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Aralu: करिश्माई ढंग से फायदा करता है अरलु – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

आपने अरलु (Aralu Copal tree) के वृक्ष को सड़कों के किनारे देखा होगा। यह एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, अरलु के अनेक औषधीय गुण हैं, और बुखार, घाव, और गठिया जैसी बीमारियों में अरलु के इस्तेमाल से फायदे (Aralu benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, प्रसव के बाद महिलाओं को होने वाली तकलीफ, कान दर्द, और बवासीर आदि रोगों में भी अरलु के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

 

Aralu benefits and side effects

आप पाचनतंत्र, दस्त, सांसों की बीमारी आदि में अरलु के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप मुंह के छाले, खांसी और जुकाम में भी अरलु से लाभ ले सकते हैं। यहां हम जानेंगे कि अरलु के सेवन से कितने सारे फायदे होते हैं, और अरलु से क्या-क्या नुकसान (Aralu side effects) हो सकता है। 

 

Contents

अरलु क्या है? (What is Aralu in Hindi?)

अरलु का पौधा एक जड़ी-बूटी है। यह सड़कों के किनारे और बाग-बगीचों में मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, अरलु के पौधे के तने, छाल और पत्तों को चिकित्सीय कार्य में उपयोग किया जाता है।

यहां अरलु के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Aralu benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप अरलु के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अन्य भाषाओं में अरलु के नाम (Name of Aralu in Different Languages)

अरलु का वानस्पतिक नाम Ailanthus excelsa Roxb. (ऐलेन्थस ऐक्सेल्सा) है, ौर यह Simaroubaceae (सिमारुबेसी) कुल का है। अरलु के अन्य नाम ये हैंः-

Aralu in –

  • Hindi- अडू, महारुख, मारुख, घोड़ानीम, घोड़ाकरंज 
  • English- कोपल ट्री (Copal tree), वार्निश ट्री (Varnish tree), Tree of Heaven (ट्री ऑफ हैवन)
  • Sanskrit- अरलु, कट्ग, दीर्घवृंत, महारुख, पूतिवृक्ष 
  • Oriya- गोरीमक्काबा (Gorimakkaba)
  • Kannada- दोड्डाबेवू (Doddabevu), बेन्डे (Bende)  
  • Gujarati- अरतुसे(Artusi), मोटो अर्डुसो (Moto araduso)
  • Telugu- पेड्डामानू (Peddamanu)
  • Tamil- पेरूमरुथु (Perumaruttu)
  • Punjabi- अरुआ (Arua)
  • Marathi- महारुक (Maharuka)
  • Malayalam- मट्टी पोंगिल्यम् (Matti pongilyam)
  • Rajasthani- अरुआ (Arua)
  • Arabic- खुख (Khukh)
  • Persian- शफतालु (Shaftalu)

 

अरलु के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Aralu in Hindi)

अरलु और महारलू के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

अरलु

अरलु तिक्त, रूक्ष, कफपित्तशामक, वातकारक होता है। यह संग्राही, पाचन, दीपन, ग्राही व विष्टम्भी होता है और कृमि व कुष्ठ का ठीक करता है। इसकी छाल ज्वर और तृष्णा का ठीक करने वाली, संकोचक भूख बढ़ाने वाली, कृमिनाशक और अतिसार, कर्णशूल व त्वचा रोगों को नष्ट करती है।

महारलू मूल छाल का प्रयोग अपस्मार, हृद्य विकार और श्वासकष्ट की चिकित्सा में किया जाता है। छाल का काढ़ा बनाकर पीने से उदरात्र कृमियों विषम ज्वर, रक्तातिसार और प्रवाहिका का ठीक होता है। मूल छाल का काढ़ा बनाकर व्रण को धोने से व्रण का शोधन और रोपण होता है। पत्ते एवं छाल को पीसकर व्रण में लगाने से व्रण का शोधन और रोपण होता है। मोच में लगाने से मोच का ठीक होता है। मूल काढ़ा में मिश्री और काली मिर्च मिलाकर पीने से श्वास-कास में लाभ होता है।

 

अरलु के फायदे और उपयोग (Aralu Benefits and Uses in Hindi)

अरलु के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

 

अरलु के औषधीय गुण से कान के दर्द का इलाज (Benefits of Aralu to Treat Ear Pain in Hindi)

कान के दर्द से आराम पाने के लिए अरलु की छाल और पत्तों को पीसकर तिल के तेल में पका लें। इस तेल को छानकर रख लें। इसे 1-2 बूँद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

 

Benefits of Aralu to Treat Ear Pain

और पढ़ेंः कान दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

 

मुंह के छाले में अरलु के सेवन से लाभ (Aralu Benefits for Mouth Ulcer Treatment in Hindi)

मुंह में छाले होना एक आम बात है। लोग बार-बार इससे परेशान रहते हैं। इसके लिए आप अरलु का सेवन कर सकते हैं। अरलु की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।

और पढ़ेंः मुंह के छाले के लिए घरेलू इलाज

 

सांसों की बीमारी में अरलु के सेवन से लाभ (Aralu Benefits for Respiratory Disease in Hindi)

श्वसनतंत्र से संबंधित बीमारी में अरलु का उपयोग लाभदायक होता है। 1-2 ग्राम अरलु की छाल के चूर्ण में बराबर मात्रा में अरलु रस और शहद मिला लें। इसका सेवन करने से सांसों के रोग ठीक होते हैं।

और पढ़ें: सांसों की बीमारी में मूली खाने के फायदे

 

खांसी और जुकाम में अरलु का औषधीय गुण फायेदमंद (Aralu Benefits in Fighting with Cough and Cold in Hindi)

आप अरलु से सर्दी-खांसी का इलाज कर सकते हैं। अरलु की छाल का काढ़ा बनाते समय काढ़ा से निकलने वाली वाष्प का भाप लें। इससे खाँसी और जुकाम में लाभ होता है।

 

Aralu Benefits in Fighting with Cough and Cold

और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपाय

 

अरलु के औषधीय गुण से दस्त का इलाज (Benefits of Aralu to Stop Diarrhea in Hindi)

  • 1 ग्राम अरलु झार को दूध के साथ पीने से दस्त की समस्या ठीक होती है।
  • अरलु की छाल को कूट लें। इसमें बराबर मात्रा में पद्मकेसर मिला लें। आप बिना पद्मकेसर मिलाए, जल से भी पीस सकते हैं। इसका गोला बनाकर, गम्भारी के पत्ते में लपेट लें। पुटपाक विधि से इसका रस निकाल लें। ठंडा होने पर 5 मिली रस में मिश्री या मधु मिलाकर पीने से दस्त में लाभ होता है।
  • अरलु की छाल का पेस्ट बना लें। 2 ग्राम पेस्ट में बराबर मात्रा में घी मिलाकर, गर्म पानी की भाप से गर्म कर लें। जब यह ठंडा हो जाए तो शहद मिलाकर रोगी को देने से दस्त पर रोक लगती है।
  • अरलु की छाल का पेस्ट बना लें। इसे पुटपाक करके रस निकाल लें। इसे 5-10 मिली मात्रा में पीने से दस्त में लाभ मिलता है।
  • 6 ग्राम मोचरस और 10 ग्राम मधु के साथ 5 मिली अरलु रस मिलाकर पीने से हर तरह के दस्त की समस्या में फायदा होता है।
  • अरलु की छाल और सोंठ को पीस लें। 2-4 ग्राम की मात्रा को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से दस्त ठीक होता है।

और पढ़ेंः दस्त में अभ्यारिष्ट के फायदे

 

अरलु के औषधीय गुण से पाचनतंत्र विकार में लाभ (Benefits of Aralu to Treat Digestive Disorder in Hindi)

5 ग्राम अरलु की छाल को 20 मिली गर्म या ठण्डे पानी में रात भर के लिए भिगोकर रख दें। सुबह छाल को पानी में मसलें, और पानी को छान पिएं। इससे पाचनतंत्र विकार में लाभ होता है।

और पढ़ेंः पाचनतंत्र विकार में अलसी के फायदे

 

बवासीर में अरलु के सेवन से लाभ (Aralu Benefits for Piles Treatment in Hindi)

अरलु की छाल, चित्रक मूल, इद्रयव, करंज छाल और सैंधा नमक लें। इन सभी औषधियों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ पिएँ। इससे बवासीर में लाभ होता है।

 

Aralu Benefits for Piles Treatment

और पढ़ेंः बवासीर को ठीक करने के लिए असरदार घरेलू उपाय

 

प्रसव के बाद की समस्याओं में अरलु के फायदे (Aralu is Beneficial for Post Pregnancy in Hindi)

  • 2-5 मिली अरलु की छाल के रस में शहद मिला लें। इसे प्रसूति स्त्री को पिलाएँ। इससे प्रसव के बाद होने वाली शारीरिक कमजोरी और दर्द में लाभ मिलता है।
  • जिन महिलाओं को प्रसव के बाद चार-छह दिन तक बहुत दर्द होता है, उनके लिए 5 ग्राम अरलु की छाल चूर्ण में 2 ग्राम सोंठ और 5 ग्राम गुड़ मिला लें। इसकी 10 गोलियां बना लें। 1-1 गोली को सुबह, दोपहर, शाम दशमूल काढ़ा के साथ देने से बहुत लाभ होता है।

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गठिया में अरलु का औषधीय गुण फायेदमंद (Aralu Benefits for Arthritis Treatment in Hindi)

  • अरलु की पत्तियों को पीसकर जोड़ों पर बाँधने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।
  • 1-2 ग्राम अरलु की छाल के चूर्ण को शहद के साथ नियमित तौर पर सेवन करने से जोड़ों के दर्द और सूजन से आराम मिलता है।

और पढ़ेंः गठिया में पिपरमिंट के फायदे

 

घाव में अरलु का औषधीय गुण फायेदमंद (Aralu Benefits for Healing Wound in Hindi)

आप घाव होने पर अरलु के फायदे ले सकते हैं। इसके लिए अरलु की छाल का काढ़ा बना लें। काढ़ा से घाव को धोएं। इससे घाव जल्दी भर जाता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

 

Benefits of Aralu for Healing Wound

और पढ़ेंः घाव के इलाज में निर्गुण्डी के फायदे

 

बुखार में अरलु के फायदे (Aralu Uses in Fighting with Fever in Hindi)

  • 10 ग्राम अरलु की छाल को 80 मिली जल में पकाएं। 20 मिली शेष रहने पर ठण्डा करके इसमें शहद मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से बुखार में लाभ होता है।
  • 1-2 ग्राम अरलु की छाल के चूर्ण को शहद या दही के साथ सुबह और शाम पीने से बुखार ठीक होता है।

और पढ़ेंः बुखार के लिए घरेलू उपचार

 

अरलु के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Aralu in Hindi)

अरलु के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

  • तना 
  • छाल
  • पत्ते

 

अरलु का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Aralu in Hindi?)

अरलु को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

  • रस-10-20 मिली
  • घनसत्त- 500 मिग्रा
  • चूर्ण- 2-3 ग्राम
  • काढ़ा- 5-10 मिली 

यहां अरलु के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Aralu benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप अरलु के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए अरलु का सेवन करने या अरलु का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

 

अरलु कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Aralu Found or Grown?)

भारत में विशेषतः बिहार, उड़ीसा, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश के जंगलों से प्राप्त होता है। यह विश्व के उष्णकटिबंधीय देशों अफ्रिका, श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया आदि में होता है।

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