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मकोय (makoi plant in hindi) हर जगह बहुत आसानी से मिल जाता है। यह खरपतवार के रूप में पैदा होता है इसलिए आमतौर पर लोग मकोय के प्रयोग के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते हैं इसलइे मकोया का उपयोग नहीं कर पाते। सच यह है कि मकोय एक बहुत ही उत्तम औषधि है। मकोय का इस्तेमाल सांस संबंधी विकारों को दूर करने, पेशाब बढ़ाने, कुष्ठ और बुखार में किया जाता है। किडनी, सूजन, बवासीर, दस्त या कई प्रकार के चर्म रोग के उपचार में मकोय का सेवन लाभ पहुंचाता है।
मकोय (makoi plant in hindi) पञ्चाङ्ग (जड़, तना, पत्ता, फूल और फल) के काढ़े का सेवन गठिया का दर्द, सूजन, खांसी, घाव, पेट फूलने, अपच, मूत्र रोग में फायदा पहुंचाता है। कान दर्द, हिचकी, जुकाम, आंखों के रोग, उलटी, और शारीरिक कमजोरी में भी लाभ होता है। इसके पत्ते एवं एवं फल (Makoy leaf and fruit) का सेवन से पेट का अल्सर ठीक होता है। इसके बीज (Makoy seed) भ्रम, बार बार प्यास लगने, सूचन और त्वचा रोग में फायदेमंद है।
मकोय का पौधा (makoi plant) हर जगह मिल जाता है। मकोय के पत्ते लाल मिर्च के पत्तों की तरह तथा हरे रंग के होते हैं। इसके फूल आकार में छोटे और सफेद रंग के होते हैं। इसके फल (makoi fruit) आकार में लगभग 5-8 मिमीमीटर व्यास के होते हैं। इसमें सालों भर फूल और फल देखे जा सकते हैं। फल कच्चा होने पर हरे तथा पकने पर लाल, पीला या बैंगनी काले रंग के और रसदार होते हैं। इसके बीज बहुत सारे, छोटे, चिकने और टमाटर के बीच जैसे होते हैं।
मकोय (makoi plant in hindi) वात, पित्त, कफ (त्रिदोष) से मुक्ति दिलाने में फायदेमंद होता है। यह चिकना और थोड़ा गर्म प्रकृति होता है। यह वात और स्वाद में कषैला और कड़वा होने से पित्त और कफ से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद है।
पूरे भारत और पड़ोसी देश श्रीलंका में पाया जाने वाले मकोय को देश-विदेश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मकोय का वानस्पतिक नाम सोलॅनम् अमेरिकेनम (Solanum americanum Mill., Syn-Solanum nigrum Linn.) है और यह Solanaceae (सोलेनेसी) कुल का है। मकोय को अन्य इन नामों से भी जानते हैं:-
Makoy in:-
मकोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
मकोय के बीज से तैयार तेल को 1-2 बूँद नाक में डालने से बाल काले होने लगते हैं।
मकोय के फलों (makoi fruit) को घी मिला लें। इसे पिल्ल (आंखों के चमक आना) रोगी को धूपन दें। इससे कीड़े खत्म होते हैं और पिल्ल से छुटकारा मिलता है।
मकोय के पत्तों के रस को गर्म कर लें। इसे 2-2 बूँद कान में डालने से नाक एवं कान संबंधी रोगों में लाभ होता है।
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मकोय के 5-6 पत्तों को चबाने से मुंह के छाले की परेशानी ठीक होती है।
मकोय के पत्ते के रस में घी या तेल को बराबर भाग में मिला लें। इसे मसूडों पर मलने से बच्चों के दांत बिना दर्द के निकल आते हैं।
मकोय के पत्तों की सब्जी खांसी में फायदा पहुंचाती है।
मकोय के फूल एवं फल (makoi fruit) का काढ़ा (10-30 मिलीग्राम) का सेवन करें। इससे खांसी और नाक में सूजन आदि की परेशानी में लाभ होता है।
यह सर्द- जुकाम से पीडि़त रोगियों के नाक में जमे कफ को निकालने का काम करता है।
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मकोय के पके फल को मधु के साथ सेवन करें। इससे टीबी की बीमारी में फायदा होता है।
मकोय के पत्ते, फल और डालियों का सत्त् (पानी में मकोय को गर्म कर सुखा कर नीचे बचा हुआ पदार्थ) निकाल लें। इसे 2 से 8 ग्राम तक की मात्रा में दिन में 2-3 बार लें। इससे पेट में पानी भरने (जलोदर रोग) की बीमारी में लाभ होता है।
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मकोय के 10-15 मिली रस में 125-250 मिलीग्राम सुहागा मिला लें। इसे पिलाने से उलटी बन्द हो जाती है।
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मकोय के 20-30 मिलीग्राम काढ़े में 2 ग्राम पीपल का चूर्ण डाल लें। इसे सुबह और शाम खाने के बाद पिलाने से अपच की समस्या ठीक होती है।
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10-15 मिलीग्राम मकोय पञ्चाङ्ग (जड़, तना, पत्ता, फूल और फल) के रस को नियमित रूप से पिलाने से लिवर के बढ़ने की समस्या का उपचार होता है।
एक मिट्टी के बर्तन में रस को निकाल लें। इसे इतना गर्म करें कि रस का रंग हरे से लाल या गुलाबी हो जाय। इसे रात को उबाल लें और ठंडा कर लें। सुबह प्रयोग में लाएं। इससे लिवर विकार में लाभ मिलता है।
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मकोय के काढ़े के 20-30 मिलीग्राम में सेंधा नमक तथा जीरा मिलाकर पीने से तिल्ली के बढ़ने की परेशानी ठीक होती है।
20-30 मिलीग्राम मकोय काढ़े में हल्दी का 2-5 ग्राम चूर्ण डाल कर पिलाने से पीलिया में लाभ होता है।
10-15 मिलीग्राम मकोय के अर्क को रोज पिलाने से किडनी में सूजन, किडनी के दर्द आदि बीमारी में लाभ मिलता है।
मकोय (makoy) के पत्ते, फल (makoi fruit) और डालियों का सत्त् (पानी में मकोय को गर्म कर सुखा कर नीचे बचा हुआ पदार्थ) निकाल लें। इसे 2 से 8 ग्राम तक की मात्रा में दिन में 2-3 बार देने से हृदय रोगों में लाभ होता है।
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काकमाची (काली मकोय) की 20-30 ग्राम पत्तियों को पीसकर लेप लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
मकोय के पत्ते, शिरीष के फूल तथा सम्भालू के पत्ते का पेस्ट बना लें। इसमें थोड़ा घी मिलाकर लेप करने से एक्जिमा में लाभ होता है।
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मकोय के पत्ते के रस को लेप के रूप में लगाएें। इससे सोयरासिस (Psoriasis), दाद, खाज तथा जीवाणु से पैदा होने वाले घावों में लाभ होता है।
मकोय के हरे फल (makoi fruit) को पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है।
मकोय के अर्क की थोड़ी मात्रा देने से लाल चकत्ते खत्म हो जाते हैं। अगर आप बहुत दिनों से लाल चकत्ते की परेशानी से ग्रस्त हैं तो इस उपाय को आजमाएं।
मकोय के रस में सोंठ को पीसकर लेप के रूप में लगाएं या लाल बकवृक्ष में सोंठ को पीसकर लेप करें। इससे कोठ रोग, पित्ति रोग व चकत्तों की बीमारी ठीक होती है।
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मकोय (makoy) के पत्ते, पान का पत्ते तथा हल्दी से पेस्ट बना लें। इसका लेप करने से पुराने घाव, चोट लगने से होने वाले घाव, रोम छिद्र की सूजन, मवाद वाले घाव, दाद, खाज (Herpes), एन्थैक्स आदि में लाभ होता है।
मकोय पञ्चाङ्ग का पेस्ट लेप करने से घाव की सूजन में फायदा होता है।
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काकमाची की जड़ों से बने 10-20 मिली क्वाथ में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाने से अनिद्रा में लाभ होता है।
मकोय के फलों एवं फूल से काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से अधिक प्यास लगने की समस्या से राहत मिलती है।
मकोय फलों (makoi fruit) को पीसकर सुखा लें। इसे गर्म करके लेप के रूप में लगाएं। इससे शरीर के सभी अंगों में होने वाले सूजन में लाभ होता है।
पौधे (makoi plant) के ताजे रस का सेवन करने या कोमल पत्तों और शाखाओं को उबालकर सेवन करें। इससे पेशाब सही से होता है और जलशोफ में लाभ होता है।
सरस फलों का प्रयोग बुखार में लाभ पहुंचाता है। पञ्चाङ्ग चूर्ण तथा फाण्ट (काढ़ा) का सेवन से बुखार में लाभ मिलता है।
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मकोय (makoy) पञ्चाङ्ग के काढ़े (10-30 मिलीग्राम) को गुड़, पिप्पली या मरिच के साथ सेवन करें। इसके अलावा आप मकोय के रस से पकाए हुए घी का भी सेवन कर सकते हैं। इससे शरीर में ताकत आती है, याददाश्त तेज होती है।
काकादनी तथा मकोय के रस से पकाए हुए घी का सेवन करें। इसे चूहे के काटने वाले स्थान पर लगाएं। इससे विष का प्रभाव ठीक हो जाता है।
फल का रस – 5-10 मिलीग्राम
फल का चूर्ण – 1-3 ग्राम
काढ़ा – 10-30 मिलीग्राम
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार मकोय का प्रयोग करें।
फल (makoi fruit)
फूल
पत्ते
तना
जड़
वस्ति रोगों में मकोय को उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
प्रतिनिधि द्रव्य : काकनज।
मकोय की बासी साग नहीं खानी चाहिए।
मकोय (makoy) का छोटा सा पौधा (makoi plant) विश्व के उष्णकटिबंधीय तथा समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पूरे श्रीलंका तथा भारत में 750 से 2100 मीटर की ऊँचाई तक खरपतवार के रूप में होता है। यह छाया वाले सभी स्थानों पर पाया जाता है।
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