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Betel Leaf (Paan): गुणों से भरपूर है पान (ताम्बूल) – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

पान (Betel Leaf or Paan) के बारे में कौन नहीं जानता होगा। देश भर में लोग पान का आनंद लेते हैं। पान को लेकर ‘खइके पान बनारस वाला’ गाना भी बनाया गया है। पान का इस्तेमाल पूजा-पाठ आदि शुभ कार्यों में भी किया जाता है। इसके अलावा क्या आप यह जानते हैं कि पान एक जड़ी-बूटी की तरह भी काम करता है, और पान के कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आपको पता है कि सिर दर्द, आंखों की बीमारी, कान दर्द, मुंह के रोग, बच्चों की सर्दी में पान के इस्तेमाल से फायदे  ले सकते हैं। इतना ही नहीं, कुक्कर खांसी, सर्दी-जुकाम, ह्रदय रोग, सांसों के रोग में भी पान के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

 

Betel Leaf (Paan) benefits and side effects

आयुर्वेद के अनुसार, आप सूजन, फाइलेरिया, नपुसंकता, शारीरिक कमजोरी में पान के औषधीय गुण के फायदे तो ले ही सकते हैं, साथ ही दुबलेपन की समस्या, घाव, मिर्गी, बुखार, सांप के डसने पर भी पान से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि पान के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा या नुकसान  हो सकता है। 

 

Contents

पान क्या है? (What is Betel Leaf or Paan in Hindi?)

पान को नागबल्ली, श्रीवाटी, अम्लवाटी, अम्लरसा भी बोला जाता है। बहुत साल पहले से पान का इस्तेमाल व्यवहार, मुंह-शुद्धि, सुगन्धि एवं रूचिवृद्धि के साथ-साथ पूजा-पाठ आदि शुभ कार्यों और उत्सव में किया जा रहा है। इसकी लता कोमल होती है जो फैलती है। इसके तने चिकने, मजबूत, छोटी जड़ के सहारे ऊपर चढ़ने वाले होते हैं। इसके पत्ते पीपल के पत्तों के समान बड़े और चौड़े होते हैं। पान के पत्तों का रंग हरा होता है। बनारस में होने वाला पान सबसे उत्तम माना जाता है।

यहां पान के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Betel Leaf or paan benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप पान के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

 

अन्य भाषाओं में पान के नाम (Name of Betel Leaf or Paan in Different Languages)

पान का वानस्पतिक नाम Piper betle Linn. (पाइपर बीटेल) Syn-Chavica betle (Linn.) Miq. है, और यह Piperaceae (पाइपरेसी) कुल का है। पाने को इन नामों से भी जानते हैंः-

Betel Leaf or Paan in –

  • Hindi- पान
  • English- Betel leaf (बीटेल लीफ), बीटेल वाइन (Betel vine), बीटेल पेपर (Betel pepper)
  • Sanskrit- नागवल्ली, नागवल्लरी, सप्तशिरी, ताम्बूलवल्ली, ताम्बूली, नागिनी, ताम्बूल, भक्ष्यपत्ता, भुजङ्गलता, मुखभूषण, भुजङ्गवल्ली, दिवाभीष्टा, नागवल्लिका, पर्ण, पर्णलता, सप्तलता, फणिवल्ली, ताम्बूलवल्लिका, पर्णगृहाशया, वित्तिका, फणिलता
  • Urdu- पान (Pan) 
  • Oriya- पानो (Pano) 
  • Konkani- पान (Pan)
  • Kannada- अम्बाडीयेले (Ambadiyele)
  • Gujarati- नागरवेल (Nagarbel), पान (Paan)
  • Telugu- तमालापाकु (Tamalapaku)
  • Tamil- वेत्तिलै (Vettilei)
  • Bengali- खासीपान (Khasipan)
  • Nepali- पान (Paan)
  • Marathi- नागवेल (Nagvel)
  • Malayalam- वेत्तिल (Vettila)
  • Arabic- तंबुल (Tambul)
  • Persian- तंबोल (Tambol), बर्गे तन्बोल (Berge tambol)

 

पान के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Betel Leaf or Paan in Hindi)

पान के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

पान, तीक्ष्ण, चरपरा, कटु, उष्ण, मधुर, क्षारगुणयुक्त, कसैला, वातकारक होता है।  पुराना पान अत्यन्त रसभरा, रुचिकारक, सुगन्धित, मधुर, तीक्ष्ण, दीपन, कामोद्दीपक, बलकारक, रेचक और मुख को शुद्ध करने वाला है। नया पान त्रिदोषकारक, दाहजनन, अरुचिकारक, रक्त को दूषित करने वाला, विरेचक और वमनकारक है। पान अगर बहुत दिनों तक जल से सींचा हुआ हो तो श्रेष्ठ होता है। 

 

पान के फायदे और उपयोग (Betel Leaf (Paan) Benefits and Uses in Hindi)

पान के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

 

पान के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज (Benefits of Betel Leaf (Paan) in Relief from Headache in Hindi)

सिर दर्द होने पर पान के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। कान के चारों तरफ पान के पत्तों को बाँधने से सिर दर्द से आराम मिलता है।

 

Benefits of Betel Leaf (Paan) in Relief from Headache

और पढ़ेंः सिर दर्द के लिए घरेलू उपाय

 

आंखों के रोग की आयुर्वेदिक दवा है पान (Uses of Ayurvedic Medicine Betel Leaf (Paan) for Eye Disease in Hindi)

पान के रस में बराबर मात्रा में मधु मिला लें। इसे काजल की तरह आंखों पर लगाने से आंखों की नई बीमारियों जैसे पलकों के रोग में लाभ होता है। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें। 

और पढ़ेंः आंखों के रोग में करेला के फायदे

 

कान दर्द के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है पान (Uses of Ayurvedic Medicine Betel Leaf (Paan) in Relief from Ear Pain in Hindi)

कान दर्द में भी पान से लाभ होता है। 1-2 बूँद ताम्बूल (पान) के पत्ते के रस को कान और आंख में डालने से कान दर्द और रतौंधी में लाभ होता है।

और पढ़ेंः कान दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

 

मुंह के रोग में पान के सेवन से लाभ (Betel Leaf (Paan) Benefits for Oral Disease in Hindi)

  • 3-3 ग्राम रूमी मस्तगी, सुपारी और खदिर का सार लें। इसे पान (ताम्बूल) के पके हुए पत्तों के साथ पीस लें। इसकी 250-500 मिग्रा की वटी बना लें। इसे दांतों पर घिसने से दांतों की जड़ में होने वाला दर्द, सूजन आदि की समस्या ठीक होती है।
  • पान की जड़ को चूसने से कण्ठ स्वर मधुर होता है।

 

Betel Leaf (Paan) Benefits for Oral Disease

और पढ़ेंः मुंह के छाले के लिए घरेलू इलाज

 

पान के औषधीय गुण से बच्चों की सर्दी का इलाज (Benefits of Betel Leaf (Paan) to Treat Cold in Kids in Hindi)

बच्चों को सर्दी होने पर भी पान के इस्तेमाल से फायदा होता है। पान के पत्तों को गर्म कर लें। इसमें एरंड का तेल चुपड़कर छाती पर बाँधें। इससे लाभ होता है।

और पढ़ेंः बच्चों को सर्दी-जुकाम होने पर अपनाएं ये घरेलू उपाय

 

सर्दी-जुकाम में पान के सेवन से फायदा (Betel Leaf (Paan) Benefits in Fighting with Cough and Cold in Hindi)

  • वयस्क लोग भी सर्दी-जुकाम में पान का इस्तेमाल कर फायदा ले सकते हैं। पान की जड़ और मुलेठी को पीस लें। इसे मधु के साथ चाटने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।
  • पान की डंठल को घिस लें। इसमें शहद मिलाकर चाटने से बच्चों को सर्दी और कफ में आराम मिलता है।

और पढ़ें: सर्दी-जुकाम में अजवाइन का उपयोग लाभदायक

 

कुक्कुर खांसी में पान के सेवन से लाभ (Betel Leaf (Paan) Benefits in Fighting with Whooping Cough in Hindi)

  • कुक्कर खांसी पान के रस का सेवन करने से गले की सूजन कम हो जाती है, और कफ निकलने लगता है। 
  • इस रोग में 2-5 पान के पत्तों के रस को थोड़े गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से भी फायदा होता है।
  • 5-10 मिली पान रस को शहद के साथ मिलाकर चटाने से सूखी खाँसी मिटती है।

 

Betel Leaf (Paan) Benefits in Fighting with Whooping Cough

और पढ़ेंः कुक्कुर खाँसी (काली खांसी) में सर्पगंधा का प्रयोग फायदेमंद

 

सांसों के रोग में पान के सेवन से फायदा (Betel Leaf (Paan) Benefits for Respiratory Disease in Hindi)

  • पान के पत्तों को गर्म कर सांसों से जुड़ी बीमारियों वाले रोगी की छाती पर बाँधें। इससे सांसों से जुड़ी बीमारियों में लाभ होता है।
  • डिप्थीरिया रोग में पान के रस का सेवन करने से गले की सूजन कम हो जाती है।

और पढ़ें: सांसों (दमा या अस्थमा) की बीमारी में मूली खाने के फायदे

 

ह्रदय विकार में पान के सेवन से लाभ (Betel Leaf (Paan) Benefits for Health Related Disorder in Hindi)

  • हृदय की कमजोरी और हृदय विकार में पान का सेवन लाभदायक होता है। डिजिटेलीस के स्थान पर इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  • पान का शर्बत पीने से हृदय का बल बढ़ता है, कफज और मंदाग्नि ठीक होता है।
  • पान को चूसने पर लार की मात्रा अधिक निकलती है, जिससे पाचन क्रिया में मदद मिलती है। 
  • पान पेट की गड़बड़ी को ठीक करता है। इससे मुंह की दुर्गन्ध दूर हो जाती है। 
  • अगर आपको अत्यधिक प्यास लगती है तो पान खाने से प्यास कम लगने लगती है।

और पढ़ेंः ह्रदय रोग में अर्जुन के फायदे

 

पान के औषधीय गुण से कब्ज का इलाज (Benefits of Betel Leaf (Paan) to Treat Constipation in Hindi)

पान की डंठल पर तेल चुपड़कर बच्चों की गुदा पर रखें। इससे बच्चों की कब्ज खत्म हो जाती है।

 

Benefits of Betel Leaf (Paan) to Treat Constipation

और पढ़ें: कब्ज में टिंडा के फायदे

 

स्तनों की सूजन में पान के फायदे (Betel Leaf (Paan) Uses to Treat Breast Swelling in Hindi)

जिन महिलाओं के शिशु की मृत्यु हो गयी हो, और स्तनों में दूध भर जाने से सूजन की समस्या हो गई हो तो उन महिलाओं के स्तनों पर पान को गर्म करके बाँधने से सूजन कम हो जाती है। इससे दूध सूख जाता है।

और पढ़ेंः स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए उपयोगी घरेलू नुस्खे

 

नपुसंकता के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है पान (Uses of Ayurvedic Medicine Betel Leaf (Paan) for Impotence in Hindi)

आप पान के औषधीय गुण से नपुसंकता की बीमारी का इलाज भी कर सकते हैं। पान के पत्तों को लिंग (शिश्न) पर बाँधने से नपुंसकता रोग में लाभ होता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

और पढ़ेंः मालकांगनी (ज्योतिष्मति) से नपुसंकता का इलाज

 

दुबलापन के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है पान (Uses of Ayurvedic Medicine Betel Leaf (Paan) for Thinness in Hindi)

पान के पत्ते को दस मरिच के साथ पीस लें। इसे ठंडे जल के साथ सेवन करने से दुबलेपन की समस्या दूर होती है।

 

Uses of Ayurvedic Medicine Betel Leaf (Paan) for Thinness

और पढ़ेंः वजन बढ़ाने और मोटा होने (दुबलापन को दूर करना) के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय

 

शारीरिक कमजोरी में पान के सेवन से फायदा (Betel Leaf (Paan) Treats Body Weakness in Hindi)

पान के शर्बत में चरपरी चीजें या गर्म बेसवार मिला लें। इसे 25-25 मिली दिन में तीन बार पिलाने से शरीर की कमजोरी दूर होती है। 

और पढ़ें : शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए करें अश्वगंधा का प्रयोग 

 

फाइलेरिया (श्लीपद) में पान का औषधीय गुण फायेदमंद (Betel Leaf (Paan) Benefits for Filariasis in Hindi)

ताम्बूल के फायदे फाइलेरिया में भी मिलते हैं। ताम्बूल के सात पत्तों को लेकर पेस्ट बना लें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिला लें। इसे गुनगुने पीने के साथ पीने से श्लीपद (फाइलेरिया) में लाभ होता है।

और पढ़ेंः फाइलेरिया (हाथी पांव) की बीमारी में खैर (खादिर) से फायदा

 

घाव में पान का औषधीय गुण फायेदमंद (Benefits of Betel Leaf (Paan) for Healing Wound in Hindi)

घाव होने पर भी ताम्बूल के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। घाव के ऊपर ताम्बूल को बांधें। इससे घाव जल्दी भर जाते है।

 

Benefits of Betel Leaf (Paan) for Healing Wound

और पढ़ेंः घाव में मेथी के फायदे

 

मिर्गी में पान के फायदे (Betel Leaf (Paan) Uses to Treat Epilepsy in Hindi)

मिर्गी होने पर ताम्बूल के सेवन से लाभ मिलता है। महिलाओं को मिर्गी आने पर 5-10 मिली पान के रस को 100 मिली दूध में मिलाकर पिलाना चाहिए।

और पढ़ेंः गोरखमुंडी के उपयोग से मिर्गी का इलाज

 

बुखार में पान का औषधीय गुण फायेदमंद (Benefits of Betel Leaf (Paan) in Fighting with Fever in Hindi)

  • बुखार में भी ताम्बूल के औषधीय गुण से लाभ होता है।  3 मिली ताम्बूल (पान) के अर्क को गर्म कर लें। इसे दिन में 2-3 बार पिलाने से बुखार उतर जाता है। 
  • यदि बुखार ठीक न हो तो पान के पके पत्तों को घीसे पकाए हुए घृत का सेवन हितकर होता है।

और पढ़ेंः बुखार के इलाज के लिए घरेलू उपचार

 

सूजन की समस्या में पान के फायदे (Betel Leaf (Paan) Uses to Reduce Swelling in Hindi)

शरीर के किसी भी अंग में सूजन हो गई हो या फोड़ा हो गया है। आप पान से उसे ठीक कर सकते हैं। बीमारी वाले अंग पर पान को गर्म करके बाँधें। इससे सूजन और दर्द ठीक होता है।

और पढ़ें: सूजन की समस्या में अरबी से लाभ

 

सांप के डसने पर पान के फायदे (Betel Leaf (Paan) is Beneficial for Snake Bite in Hindi)

सांप के डसने पर पान (ताम्बूल) से लाभ होता है। पान के रस को सांप के काटने वाले स्थान पर लगाएं। इससे सांप के डसने से होने वाला नुकसान कम होता है।

 

Betel Leaf (Paan) is Beneficial for Snake Bite

और पढ़ें: सांप के काटने पर चुक्रिका के फायदे

 

पान के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Betel Leaf (Paan) in Hindi)

पान के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

  • पत्ते
  • जड़
  • फल 
  • तेल

 

पान का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Betel Leaf (Paan) in Hindi?)

पान को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

रस- 5-10 मिली

 

पान से नुकसान (Betel Leaf (Paan) Side Effects in Hindi)

पान के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैंः-

पान खाना भी एक लत है। लगातार पान खाने से इसकी आदत पड़ जाती है। पहली बार पान खाने से मस्तिष्क पर कुछ खास असर जैसे कुछ चक्कर आना, घबराहट, बेचैनी आदि महसूस होता है, लेकिन आदत बन जाने पर ये सब शिकायतें धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं। पान को चूसने पर लार की अधिक मात्रा निकलती है, जिससे पाचन क्रिया में मदद मिलती है, लेकिन तम्बाकू और सुपारी के साथ अधिक मात्रा में पान का सेवन नुकसानदेह होता है।

पान को अधिक खाने से भूख कम लगती है, इसलिए इसको कम मात्रा में खाना चाहिए। पान में हेपिक्साइन नामक जहरीला पदार्थ होता है। सुपारी में अर्कीडाइन नामक विषैला पदार्थ रहता है, इसलिए सुपारी भी कम लेनी चाहिए। पान के साथ ज्यादा कत्था खाने से फेफड़े में खराबी पैदा हो जाती है। पान के साथ अधिक चूना दाँतों को खराब कर देता है। तीक्ष्ण, उष्ण और पित्तप्रकोपक होने के कारण पान को इन स्थिति में नहीं खाना चाहिएः-

  • रक्तपित्त (नाक-कान से खून निकलने पर)
  • ह्रदय विकार
  • बेहोशी

यहां पान के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Betel Leaf or paan benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप पान के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए पान का सेवन करने या पान का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

 

पान कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Betel Leaf (Paan) Found or Grown?)

यह गर्म और आर्द्र प्रदेशों में होता है। यह विशेषतः बिहार, बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और श्रीलंका में बहुत अधिक संख्या में बोया जाता है। 

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