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गुलमोहर के पेड़ की सुंदरता उसके फूलों से होती है। गर्मी के दिनों में गुलमोहर के पेड़ पत्तियों के जगह फूल से लदे हुए होते हैं। भारत के नम, आद्र और गर्मी वाले जगहों में गुलमोहर के फूल सबसे ज्यादा खिलते हैं। सनातन धर्म में गुलमोहर के फूल को पवित्र माना जाता है। ठीक उसी तरह आयुर्वेद में गुलमोहर के बहुत सारे औषधीय गुण भी है जो इसको अद्वितीय बनाता है। आगे इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
गुलमोहर के फूल देखने में जितने सुंदर होते हैं उतने ही उपचारात्मक गुणों वाले भी होते हैं। फूलों के वर्ग के आधार पर यह मूलत दो प्रकार का होता है- 1. लाल गुलमोहर तथा 2. पीला गुलमोहर। फूलों के रंग के आधार पर इसके औषधीपरक गुण भी अलग होते हैं। गुलमोहर लाल (Delonix regia (Bojer ex Hook.) Raf.) भी कहते हैं।
गुलमोहर का वानास्पतिक नाम Delonix regia (Bojerex Hook.) Raf. (डेलोनिक्स रेजिआ) Syn-Poinciana regia Bojer ex Hook. होता है। इसका कुल Caesalpiniaceae (सेजैलपिनिएसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Peacock flower (पीकॉक फ्लॉवर) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि गुलमोहर और किन-किन नामों से जाना जाता है।
लाल गुलमोहर के नाम-
Sanskrit-कृष्णचूड़ा;
Hindi-गुलमोहर, रक्त गुलमोहर;
Kannada-दोड्डर्तनाग्रनधी (Doddartnagrandhi);
Gujrati-गुलमोहर (Gulmohar), रक्त गुलमोहर (Rakt gulmohar);
Tamil-मायारम (Mayarum);
Telugu-समिदितोगेडु (Samiditogedu), शीमासुन्केसुला (Shimasunkesula), अग्निपुलु (Agnipulu);
Bengali-राधाचूड़ा (Radhachura);
Nepali-गुल्मोहर (Gulmohar);
Marathi-गुलमोहर (Gulmohar);
Malayalamm-गुलपरी (Gulpari)।
English-फ्लेमबॉयेन्ट ट्री, (Flamboyant tree), गुलमोहर Gulmohar), फ्लेम ट्री (Flame tree), रॉयल पोन्सियाना (Royal poinciana);
Arbi-गोल्डमोर (Goldmore)।
पीले गुलमोहर के नाम-
Hindi-पीत गुलमोहर, शणकेसर;
Kannada-निरन्गी (Nirangi), केसरका (Kesaraka), केम्पुकेनजिगा (Kempukenjiga);
Gujrati-संधसरो (Sandhsaro);
Tamil-पेरुगोन्दराई (Perugondrai), वटनारायन (Vatnarayana);
Telugu-चिट्टीकेसर (Chitti-kesar), वटनारायण (Vatanarayana);
Bengali- कृष्णचूड़ा (Krishanchuda);
Nepali-पहेलो गुलमोहर (Pahelo gulmohar);
Marathi-संधसेरा (Sandhsera)।
लाल और पीला गुलमोहर के दोनों के औषधीय गुण अलग-अलग होते हैं, जैसे-
लाल गुलमोहर
गुलमोहर के फूल एवं फलियाँ मधुर, खाने की इच्छा बढ़ाने वाला, मृदुकारी तथा पोषक होते हैं। सामान्य कमजोरी, प्यास, अतिसार या दस्त, खून की कमी, नाक से खून बहने की बीमारी, सफेद पानी, कामला या पीलिया, अरुचि एवं मधुमेह में लाभप्रद होता है।
पीला गुलमोहर
पीला गुलमोहर ठंडा, स्निग्ध तथा तीनों दोषो को कम करने वाला होता है।
यह गांठ, गठिया तथा नाड़ीव्रण (साइनस) नाशक होता है।
इसके तने की छाल स्तम्भक (चोट से निकलने वाले खून को रोकने का गुण) तथा विरेचक के गुण वाले पत्ते, शीतल, वातानुलोमक, मूत्रल, सूजन को कम करने के गुण व वेदनाशामक होते हैं। पुष्प मधुर, स्तम्भक, पोषक, शीतल तथा मृदुकारी होते हैं।
गुलमोहर के लाल और पीले रंग के फूल अलग-अलग बीमारियों के लिए किस तरह इस्तेमाल किये जाते हैं, इसके बारे में जानना बहुत ज़रूरी होता है।
लाल गुलमोहर के फायदे-
अगर खान-पान में असंतुलन होने के वजह से दस्त की समस्या रूकने का नाम नहीं ले रही तो 1-2 ग्राम तने की छाल के चूर्ण का सेवन करने से अतिसार एवं आमातिसार के इलाज में मदद मिलती है।
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2-4 ग्राम गुलमोहर फूल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से आतर्व-विकारों यानि मासिक धर्म संबंधी बीमारियों विशेषतया कृच्छ्रार्तव में लाभ होता है।
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पीले गुलमोहर के फायदे-
गुलमोहर के पत्तों को पानी में पीसकर सिर पर लगाने से इन्द्रलुप्त या गंजेपन की समस्या में लाभ मिलता है तथा इसके छाल के चूर्ण में शहद मिलाकर मुख में धारण करने से मुख का व्रण भी जल्दी ठीक हो जाता है।
पीले गुलमोहर के पत्ते को दूध के साथ पीसकर बवासीर के कारण बने मस्सों पर लेप करने से अर्श में लाभ होता है।
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पीले गुलमोहर के 1-2 ग्राम छाल चूर्ण तथा फूल के चूर्ण का सेवन करने से श्वेतप्रदर या ल्यूकोरिया के उपचार में लाभ मिलता है।
पीले गुलमोहर के पत्तो को पीसकर लगाने से आमवात में तथा पत्तों का काढ़ा बनाकर बफारा यानि भाप देने से आमवात के कारण जो दर्द होता है उससे आराम मिलता है।
पीले गुलमोहर के पत्ते तथा फूल को दूध के साथ पीसकर लेप करने से विसर्प में लाभ मिलता है।
पीले गुलमोहर के पत्तों को पीसकर लगाने से तथा गुलमोहर के पत्तों का काढ़ा बनाकर व्रण को धोने से व्रण का सूजन कम होता है।
पीले गुलमोहर के जड़ को पीसकर काटे हुए स्थान पर लगाने से दंशजन्य विषाक्त प्रभाव कम होता है।
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आयुर्वेद के अनुसार गुलमोहर का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-
-फूल और
-तने की छाल
यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए गुलमोहर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 2-4 ग्राम चूर्ण या 1-2 ग्राम तने की छाल का चूर्ण ले सकते हैं।
पूरे भारतवर्ष के उष्ण कटिबन्धीय स्थानों में सड़कों के किनारे एवं बगीचों में गुलमोहर का पेड़ और फूल पाया जाता है।
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