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Home remedies for Lower back pain : पीठ के निचले हिस्से में दर्द से राहत के लिए घरेलू उपाय

कमर दर्द (kamar me dard) हो या, पीठ के नीचले हिस्से में दर्द (रीढ़ की हड्डी के नीचे के नीचले हिस्से में दर्द) या फिर पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द। लोग इस दर्द से काफी परेशान रहते हैं। कई लोग सोचते हैं कि कमर दर्द या पीठ दर्द सिर्फ वृद्धावस्था में होता है, लेकिन यह सच नहीं है। यह किसी भी उम्र में होने वाली तकलीफदेह बीमारी है। आज की बदलती जीवनशैली पीठ या कमर दर्द का कारण बन रही है। महिलाओं में मासिक एवं गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द की शिकायत अधिक देखी जाती है। अधिकांश लोग कमर दर्द के लिए अंग्रेजी दवा का इस्तेमाल करते हैं लेकिन आप चाहे तो कमर दर्द का इलाज (kamar dard ka ilaj) घरेलू उपाय से भी कर सकते हैं।

 

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कैल्शियम, विटामिन की कमी, रूमेटायड आर्थराइटिस, कशेरूकाओं की बीमारी, मांसपेशियों एवं तन्तुओं में खिंचाव, गर्भाशय में सूजन, मासिक धर्म में गड़बड़ी, गलत आसनों के प्रयोग आदि अनेक कारणों से पीठ या कमर में दर्द हो जाता है। महिलाओं में कमर दर्द के कारण भी यही हैं। इसलिए यहां कमर दर्द का कारण और इलाज के लिए अनेक घरेलू उपाय (kamar dard ke upay) बताए जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि आप कमर दर्द का घरेलू इलाज कैसे कर सकते हैं।

 

Contents

कमर दर्द (पीठ के नीचले हिस्से में दर्द) क्या है? (What is Lower Back Pain in Hindi?)

रीढ़ का निचला हिस्सा हमारे शरीर का ज्यादातर वजन उठाता है। जब हम झुकते, मुड़ते या भारी वस्तु उठाते हैं तब भी सारा भार रीढ़ के निचले हिस्से पर पड़ता है। जब हम एक स्थान पर ज्यादा समय बैठते हैं तब भी भार उसी स्थान पर पड़ता है। इन सब कारणों से हमारी रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियां, टिश्यू तथा लिंगामेंटस पर बार-बार दबाव पड़ता है। इस तरह की इंजरी को स्ट्रेस इंजरी कहते हैं। इससे बचने के लिए लगातार एक ही पोजीशन में एक जगह पर न बैठकर काम करें और थोड़ा ब्रेक लेते रहें। अपने पॉश्चर को बदलते रहें ताकि मांसपेशियों में अकड़न न आने पाए।

कमर दर्द (पीठ के नीचले हिस्से में दर्द) का कारण (Lower Back Pain Causes in Hindi)

आयुर्वेद के अनुसार, कमर दर्द का कारण वात और कफ दोष होता है। इसी कारण से पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। महिलाओं में कमर दर्द के कारण भी यही हैंं। वैसे पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होने के पीछे और भी बहुत सारे कारण होते है जो निम्नलिखित हैंः-

तनाव- तनाव कमर दर्द का कारण बनता है। जब हम तनाव में होते हैं तो हमारी मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। खासकर गले और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों पर तनाव का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। पीठ की मांसपेशियों के अकड़ जाने से हमारी पीठ दुखने लगती है। आपने गौर किया होगा, जब भी आप तनावग्रस्त होते हैं तो सबसे पहले पीठ में परेशानी शुरू हो जाती है। जिन लोगों को पीठ दर्द की समस्या होती है, यदि वे लंबे समय से तनावग्रस्त रहते हैं तो पीठ दर्द की समस्या और बढ़ जाती है, इसलिए मन को तनावग्रस्त होने से बचाना चाहिए।

नए-नए तकनीक- जो लोग दिन में कई घंटे अपने फोन या टैब में बिजी रहते हैं, उन्हें टेक्स्ट नेक हेल्थ प्रॉब्लम होती है। चूंकि वे फोन या टैब पर काम करते समय अपनी गर्दन को नीचे झुकाए होते हैं। इससे उनके मेरुदंड यानी स्पाइन पर अतिरिक्त वजन पड़ता है। शुरू-शुरू में उन्हें इसका एहसास नहीं होता, लेकिन यह आदत धीरे-धीरे उनके पॉश्चर को प्रभावित करने लगती है, और पीठ का दर्द शुरू हो जाता है। स्क्रीन में दिन रात घुसे रहने से आपकी आँखें ही नहीं, बल्कि शरीर के दूसरे अंगों में भी परेशानी होती है। 

शरीर के मांसपेशियों का तालमेल बिगड़ जाना- आपको यह तो पता ही है कि आपके शरीर के सभी अंग आपस में एक बेहतरीन तालमेल के साथ काम करते हैं। इसका मतलब यह है कि पीठ में दर्द होने का यह अर्थ यह नहीं है कि मुख्य समस्या पीठ में ही है। हैमस्ट्रिंग्स में खिंचाव या पेट की मांसपेशियों का कमजोर होना भी कमर (पीठ) दर्द का कारण हो सकता है। यदि शरीर में मसल्स में खराबी आती है तो उसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। खासकर ऐसी स्थिति में पीठ को ज्यादा काम करना पड़ता है। इससे पीठ दर्द (kamar me dard) हो सकता है।

आप अपने डॉक्टर या फिजियो थेरेपिस्ट से मिलें और इस बारे में उनकी राय लें। आप कोर मसल्स को मजबूत बनाने वाले एक्सरसाइज करें। बेली को भी शेप में रखने की कोशिश करें। इस बात को ध्यान में रखें कि पीठ दर्द की स्थिति में एक्सरसाइज किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।

रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ की समस्या- आपकी रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ का कुशनिंग इफेक्ट की तरह काम करता है। वे रीढ़ को किसी भी तरह के झटके से बचाते हैं। सीधी भाषा में समझें कि यह शॉक-एब्जॉर्बर का काम करता है। समय के साथ ये डिस्क्स फ्लैट होने लगता है, या गलत पॉश्चर या चोट आदि लगने के चलते इनमें गड़बड़ी आने लगती है जो कमर दर्द का कारण बनता है। कई लोगों को डिस्क में गड़बड़ी की फैमिली हिस्ट्री भी होती है। ये डिस्क्स हमेशा दर्द वाली स्थिति पैदा करते हों, ऐसा नहीं है, पर जब एक बार डिस्क्स के चलते दर्द शुरू होता है तो काफी तकलीफ होती है। हॉट और कॉल्ड पैक्स लगाने से भी आराम मिलता है। फिजियो थेरैपी से भी मदद मिलती है, पर आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टर की सलाह पर अमल करें।

गंभीर बीमारी- कभी-कभी पैंक्रियाटाइटिस, अल्सर या किडनी इन्फेक्शन भी कमर (पीठ) दर्द का कारण बनता है। कभी-कभी पीठ का दर्द कैंसर का संकेत भी देता है। इसके अलावा ऑस्टियोमायलाइटिस जैसा रीढ़ की हड्डी का इन्फेक्शन भी पीठ दर्द का कारण हो सकता है।

 

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कमर दर्द के लक्षणों के अनुसार होने वाली बीमारी के संकेत (Name of Disease According to The Symptoms of Lower Back Pain)

पीठ दर्द (kamar me dard) के कई कारण हो सकते हैं और ये इन बीमारियां के संकेत होते हैंः-

अल्सरेटिव कोलाइटिस- यह सूजन आंत्र रोग बड़ी आंत में लगातार सूजन की विशेषता है, जिसे बृहदात्र भी कहा जाता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस से बार-बार पेट में ऐंठन होने से पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। अन्य लक्षणों में क्रॉनिक डाइजेस्टिव समस्याएं जैसे मलाशय में दर्द, वजन में कमी और थकान शामिल है।

स्त्री रोग संबंधी विकार –महिलाओं में, श्रोणि में स्थित विभिन्न प्रजनन अंग पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य स्थिति है जो श्रोणि क्षेत्र में तेज दर्द पैदा कर सकती है, जो पीठ के निचले हिस्से में विकीर्ण हो सकती है। गर्भाशय में और उसके आस-पास बढ़ने वाले फाइब्रॉएड या ऊतक द्रव्यमान, पीठ के निचले हिस्से में दर्द के साथ अन्य लक्षण जैसे कि असामान्य मासिक धर्म, बार-बार पेशाब आना।

गर्भावस्था – बच्चे के विकसित होते ही गर्भावस्था के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना आम है। कई महिलाओं को अलग-अलग दर्द प्रबंधन के तरीके मददगार लगते हैं, जिनमें आराम, व्यायाम और स्ट्रेचिंग और पूरक उपचार शामिल हो सकते हैं।

हर्नियेटेड लम्बर डिस्क – एक इंटरवर्टेब्रल डिस्क एक कशेरुक खंड के बाईं ओर हर्नियेट कर सकता है, जिससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है और तेज दर्द होता है, जो बाएं कूल्हे के माध्यम से और बाएं पैर के पीछे से चलता है। ज्यादातर, बाएं पैर में दर्द पीठ दर्द से भी बदतर होता है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस – आमतौर पर कशेरुका के पीछे एक या दोनों पहलू जोड़ों को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कठोरता, बेचैनी और सुस्त दर्द होता है। निचली रीढ़ के बाईं ओर एक हड्डी का फैलाव तंत्रिका जड़ों को परेशान कर सकता है, जिससे बाएं कूल्हे के नीचे और बाएं पैर के नीचे से दर्द होता है।

सेक्रोइलिएक जॉइंट डिसफंक्शन – पीठ दर्द के कारण सेक्रोइलिएक जोड़ हो सकता है। यह शरीर के एक या दोनों तरफ कम पीठ और श्रोणि दर्द का कारण बन सकता है। अगर इसकी गति की सामान्य सीमा खंडित है। संयुक्त में बहुत अधिक आंदोलन पीठ के निचले हिस्से में दर्द और/या कूल्हे के दर्द का कारण हो सकता है, जो कमर में विकीर्ण हो सकता है। बहुत कम गति से आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है जो नितंबों या पैर के नीचे तक फैल जाता है है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिन अक्सर पवित्र जोड़ों के दर्द से शुरू होता है।

 

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कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से के दर्द) से कैसें बचें? (How to Prevent Lower Back Pain in Hindi)

आम तौर पर जीवनशैली के असर के कारण भी पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। इसके लिए जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत होती है। जैसे-

सही पॉश्चर-कुर्सी पर बैठते वक्त आराम से बैठें। पीठ को कुर्सी का सपोर्ट मिलना जरूरी है। आप के हाथ को भी सपोर्ट मिलना जरूरी है। हर एक घंटे के बाद कुर्सी से उठ जाएं, ताकि शारीरिक स्थिति में बदलाव आए। काम के बीच में स्ट्रेचिंग द्वारा शरीर को रिफ्रेश करें। इस बात का ध्यान रखें कि आपके काम करने की जगह आरामदायक हो (kamar dard ke upay), अचानक झुकने से बचें, बैठते समय पॉश्चर सही रखें।

कम्प्यूटर पर काम करते वक्त इन चीजों का ध्यान रखें- आप अगर लैपटॉप और डेस्कटॉप पर काम कर रहे हों तो इस चीजों के सबसे ऊपरी भाग आपकी नजर के 90 डिग्री के कोण में होनी चाहिए। वहीं माउस भी 90 डिग्री के कोण पर होना चाहिए। मोबाइल फोन इस्तेमाल करते वक्त गर्दन न झुकाएं, सिर्फ नजर नीचे रखें।

पैदल चलें- किसी भी व्यक्ति को फोन करते वक्त चलते-चलते फोन करें। ऑफिस में किसी को टेक्स्ट मेसेज भेजने से अच्छा है, उसके डेस्क के पास जा कर बात करें। इसी बहाने आप कुछ कदम भी चल लेंगे।

वजन उठाते वक्त सावधान रहें- वजन उठाते वक्त पूरी तरह नीचे ना बैठें। वजनदार चीज आपके शरीर के पास आने दें और उसके बाद ही उसे उठाएं। ऐसा न करने पर आपको पीठ की तकलीफ हो सकती है।

स्वस्थ खान-पान- खान-पान की सही आदतें न केवल सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद करती हैं बल्कि इससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव कम होता है।

सोने का सही तरीका- अपने सोने के तरीके में सामान्य बदलाव करके आप पीठ पर पड़ने वाले दबाव को कम कर सकते हैं, सोने का सबसे अच्छा तरीका है, करवट लेकर सोना और अपने पैरों के बीच में तकिया रखना।

मानसिक तनाव को कम करें- लोग वाकई इस बात को समझते हैं कि तनाव से पीठ/कमर दर्द की समस्या बढ़ती है, योग, ध्यान, गहरी सांस लेने, आदि से तनाव को दूर करने में मदद मिलती है और दिमाग शांत रहता है।

धूम्रपान न करें- धूम्रपान करने से पीठ दर्द की मौजूदा समस्या बहुत बढ़ जाती है। धूम्रपान छोड़ने से ना केवल पीठ दर्द का खतरा कम होता है बल्कि इससे कैंसर, डायबिटीज और जीवनशैली से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी दूर करने में मदद मिलती है।

नियमित व्यायाम और योग करें- शरीर को लचीला और अच्छी शारीरिक मुद्रा बनाये रखने के लिए योग और व्यायाम सबसे सही तरीके हैं। नियमित योग करने से तनाव कम होता है और यह पूर्ण रूप से शरीर के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है।

शलभासन- सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाइये। दोनों हाथों को अपनी जांघ के नीचे रखिये। श्वांस अंदर भरते हुए पहले दाहिने पैर को बिना मोड़े धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाइये कुछ सेकेंड रुक कर दाहिने पैर को उसी स्थिति में रखे हुए बायें को दाहिने पैर की तरह ऊपर की ओर उठाइये (kamar dard yoga)। ध्यान रखिये कि हर स्थिति में आपकी ठोड़ी जमीन से जुड़ी रहनी चाहिए। सांस छोड़ते हुए पूर्ण स्थिति में आइये। आप अपनी क्षमतानुसार क्रम को दोहराइयें।

मकरासन- पेट के बल लेटकर हाथ की कोहनियों को मोड़कर बिल्कुल सीधे हथेलियों पर ठोड़ी को रखिये। धीरे-धीरे लंबी सांस खींचते हुए दोनों पैर की एड़ियों को कूल्हे से सटाने का प्रयास कीजिए। सांस छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आ जाइये।

धनुरासन- इस आसन का सीधा सा अर्थ है शरीर को मोड़कर धनुष के समान बनाना। पेट के बल लेटकर दोनों पैरों के घुटने को मोड़कर कूल्हे के ऊपर लाकर दोनों हाथों से दोनों पंजों को पकड़िये। श्वास भरते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाइये एवं धनुष के समान रचना बनाइये। इस दौरान गर्दन सीधे रखते हुए सामने की ओर देखिये। क्षमतानुसार रुककर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में लौट आइये।

भुजंगासन- यानि फन फैलाये सांप के समान आकृति वाला आसन। इसमें भी पहले वाले आसन की तरह पेट के बल लेटकर हथेलियों को छाती के बाजू में रखकर पंजे मिलाते हुए कोहनी को थोड़ा ऊपर उठाकर श्वांस छाती में भरते हुए सिर को ऊपर उठाइये। नाभि जमीन में सटी हो। सिर को पीछे की ओर मोड़िये। थोड़ा रुककर पूर्व स्थिति में आ जाइये।

मर्कटासन- इस आसन को कमर दर्द के लिए उत्तम माना जाता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाइये। दोनों हाथों को कंधे की सीध में फैलायें। अपनी हथेलियाँ खुला रखे, दोनों पैरों को घुटने से मोड़ ले, अब दाहिने ओर पैरों को मोड़ लीजिये और बाएं तरफ गर्दन को मोड़े। 5-6 सेकेण्ड तक करने की कोशिश करें (kamar dard ke upay)। इसी तरह बाएं तरफ पैरों को मोड़कर गर्दन दाहिनी ओर रखें।

कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से में दर्द) का इलाज करने के लिए घरेलू उपाय (Home Remedies for Lower Back Pain in Hindi)

पीठ और कमर के दर्द से राहत पाने के लिए घरेलू उपाय कौन-कौन हैं, आइए ये देखते हैंः-

अदरक से करें कमर दर्द का इलाज (Ginger: Home Remedies for Lower Back Pain in Hindi)

  • अदरक को कमर दर्द में से राहत पाने में औषधी की तरह काम करता है। इसलिए जब भी कमर का दर्द सताए अदरक को विभिन्न तरीकों से इस्तेमात करें, जैसे कि अदरक का पेस्ट बनाकर दर्द वाली जगह पर लगायें (kamar dard ka ilaj)। ऊपर से नीलगिरी का तेल लगा लें या ताजा अदरक के 4-5 टुकड़े लें।
  • डेढ़ कप पानी में डालकर 10 से 15 मिनट के लिए हल्की आंच में उबालें। इसके बाद छानकर कुछ देर के लिए ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पी लें। इस तरह इस पेय को प्रतिदिन पीने की आदत डालें।
  • आधा चम्मच काली मिर्च, डेढ़ चम्मच लौंग के पाउडर और एक चम्मच अदरक का पाउडर मिलाकर हर्बल टी बनाएं। स्वाद के साथ ही दर्द से भी राहत पाएं। दरअसल अदरक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी कंपाउड्स होते हैं, जो हमें दर्द में राहत पहुंचाते हैं। इस उपाय से महिलाओं के कमर दर्द का इलाज भी होता है।

 

Ginger benefits for lower back pain

तुलसी से करें कमर दर्द का इलाज (Tulsi: Home Remedies for Lower Back Pain in Hindi)

कमर दर्द का इलाज करने के लिए एक कप पानी में 8-10 तुलसी की पत्तियां डालकर तबतक उबालें। जब यह उबलकर आधा हो जाये। इसके ठंडा होने के बाद इसमें एक चुटकी नमक डालकर रोजाना पिएं। इससे कमर दर्द में लंबे समय के लिए आराम मिलने लगेगा।

खसखस से करें कमर दर्द का इलाज (Khas khas: Home Remedie for Lower Back Pain in Hindi)

खसखस पीठ के दर्द से आराम पाने में मदद करता है। एक-एक कप खसखस के बीज और मिश्री का पाउडर रोज सुबह शाम दो-दो चम्मच एक गिलास दूध में डालकर पिएं। यह जल्द ही आपको कमर दर्द में आराम दिलाएगा। खसखस के बीज, कमर के इलाज में रामबाण औषधी (kamar dard ka ilaj) की तरह असर करता है।

 

लहसुन से करें कमर दर्द का इलाज (Garlic: Home Remedies for Lower Back Pain in Hindi)

कमर दर्द का इलाज करने के लिए रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 3-4 कलियों का सेवन करना शुरु कर दें। इससे सिर्फ कमर को ही नहीं बल्कि शरीर के कई अहम हिस्सों को फायदा होगा। लहसुन का तेल बनाने के लिए नारियल के तेल या सरसों के तेल या तिल में तीन लहसुन की कलियाँ डालें। अब इसे तब तक उबालें जब तक कि लहसुन की कलियाँ काली न पड़ जाएँ। अब इसे तेल को छान लें और ठण्डा होने दें। अब लहसुन का तेल से मसाज करें। कमर दर्द से तुरन्त आराम (kamar dard ka ilaj) मिलता है।

 

Garlic benefits for lower back pain

गेहूं से करें कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से के दर्द) का इलाज (Wheat: Home Remedies to Get Relief from Lower Back Pain in Hindi)

कमर दर्द का इलाज करने के लिए रात को एक मट्ठी गेहूँ को पानी में डालकर रख दें। सुबह इस गेहूँ को पानी से अलग कर लें और फिर एक गिलास दूध में डालकर गर्म करें। अब इस पेय को दिन में दो बार पिएं। दरअसल गेहूँ में ऐसे कंपाउंड्स पाए जाते हैं जिनका शरीर पर दर्दनिवारक प्रभाव होता है, जिससे कमर दर्द में आराम (kamar dard ka ilaj) मिलता है। इस उपाय से महिलाओं के कमर दर्द का इलाज भी होता है।

कैमोमाइल टी से करें कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से के दर्द) का इलाज (Chamomile Tea: Home Remedies to Get Relief form Lower Back Pain in Hindi)

एक चम्मच कैमोमाइल को एक कप पानी में 10 मिनट के लिए उबालें। अब इसे छानकर पी लें। रोज इस चाय को दो बार सेवन करें। यह इतना असरदार होता है कि एक कप हॉट कैमोमाइल मांसपेशियों की ऐंठन को ठीक करने के लिए काफी होती है।

 

बर्फ की सिकाई से कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से के दर्द) का उपचार (Ice Compress: Home Remedies to Get Relief from Lower Back Pain in Hindi)

  • बर्फ की ठंडी तासीर दर्द और सूजन को कम करने में कारगर उपायों में से एक है। तो जब आपको कमर में दर्द हो रहा हो तो बर्फ से सिकाई करें इससे थोड़ी देर के लिए वह हिस्सा सुन्न भी कर देगा, और आपको आराम महसूस होगा।
  • बर्फ को कूटकर एक कपड़े में बांध ले और इसे दर्द वाली जगह पर 10 से 15 मिनट के लिए रख दें। ऐसा इसे हर दो घंटे में दोहराएँ। आपको जल्द ही दर्द से छुटकारा मिलता महसूस (kamar dard ka ilaj) होगा।

 

Ice compress home remedies for lower back pain

हर्बल ऑयल से कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से के दर्द) का उपचार (Herbal Oil: Home Remedy for Lower Back Pain in Hindi)

हर्बल ऑयल से कमर की मालिश करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द कम होता है। आप कोई भी हर्बल ऑयल इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे नीलगिरी का तेल, बादाम का तेल, जैतून का तेल या नारियल का तेल आदि। पहले तेल को थोड़ा गर्म कर लें और फिर धीरे-धीरे दर्द वाली जगह पर मालिश (kamar dard ka ilaj) करें। इस उपाय से महिलाओं के कमर दर्द का इलाज भी होता है।

 

गेहूं की रोटी और तिल के तेल से कमर दर्द (पीठ के निचले हिस्से के दर्द) का उपचार (Sesame Oil and Wheat Bread: Home Remedy for Lower Back Pain in Hindi)

कमर दर्द का इलाज करने के लिए एक रोटी केवल एक ही तरफ से सेकें। दूसरी तरफ से कच्चा छोड़ दें। अब रात को सोते समय रोटी के कच्चे वाले हिस्से पर तिल का तेल लगायें। इस रोटी को अपनी कमर पर दर्द वाले हिस्से पर बांध लें और सो जाएँ। सुबह उठकर आप देखेंगे कि कमर का दर्द गायब हो चुका है। इस क्रिया को आप रोजाना भी कर सकते हैं।

 

सेंधा नमक से पाएं पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत (Rock Salt: Home Remedy for Lower Back Pain in Hindi)

पीठ दर्द से आराम पाने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल बेहतर परिणाम देता है। सेंधा नमक में पानी डालकर गाढ़ा पेस्ट तैयार करें। अब इसे एक कपड़े में डालकर निचोड़ दें जिससे बचा हुआ पानी भी बाहर निकल जाये। अब इस पेस्ट को अपनी कमर में लगा लें। सेंधा नमक दर्द को कम करता है, और इन्फ्लामेशन में राहत प्रदान (kamar dard ke upay) करता है।

 

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सरसों के तेल और लहसुन से पाएं पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत (Mustard Oil and Garlic: Home Remedy to Get Relief from Lower Back Pain in Hindi)

सरसों का तेल और लहसुन यह दोनों ही चीजें  आपकी रसोई में पहले ही उपलब्ध होंगी। आपको अब इनसे एक लेप तैयार करना है। इसके लिए आप आधा कटोरी सरसों के तेल 40 ग्राम लहसुन की कलियाँ छीलकर डाल लें। अब इसमें एक से दो चम्मच अजवायन के दाने भी मिला लें। अब इस मिश्रण को तवे पर हल्की आंच पर गर्म करें। ज्यादा तेज आंच पर तेल जल्दी जल सकता है इसलिए आंच धीमी ही रखें और तब तक इसको गर्म करें जब तक लहसुन और अजवायन काले न पड़ जाएँ। अब इसे ठण्डा होने तक इन्तजार करें। अब आप कमर में दर्द वाली जगह पर इस लेप की मालिश करें। इससे कमर में दर्द में बहुत राहत (kamar dard ke upay) मिलती है।

 

गर्म पानी के भाप से पाएं पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत (Hot Water Compress: Home Remedy to Get Relieve from Lower Back Pain in Hindi)

कमर दर्द का इलाज करने के लिए भाप से मसाज करना भी एक आयुर्वेदिक उपचार है। कमर में दर्द उठे तो किसी बड़े बर्तन में पानी गर्म कर लें। अब एक नर्म और सुखा तौलिया लेकर गर्म पानी में डालें और उसे निचोड़ लें। अब इस तौलिया की भाप कमर दर्द वाले हस्से पर लेने से दर्द में आराम मिलता है। भाप से शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं। इस उपाय से महिलाओं के कमर दर्द का इलाज भी होता है।

 

पीठ दर्द से आराम पाने के लिए दूध का सेवन (Milk: Home Remedy to Get Relief from Lower Back Pain in Hindi)

दूध कैल्शियम का स्रोत है जो हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाये रखने में मदद करता है। शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण भी कमर दर्द की समस्या होती है। इसलिए दूध का नियमित रूप से सेवन करें। यदि मीठे की जरूरत महसूस हो तो शहद मिलाकर पिएं। नुस्खों को अपनाने के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि नरम गद्दीदार आसान छोड़कर सख्त कुर्सी या तख्त पर सीधे बैठने की आदत (kamar dard ka ilaj) अपनाएं। सोने के लिए तख्त का इस्तेमाल करें। तभी ज्यादा बेहतर असर महसूस होगा। इस उपाय से महिलाओं के कमर दर्द का इलाज भी होता है।

 

Milk benefits for lower back pain

 

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (When to Contact Doctor?)

कमर दर्द का कारण कुछ भी हो सकता है और सामान्यतः कमर दर्द का घरेलू उपचार ही किया जाता है, लेकिन इसके कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जिनके कारण आपको डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता होती है। इसके निम्न लक्षण हैं-

-दर्द 6 सप्ताह से अधिक समय तक रहता है।

-ऐसा दर्द जो घरेलू उपचार किये जाने पर ठीक नहीं होता है।

-कमर का ऐसा दर्द जो रात में होता हो।

-कमर दर्द के साथ पेट का दर्द हो।

-बाहों या पैरों में कमजोरी, झुनझुनी, या सुन्न होना।

-जब रोजाना के दिनचर्या के कार्य में बाधा उत्पन्न होने लगे।

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