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चिचिण्डा भारत में आसानी से मिलने वाली एक प्रकार की शाक (सब्जी) है। यह अच्छी वर्षा वाले इलाकों में लता रूप में पाई जाती है। चिचिण्डा का प्रयोग सामान्य तौर पर भोजन (Chichinda vegetable) के लिए होता ही है। इसके साथ ही चिचिण्डा का उपयोग औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है। अनेक रोगों में उपचार के लिए चिचिण्डा के इस्तेमाल (Health Benefits of Snake Gourd) की सलाह दी जाती है।
चिचिण्डा के फल भूख को बढ़ाने वाले होते हैं। इस लता में औषधीय गुण इतनी अधिक होती है कि इसके फल, फूल, पत्ते, जड़, पंचांग आदि सभी अंगों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।
चिचिण्डा की लताएं लम्बी होती हैं। इनमें कई शाखाएं भी शाखाएं होती हैं। ये लताएं जमीन पर भी फ़ैल सकती हैं और वृक्षों पर चढ़ने में भी सक्षम होती है। इसका कंद लम्बा तथा बेलनाकार होता है। इस पर धारियां बनी होती हैं। यह चारों तरफ ही फैलने वाली होती हैं। ये कंद दो-तीन भागों में बंटे हुए होते हैं।
चिचिण्डा के पत्ते कोमल और 5 से 8 सेमी लम्बाई के होते हैं। इन पत्तों में 5 कोण होते हैं। इन पत्तों का आकार मानव के हृदय जैसा या बहुत हद तक गुर्दे के आकार जैसा होता है।
पत्तों के चारों ओर कठोर रोएँ घिरे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। इसके फल 30 से 90 सेमी तक लम्बे होते हैं। नये फल हरे रंग के होते हैं। पकने पर ये फल चमकीले नारंगी रंग के हो जाते हैं। इसमें काफी संख्या में बीज होते हैं। बीज दबे हुए से, नुकीले, अण्डे के आकार के होते हैं।
चिचिण्डा कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ट्रिकोसैन्थीज ऐन्गुइना (Trichosanthes anguina Linn) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Trichosanthes cucumeriana Linn., var. anguina(Linn.), Haines, तथा Cucumis anguina Linn. आदि नामों से भी जाना जाता है।
चिचिण्डा को अंग्रेजी में Snake gourd (स्नेक गॉर्ड) कहते हैं। अंग्रेजी में इसके लिए क्लव गोर्ड (Club gourd), सर्पेन्ट गोर्ड (Serpent gourd) तथा सर्पेन्ट कुकम्बर (Serpent cucumber) जैसे नाम भी व्यवाहर में हैं। आइये जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में चिचिण्डा के नाम क्या क्या हैं:-
Snake Gourd in –
चिचिण्डा का औषधीय प्रयोग इस तरह से किया जा सकता हैः-
चिचिण्डा की रुखाई कब्ज के रोगियों के लिए लाभदायक होती है। चिचिण्डा के फलों की सब्जी बनाकर खाने से पाचन आसान हो जाता है और कब्ज में बहुत लाभ होता है।
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चिचिण्डा वात-पित्त को नियंत्रित करता है। यह त्वचा के विकारों को भी दूर करता है। इसके फलों की शाक (chichinda vegetable) बनाकर सेवन करने से चर्म रोगों में लाभ होता है।
चिचिण्डा का गुण इसे कई रोगों में उपयोगी बनाता है। इनमें से एक रोग टीबी या क्षयरोग है। चिचिण्डा के फल और शाक (सब्जी) टीबी या क्षय रोग में बेहतर काम (snake gourd benefits) करते हैं। इनका नियमित सेवन किया जाना चाहिए।
चिचिण्डा के फलों को पीसकर इसका लेप सूजन के ऊपर लगाने से सूजन कम हो जाती है।
चिचिण्डा के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है:-
चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है।
अब तक हमने जाना कि चिचिण्डा का उपयोग कब्ज को मिटाता है और भूख को बढ़ाता है, लेकिन इसके उपयोग से कुछ नुकसान भी होते हैं, जो ये हैंः-
चिचिण्डा की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में होती है। यह समस्त भारत में उपजाई जाती है। ख़ास तौर पर उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र तथा पंजाब में सब्जी के रूप में इसकी खेती ख़ूब की जाती है।
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