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वृक्षाम्ल (Vrikshamla) एक जड़ी-बूटी है। सदियों से आयुर्वदाचार्य वृक्षाम्ल का प्रयोग कर बीमारी को ठीक करने का काम करते आ रहे हैं। वृक्षाम्ल को कोकम भी कहा जाता है। कई लोग इस वृक्षाम्ल के नाम से जानते हैं तो अनेक स्थानों पर इसे कोकम भी कहा जाता है। आपके लिए कोकम के इस्तेमाल की यह जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे आप भी बीमारियों को ठीक करने जैसा फायदा ले सकते हैं।
आयुर्वेद में यह बताया गया है कि कोकम या वृक्षाम्ल (kokum in hindi) भूख बढ़ाने वाला, कफ तथा वात बढ़ाने वाला होता है। यह कब्ज, प्यास, बवासीर, गले की बीमारी, दर्द आदि दूर करता है। हृदय रोग में लाभदायक होता है। पेट के कीड़े को खत्म करता है। घाव को ठीक करता है। इसके अलावा भी कोकम या वृक्षाम्ल के लाभ और भी हैं। आइए सभी के बारे में जानते हैं।
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यह एक सदाबहार वृक्ष होता है जिसकी शाखाएं छोटी और फैली हुई होती हैं। इसके फल गोलाकार, 2.5-3.8 से.मी. व्यास के होते हैं। फल पकने पर गहरे बैंगनी रंग के तथा उनमें 5-8 चिकने, चमकीले, भूरे रंग के बीज होते हैं। बीज निकालकर सुखाए हुए फल को कोकम या वृक्षाम्ल कहा जाता है। इसके बीजों से जो तेल निकलता है, वह मोम के समान जम जाता है।
वृक्षाम्ल (vrikshamla) का कच्चा फल खट्टा, वात एवं कफ की परेशानी को ठीक करने वाला तथा पित्त को उत्पन्न करने वाला होता है। इसका पका हुआ फल खट्टा तथा पचने में हल्का होता है। फल के छिलके से प्राप्त तत्व गार्सिनॉल के प्रयोग से रक्त कैंसर HL 60 कोशिकाओं को खत्म होता देखा गया है। इसके गूदे का सार वीर्य को गाढ़ा करता है और शरीर के केंद्रीय न्यूरो सिस्टम को प्रभावित करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है।
कुटकी का लैटिन नाम गारर्सीनिया इण्डिका (Garcinia indica (Thouars) Choisy., Syn-Garcinia purpurea Roxb.) है और यह क्लूसिऐसी (Clussiaceae) कुल का है। देश-विदेश में कुटकी को अन्य अनेक नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-
Vrikshamla in –
वृक्षाम्ल का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-
वृक्षाम्ल यानी कोकम (kokum in hindi) वजन कम करने के लिए बहुत लाभकारी है। लगभग 400 ग्राम कोकम के फल को चार लीटर पानी में डालकर एक चौथाई बचने तक उबालें। इसे छान लें और ठंडे स्थान पर रख दें। रोजाना सुबह इस रस को खाली पेट 100 मिली की मात्रा में सेवन करें। एक माह में ही वजन कम होगा।
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वृक्षाम्ल (kokum in hindi) के पत्तों को बताशों के साथ बार-बार चबाने से सूखी खांसी में काफी लाभ होता है।
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वृक्षाम्ल के रस (mangosteen in hindi) को मुंह में रखकर देर तक रख कर कुल्ला करने से अधिक प्यास लगाने की समस्या में लाभ होता है।
कोकम के रस (यदि रस न प्राप्त हो तो इसका काढ़ा लें) में सेन्धा नमक डालकर पीने से गले के गाँठ की समस्या ठीक (vrikshamla benefits) हो जाती है।
वृक्षाम्ल, अनार के बीज, हींग, विड्नमक, पंचमूल, बेल, जीरा, धनिया, पिप्पली आदि द्रव्यों के साथ विधिपूर्वक चूरन बना लें। इसका विशेष अन्नपान भूख बढ़ाती है। यह पाचक, ताकत बढ़ाने वाला एवं रोचक होता है।
750 ग्राम वृक्षाम्ल फल में लगभग 300 ग्राम मिश्री तथा 35 ग्राम जीरा मिलाकर, चूर्ण बना लें। इसका सेवन करने से कब्ज नष्ट होता है और भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न होती है।
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वृक्षाम्ल के ताजे फल के 5-10 ग्राम गूदे को खिलाने से खूनी पेचिश में लाभ होता है।
वृक्षाम्ल बीज के 5 मि.ली. कोकम तेल को 200 मि.ली. दूध में मिलाकर पिलाने से पेचिश तथा खूनी पेचिश में लाभ (vrikshamla benefits) होता है।
सूखे फल के 2-3 ग्राम चूर्ण में घी तथा कोकम तेल मिलाकर गुनगुना करके सेवन करें। इससे दर्द तथा गैसयुक्त पेचिश में लाभ होता है।
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वृक्षाम्ल फल के चूर्ण में छोटी इलायची के दाने और शक्कर मिला लें। इसे चटनी बनाकर भोजन के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।
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वृक्षाम्ल फल से बनी चटनी या चूर्ण को दही में मिलाकर सेवन करें। इससे खूनी बवासीर में होने वाला रक्तस्राव बंद हो जाता है।
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वृक्षाम्ल के बीज का तैल लगाने से होंठ, हाथ तथा पैरों की त्वचा के फटने में लाभ (vrikshamla benefits) होता है।
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अगर आपको एलर्जी की तरह पित्त निकलने की बीमारी है तो वृक्षाम्ल की छाल या फल के रस से मालिश करने से पित्तियाँ बैठ जाती हैं।
धनिया (1 भाग), श्वेत जीरा (2 भाग), सौवर्चल नमक (1 भाग), सोंठ (1/4 भाग) तथा कपित्थ के गुदे (5 भाग) के सूक्ष्म चूर्ण में 16 भाग चीनी मिला लें। इसका सेवन करने से भूख की कमी तथा दस्त से पीड़ित टी.बी. रोगी को काफी लाभ होता है।
वृक्षाम्ल (vrikshamla) आदि द्रव्यों से बने सैंधवादि चूर्ण को 1-3 ग्राम मात्रा में सेवन करें। इससे लंबी बीमारी के कारण हुई कमजोरी दूर होती है। यह चूर्ण काफी रुचिवर्धक व शक्ति बढ़ाने वाला (kokum ke fayde) होता है।
अधिक शराब पीने वाले लोग कई प्रकार के रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे लोगों को प्यास लगना, अनिद्रा, भूख की कमी आदि की समस्या होने लगती है। ऐसे में जंगली बेर, अनार, वृक्षाम्ल, चांगेरी तथा चूका के मिश्रित रस को मुंह के अंदर लेप के रूप में लगाएं। इससे शराब पीने के कारण लगी प्यास शांत हो जाती है।
सौवर्चल नमक, जीरा, वृक्षाम्ल तथा अम्लवेतस बराबर मात्रा में लेकर उसमें आधा-आधा भाग दालचीनी, इलायची, काली मिर्च तथा एक भाग चीनी मिला लें। इसका चूर्ण बना लें। इसका सेवन करने से भूख बढ़ती है और शरीर स्वस्थ (kokum ke fayde)रहता है।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) के रोगियों को वृक्षाम्ल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके जमे हुए तेल के प्रयोग से कई बार चर्म रोग भी होते हैं।
औषधि के रूप में कोकम का इस्तेमाल करने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार कोकम का प्रयोग करें।
औषधि के रूप में कोकम का इस्तेमाल करने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार कोकम का प्रयोग करें।
वृक्षाम्ल (vrikshamla) भारत में पश्चिमी घाट से दक्षिण पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिणी कर्नाटक, केरल तथा पश्चिमी तमिलनाडू के सदाबहार जंगलों में पाया जाता है। महाराष्ट्र में तेल के लिए इसकी खेती की जाती है।
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