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Karkatshringi: कर्कटशृंगी के ज़बरदस्त फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

कर्कटशृंगी का परिचय (Introduction of Karkatshringi)

कर्कटशृंगी का नाम शायद ही किसी ने सुना होगा लेकिन हिन्दी में अगर इसका नाम ‘काकड़ासिंगी’ ले तो हो सकता है कि आपको जाना पहचाना लगे। कर्कटशृंगी या काकड़ासिंगी एक प्रकार का जड़ी बूटी होता है जिसका आयुर्वेद में औषधी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चलिये इसके औषधिपरक गुणों के बारे में जानने के लिए आगे विस्तार से जानते हैं।

Karkatshringi benefits

कर्कटशृंगी क्या है? (What is Karkatshringi in Hindi?)

चरक, सुश्रुत आदि प्राचीन आयुर्वेदीय सहिताओं में कर्कट शृंगी का वर्णन प्राप्त होता है। इसका प्रयोग सर्दी-खांसी, सांस संबंधी समस्या आदि बीमारियों की चिकित्सा में किया जाता है। 

कर्कटशृंगी का शृंगाकार-कोष (Galls)-इस वृक्ष के पत्ते या पत्तो के वृंत पर विशेष प्रकार के कीड़ों से 3-10 सेमी लम्बे तथा 1-5 सेमी चौड़े  शृङ्गाकर कीटगृह बनाए जाते हैं। जिनके बाहर के तरफ हरे-भूरे रंग के, धूसर या बादामी रंग के, सिकुड़नयुक्त, कठोर, भीतर से खोखले, नवीनावस्था में चर्मिल, पुराने होने पर कठिन, तोड़ने से भीतर लाल तथा महीन होते हैं, इसे ही काकड़ा शृंगी कहते हैं। यह कणों के सफेद जाले से ढके होते हैं, तारपीन के तेल के समान गंधयुक्त होते हैं।

 

अन्य भाषाओं में कर्कटशृंगी के नाम (Names of Karkatshring in Different Languages)

कर्कटशृंगी का वानास्पतिक नाम Pistacia chinensis subsp. integerrima (Stewart ex Brandis) Rech.f. (पिस्टेशिया चाइनेन्सिस उपजाति इंटेग्रिमा) Syn-Pistacia integerrima J.L. Stew. ex Brandis है। यह Anacardiaceae (ऐनाकार्डिऐसी) कुल का होता है और इसको अंग्रेजी में Gall plant (गॉल प्लान्ट) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि कर्कटशृंगी और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

संस्कृत- शृङ्गी, कर्कट शृङ्गी, कुलीरविषाणिका, वक्रा; 

हिन्दी-काकड़ासिंगी, काकरासिंगी; 

उर्दू-काकरा (Kakara); 

कश्मीर-ड्रेक (Drek), गुर्गु (Gurgu), काक्कर (Kakkara); 

कन्नड़-काकेटिशृगी  (Kaketisringi), दुष्टपुचित्तु (Dusthpuchittu); 

गुजराती-कांकड़ाशीघ्री (Kankadasingi), काकर (Kakar);

 तमिल-काक्कटशिंगी (Kakkatsingi);

 तेलुगु-काकराशिंगी (Kakarasingi); 

बंगाली-कांकराशृङ्गी (Kankrasringi), काकरा (Kakara); 

नेपाली-काकरसिंगी (Kakarsingi); 

पंजाबी-ककर (Kakar), सुमाक (Sumak); 

मराठी-काकड़शिंगी (Kakadsingi), काकरा (Kakara)।

अंग्रेजी-चायनीज पिस्टैच (Chinese pistache)।

 

कर्कटशृंगी का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Karkatshringi in Hindi)

काकड़ासिंगी कड़वा, गर्म, गुरु, रूखा, कफ और वात को कम करने वाला, सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में मदद करती है।

यह बुखार, सांस संबंधी समस्या, शरीर के ऊपरी भाग में वात दोष के कारण होने वाली समस्या, प्यास, खांसी, हिचकी, अरुचि, उल्टी, अतिसार, रक्तपित्त, बालरोग, रक्तदोष, कृमि, को दूर करने में मदद करती है।

 

खांसी से राहत दिलाने में लाभकारी कर्कटशृंगी (Karkatshringi Beneficial to treat Cough in Hindi)

cough

मौसम के बदलने के साथ खांसी होने पर 1-2 ग्राम काकड़ासिंगी चूर्ण को शहद मिलाकर सेवन करने से वातज कास का तथा घी, मधु और मिश्री मिलाकर सेवन करने से पित्तज कास का शमन होता है।

-काकड़ासिंगी तथा कटेरी का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से कास (खाँसी) में लाभ होता है।

-कर्कट शृंगी चूर्ण में शहद मिलाकर 125-250 मिग्रा की गोलियाँ बनाकर, मुँह में रखकर चूसते रहने से कास (खाँसी) में लाभ होता है।

 

अस्थमा में फायदेमंद कर्कटशृंगी (Karkatshringi Beneficial in Asthma in Hindi)

कर्कटशृंगी का औषधीय गुण अस्थमा या दमा के लक्षणों से राहत दिलाने में फायदेमंद होते हैं। 1-2 ग्राम काकड़ासिंगी चूर्ण में 500 मिग्रा कायफल चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चाटने से दमा में लाभ होता है।

 

कर्कटशृंगी के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of  Karkatshringi in Hindi) 

काकड़ासिंगी के औषधीय गुण कफ संबंधी और पेट संबंधी समस्या में सबसे ज्यादा कार्यकारी होता है। कर्कटशृंगी को आयुर्वेद में किस तरह और कैसे इस्तेमाल किया जाता है चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

शीताद या स्कर्वी के इलाज में फायदेमंद कर्कटशृंगी (Benefit of Karkatshringi in Scurvy in Hindi)

काकड़ासिंगी का काढ़ा बनाकर गरारा करने से शीताद (Scurvy) के लक्षणों से राहत मिलने में आसानी होती है।

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बलगम के कारण होने वाली उल्टी से राहत दिलाने में फायदेमंद कर्कटशृंगी ( Karkatshringi Beneficial to treat Vomit due to Cough in Hindi)

Vomiting

अक्सर शिशुओं को बलगम वाली खांसी होने से वह उल्टी करने लगते हैं।  काकड़ासिंगी और नागरमोथा को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर, 1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन मधु के साथ करने से कफजन्यछर्दि (उल्टी) में लाभ होता है।

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हिक्का या हिचकी में फायदेमंद कर्कटशृंगी (Karkatshringi Beneficial in Hiccup in Hindi)

अगर बार-बार हिचकी आने की समस्या है तो कर्कटशृंगी का इस तरह से उपयोग करने पर लाभ मिलता है-

-समान मात्रा में हींग, सौवर्चल नमक, जीरा, बिड नमक, पुष्करमूल, चित्रकमूल तथा काकड़ासिंगी के काढ़े से बने यवागू का सेवन करने से सांस तथा हिक्का (हिचकी) रोग में शीघ्र लाभ होता है।

-लौंग, सोंठ, काली मिर्च, पीपर, वत्सनाभ, काकड़ासिंगी, कटेरी तथा बहेड़ा, इनका चूर्ण बनाकर घृतकुमारी के रस में घोंटकर  125 मिग्रा की गोली बनाकर सुबह शाम 1-1 गोली सेवन करने से सांस संबंधी समस्या तथा खांसी में लाभ होता है।

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अतिसार या दस्त से राहत दिलाने में लाभकारी कर्कटशृंगी (Karkatshringi Beneficial in Diarrhoea in Hindi)

अगर खान-पान में गड़बड़ी या संक्रमण के वजह से दस्त हो रहा है तो काकड़ासिंगी का उपयोग फायदेमंद साबित होता है।

-2 ग्राम काकड़ासिंगी चूर्ण में 1 ग्राम बेलगिरी चूर्ण मिलाकर सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।

-1-2 ग्राम काकड़ासिंगी चूर्ण में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिलाकर मधु के साथ खाने से अतिसार से राहत तथा खाने में रूची आती है।

-1-2 ग्राम काकड़सिंगी चूर्ण को मलाई के साथ मिलाकर सेवन करने से अथवा घी में भूनकर उसमें शर्करा मिलाकर खाने से आमातिसार में लाभ होता है।

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विचर्चिका या खुजली से राहत दिलाने में फायदेमंद काकड़सिंगी (Karkatshringi Beneficial in Scabies in Hindi)

scabies

कर्कट शृङ्गी को पीसकर लेप करने से पामा, कण्डू, छाजन (विचर्चिका) आदि त्वचा विकारों का शमन होता है।

 

वाजीकरण में लाभकारी काकड़सिंगी (Benefit of Karkatshringi in Sexual Stamina in Hindi)

कर्कट शृङ्गी  वाजीकरण के समस्या को दूर करने में लाभकारी होता है। काकड़ासिंगी के 1 ग्राम पेस्ट को दूध में मिलाकर पीने से तथा भोजन में मिश्री, घी एवं दूध का प्रयोग करने से सेक्स करने की इच्छा में वृद्धि होती है।

 

सांस संबंधी समस्या में लाभकारी काकड़सिंगी (Benefit of Karkatshringi in Breathing Issues in Hindi)

1 ग्राम काकड़ासिंगी तथा 250 मिग्रा मूली के फल चूर्ण में मधु एवं घी मिलाकर उम्र के अनुसार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बच्चों को खिलाने से सांस संबंधी समस्या में लाभकारी होता है।

 

बच्चों के रोग में लाभकारी काकड़सिंगी (Karkatshringi Beneficial to treat Child Diseases in Hindi)

बच्चों के तरह-तरह के रोगों से निजात दिलाने में काकड़सिंगी लाभकारी होता है।

-काकड़ा शृंगी, अतीस तथा पिप्पली से निर्मित चूर्ण को 500 मिग्रा की मात्रा में लेकर शहद के साथ सेवन कराने से शिशुओं में होने वाली खांसी, ज्वर तथा वमन में लाभ होता है।

-काकड़ासिंगी, अतीस, नागरमोथा तथा वायविडंग को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 125-250 मिग्रा की मात्रा में शहद के साथ देने से ज्वर, अतिसार, खाँसी तथा दाँत निकलने के समय होने वाले उपद्रवों में लाभ होता है।

 

कर्कटशृंगी का उपयोगी भाग (Useful Parts of Karkatshringi)

आयुर्वेद के अनुसार कर्कटशृंगी  के औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-कीटगृह (Galls)

असल में कर्कटश्रंगी कोई फल या पुष्प नहीं है वस्तुत यह एक वृक्ष विशेष के पत्तों पर कीड़ों के द्वारा बनाया एक  शृंगाकार संरचना होता है। कृमि से बना शृंगाकार संरचना की वजह से इस वृक्ष को काकड़ा शृंगी नाम से जाना जाता है।

 

कर्कटशृंगी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Karkatshringi in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए काकड़ा शृंगी का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार वयस्क के लिए चूर्ण 1-2 ग्राम और, बच्चों के लिए 250-500 मिग्रा ले सकते हैं।

 

कर्कटशृंगी कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Karkatshringi Found or Grown in Hindi)

भारत में यह विभिन्न हिमालयी प्रदेशों यानि कश्मीर, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश में 400-2500 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।