गोरक्ष (Takoli Shisham or Goraksha) को देश भर में गोरखी, तकोली, तिकोली, बिठुका भी बोला जाता है। आपने गोरक्ष के वृक्ष को अनेक स्थानों पर देखा होगा। गोरक्ष के वृक्ष या पत्ते शीशम के जैसे ही लगते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार दोनों वृक्षों और उनके औषधीय गुणों में भिन्नता है। शीशम की तरह की गोरक्ष का उपयोग भी जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। अगर आप अपच, पथरी की बीमारी, जोड़ों के दर्द आदि जैसी बीमारियों में गोरक्ष का इस्तेमाल करेंगे तो आपको फायदा (Takoli Shisham benefits and uses) होता है। इसके साथ ही घाव, सूजन, बुखार आदि में भी गोरक्ष के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आइए जानते हैं कि गोरक्ष का सेवन या उपयोग करने से क्या-क्या फायदा या नुकसान (Takoli Shisham or Goraksha benefits and side effects) हो सकता है।
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गोरक्ष का वृक्ष सीधा और 9-12 मीटर ऊँचा होता है। यह वृक्ष बहुत घना और अनेक शाखाओं वाला होता है। इसकी छाल चिकनी, भूरे रंग की होती है। इसके पत्ते 7.5-15 सेमी लम्बे, तुरंत गिरने वाले होते हैं। पत्तों का रंग हरा होता है। इसकी फली 3.7-10 सेमी लम्बी और 12-18 सेमी चैड़ी होती है। फली के दोनों छोड़ पतले और बिना रोम वाले होते हैं। फली में बीज की संख्या 1-3 होती है। गोरक्ष के वृक्ष में फूल अपैल से मई से, और फल सितम्बर-जनवरी तक होता है।
यहां गोरक्ष के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Takoli (Takoli Shisham or Goraksha benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप गोरक्ष के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
गोरक्ष का वानस्पतिक नाम Dalbergia lanceolaria Linn.f. (डैल्बर्जिया?लैन्सियोलेरिया) Syn- Amerimnon lanceolaria (Linn.f.) Kuntze है, और यह Fabaceae (फैबेसी) कुल का है। गोरक्ष के अन्य ये भी नाम हैंः-
Goraksha in –
गोरक्ष (गोरखी) के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
गोरक्ष कटु, तिक्त, कषाय, उष्ण, लघु, रूक्ष, कफवातशामक, दर्द स्थापक और आमपाचक होता है।
गोरक्ष (गोरखी) के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
बदहजमी या अपच होने पर गोरक्ष (गोरखी) के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। गोरक्ष के तने की छाल का काढ़ा बना लें। इसे 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से बदहजमी में लाभ होता है।
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गोरखी (गोरक्ष) के फायदे से गठिया के दर्द से आराम मिलता है। गोरखी या तिकोली के बीज के तेल से मालिश करने से गठिया, और गठिया के कारण होने वाला दर्द और सूजन में लाभ मिलता है।
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आप तिलोकी (गोरखी या गोरक्ष) के औषधीय गुण से जोड़ों के दर्द को ठीक कर सकते हैं। गोरखी की पत्तियों को पीस लें। इसे गुनगुना करके जोड़ों में बांधने से जोड़ों का दर्द और सूजन ठीक होता है।
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घाव और घाव से साथ सूजन होने पर आप गोरखी से लाभ ले सकते हैं। गोरक्ष के पत्तों को पीसकर घाव वाले स्थान पर लगाएं। इससे घाव और सूजन में लाभ होता है।
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गोरक्ष के बीज तेल या पत्तियों को पीसकर लगाने से पूरे शरीर की सूजन ठीक होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।
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बुखार एक आम बीमारी है। इसके लिए गोरक्ष और विकंकत की छाल का काढ़ा बना लें। इस काढ़ा को जल में मिला लें। इससे स्नान करने से बुखार में लाभ होता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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गोरक्ष के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
गोरक्ष को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
काढ़ा- 10-15
यहां गोरक्ष के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Takoli Shisham or Goraksha benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप गोरक्ष के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए गोरक्ष का सेवन करने या गोरक्ष का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
भारत में गोरक्ष उष्णकटिबंधीय हिमालय में विशेषत घाटियों, पहाड़ियों के छायादार भागों में पाया जाता है। विश्व में यह श्रीलंका और म्यान्मार में पाया जाता है।
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