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Dronpushpi: बेहद गुणकारी है द्रोणपुष्पी- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

द्रोणपुष्पी (Dronpushpi) के अनेक नाम हैं। द्रोणपुष्पी को गूमाडलेडोना, गोया, मोरापाती, धुरपीसग भी बोला जाता है। आपने द्रोणपुष्पी के पौधे को अपने घरों के आस-पास या कई स्थानों पर देखा होगा। बारिश के मौसम में यह सभी जगह पैदा हो जाता है। द्रोणपुष्पी के पौधे को रगड़ने पर तुलसी की तरह का गंध निकलता है।   क्या आप जानते हैं कि द्रोणपुष्पी एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी है, और इसके कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि बुखार, वात दोष, टाइफाइड, अनिद्रा में द्रोणपुष्पी के इस्तेमाल से फायदे (Dronpushpi benefits and uses) मिलते हैं। क्या आपका पता है कि न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर, हिस्टीरिया, दाद-खाज-खुजली, आदि में भी द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

आयुर्वेद में द्रोणपुष्पी के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है, क्योंकि आप रोम छिद्र की सूजन, गठिया, एनीमिया, पीलिया आदि में द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा आप बदहजमी, खांसी, सर्दी, आंखों के रोग, सिर दर्द, और बिच्छू के डंक मारने पर भी द्रोणपुष्पी से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि द्रोणपुष्पी के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि द्रोणपुष्पी से क्या-क्या नुकसान (Dronpushpi side effects) हो सकता है।

Contents

द्रोणपुष्पी क्या है? (What is Dronpushpi in Hindi?)

द्रोणपुष्पी के फूल द्रोण (दोना या प्याला) के जैसे होते हैं, इसलिए इसे द्रोणपुष्पी कहा जाता है। द्रोणपुष्पीप का पौधा 60-90 सेमी ऊँचा, सीधा या फैला हुआ होता है। इसके तने और इसकी शाखाएँ चतुष्कोणीय, रोमश होती हैं। इसके पत्ते सीधे 3.8-7.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार या अण्डाकार-भालाकार होते हैं। इसके पत्तों में गंध होता है और यह स्वाद में कड़वा होता है।

इसके फूल छोटे, सफेद रंग होते हैं। इसके फल 3 मिमी लम्बे, अण्डाकार, भूरे रंग के और चिकने होते हैं। इसके बीज छोटे, चिकने, भूरे रंग के होते हैं। इसकी जड़ सफेद रंग की और स्वाद में चरपरी होती है। इसके पौधे में फूल और फल अगस्त से दिसम्बर तक होता है।

इसकी कई प्रजातियां होती हैं।

  1. Leucas aspera (Willd.) Link (द्रोणकपुष्पी)
  2. Leucas zeylanica Br (क्षुद्र द्रोणपुष्पी)- यह पौधा 50-60 सेमी ऊँचा, और एक वर्ष तक जीवित रहने वाला है। इसके तने चतुष्कोणीय होती हैं। इसकी पत्तियां रेखाकार, भालाकार, और रोमश होती है। इसके शाखाओं के ऊपरी भाग पर गुच्छों में सफेद रंग के फूल आते हैं। इसके फल आयताकार, त्रिकोणीय एवं चक्करदार होते हैं।

इसका प्रयोग भूख की कमी, पेट फूलना, दर्द, टाइफाइड, बुखार के कारण होने वाली भूख की कमी, और पेट के रोगों के इलाज में किया जाता है। यहां द्रोणपुष्पी के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Dronpushpi benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अन्य भाषाओं में द्रोणपुष्पी के नाम (Name of Dronpushpi in Different Languages)

द्रोणपुष्पी का वानस्पतिक नाम Leucas cephalotus (Roth) Spreng. (ल्युकस सिफॅलोटुस) Syn-Phlomis cephalotes Roth है, और यह Lamiaceae (लेमिएसी) कुल का है। द्रोणपुष्पी के अन्य ये नाम हैंः-

Dronpushpi in –

  • Hindi- गूमाडलेडोना, गोया, मोरापाती, धुरपीसग
  • Sanskrit- द्रोणपुष्पी, फलेपुष्पा, पालिंदी, कुंभयोनिका, द्रोणा
  • English- Thumbe (थम्बे)
  • Kannada- तुम्बे (Tumbe)
  • Gujarati- दोशिनाकुबो (Doshinokubo), कुबो (Kubo), कुबी (Kubi)
  • Marathi- तुम्बा (Tumba), देवखुम्बा (Devkhumba), शेतवाद (Shetvad)
  • Punjabi- छत्रा (Chatra), गुल्डोडा (Guldoda), मलडोडा (Maldoda)
  • Tamil- कोकरातासिल्टा (Kocaratacilta), नेयप्पीरक्कू (Neyppirkku)
  • Telugu- पेड्डातुम्नी (Peddatumni), तुम्मी (Tummi)
  • Bengali- घलघसे (Ghalghase), बराहलकसा (Barahalkasa)
  • Nepali- सयपत्री (Syapatri)
  • Malayalam- तुम्बा (Tumba)
  • Rajasthani- उडापता (Udapata), निडालू कुबी (Nidalu kubi)

द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Dronpushpi in Hindi)

द्रोणपुष्पी के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

द्रोणपुष्पी मधुर, कटु, लवण, उष्ण, गुरु, लघु, तीक्ष्ण, वातपित्तकारक, कफशामक, पथ्य, भेदन, मेध्य और रुचिकारक होती है। इसके पंचांग में वेदनाशामक एवं शोथहर गुण होता है।

द्रोणपुष्पी के फायदे और उपयोग (Dronpushpi Benefits and Uses in Hindi)

द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज (Benefits of Dronpushpi in Relief from Headache in Hindi)

  • आंखों के रोग में द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से लाभ होता है। इसके लिए द्रोणपुष्पी के पत्ते के रस से सिर पर लेप करें। इसके साथ ही नाक के रास्ते लें। इससे सिर का दर्द ठीक होता है।
  • द्रोणपुष्पी पंचांग को पीस लें। इसमें काली मरिच का चूर्ण मिलाकर मस्तक पर लगाएं। इससे भी सिर दर्द ठीक होता है।

और पढ़ेंः सिर दर्द के लिए घरेलू उपाय

सर्दी-जुकाम में द्रोणपुष्पी के सेवन से लाभ (Dronpushpi Benefits in Fighting with Cold in Hindi)

  • द्रोणपुष्पी का काढ़ा बनाकर भाप दें। स्नान के दौरान इस काढ़ा का उपयोग करें। इससे सर्दी में फायदा होता है।
  • 10 मिली गूमा के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस और शहद मिला लें। इससे सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।
  • 5-10 ग्राम द्रोणपुष्पी के पत्ते में बराबर मात्रा में वनफ्शा और मुलेठी चूर्ण मिलाकर, काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़ा में मिश्री मिलाकर पीने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।

और पढ़ें: सर्दी-जुकाम में अजवाइन का उपयोग लाभदायक

आंखों के रोग में द्रोणपुष्पी के फायदे (Dronpushpi Uses to Treat Eye Disease in Hindi)

द्रोणपुष्पी को चावल के धुले हुए पानी से पीस लें। इसे 1-2 बूंद की मात्रा में नाक से  लें। इससे आंखों के रोग में लाभ होता है। इसके साथ ही इसे काजल की तरह लगाने से पीलिया रोग में भी लाभ होता है।

और पढ़ेंः आंखों के रोग में सुपारी का प्रयोग

खांसी में द्रोणपुष्पी के सेवन से लाभ (Dronpushpi Benefits in Fighting with Cough in Hindi)

5 मिली द्रोणपुष्पी के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में शहद मिला लें। इसे पीने से खांसी और सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।

और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपाय

बदहजमी में द्रोणपुष्पी के फायदे (Dronpushpi Uses to Treat Indigestion in Hindi)

आप बदहजमी के इलाज के लिए भी द्रोणपुष्पी का सेवन कर सकते हैं। द्रोणपुष्पी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं। इससे बदहजमी में लाभ होता है, और भूख बढ़ती है।

और पढ़ेंः बदहजमी के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से एनीमिया-पीलिया का इलाज (Benefits of Dronpushpi for Anemia and Jaundice Treatment in Hindi)

  • द्रोणपुष्पी के रस को काजल की तरह लगाने और नाक के रास्ते लेने से एनीमिया और पीलिया में फायदा होता है। आपको 5 मिली रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाना है, और इस्तेमाल करना है।
  • 5-10 मिली द्रोणपुष्पी के रस में 500 मिग्रा काली मरिच का चूर्ण और सेंधा नमक मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से एनीमिया और पीलिया में लाभ होता है।

और पढ़ेंः मूली के सेवन से पीलिया का इलाज

लिवर और तिल्ली विकार में द्रोणपुष्पी के सेवन से लाभ (Dronpushpi Benefits for Liver and Spleen Disorder in Hindi)

लिवर और तिल्ली विकार में द्रोणपुष्पी की जड़ का चूर्ण लें। इसमें एक भाग पिप्पली चूर्ण मिला लें। 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लिवर और तिल्ली विकारों में लाभ होता है।

और पढ़ें – लिवर रोग में चंद्रशूर के फायदे

द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से गठिया का इलाज (Benefits of Dronpushpi to Treat Arthritis in Hindi)

  • द्रोणपुष्पी का काढ़ा बनाकर सेकने से गठिया रोग ठीक होता है।
  • द्रोणपुष्पी पंचांग का बना लें। 10-30 मिली काढ़ामें 1-2 ग्राम पिप्पली चूर्ण मिलाकर पिलाने से गठिया का इलाज होता है।

और पढ़ेंः गठिया में पिपरमिंट के फायदे

रोम छिद्र की सूजन में द्रोणपुष्पी का औषधीय गुण फायेदमंद (Dronpushpi Benefits for Skin Pore Swelling in Hindi)

रोम छिद्र की सूजन के इलाज के लिए द्रोणपुष्पी का उपयोग लाभदायक होता है. द्रोणपुष्पी के पत्ते का भस्म बना लें। इसको घोड़े के मूत्र में मिला लें। इसका लेप करें। इससे रोम छिद्र की सूजन कम होती है।

और पढ़ेंः बड़े रोमछिद्रों को कम करने के घरेलू उपाय

दाद-खाज-खुजली की आयुर्वेदिक दवा है द्रोणपुष्पी (Benefits of Dronpushpi for Itching in Hindi)

आप दाद-खाज-खुजली में भी द्रोणपुष्पी के फायदे ले सकते हैं। द्रोणपुष्पी के पत्ते के रस या पेस्ट से लेप करें। इससे घाव, शरीर की जलन, दाद और खुजली ठीक होता है।

और पढ़ेंः दाद-खाज-खुजली का घरेलू इलाज

अनिद्रा में द्रोणपुष्पी के फायदे (Dronpushpi Uses to Treat Insomnia in Hindi)

अनिद्रा की परेशानी में द्रोणपुष्पी का सेवन फायदेमंद होता है। अनेक आयुर्वेदाचार्य इसका इस्तेमाल करते हैं। 10-20 मिली द्रोणपुष्पी के बीज का काढ़ा का सेवन करें। इससे नींद अच्छी आती है।

और पढ़ेंः अनिद्रा में शतावरी के फायदे

हिस्टीरिया में द्रोणपुष्पी का औषधीय गुण फायेदमंद (Dronpushpi Benefits for Hysteria Treatment in Hindi)

हीस्टीरिया के लिए द्रोणपुष्पी फायदेमंद है। द्रोणपुष्पी का काढ़ा बनाकर स्नान करें। इससे हीस्टीरिया का इलाज होता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।

और पढ़ेंः सीताफल के सेवन से हिस्टीरिया में लाभ

टाइफाइड बुखार में द्रोणपुष्पी का औषधीय गुण फायेदमंद (Dronpushpi Benefits for Typhoid Treatment in Hindi)

  • 10-30 मिली पंचांग काढ़ा का सेवन करने से विषमज्वर में लाभ होता है।
  • द्रोणपुष्पी पंचांग में पित्तपापड़ा, सोंठ, गिलोय और चिरायता को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़ा को पीने से टाइफाइ बुखार में लाभ होता है।

और पढ़ेंः टाइफाइड के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

बुखार में द्रोणपुष्पी के सेवन से लाभ (Uses of Dronpushpi in Fighting with Fever in Hindi)

  • इसके पत्तों से रस निकाल लें। 5-10 मिली रस में नमक मिलाकर पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
  • इसके पत्ते के रस को काजल की तरह लगाने से बुखार में लाभ होता है।
  • द्रोणपुष्पी काढ़ा से स्नान और अंगों को पोछने से भी बुखार में लाभ होता है।
  • 10-30 मिली द्रोणपुष्पी के रस में 5-5 ग्राम पित्तपापडा चूर्ण, नागरमोथा चूर्ण और चिरायता चूर्ण मिला लें। इसे पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर सेवन करने से बुखार में लाभ होता है।
  • द्रोणपुष्पी के पत्तों को पीसकर शरीर पर मलने से बुखार के कारण होने वाली शरीर की जलन में लाभ होता है।

और पढ़ेंः बुखार के लिए घरेलू उपचार

न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में द्रोणपुष्पी का औषधीय गुण फायेदमंद (Dronpushpi Benefits for Neurological Disorder in Hindi)

न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में द्रोणपुष्पी का सेवन बहुत लाभ पहुंचाता है। आप इसके लिए द्रोणपुष्पी के पत्ते का काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से स्नायविक विकारों (न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर) में लाभ होता है।

और पढ़ेंः दिमाग को दुरुस्त करने में सेब के फायदे

मलेरिया बुखार में द्रोषपुष्पी का सेवन लाभदायक (Uses of Dronpushpi in Fighting with Malaria Fever in Hindi)

5 मिली द्रोणपुष्पी के पत्ते के रस में 1 ग्राम काली मरिच का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से मलेरिया बुखार में फायदा होता है।

और पढ़ेंः मलेरिया बुखार के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

वात दोष के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है द्रोणपुष्पी (Uses of Ayurvedic Medicine Dronpushpi for Wataj Disorder in Hindi)

द्रोषपुष्पी वात दोष को भी ठीक करता है। 10 मिली द्रोणपुष्पी रस में मधु मिलाकर पिलाएं। इससे वात दोष से संबंधित विकारों ठीक होता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।

और पढ़ेंः जानिए वात्त-पित्त-कफ दोष और उससे होने वाले रोग

बिच्छू के डंक मारने की आयुर्वेदिक दवा है द्रोणपुष्पी (Ayurvedic Medicine Dronpushpi is Beneficial in Scorpion Bite in Hindi)

बिच्छू डंक मारे तो घबराएं नहीं। द्रोणपुष्पी के पत्तों को पीसकर डंक वाले स्थान पर लगाएं। इससे बिच्छू के डंक से होने वाले नुकसान कम हो जाते हैं।

और पढ़ेंः बिच्छू के काटने पर पपीते का प्रयोग

द्रोणपुष्पी के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Dronpushpi in Hindi)

द्रोणपुष्पी के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

  • पंचांग
  • पत्ते
  • जड़
  • बीज

द्रोणपुष्पी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Dronpushpi in Hindi?)

द्रोणपुष्पी को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

  • रस- 5-10 मिली
  • काढ़ा- 10-30 मिली

यहां द्रोणपुष्पी के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Dronpushpi benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए द्रोणपुष्पी का सेवन करने या द्रोणपुष्पी का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

द्रोणपुष्पी कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Dronpushpi Found or Grown?)

द्रोणपुष्पी भारत के हिमालय क्षेत्रों में 1800 मीटर की ऊचाँई पर पाया जाता है। यह पंजाब, बंगाल, आसाम, गुजरात एवं चेन्नई में 900 मीटर की ऊँचाई पर खरपतवार के रूप में पाया जाता है। इसके अलावा यह विश्व में भूटान एवं अफगानिस्तान में भी पाया जाता है।

पतंजलि के द्रोणपुष्पी युक्त उत्पाद कहां से खरीदें (Where to Buy Dronpushpi Related Patanjali Product?)

पतंजलि दिव्य ज्वर नाशक वटी  (Patanjali Divya Jwarnashak Vati) खरीदने के लिए यहां क्लिक करें।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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