पुष्करमूल एक ऐसा बहुउपयोगी औषधी है जिसका प्रयोग आयुर्वेद में दमा, खांसी, बुखार, हृदय रोग जैसे बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। पुष्करमूल एंटीहिस्टामिन के साथ-साथ एंटीबैक्टिरीयल गुणों से भी भरपूर होता है। पुष्करमूल के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए चलिये आगे चलते हैं।
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वैदिक ग्रन्थों में पुष्करमूल का उल्लेख नहीं मिलता है। चरक-संहिता में सांस और हिक्का-निग्रहण-महाकषाय में एवं बुखार, गुल्म या ट्यूमर, प्रमेह या डायबिटीज, यक्ष्मा या तपेदिक, अर्श या पाइल्स, उदररोग या पेट के रोग, कास या खांसी, हृद्रोग या हृदयरोग, शिरोरोग या सिरदर्द, वातरोग या गठिया आदि कई प्रयोगों में पुष्करमूल का उल्लेख प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त सुश्रुत-संहिता के फलवर्ग में इसका उल्लेख प्राप्त होता है। कई विद्वान कूठ तथा पुष्करमूल को एक ही औषधि मानते हैं परन्तु यह दोनों आपस में पूरी तरह से अलग होते हैं। भावप्रकाश निघण्टु में पुष्करमूल के अभाव में कूठ का प्रयोग बताया है। वर्तमान समय में पुष्करमूल के स्थान पर कूठ का प्रयोग करते है।
इसकी मूल कच्ची अवस्था में छोटी मूली के आकार के जैसी पतली तथा मोटी कई पर्तो वाली हो जाती है। नवीन अवस्था में मूल छाल भूरे रंग की, भीतरी भाग पीला-सफेद रंग का, सूखे अवस्था में कठोर धूसर रंग की, तथा झुर्रीदार होती है। यह मूल वाह्य दृष्टि से कूठ के जैसी ही प्रतीत होती है, परन्तु कूठ की मूल इससे पूर्णत भिन्न होती है।
पुष्करमूल का वानास्पतिक नाम Inula racemosa Hook.f. (इनूला रेसिमोसा) होता है। इसका कुल Asteraceae (ऐस्टरेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Oris root (ऑरिस रूट) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि पुष्करमूल और किन-किन नामों से जाना जाता है।
Sanskrit-पुष्करमूल, पुष्कर, पौष्कर, पद्मपत्र, काश्मीर, पद्मपत्रक, पुष्करिणी, वीरपुष्कर, पद्मवर्णक, पद्मकर्ण, ब्रह्वतीर्थ, श्वासारि, शूलघ्न;
Hindi-पोहकरमूल, पुष्करमूल;
Urdu-रासन (Rasana);
Kannada-रास्नाभेद (Rasnabheda);
Gujrati-पोहकरमूल (Pohkarmul);
Tamil-पुष्क्करामूलम (Puskkaramulam);
Telugu-पुष्करम् (Pushkaram), पुष्करमू (Pushkarmu);
Nepali-पुष्कर मूल (Pushkar mul);
Punjabi-पोहकरमूल (Pohkarmul), इससा (Isasa);
Bengali-पुष्करमूल (Pushkarmul), कुष्ठविशेष (Kushthvishesh);
Malayalam- पुष्करमूल (Pushkarmul), पुष्करमूलम (Pushkarmulam);
Marathi-पुष्कर (Pushakar)।
English-एलीकैम्पेन (Elecampane);
Arbi-रासन (Rasan);
Persian-जंजाबिलीशमी (Zanjabilishami), घर्सा (Gharsa), पिलगुश (Pilgush), रासन (Rasan)।
पुष्करमूल के फायदों के बारे में जानने के लिए सबसे पहले उसके औषधीय गुणों के बारे में जानना जरूरी होता है-
पुष्करमूल प्रकृति से कड़वा, तीखा, गर्म, कफ-वात से आराम दिलाने वाला, बुखार, सूजन, सांस संबंधी समस्या, हिक्का, खांसी, पाण्डु या पीलिया, वमन या उल्टी, आध्मान या पेट, प्यास, मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है।
इसकी मूल या जड़ व्रण या घाव, क्षत या चोट, अजीर्ण या अपच, अरुचि या खाने की इच्छा में कमी, आध्मान या पेट फूलने की बीमारी, जठरशूल या पेटदर्द, हृदय रोग, कुक्कुर खांसी, श्वासकष्ट या सांस में कष्ट, श्वसनिकाशोथ , अनार्तव (Ammenorrhea), कष्टार्तव (Dysmenorrhoea), त्वक् रोग या त्वचा रोग, फुफ्फुस या लंग्स में सूजन, रक्ताल्पता या रक्त की कमी, ज्वर या बुखार, शोथ या सूजन, सामान्य दौर्बल्य या सामान्य दुर्बलता, कान में सूजन, रोमकूप में सूजन तथा खालित्य (Baldness) में लाभदायक होती है।
इसकी मूल लीवर को स्वस्थ रखने या क्रियाशीलता को बनाये रखने में मदद करता है।
पुष्करमूल में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-
पुष्करमूल दांत संबंधी बहुत तरह के समस्याओं से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं, लेकिन सही तरीकों के बारे में पता होना जरूरी होता है। पुष्करमूल चूर्ण को दांतों पर मलने से दांत संबंधी रोग तथा मुख के बदबू दूर करने में मदद करता है।
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कान दर्द से परेशान रहते हैं तो पुष्करमूल का औषधीय गुण इससे राहत दिलाने में बहुत मदद करता है। 1-2 बूंद पुष्कर मूल के रस को कान में डालने से कान दर्द से आराम मिलता है।
लंबे समय से सांस संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो पुष्करमूल का इस तरह से प्रयोग करने पर लाभ होता है-
-1-2 ग्राम पुष्करमूल चूर्ण में मधु मिलाकर 10-20 मिली दशमूल काढ़े के साथ पीने से हिक्का, टी.बी., पार्श्वशूल (पाँजर में होने वाला दर्द) तथा हृदय में होने वाला दर्द में लाभ होता है।
-1-2 ग्राम पुष्कर मूल चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से पेटदर्द, खांसी तथा श्वसनिका (bronchiole) के सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
1-2 ग्राम पुष्करमूल चूर्ण में 60 मिग्रा यवक्षार (saltpeter) तथा 500 मिग्रा काली मिर्च चूर्ण मिलाकर गर्म जल के साथ सेवन करने से सांस संबंधी समस्या तथा हिचकी में लाभ होता है।
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हृदय संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो पुष्करमूल का इस तरह से उपयोग करने पर जल्दी आराम मिलेगा। 1-2 ग्राम पुष्कर मूल चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से हृदय में दर्द, सांस में कष्ट, खांसी तथा हिक्का में लाभ होता है।
अगर लंबे बीमारी के बाद खाने की रूची चली गई है तो पुष्कर मूल का मुरब्बा बनाकर खाने से अरुचि से राहत मिलती है।
पेट दर्द से हाल बेहाल है तो पुष्करमूल का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। पुष्कर मूल के साथ समान मात्रा में एरण्डमूल, इन्द्रयव तथा धमासा मिलाकर काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा पिलाने से गुल्म या ट्यूमर के कारण उत्पन्न पेट दर्द तथा जलन से जल्दी आराम मिलती है।
मासिक धर्म के कष्ट से परेशान रहते हैं तो 1-2 ग्राम पुष्कर मूल चूर्ण का सेवन करने से आर्तव विकारों (मासिक-विकार) में लाभ होता है।
पुष्करमूल का औषधीय गुण गठिया के दर्द से आराम दिलाने में बहुत मदद करता है-
-पुष्कर मूल के बीजों को पीसकर लगाने से आमवात तथा जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
-2 ग्राम पुष्कर मूल चूर्ण में समान मात्रा में अश्वगंधा तथा चोपचीनी चूर्ण मिलाकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
पुष्कर मूल को पीसकर कमर में लगाने से कमर दर्द से जल्दी आराम पाने में आसानी होता है।
त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने में पुष्करमूल का औषधीय गुण बहुत काम आता है-
-पुष्करमूल को गोमूत्र के साथ पीसकर, पेस्ट बनाकर लेप करने से कण्डू या खुजली से राहत मिलती है।
-पुष्करमूल को पीसकर घाव, क्षत (चोट) तथा सूजन में लगाने से अत्यन्त लाभ मिलता है।
-पुष्करमूल का काढ़ा बनाकर प्रभावित स्थान को धोने से त्वचा रोगों में लाभ होता है।
-1-2 ग्राम पुष्करमूल चूर्ण को (21 दिन तक) शहद के साथ सेवन करने से शरीर के बदबू में आराम मिलता है।
बुखार के कष्ट को आराम दिलाने में पुष्करमूल का सेवन बहुत लाभकारी होता है-
-पुष्कर मूल का उपयोग बुखार के चिकित्सा में उपयोगी होता है।
-पुष्कर मूल, कटेरी मूल, चिरायता, कुटकी, सोंठ तथा गुडूची सबको बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़े में शहद मिलाकर पिलाने से ज्वर, सन्निपातज ज्वर, कफज ज्वर, श्वास, खांसी, अरुचि में लाभ मिलता है।
-पुष्कर मूल, तुलसी के पत्ते तथा छोटी पिप्पली को बराबर मिलाकर, पीसकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पिलाने से कफज ज्वर में लाभ होता है।
-पुष्कर मूल चूर्ण तथा अतीस चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर मात्रानुसार माता के दूध या गाय के दूध के साथ पिलाने से ज्वर, सांस संबंधी समस्या, पार्श्वशूल (पाँजर के दर्द) आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
पुष्कर मूल चूर्ण को माता के दूध के साथ पीसकर पिलाने से बाल रोगों में आराम मिलता है।
पुष्कर मूल चूर्ण तथा सहजन के बीज चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चटाने से पेट के कृमियों से आराम दिलाता है।
पुष्कर मूल का काढ़ा बनाकर बच्चों को पिलाने से कफज संबंधी रोगों से आराम दिलाने में बहुत मदद करता है।
आयुर्वेद के अनुसार पुष्करमूल का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-
-जड़ और
-बीज।
यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए पुष्करमूल का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें।
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