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चंदन के फायदे, नुकसान और औषधीय गुण (Chandan Benefits, Side Effects and Medicinal Properties)

Contents

चंदन का परिचय (Introduction of Chandan)

आपने चंदन (sandalwood in hindi) के पेड़ को कभी देखा है? अगर नहीं देखा है, तो कभी ना कभी यह जरूर सुना होगा कि, चंदन नाम का एक पेड़ होता है, जो बहुत ही सुगंधित होता है। कई लोग चंदन की लकड़ियों का इस्तेमाल अपने घरों को सजाने के लिए करते हैं। चंदन की लकड़ियों (chandan stick) से पूजा-पाठ के सामान जैसे- अगरबत्ती, हवन सामग्री आदि भी बनाएं जाते हैं। चंदन की लकड़ी महंगी होती है, इसलिए इसकी तस्करी भी की जाती है।

असल में, लोगों को चंदन के पेड़ के बारे में केवल इतनी ही जानकारी होती है। अधिकांश लोगों को यह पता ही नहीं है कि, चंदन एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी भी है, और चन्दन का प्रयोग बहुत सालों से चिकित्सा के लिए किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि चंदन के उपयोग से आप किस-किस बीमारी में लाभ ले सकते हैं।

चंदन क्या है? (What is Chandan in Hindi?)

चंदन एक जड़ी-बूटी है। सुगन्धित, तथा शीतल होने से यह लोगों को आनन्द प्रदान करता है, इसलिए इसे चन्दन कहते हैं। चंदन के वृक्ष हरे रंग के और 6 से 9 मीटर ऊंचे होते हैं। इसकी शाखाएं झुकी होती हैं। चंदन के पेड़ की छाल लाल (rakta chandan), या भूरे, या फिर भूरे-काले रंग की होती है। चंदन के पत्ते अण्डाकार, मुलायम होते हैं, और पत्ते के आगे वाला भाग नुकीला होता है। चंदन के फूल भूरे-बैंगनी, या जामुनी रंग होते हैं, जो गंधहीन होते हैं। इसके फल गोलाकार, मांसल होते हैं, जो पकने पर शयामले, या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। इसके बीज कठोर, अण्डाकार अथवा गोलाकार होते हैं।

चंदन के वृक्ष प्रायः 20 वर्ष के बाद ही बड़े होते हैं। पेड़ के भीतर का हिस्सा हल्का पीला रंग का, और सुगंधित होता है।  पुराने वृक्षों (chandan tree) की छाल दरार युक्त होती है। चंदन का वृक्ष 40-60 वर्ष की आयु के बाद उत्तम सुगन्ध वाला हो जाता है। चंदन के वृक्ष में फूल जून से सितम्बर के बीच होते हैं, और फल नवम्बर से फरवरी तक होते हैं। ऐसी अवस्था में चंदन पूरी तरह से उपयोग करने लायक हो जाता है। चंदन के पेड़ की कुछ विशेषताएं ये हैंः-

  • उड़ीसा में पैदा होने वाला चंदन सबसे उत्तम होता है।
  • भारत-यूनान (यवन देश) क्षेत्र में में पैदा होने वाला चंदन गुणवत्ता में थोड़ा कम होता है।
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि स्थानों में होने वाला चंदन सबसे कम गुणवत्ता वाला बताया गया है।
  • गंध के हिसाब से उड़ीसा का चंदन सर्वोत्तम होता है।

आयुर्वेद के अनुसार, चंदन के पेड़ केवल एक तरह के नहीं होते। देश-विदेश में चंदन के पेड़ भिन्न-भिन्न तरह के पाये जाते हैं, जो ये हैंः-

1.सबसे अच्छे चन्दन के लक्षण

जो चंदन बहुत ही अच्छी गुणवत्ता का होता है,  वह दिखने में सफेद रंग का होता है, लेकिन जब उसके टुकड़े करते हैं, तो लाल रंग का होता है। इसे घिसने पर उससे पीला रंग जैसा पदार्थ निकलता है। इसका सुगंध थोड़ा तीखा होता है।

2.वेट्ट चन्दन

यह चंदन बहुत अधिक ठंडा होता है। इससे प्रयोग से जलन, बुखार, उल्टी, कफ आदि बीमारियां ठीक की जा सकती है।

3.पीतचन्दन

यह चंदन भी सुगंध में तीखा, और ठंडा होता है। यह कुष्ठ रोग, कफ, बुखार, जलन की परेशानी में फायदेमंद होता है। दाद, वात-विकार, विष, रक्तपित्त आदि में इस्तेमाल किया जाता है।

और पढ़े: कुष्ठ रोग में मकोय के फायदे

अन्य भाषाओं में चंदन के नाम (Chandan Called in Different Languages)

चंदन का वानस्पतिक नाम सैन्टेलम ऐल्बम (Santalum album Linn) है, और यह  सैन्टेलेसी (Santalaceae) कुल का है। इसके और भी नाम हैं, जो लोकप्रिय हैंः-

Chandan in –

  • Hindi- चंदन, श्वेत चंदन, सफेद चंदन
  • Urdu- सन्दल सफेद (Sandal safed)
  • English- सैंनडल ट्री (Sandal tree), व्हाइट सैन्डल ट्री (White sandal tree), ट्रयू सेन्डल वुड (True sandal wood), सैन्डल वुड (Sandal wood)
  • Sanskrit- श्रीखण्ड, चन्दन, भद्रश्री, तेलपर्णिक, गन्धसार, मलयज, चन्द्रद्युति
  • Oriya- चन्दोनो (Chandono)
  • Kannada- श्रीगन्ध (Shrigandha)
  • Gujarati- सुखड़ (Sukhud)
  • Telugu- गंधपु चेकका (Gandhapu chekka), चन्दनामु (Chandnamu)
  • Tamil- चंदनं मरम (Chandanam maram), सन्दनम् (Sandanam), उलोसिडम (Ulosidam)
  • Bengali- चन्दन (Chandan)
  • Punjabi- चन्दन (Chandan)
  • Marathi- चन्दन (Chandan), गंधचकोडा (Gandhchakoda)
  • Malayalam- चन्दनम (Chandanam)।
  • Nepali- चंदन (Chandan)
  • Arabic- संदले सफेद (Sandle safed), संदलेबियाज (Sandalabiyaz)
  • Persian- संदल सुफैद (Sandal suphed)

चंदन के फायदे (Chandan Benefits and Uses in Hindi)

अब तक आपने जाना कि चंदन क्या है, कितने तरह का होता है, और चंदन के कितने नाम हैं। आइए अब जानते हैं कि चंदन का औषधीय प्रयोग कैसे किया जाता है, इसकी मात्रा क्या होनी चाहिए, और इसकी विधियां क्यां-क्या हैं? आप चंदन का फायदा इस तरह ले सकते हैंः-

अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में चंदन का इस्तेमाल (Uses of Chandan in Excessive Thirst Problem in Hindi)

कुुछ लोगों को हमेशा प्यास लगी रहती है। वास्तव में यह एक समस्या है। ऐसे में 20-40 मिली नारियल जल में, 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण (chandan powder) को मिला लें। इसे पीने से प्यास खत्म हो जाती है।

अत्यधिक छींक की समस्या में चंदन का प्रयोग (Benefit of Chandan in Sneezing Problem in Hindi)

महिलाओं या पुरुषों को कभी-कभी छींक की समस्या हो जाती है। ऐसे में चंदन, तथा धनिया की पत्ती को पीस लें। इसे सूंघने से छींक आनी बन्द हो जाती हैं।

और पढ़े: छींक के घरेलू इलाज

हिचकी में चंदन के उपयोग से फायदा (Chandan Benefits for Hiccup in Hindi)

हिचकी से परेशान रहते हैं, तो मसूर, पलाण्डु, अथवा गृंजनक, और श्वेत चंदन लें। इसे गाय के दूध के साथ घिस लें। इसे1-2 बूंद नाक में डालें। हिचकी बंद हो जाती है।

और पढ़ें हिचकी में नारियल के फायदे

चंदन के प्रयोग से होती है सूजन कम (Uses of Chandan in Reducing Inflammation in Hindi)

चंदन की लकड़ी को जल में घिसकर, तथा तने की छाल को पीसकर शरीर पर लगाएं। इससे सूजन ठीक होती है।

और पढ़े: सूजन में कोदो के फायदे

खुजली को ठीक करने के लिए चंदन का प्रयोग (Chandan Benefits in Itching Treatment in Hindi)

  • चंदन के प्रयोग से आप खुजली की बीमारी ठीक कर सकते हैं। चंदन को जल के साथ घिसकर त्वचा पर लगाएं। इससे खुजली ठीक होती है।
  • चंदन के तेल में नींबू का रस, तथा कपूर मिला लें। इसे लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।

मुंहासों की समस्या में चंदन से लाभ (Uses of Chandan in Treating Acne in Hindi)

मुंहासें होना एक आम समस्या है। महिलाएं हों या पुरुष, सभी मुंहासे से परेशान रहते हैं। इसके लिए आप चंदन की लकड़ी को घिस लें। इसे मुंह में लगाएं। इससे मुंहासे, और चेहरे की झाई आदि समस्या ठीक होती है।

चर्म रोग (त्वचा विकार) में फायदेमंद चंदन का उपयोग (Benefits of Chandan to Treat Skin disease in Hindi)

  • त्वचा के अनेक विकार में चंदन के इस्तेमाल से फायदा लिया जा सकता है। चंदन की लकड़ी को जल में घिसकर लेप करने से त्वचा के अनेक विकार ठीक होते हैं।
  • त्वचा पर चकत्ते हो जाने पर 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण (chandan powder) को गुडूची-के रस में मिला लें। इसका सेवन करने से लाभ होता है।

पसीने की बदबू में चंदन के इस्तेमाल से लाभ (Uses of Chandan for Sweat Smelling in Hindi)

बहुत सारे लोगों के पसीने से बदबू आने की शिकायत रहती है। अगर आप भी इस परेशानी से छुटकारा चाहते हैं, तो चन्दन के चूर्ण को गुलाब जल के साथ पीसकर लगाएं। इससे फायदा होता है।

पेट की गड़बड़ी में चंदन का उपयोग (Benefits of Chandan for Abdominal Disease in Hindi)

  • पित्त के कारण होने वाली पेट की गड़बड़ी में भी चंदन का फायदा मिल सकता है। इसमें चन्दनादि घी (5-10 ग्राम) के सेवन से आराम मिलता है।
  • नाभि में दर्द होने पर 20-40 मिली नारियल जल में, 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण को नाभि पर रखें। इससे आराम मिलता है।

एसिडिटी में फायदेमंद चंदन का सेवन (Uses of Chandan for Acidity Problem in Hindi)

कुछ भी उल्टा-सीधा खाने, या बाहर का भोजन करने पर एसिडिटी की परेशानी आम हो गई है। एसिडिटी से परेशान लोगों को, यदि खाने के बाद सिर, एवं हृदय में दर्द होता है, या आंखों की परेशानी रहती है, तो शिरीष, हल्दी, तथा चंदन के लेप को हृदय में लगाएं। इससे लाभ (chandan benefits) होता है।

चंदन का उपयोग कर शरीर की जलन से राहत (Benefits of Chandan for Body Irritation in Hindi)

शरीर में जलन होने पर चंदन की लकड़ी को जल में घिस लें, और तने की छाल को पीसकर शरीर पर लगाएं। इससे जलन ठीक हो जाती है।

उल्टी रोकने के लिए चंदन का इस्तेमाल (Chandan Benefits to Stop Vomiting in Hindi)

  • आप उल्टी को रोकने के लिए भी चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं। 500 मिग्रा सफेद चंदन को घिस लें। इसे 10 मिली आंवला के रस में घोल लें। इसमें मधु मिलाकर पीने से उल्टी में लाभ होता है।
  • इसी तरह चंदन के 5-10 ग्राम बारीक चूर्ण (chandan powder) को, चार गुना आंवला के रस में घोल लें। इसमें मधु मिलाकर पीने से उल्टी रुक जाती है।
  • इसके अलावा 10-30 मिली आंवले के रस में, 1-2 ग्राम चन्दन के पेस्ट को मिला लें। इसका सेवन करने से उल्टी पर रोक लगती है।

और पढ़ें: उल्टी को रोकने के लिए मुलेठी का इस्तेमाल

चंदन के उपयोग से सिर दर्द से आराम (Uses of Chandan to Relief from Headache in Hindi)

सिर दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं। कोई भी व्यक्ति जो सिर दर्द से परेशान है, और आयुर्वेद तरीके से सिर दर्द से आराम पाना चाहता है, उसे चंदन को घिसकर मस्तक पर लगाना चाहिए। इससे सिर दर्द से राहत मिलती है।

और पढ़े: सिर दर्द में लवंगादि वटी के फायदे

आंखों की बीमारी में चंदन का उपयोग (Chandan Benefits in Eye Disease Treatment in Hindi)

आंखों की बीमारी में भी चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं। आंखों के रोग में 10 ग्राम सफेद चंदन के पेस्ट को, 100 मिली दूध में पका लें। इसे ठंडा कर लें। इसे आंखों पर लगाने से आंखों की बीमारी में लाभ होता है।

और पढ़े: आंखों की बीमारी में रजः प्रवर्तिनी वटी के फायदे

यौन रोग में चंदन का उपयोग लाभदायक (Benefits of Chandan to Treat Sexual Diseases in Hindi)

यौन रोग में भी चंदन का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। मंजिष्ठा, और चन्दन के चूर्ण (chandan powder) को बराबर मात्रा में मिला लें। 2-4 ग्राम चूर्ण का लगातार सेवन करने से यौन रोगों में लाभ होता है।

चंदन के इस्तेमाल से शुक्राणु रोग में फायदा (Benefits of Chandan for Sperm Disorder in Hindi)

शुक्राणु विकार को ठीक करने के लिए अर्जुन की छाल, और चन्दन को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसे 20-40 मिली की मात्रा में सेवन करने से शुक्राणु संबंधी रोगों में लाभ होता है।

ल्यूकोरिया को ठीक करने के लिए चंदन का इस्तेमाल (Uses of Chandan to Treat Leukorrhea in Hindi)

  • ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली बीमारी है। इस बीमारी में महिलाओं के शरीर में इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में सफेद, या लाल चंदन का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली मात्रा में पीने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
  • 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण (chandan powder) को दूध, तथा घी में पका लें। इसे ठंडा करके मधु, और चीनी मिला लें। इसे पीने से ल्यूकोरिया में तुरंत फायदा होता है।

मूत्र रोग में चंदन से फायदा (Benefits of Chandan to Treat Urinary Disease in Hindi)

  • 10-20 मिली चावल के धुले हुए पानी में, 2-4 ग्राम बारीक चंदन के चूर्ण, और चीनी को मिला लें। इसे पिएं। इसके साथ ही उबालकर दूध को ठंडा कर लें, और इसके साथ, अन्न का सेवन करें। इससे मूत्र रोग, जैसे- पेशाब का रुक-रुक आने आदि परेशानी में लाभ होता है।
  • पेशाब में जलन की बीमारी से परेशान हैं, तो 50-100 मिली गाय के दूध में 2-4 ग्राम  चंदन के चूर्ण को मिला लें। इसे पिने से आराम मिलता है।

गुदा विकार में चंदन से लाभ (Chandan Benefits for Anal Disease in Hindi)

गुदा विकार में भी चंदन का लाभ ले सकते हैं। मल त्याग करते समय जलन होती हो, या मल से बहुत अधिक दुर्गंध आता हो, तो 2-4 ग्राम चंदन के चूर्ण (sandal powder) में मधु, तथा मिश्री मिला लें। इसे चावल के धुले हुए पानी के साथ पिएं। इससे गुदा की बीमारी में फायदा होता है।

पेचिश में फायदेमंद चंदन का प्रयोग (Uses of Chandan in Cholera Treatment in Hindi)

बार-बार दस्त हो रहा है, या मल में खून में आ रहा है, तो घिसे हुए सफेद चंदन में मधु, और मिश्री मिला लें। इसे चावल के धुले हुए पानी के साथ सेवन करें। इससे पेचिश में लाभ होता है।

रक्तपित्त (नाक-कान आदि अंगों खून बहने की परेशानी) चंदन से फायदा (Chandan Uses to Stop Bleeding in Hindi)

  • शरीर के भिन्न-भिन्न अंग, जैसे- नाक, गुदा, या योनि से अगर खून आता हो तो बराबर-बराबर भाग में चन्दन, मुलेठी, तथा लोध्र के चूर्ण (2-4 ग्राम) में मधु मिला लें। इसे चावल के धुले हुए पानी के साथ तीन दिनों तक पिएं। इससे रक्तपित्त में लाभ होता है।
  • चंदन के बारीक चूर्ण (sandal powder) को नाक के रास्ते लेने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।

बुखार उतारने के लिए चंदन का उपयोग (Benefits of Chandan in Fighting with Fever in Hindi)

आप चंदन का इस्तेमाल बुखार को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं। चंदन की लकड़ी (chandan stick) को जल में घिस लें। इसके तने की छाल को पीसकर शरीर पर लगाने से बुखार ठीक हो जाता है।

और पढ़ेंबुखार में मोथा से लाभ

चेचक में चंदन से लाभ (Chandan Benefits to Treat Measles in Hindi)

चेचक की शुरुआती अवस्था में सफेद चंदन के पेस्ट को हिलमोचिका के रस में घोलकर पिएं। इससे चेचक में लाभ होता है।

गठिया में फायदा पहुंचाता है चंदन का इस्तेमाल (Chandan Uses for Arthritis in Hindi)

गठिया की परेशानी में चंदन के उपयोग से फायदा हो सकता है। गठिया की बीमारी वाले लोग 20-40 मिली चन्दनादि कषाय में, चीनी, तथा मधु मिलाकर सेवन करें। इससे गठिया में आराम होता है।

और पढ़े: गठिया के दर्द में फायदेमंद कपास

चंदन का प्रयोग कर कुष्ठ रोग में लाभ (Chandan Uses in Leprosy Treatment in Hindi)

कुष्ठ रोग एक छुआछूत की बीमारी मानी जाती है। कई लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते हैं। कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए सफेद चंदन, तथा कर्पूर को बराबर मात्रा में लें। इन्हें एक साथ मिलाकर पीस लें। इससे लेप करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

और पढ़े: कुष्ठ रोग में मकोय के फायदे

चंदन के उपयोगी भाग (Useful Parts of Chandan)

आप चंदन का उपयोग इस तरह कर सकते हैंः-

  • आर्द्रावस्था में कटा हुआ चन्दन (chandhan) पित्त रोग को ठीक करता है।
  • सूखे अवस्था में कटा चन्दन वात रोग को ठीक करता है।
  • मध्यमावस्था में कटा चन्दन, कफ को ठीक करता है।
  • चंदन के तेल के प्रयोग से कफ, जलन, त्वचा, पीलिया, सांस रोग, बुखार, कमजोरीर आदि में फायदा (chandan benefits) मिलता है।

चंदन का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Chandan in Hindi?)

आप चंदन का उपयोग इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-

  • चंदन का चूर्ण (sandal powder)- 3-6 ग्राम
  • चंदन का तेल- 5-20 बूंद
  • काढ़ा- 2-4 मिली
  • चंदन की लड़की तेल- 0.3-1 मिली
  • जड़

चंदन का पूरा लाभ लेने के लिये इस्तेमाल से पहले चिकित्सक की परामर्श जरूर लें।

चंदन के साइड इफेक्ट (Side Effects of Chandan in Hindi)

उचित मात्रा में चंदन का इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन कुछ अवस्था में चंदन के उपयोग से निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैंः-

  • अगर किसी को एलर्जी जैसी परेशानी होती है, तो उसकी त्वचा में चंदन से रिएक्शन हो सकता है।
  • इसके अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पेट से जुड़े विकार, त्वचा-विकार, अवसाद, उल्टी, या यूरीमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

चंदन कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Chandan Found or Grown?)

चंदन (chandhan) की खेती कई स्थानों पर की जाती है। भारत में चंदन की खेती कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, दक्षिण आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश में होती है। मालाबार में 1200 मीटर की ऊंचाई तक, तथा राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं उड़ीसा में भी चंदन पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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