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किडनी की बीमारी वाले मरीजों के लिए डाइट प्लान (Diet Plan for Kidney Patient)

किडनी से जुड़ी किसी भी तरह की बीमारी गंभीर होती है। किडनी से संबंधित कई रोगों के कारण लोगों की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए ऐसी बीमारी के प्रति लापरवाही नहीं बरती जा सकती। आज अनेक लोग किडनी से जुड़े अनेक तरह के रोग से पीड़ित हैं, और रोजाना डॉक्टर के बताए अनुसार दवाओं का सेवन कर रहे हैं, लेकिन क्या आपको यह पता है कि किडनी की बीमारी का इलाज कराने के दौरान मरीजों को उचित डाइट चार्ट भी अपनाना जरूरी होता है। इसलिए यहां किडनी के मरीजों के लिए डाइट प्लान की जानकारी दी जा रही है।

किडनी के रोगी इस डाइट चार्ट को न सिर्फ बीमारी पर उचित नियंत्रण पा सकेंगे, बल्कि स्वास्थ लाभ भी पा सकेंगे।

किडनी की बीमारी में क्या खाएं (Your Diet During Kidney Disease)

किडनी विकार से ग्रस्त लोगों का आहार ऐसा होना चाहिएः-

नोट:

  • 1 कटोरी चावल (मांड रहित) सप्ताह में केवल 1-2 बार लें
  • आधा चम्मच सेंधा नमक (मरीज की बीमारी के अनुसार ज्यादा, कम या बंद भी कर सकते हैं) को 24 घण्टे में लें
  • 1 चम्मच रिफाइण्ड का तेल/सरसों का तेल /मूंगफली का तेल 24 घण्टे में सेवन करें
  • केवल 1 लीटर द्रव्य पदार्थ (मरीज की बीमारी के अनुसार ज्यादा, कम भी कर सकते है ) का 24 घण्टे के अन्तराल में सेवन करें
  • कोई भी सब्जी या फलों का जूस ना लें
  • मधुमेह (डायबिटीज) की अवस्था में चावल मांड रहित लें
  • मूंग दाल बनाने से पहले 45 मिनट पानी में भिगोकर रखें
  • अत्यधिक कमजोरी होने पर 10-15 gm पनीर (वैद्यानिर्देशानुसार) लें
  • सब्जियों को अच्छी तरह उबालकर तथा पानी निथारकर सेवन करें
  • यदि क्रिएटिनिन का लेवल 5.0 से अधिक हो तो फलों का सेवन न करें

और पढ़ेंः मूंग दाल के फायदे और उपयोग

किडनी की बीमारी में क्या ना खाएं (Food to Avoid in Kidney Disease)

किडनी रोग से ग्रस्त लोगों को इनका सेवन नहीं करना चाहिएः-

  • अनाज: नया धान, मैदा
  • दाल: उड़द दाल, काबुली चना, मटर, राजमा, सोयाबीन
  • फल एवं सब्जियां: कीवी, बीन्स, टमाटर, किशमिश, खजूर, बेर, आलू, कटहल, बैंगन, अरबी (गुइया), भिंडी, जामुन, आड़ू, कच्चा आम, केला
  • अन्य: तेल, गुड़, समोसा, पकोड़ी, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, खट्टे पदार्थ, सूखी सब्जियाँ, मालपुआ, भारी आहार जैसे छोले, ठण्डा खाना, दही, दूध से बने पदार्थ (खोया, मावा) मांसाहार, शराब धूम्रपान, ज्यादा नमक, तैलीय व मासलेदार भोजन, शहद, बेकरी उत्पाद

और पढ़ेंः शहद के औषधीय गुण

किडनी रोग के दौरान मरीजों का डाइट प्लान (Diet Plan for Kidney Disease)

किडनी की बीमारी के इलाज के दौारन सुबह उठकर दांतों को साफ करने (बिना कुल्ला किये) से पहले खाली पेट 1/4 गिलास गुनगुना पानी पिएं।

समय आहार योजना ( शाकाहार)

नाश्ता (8 :30 -9:30AM)

1/2 कप दूध + इडली (सूजी)/ 1 कटोरी पोहा/ पतंजलि आरोग्य दलिया (कम नमक वाला ) /उपमा (सूजी) / 1-2 पतली रोटी + 1 कटोरी सब्जी और पनीर (1-2 पीस)

दिन का भोजन (01:30-02:30) PM

1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा) + 1 कटोरी हरी सब्जियां + ½ कटोरी दाल (मूंगदाल)
शाम का नाश्ता (3:30pm) 1/2 कटोरी लई / चुरा / मूँग दाल + 1/2 कप दूध

रात का भोजन (08:00 – 09:00 Pm)

1 पतली रोटी (पतंजलि  मिश्रित अनाज  आटा) +1/2 कटोरी हरी सब्जियां

सलाह: यदि मरीज को चाय की आदत है तो इसके स्थान पर 1 कप पतंजलि दिव्य पेय दे सकते हैं।

और पढ़ेंः मूंग दाल के फायदे और उपयोग

किडनी रोग में आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle During Kidney Disease)

किडनी की बीमारी में आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-

  • पहले किएभोजन के पचने से पहले भोजन न करें।
  • अधिक व्यायाम न करें।
  • गुस्सा, डर, जल्दी चिंता न करें।
  • दिन में न सोएं।
  • अत्यधिक भोजन न करें।

किडनी रोग में ध्यान रखने वाली बातें (Points to be Remember in Kidney Disease)

किडनी की बीमारी में आपको इन बातों का ध्यान रखना हैः-

(1) ध्यान एवं योग का अभ्यास रोज करें।

(2) ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करें।

(3) भोजन धीरे-धीरे शांत स्थान में शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करें।

(4) तीन से चार बार भोजन अवश्य करें।

(5) किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागें, एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करें

(6) हफ्ते में एक बार उपवास करें।

(7) अमाशय का 1/3rd / 1/4th भाग रिक्त छोड़ें।

(8) भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे-धीरे खायें।

(9) भोजन लेने के बाद 3-5 मिनट टहलें।

(10) सूर्यादय से पहले [5:30 – 6:30 am] जाग जायें।

(11) रोज दो बार दांतों को साफ करें।

(12) रोज जिव्हा करें।

(13) भोजन लेने के बाद थोड़ा टहलें।

(14)  रात में सही समय पर [9-10 PM] नींद लें।

किडनी रोग के दौरान योग और आसन (Yoga and Asana During Kidney Disease)

किडनी विकार से छुटकारा पाने के लिए आप ये योग और आसन कर सकते हैंः-

  • योग प्राणायाम एवं ध्यान: भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, प्रनव जप।
  • आसन: शवासन, भुजंगासन, मकरासन, मर्कटासन, उत्तानपादास, पश्चिमोत्तानासन।

और पढ़ेंः गुर्दे की पथरी के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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