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आपने चंदन (sandalwood in hindi) के पेड़ को कभी देखा है? अगर नहीं देखा है, तो कभी ना कभी यह जरूर सुना होगा कि, चंदन नाम का एक पेड़ होता है, जो बहुत ही सुगंधित होता है। कई लोग चंदन की लकड़ियों का इस्तेमाल अपने घरों को सजाने के लिए करते हैं। चंदन की लकड़ियों (chandan stick) से पूजा-पाठ के सामान जैसे- अगरबत्ती, हवन सामग्री आदि भी बनाएं जाते हैं। चंदन की लकड़ी महंगी होती है, इसलिए इसकी तस्करी भी की जाती है।
असल में, लोगों को चंदन के पेड़ के बारे में केवल इतनी ही जानकारी होती है। अधिकांश लोगों को यह पता ही नहीं है कि, चंदन एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी भी है, और चन्दन का प्रयोग बहुत सालों से चिकित्सा के लिए किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि चंदन के उपयोग से आप किस-किस बीमारी में लाभ ले सकते हैं।
चंदन एक जड़ी-बूटी है। सुगन्धित, तथा शीतल होने से यह लोगों को आनन्द प्रदान करता है, इसलिए इसे चन्दन कहते हैं। चंदन के वृक्ष हरे रंग के और 6 से 9 मीटर ऊंचे होते हैं। इसकी शाखाएं झुकी होती हैं। चंदन के पेड़ की छाल लाल (rakta chandan), या भूरे, या फिर भूरे-काले रंग की होती है। चंदन के पत्ते अण्डाकार, मुलायम होते हैं, और पत्ते के आगे वाला भाग नुकीला होता है। चंदन के फूल भूरे-बैंगनी, या जामुनी रंग होते हैं, जो गंधहीन होते हैं। इसके फल गोलाकार, मांसल होते हैं, जो पकने पर शयामले, या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। इसके बीज कठोर, अण्डाकार अथवा गोलाकार होते हैं।
चंदन के वृक्ष प्रायः 20 वर्ष के बाद ही बड़े होते हैं। पेड़ के भीतर का हिस्सा हल्का पीला रंग का, और सुगंधित होता है। पुराने वृक्षों (chandan tree) की छाल दरार युक्त होती है। चंदन का वृक्ष 40-60 वर्ष की आयु के बाद उत्तम सुगन्ध वाला हो जाता है। चंदन के वृक्ष में फूल जून से सितम्बर के बीच होते हैं, और फल नवम्बर से फरवरी तक होते हैं। ऐसी अवस्था में चंदन पूरी तरह से उपयोग करने लायक हो जाता है। चंदन के पेड़ की कुछ विशेषताएं ये हैंः-
आयुर्वेद के अनुसार, चंदन के पेड़ केवल एक तरह के नहीं होते। देश-विदेश में चंदन के पेड़ भिन्न-भिन्न तरह के पाये जाते हैं, जो ये हैंः-
जो चंदन बहुत ही अच्छी गुणवत्ता का होता है, वह दिखने में सफेद रंग का होता है, लेकिन जब उसके टुकड़े करते हैं, तो लाल रंग का होता है। इसे घिसने पर उससे पीला रंग जैसा पदार्थ निकलता है। इसका सुगंध थोड़ा तीखा होता है।
यह चंदन बहुत अधिक ठंडा होता है। इससे प्रयोग से जलन, बुखार, उल्टी, कफ आदि बीमारियां ठीक की जा सकती है।
यह चंदन भी सुगंध में तीखा, और ठंडा होता है। यह कुष्ठ रोग, कफ, बुखार, जलन की परेशानी में फायदेमंद होता है। दाद, वात-विकार, विष, रक्तपित्त आदि में इस्तेमाल किया जाता है।
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चंदन का वानस्पतिक नाम सैन्टेलम ऐल्बम (Santalum album Linn) है, और यह सैन्टेलेसी (Santalaceae) कुल का है। इसके और भी नाम हैं, जो लोकप्रिय हैंः-
Chandan in –
अब तक आपने जाना कि चंदन क्या है, कितने तरह का होता है, और चंदन के कितने नाम हैं। आइए अब जानते हैं कि चंदन का औषधीय प्रयोग कैसे किया जाता है, इसकी मात्रा क्या होनी चाहिए, और इसकी विधियां क्यां-क्या हैं? आप चंदन का फायदा इस तरह ले सकते हैंः-
कुुछ लोगों को हमेशा प्यास लगी रहती है। वास्तव में यह एक समस्या है। ऐसे में 20-40 मिली नारियल जल में, 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण (chandan powder) को मिला लें। इसे पीने से प्यास खत्म हो जाती है।
महिलाओं या पुरुषों को कभी-कभी छींक की समस्या हो जाती है। ऐसे में चंदन, तथा धनिया की पत्ती को पीस लें। इसे सूंघने से छींक आनी बन्द हो जाती हैं।
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हिचकी से परेशान रहते हैं, तो मसूर, पलाण्डु, अथवा गृंजनक, और श्वेत चंदन लें। इसे गाय के दूध के साथ घिस लें। इसे1-2 बूंद नाक में डालें। हिचकी बंद हो जाती है।
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चंदन की लकड़ी को जल में घिसकर, तथा तने की छाल को पीसकर शरीर पर लगाएं। इससे सूजन ठीक होती है।
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मुंहासें होना एक आम समस्या है। महिलाएं हों या पुरुष, सभी मुंहासे से परेशान रहते हैं। इसके लिए आप चंदन की लकड़ी को घिस लें। इसे मुंह में लगाएं। इससे मुंहासे, और चेहरे की झाई आदि समस्या ठीक होती है।
बहुत सारे लोगों के पसीने से बदबू आने की शिकायत रहती है। अगर आप भी इस परेशानी से छुटकारा चाहते हैं, तो चन्दन के चूर्ण को गुलाब जल के साथ पीसकर लगाएं। इससे फायदा होता है।
एसिडिटी में फायदेमंद चंदन का सेवन (Uses of Chandan for Acidity Problem in Hindi)
कुछ भी उल्टा-सीधा खाने, या बाहर का भोजन करने पर एसिडिटी की परेशानी आम हो गई है। एसिडिटी से परेशान लोगों को, यदि खाने के बाद सिर, एवं हृदय में दर्द होता है, या आंखों की परेशानी रहती है, तो शिरीष, हल्दी, तथा चंदन के लेप को हृदय में लगाएं। इससे लाभ (chandan benefits) होता है।
शरीर में जलन होने पर चंदन की लकड़ी को जल में घिस लें, और तने की छाल को पीसकर शरीर पर लगाएं। इससे जलन ठीक हो जाती है।
सिर दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं। कोई भी व्यक्ति जो सिर दर्द से परेशान है, और आयुर्वेद तरीके से सिर दर्द से आराम पाना चाहता है, उसे चंदन को घिसकर मस्तक पर लगाना चाहिए। इससे सिर दर्द से राहत मिलती है।
आंखों की बीमारी में भी चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं। आंखों के रोग में 10 ग्राम सफेद चंदन के पेस्ट को, 100 मिली दूध में पका लें। इसे ठंडा कर लें। इसे आंखों पर लगाने से आंखों की बीमारी में लाभ होता है।
यौन रोग में भी चंदन का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। मंजिष्ठा, और चन्दन के चूर्ण (chandan powder) को बराबर मात्रा में मिला लें। 2-4 ग्राम चूर्ण का लगातार सेवन करने से यौन रोगों में लाभ होता है।
शुक्राणु विकार को ठीक करने के लिए अर्जुन की छाल, और चन्दन को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसे 20-40 मिली की मात्रा में सेवन करने से शुक्राणु संबंधी रोगों में लाभ होता है।
गुदा विकार में भी चंदन का लाभ ले सकते हैं। मल त्याग करते समय जलन होती हो, या मल से बहुत अधिक दुर्गंध आता हो, तो 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण (sandal powder) में मधु, तथा मिश्री मिला लें। इसे चावल के धुले हुए पानी के साथ पिएं। इससे गुदा की बीमारी में फायदा होता है।
बार-बार दस्त हो रहा है, या मल में खून में आ रहा है, तो घिसे हुए सफेद चंदन में मधु, और मिश्री मिला लें। इसे चावल के धुले हुए पानी के साथ सेवन करें। इससे पेचिश में लाभ होता है।
आप चंदन का इस्तेमाल बुखार को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं। चंदन की लकड़ी (chandan stick) को जल में घिस लें। इसके तने की छाल को पीसकर शरीर पर लगाने से बुखार ठीक हो जाता है।
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चेचक की शुरुआती अवस्था में सफेद चंदन के पेस्ट को हिलमोचिका के रस में घोलकर पिएं। इससे चेचक में लाभ होता है।
गठिया की परेशानी में चंदन के उपयोग से फायदा हो सकता है। गठिया की बीमारी वाले लोग 20-40 मिली चन्दनादि कषाय में, चीनी, तथा मधु मिलाकर सेवन करें। इससे गठिया में आराम होता है।
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कुष्ठ रोग एक छुआछूत की बीमारी मानी जाती है। कई लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते हैं। कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए सफेद चंदन, तथा कर्पूर को बराबर मात्रा में लें। इन्हें एक साथ मिलाकर पीस लें। इससे लेप करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
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आप चंदन का उपयोग इस तरह कर सकते हैंः-
आप चंदन का उपयोग इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-
चंदन का पूरा लाभ लेने के लिये इस्तेमाल से पहले चिकित्सक की परामर्श जरूर लें।
उचित मात्रा में चंदन का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन कुछ अवस्था में चंदन के उपयोग से निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैंः-
चंदन (chandhan) की खेती कई स्थानों पर की जाती है। भारत में चंदन की खेती कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, दक्षिण आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश में होती है। मालाबार में 1200 मीटर की ऊंचाई तक, तथा राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं उड़ीसा में भी चंदन पाया जाता है।
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