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मौसंबी (sweet lime in hindi) का फल याद आते ही मुंह में पानी आ जाता है। मौसंबी को मीठा नींबू भी कहा जाता है। गर्मी के दिनों में प्यास बुझाने के लिए मीठे नींबू का जूस अमृत की तरह लगता है। मौसंबी में अनेक तरह के विटामिन्स होते हैं, इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटाशियम, फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होते हैं। आपने भी मौसंबी को बहुत बार खाया होगा, लेकिन शायद आपको इसके होने वाले सभी फायदों (mosambi benefits) की जानकारी नहीं होगी। आयुर्वेद के अनुसार, मीठा नींबू वात-पित्त-दोष ठीक करता है। इस लेख में आगे हम मौसंबी के अनजाने फायदों के बारे में चर्चा करेंगे।
मौसंबी (mosambi fruit) को मीठा नींबू भी कहते हैं। गर्मी के दिनों में शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में मीठा नींबू का जूस (mosambi juice) बहुत फायदेमंद होता है। मौसंबी का स्वभाव अम्लीय यानि एसिडिक होता है। मौसंबी के फल (Benefits of Mosambi in Hindi) का सूखा छिलका कमजोरी दूर करने के साथ-साथ वात को कम करने में भी मददगार होता है।
मौसंबी का पेड़ 6 मीटर तक ऊँचा और फैला हुआ होता है। यह कांटों से युक्त और हमेशा हरा रहता है। मौसंबी फल कच्ची अवस्था में हरे रंग का तथा पकने पर सुनहरा या नारंगी रंग का हो जाता है। फल के अन्दर चिकने, सफेद रंग के, तथा नुकीले बीज होते हैं। मौसंबी का रस शारीरिक शक्ति और भूख बढ़ाता है। इसी तरह मौसंबी में और भी बहुत सारे अनजाने गुण किन-किन बीमारियों के लिए फायदेमंद (benefit of mosambi) हैं इसके बारे में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे।
मौसंबी (mosambi fruit) का वानस्पतिक नाम Citrus sinensis (Linn.) Osbeck (सिट्रस साइनेन्सिस) है। मौसंबी Rutaceae (रूटेसी) कुल का है। यह दुनिया भर में कई नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-
Lime in –
मौसंबी (mosambi fruit) ना सिर्फ शरीर में जल की कमी को पूरा करने में मदद करता है, बल्कि कई तरह के रोगों के लिए फायदेमंद होता है। चलिये इनके बारे में जानते हैंः-
दांतों का दर्द एक ऐसी आम बीमारी है जिससे हर इंसान कभी-न-कभी पीड़ित होता है। आमतौर पर यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लोग सबसे पहले घरेलू उपायों को अपनाते हैं। मौसंबी का छिलका दांत के दर्द से राहत दिलाने में बहुत मदद करता है। मौसंबी के फल (Benefits of Mosambi in Hindi) के छिलके को पीसकर पेस्ट बना लें, और दांत में जहां पर दर्द हो रहा है, वहां पर लगाएं। इससे दांत के दर्द से आराम मिलता है।
सांसों से संबंधित परेशानी में भी मौसंबी का प्रयोग बहुत ही लाभ पहुंचाता है। आयुर्वेद के अनुसार, 40-50 मिली मौसंबी के रस में 1 ग्राम मरिच का पाउडर, तथा सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से सांसों की बीमारी जैसे दमा जैसे रोगों में फायदा मिलता है। सांस संबंधी समस्याओं में मौसंबी का रस (mosambi juice benefits in hindi) बहुत फायदेमंद होता है।
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आमतौर पर हैजा दूषित पानी पीने या खाना खाने से होने वाली बीमारी है। यह बीमारी आंत में संक्रमण होने के कारण होती है। मौसंबी का रस (mosambi juice ke fayde) हैजा को ठीक करने में सहायता करता है। 50-100 मिली मौसंबी फल के रस का सेवन करने से पित्त की समस्या, उलटी, दस्त ठीक होती है।
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कभी-कभी गला या मुंह हमेशा सूखा-सूखा महसूस होने लगता है। इसी तरह कई लोगों को बहुत अधिक प्यास लगने की शिकायत भी रहती है। इसके लिए मौसंबी फल के छिलके को सुखाकर चूर्ण कर लें। इसका सेवन करें। इससे प्यास लगने की समस्या कम हो जाती है।
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अक्सर खान-पान में फेरबदल होने पर, या मसालेदार खाना खाने पर, या फिर अन्य कारणों से दस्त होने लगता है। दस्त की समस्या में 50-100 मिली मौसंबी के रस में सौंफ का चूर्ण, और शक्कर मिलाकर सेवन करें। इससे दस्त और बुखार में आराम मिलता है। दस्त होने पर शरीर में जल की कमी को पूरा करने के लिए मौसंबी के जूस के फायदे (mosambi juice benefits in hindi) शरीर के लाभकारी साबित होते हैं।
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पेशाब करते समय दर्द, जलन, या पेशाब रुक-रुक कर आने जैसी समस्याएं आ रही हैं तो इस रोग में मौसंबी का उपयोग कर लाभ पा सकते हैं। इसके लिए 50-100 मिली फल के रस (mosambi juice benefits in hindi) का सेवन करें। मौसमी जूस के फायदे से शरीर को इस कष्ट से आराम मिलता है।
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मुँहासा की समस्या युवा पीढ़ी को सबसे ज्यादा होती है। इससे सौन्दर्य पर असर तो पड़ता ही है, साथ ही आत्मविश्वास पर भी असर पड़ता है। मौसंबी फल के छिलके को छाया में सुखा लें। इसे पीस लें, और इसमें मुल्तानी मिट्टी, हरिद्रा चूर्ण, तथा 1-2 बूँद नींबू का रस मिला लें। इसे चेहरे पर लगाने से झाईयां और मुंहासे आदि विकार दूर होते हैं। इससे चेहरे की कांति बढ़ती है।
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आयुर्वेद में मौसंबी के फल के छिलके और मौसमी के जूस के फायदे इतने हैं कि इनका का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है।
मौसम्बी का सेवन किस बीमारी में कैसे करना है इसके बारे में पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए मौसंबी का उपयोग कर रहे हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
भारत में कई स्थानों पर मौसंबी की खेती की जाती है।
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