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बड़ी इलायची (Badi Elaichi) के फल, सुगंध और काले रंग के बीजों से भला कौन अपरिचित हो सकता है। भारतीय रसोई में यह इस तरह से रची बसी है कि इसका प्रयोग मसालों से लेकर मिठाइयों तक में किया जाता है। इसके बीजों का प्रयोग मसालों के रूप में किया जाता है। आमतौर पर लोग केवल इतना ही जानते हैं कि बड़ी इलायची का इस्तेमाल मसाले में होता है और बड़ी इलायची का सेवन व्यंजन को स्वादिष्ट बनाता है, लेकिन सच यह है कि बड़ी इलायची का औषधीय प्रयोग भी किया जाता है।
आुयर्वेद के अनुसार, बड़ी इलायची पित्त शांत करने वाली, नींद लाने वाली, भोजन में रूचि पैदा करने काम करती है। यह हृदय एवं लीवर को स्वस्थ बनाती है। बड़ी इलायची भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, मुँह के बदबू को दूर करती है। यह पेट की गैस को खत्म करती है, उल्टी बंद करती है, घावों को भरती है। इसके प्रयोग से पेशाब खुल कर आता है, बुखार उतर जाता है।
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इसकी एक प्रजाति मोरंग इलायची भी होती है। बड़ी इलायची की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त एक और प्रजाति पाई जाती है जिसका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है –
बड़ी इलायची का लैटिन नाम एमोमम् सुब्युलेटम (Syn-Cardamomum subulatum (Roxb.) Kuntz., Amomum subulatum Roxb.) है। यह जिंजिबेरेसी (Zingiberaceae) कुल का है। इसके देश और विदेश में अन्य ये नाम भी हैंः-
Badi Elaichi in –
बड़ी इलायची के औषधीय प्रयोग, प्रयोग के तरीके और विधियां ये हैंः-
बड़ी इलायची (Black Cardamom) को पीसकर ललाट पर लेप करने से एवं बीजों को पीसकर सूंघने से सिरदर्द ठीक होता है।
बड़ी इलायची को पीसकर शहद में मिलाकर मुँह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
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बड़ी इलायची और लौंग तेल को बराबर-बराबर मात्रा में लेें। इसे दांतों पर मलने से दांत का दर्द ठीक होता है।
4-5 बड़ी इलायची के फल को 400 मिली पानी में उबाल लें। इस काढ़ा से कुल्ला करने से दांत दर्द ठीक होता है।
2-3 बड़ी इलायची के छिलकों को पीसकर खाने से दांत की बीमारियों तथा मुँह के सूजन में लाभ होता है।
बीज के काढ़े का कुल्ला एवं गरारा करने से दांत और मसूड़ों की तकलीफ ठीक होती है।
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यदि मुँह में अधिक थूक आता हो या लार बहती हो तो बड़ी इलायची और सुपारी को बराबर-बराबर पीसकर मिला लें। इसे 1-2 ग्राम मात्रा में लेकर चूसते रहने से थूक कम बनता है और लार का बहना बंद हो जाता है।
5-10 बूंद बड़ी इलायची तेल (Black Cardamom Oil) में मिश्री मिलाकर नियमित सेवन करने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
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एक कप पानी में दो बड़ी इलायची पीसकर उबालें। आधा बच जाने पर छानकर ठंडा होने दें। इसे पिलाने से हिचकी में तुरंत लाभ होता है।
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दो ग्राम सौंफ के साथ बड़ी इलायची के 8-10 बीजों का सेवन करने से पाचन-शक्ति बढ़ती है।
अधिक केले खाने पर यदि अजीर्ण हो जाए तो 1-2 बड़ी इलायची खाने से पाचन ठीक हो जाता है।
बड़ी इलायची बीज के चूर्ण और सोंठ के चूर्ण को समान मात्रा में मिला लें। इसे 5 ग्राम मात्रा में सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
एक ग्राम बड़ी इलायची बीज चूर्ण में 4 ग्राम मिश्री मिलाकर 1 ग्राम सुबह और शाम सेवन करने से गर्भवती स्त्री को भूख ना लगने की परेशानी में लाभ होता है।
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बड़ी इलायची के 5 ग्राम बीज चूर्ण को काले नमक के साथ सेवन करने से पेट दर्द और पेट की गैस में लाभ होता है।
0.5-1 ग्राम बड़ी एला चूर्ण को 15-25 मिली कांजी के सेवन करने से पेशाब बंद होने से होने वाले गैस में लाभ होता है।
5 ग्राम बड़ी इलायची चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से पेट दर्द में लाभ होता है।
1-2 बड़ी इलायची के चूर्ण को दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
बड़ी इलायची और पुदीना को बराबर-बराबर मिला लें। इसे 2-3 लीटर पानी में उबालकर थोड़ा-थोड़ा सेवन करने से उल्टी बंद होती है। (और पढ़े: पुदीना के औषधीय गुण)
5 ग्राम बड़ी इलायची के बीज चूर्ण का सेवन करने से उल्टी रुकती है।
एक ग्राम बड़ी इलायची बीज चूर्ण (Black Cardamom Powder) को 10 ग्राम बेलगिरी के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।
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5-10 बूंद बड़ी इलायची के अर्क का सेवन करने से हैजा और पेचिश में लाभ होता है।
पिसी हुई राई के साथ बड़ी इलायची चूर्ण मिला लें। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में नियमित सेवन करने से लीवर की समस्या में लाभ होता है।
1-2 ग्राम बड़ी इलायची चूर्ण का नियमित सेवन करने से लीवर विकार ठीक होते हैं।
बड़ी इलायची के बीज के चूर्ण में समान भाग मिश्री मिला लें। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में रोज सुबह और शाम सेवन करने से पेशाब खुल कर आने लगता है।
10 नग छिलकों सहित बड़ी इलायची को लेकर मोटा-मोटा कूट कर 250 मि.ली. दूध और 250 मि.ली. जल के साथ पकाएं। आधा बचने पर छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर दिन में चार बार पिलाएं। इससे पेशाब की जलन व पेशाब ना आने की समस्या दूर होती है।
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बड़ी इलायची के बीज के चूर्ण में खरबूजों के बीज का मगज और मिश्री मिला लें। इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।
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बड़ी इलायची के बीज के चूर्ण, सफेद मूसली और मिश्री को मिलाकर 2-3 ग्राम की मात्रा में नियमित सुबह और शाम सेवन करने से नपुंसकता में लाभ होता है।
आँवले के 20 मि.ली. रस में एक ग्राम बड़ी इलायची के दाने और इसबगोल बराबर मात्रा में मिला लें। इसे 1-1 चम्मच सुबह-शाम सेवन करें। इसे स्वप्नदोष में लाभ होता है।
बड़ी इलायची, चित्रक मूल, कुंदरू, अडूसा की पत्ती, निशोथ, मदार की पत्ती लें। इनमें सोंठ मिलाकर सभी का चूर्ण बना लें और इसके साथ पलाश क्षार को गोमूत्र में घोल लें। आठ दिनों तक पलाश क्षार भिगो कर छाया में सुखाते रहें।
सभी का लेप बना लें। इस लेप को शरीर पर लगाकर तब तक धूप में बैठें, जब तक यह सूख न जाए। सूखने के बाद स्नान कर लें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
बड़ी इलायची, जायफल तथा नीले थोथे के चूर्ण को गाय के घी में पीसकर लेप लगाने से त्वचा का फोड़ा ठीक होता है।
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बड़ी इलायची के बीज 2 भाग तथा बेल के जड़ की छाल एक भाग को मिलाकर मोटा-मोटा कूटकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण को एक कप दूध और पानी में मिलाकर पकाएं। केवल दूध बच जाने पर 20 मि.ली. की मात्रा में सुबह, दोपहर तथा शाम सेवन करने से बुखार ठीक होता है।
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चूर्ण – 1-3 ग्राम
औषधि के रूप में प्रयोग करने के लिए बड़ी इलायची का इस्तेमाल चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।
यह पूर्वी हिमालय प्रदेश विशेषतः नेपाल, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम आदि में पायी जाती है।
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