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Chichinda: चिचिण्डा के हैं कई जादुई लाभ- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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चिचिण्डा का परिचय (Introduction of Chichinda)

चिचिण्डा भारत में आसानी से मिलने वाली एक प्रकार की शाक (सब्जी) है। यह अच्छी वर्षा वाले इलाकों में लता रूप में पाई जाती है। चिचिण्डा का प्रयोग सामान्य तौर पर भोजन (Chichinda vegetable) के लिए होता ही है।  इसके साथ ही चिचिण्डा का उपयोग औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है। अनेक रोगों में उपचार के लिए चिचिण्डा के इस्तेमाल (Health Benefits of Snake Gourd) की सलाह दी जाती है।

चिचिण्डा के फल भूख को बढ़ाने वाले होते हैं। इस लता में औषधीय गुण इतनी अधिक होती है कि इसके फल, फूल, पत्ते, जड़, पंचांग आदि सभी अंगों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

चिचिण्डा क्या है? (What is Snake Gourd?)

चिचिण्डा की लताएं लम्बी होती हैं। इनमें कई शाखाएं भी शाखाएं होती हैं। ये लताएं जमीन पर भी फ़ैल सकती हैं और वृक्षों पर चढ़ने में भी सक्षम होती है। इसका कंद लम्बा तथा बेलनाकार होता है। इस पर धारियां बनी होती हैं। यह चारों तरफ ही फैलने वाली होती हैं। ये कंद दो-तीन भागों में बंटे हुए होते हैं।

चिचिण्डा के पत्ते कोमल और 5 से 8 सेमी लम्बाई के होते हैं। इन पत्तों में 5 कोण होते हैं। इन पत्तों का आकार मानव के हृदय जैसा या बहुत हद तक गुर्दे के आकार जैसा होता है।

पत्तों के चारों ओर कठोर रोएँ घिरे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। इसके फल 30 से 90 सेमी तक लम्बे होते हैं। नये फल हरे रंग के होते हैं। पकने पर ये फल चमकीले नारंगी रंग के हो जाते हैं। इसमें काफी संख्या में बीज होते हैं। बीज दबे हुए से, नुकीले, अण्डे के आकार के होते हैं।

चिचिण्डा के अन्य नाम (Snake Gourd Called in Different languages in Hindi)

चिचिण्डा कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ट्रिकोसैन्थीज ऐन्गुइना (Trichosanthes anguina Linn) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Trichosanthes cucumeriana Linn., var. anguina(Linn.), Haines, तथा Cucumis anguina Linn.  आदि नामों से भी जाना जाता है।

चिचिण्डा को अंग्रेजी में Snake gourd (स्नेक गॉर्ड) कहते हैं। अंग्रेजी में इसके लिए क्लव गोर्ड (Club gourd), सर्पेन्ट गोर्ड (Serpent gourd) तथा सर्पेन्ट कुकम्बर (Serpent cucumber) जैसे नाम भी व्यवाहर में हैं। आइये जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में चिचिण्डा के नाम क्या क्या हैं:-

Snake Gourd in –

  • Hindi – चचेंडा, चिचिंडा चिचेंडा, छेदन, चचिंगा
  • English –  स्नेक गॉर्ड (Snake gourd), क्लब गोर्ड (Club gourd), सर्पेन्ट गोर्ड (Serpent gourd),  सर्पेन्ट कुकम्बर (Serpent cucumber)
  • Sanskrit – चिचिण्ड, श्वेतराजि, सुदीर्घ, अहिफल, बृहत्फल, दीर्घफल, गृहकूलक, सुदीर्घा, गृहकूलक
  • Urdu – छाछेन्डा (Chachenda)
  • Oriya – चचिद्रा (Chachindra)
  • Kannada – पाडावलकायी (Padavalkayi)
  • Gujarati – पंडोलु, (Pandolu), पाडावली (Padavali)
  • Telugu – लिंगा पोटला (Linga potla) पोटल काया (Potala kaya)
  • Tamil – पुडाल (Pudal), धुंधुली (Dhunduli), कोटिनी (Cottini)
  • Bengali – चिचिंगा (Chichinga)
  • Nepali – चिचिण्डो (Cicindo)
  • Punjabi – चिंचिडा (Chinchida), गलारतोरी (Galartori)
  • Marathi – पडावल (Padawal), पाडुल (Padual)
  • Arabic – क्वर अल् हानाश (Qar’el hhanash)

चिचिण्डा के फायदे एवं उपयोग (Snake Gourd Benefits and Uses)

चिचिण्डा का औषधीय प्रयोग  इस तरह से किया जा सकता हैः-

चिचिंडा के प्रयोग से कब्ज की परेशानी में आराम (Uses of Snake Gourd in Fighting with Constipation in Hindi)

चिचिण्डा की रुखाई कब्ज के रोगियों के लिए लाभदायक होती है। चिचिण्डा के फलों की सब्जी बनाकर खाने से पाचन आसान हो जाता है और कब्ज में बहुत लाभ होता है।

और पढ़ेंः कब्ज के घरेलू इलाज

चर्म रोगों के इलाज में करें चिचिंडा का इस्तेमाल (Health Benefits of Snake Gourd to Cure Skin Diseases in Hindi)

चिचिण्डा वात-पित्त को नियंत्रित करता है। यह त्वचा के विकारों को भी दूर करता है। इसके फलों की शाक (chichinda vegetable) बनाकर सेवन करने से चर्म रोगों में लाभ होता है।

टीबी रोग या क्षय रोग में चिचिंडा के सेवन से लाभ (Snake Gourd Benefits in T.B. Disease in Hindi)

चिचिण्डा का गुण इसे कई रोगों में उपयोगी बनाता है। इनमें से एक रोग टीबी या क्षयरोग है। चिचिण्डा के फल और शाक (सब्जी) टीबी या क्षय रोग में बेहतर काम (snake gourd benefits) करते हैं। इनका नियमित सेवन किया जाना चाहिए।

सूजन को कम करने के लिए करें चिचिंडा का उपयोग (Snake Gourd Uses Swelling Reducing in Hindi )

चिचिण्डा के फलों को पीसकर इसका लेप सूजन के ऊपर लगाने से सूजन कम हो जाती है।

इस्तेमाल के लिए चिचिण्डा के उपयोगी हिस्से (Useful parts of Snake Gourd in Hindi)

चिचिण्डा के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है:-

  1. जड़
  2. पत्ते
  3. फल
  4. पञ्चाङ्ग

चिचिण्डा के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Snake Gourd?)

  1. रस – 10-20 मिली,
  2. काढ़ा – 20-40 मिली

चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है।

चिचिण्डा के प्रयोग के नुकसान (Snake Gourd Disadvantages in Hindi)

अब तक हमने जाना कि चिचिण्डा का उपयोग कब्ज को मिटाता है और भूख को बढ़ाता है, लेकिन इसके उपयोग से कुछ नुकसान भी होते हैं, जो ये हैंः-

  • यदि इसका सेवन कुछ दिनों तक लगातार किया जाए तो यह याददाश्त को कमजोर कर देता है।
  • इसके अधिक प्रयोग से लिंग की शक्ति भी प्रभावित होती है।
  • इसके ज्यादा मात्रा में सेवन से गैस बनती है।

चिचिंडा कहां पाई या उगाई जाती है (Where is Snake Gourd Found or Grown in Hindi?)

चिचिण्डा की खेती उष्णकटिबंधीय जलवायु में होती है। यह समस्त भारत में उपजाई जाती है। ख़ास तौर पर उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र तथा पंजाब में सब्जी के रूप में इसकी खेती ख़ूब की जाती है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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