
वात प्रकृति वाले व्यक्ति को अत्यधिक मात्रा में ग्वारफली की पत्तियों की सब्जी नहीं खानी चाहिए, क्योंकि इससे पेट फूलने की शिकायत हो सकती है। पेट फूलने पर हरा धनिया खाना चाहिए।
यहां ग्वारफली के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Guvar gum (Gavarfali) benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप ग्वारफली के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए ग्वारफली का सेवन करने या ग्वारफली का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
यह पूरे भारत में पाई जाती है। यह मुख्यतः गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में पायी जाती है।
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