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Tidhara Sehund: गुणकारी है तिधारा सेंहुड- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

तिधारा सेहुंड एक वनस्पति है जो कई रोगों के इलाज में उपयोगी है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि तिधारा के औषधीय गुणों के कारण ही इसे एक औषधि का दर्जा दिया गया है. इस पौधे का आप घर पर गमलों में उगा सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि जिन घरों के छतों पर गमलों में यह पौधा लगा होता है वहां बिजली गिरने की संभावना काफी कम हो जाती है. इस लेख में हम आपको तिधारा के फायदे, नुकसान और उपयोग के तरीकों के बारे में बता रहे हैं.

Contents

तिधारा सेहुंड क्या है? (What is Tidhara Sehund?)

तिधारा का पौधा लगभग 9 मी ऊँचा, कंटीला, झाड़ीनुमा होता है. इसके तने लगभग 30 सेमी व्यास के बेलनाकार होते हैं. इसकी हरी पत्तियां गोल आकार की होती हैं जिनके किनारों पर कांटे होते हैं. दिसंबर से अप्रैल के बीच में इसमें फल और फूल उगते हैं. पेट से जुड़े रोगों के इलाज में इस जड़ी बूटी को काफी उपयोगी पाया गया है.

अन्य भाषाओं में तिधारा सेहुंड के नाम (Name of Triangular spurge in Different Languages)

तिधारा सेहुंड का वानस्पतिक नाम Euphorbia antiquorum Linn. (यूफॉर्बिया एण्टीकोरम) Syn-Tithymalus antiquorus (Linn.) Moench है. यह Euphorbiaceae (यूफॉर्बिएसी) कुल का पौधा है. आइये जानते हैं कि अन्य भाषाओं में इसे किन नामों से जाना जाता है.

Triangular spurge in :

  • Sanskrit : वज्रकण्टक, वज्री, त्रिधारासेंहुण्ड
  • Hindi – तिधारासेंहुड, तिधारा थूहर
  • Urdu – जकुम (Jakum)
  • Udia – दौकहान्सैजु (Daukhanseju), लोहासीजु (Lohasiju)
  • Kannad – जन्डेगल्ली (Jadekalli), छदरगल्ली (Chadargalli)
  • Gujrati – तन्धारीसेंद (Tandharisend)
  • Telugu – बोम्मजेमुडु (Bommajemudu)
  • Tamil – क्षुद्रारकल्ली (Shudrarkalli) छदुरकल्ली (Chadurkalli)
  • Bengali – लेरीयाडोना (Lariyadaona), बजवरन (Bajvaran), तेशिरेमनसा (Teshiremanasa)
  • Nepali – सिकुंदी भेद (Sikundi bheda)
  • Marathi – तीनधारी (Tindhari), निवडुंग (nivdunga), नरसेज (Narsej), नरस्या (Narasya)
  • Malyalam – चतुरकल्ली (Chaturakalli)
  • English – एन्सीएन्टस् यूर्फोब (Ancients euphorb), फ्लेशी स्पर्ज (Fleshy spurge)
  • Arabi – जेक्कूमेहिन्दी (Zaqqumehindi)
  • Persian – जेक्कूमेहिन्दी (Zaqqumehindi)

तिधारा सेहुंड के औषधीय गुण  (Medicinal Properties of Tidhara Sehund in Hindi)

तिधारा सेंहुण्ड कटु, तिक्त, उष्ण, लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण, कफवातशामक कफघ्न, ज्वरघ्न, रुचिकारक तथा रक्तशोधक होता है।

इसका स्वरस तिक्त तथा शोथरोधी होता है।

इसकी मूल तापजनक, शूलहर, विरेचक, वामक, आमाशयिक क्रियाविधिवर्धक तथा पाचक होती है।

तिधारा के फायदे एवं उपयोग (Benefits and Uses of Tidhara Sehund in Hindi)

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार पेट से जुड़े रोगों के अलावा यह कान दर्द और जोड़ों के दर्द के इलाज में भी फायदेमंद है. आइये जानते हैं कि अलग अलग बीमारियों में कैसे तिधारा सेहुंड का उपयोग करें.

कान के दर्द से आराम दिलाता है तिधारा (Tidhara Benefits for Ear Pain in Hindi)

अगर आप कान के दर्द से परेशान हैं तो तिधारा के उपयोग से आप इस दर्द से राहत पा सकते हैं. इसके लिए तिधारा सेहुंड की शाखाओं से प्राप्त जूस को 1-2 बूंद कान में डालें. कुछ दिन ऐसा करने से कान दर्द कम होता है।

और पढ़ेंः कान दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

खांसी दूर करने का कारगर घरेलू इलाज है तिधारा (Uses of Tidhara for controlling Cough in Hindi)

तिधारा के रस में अडूसा की पत्तियों को पीसकर 250 मिग्रा की गोलियां बना लें. रोजाना सुबह शाम 1-1 गोली चूसने से खांसी में आराम मिलता है।

और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपाय

पेट से जुड़े रोगों को ठीक करता है तिधारा (Use Tidhara Sehund for Stomach Related Problems in Hindi)

क्या आपको पता है कि तिधारा सेहुंड पेट के रोगों को ठीक करने में उपयोगी है? जी हां, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो तिधारा के उपयोग से पेट में कीड़ों की समस्या, अपच, पेट फूलना आदि समस्याओं में फायदा मिलता है. आइये जानते हैं कि इन रोगों में तिधारा का उपयोग कैसे करें :

  • बदहजमी या अपच : 5 मिली तिधारा के जड़ के रस का सेवन करने से पेट फूलने और अपच की समस्या से आराम मिलता है.
  • पेट के कीड़ों से निजात : विशेषज्ञों के अनुसार, तिधारा की जड़ को हींग के साथ पीसकर कपड़े में लगाकर पेट में बाँधने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं.

और पढ़ेंः बदहजमी (अपच) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

सिफलिस के इलाज में उपयोगी है तिधारा सेहुंड (Tidhara Sehund Beneficial in Treatment of syphilis in Hindi)

सिफलिस एक यौन संचारित रोग है और इसके लक्षण नजर आते ही तुरंत इसका इलाज करवाना चाहिए. तिधारा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से सिफलिस रोग के इलाज में फायदा मिलता है.

और पढ़ेंः सिफलिस रोग में विधारा से लाभ

गोनोरिया की समस्या में फायदा पहुंचाता है तिधारा सेहुंड (Benefits of Tidhara in Gonorrhea Treatment in Hindi)

गोनोरिया भी एक यौन संचारित रोग है. विशेषज्ञों के अनुसार तिधारा के रस में चने का बेसन मिलाकर आग पर पका लें. इसे पकाकर 250 मिग्रा की गोलियां बना लें. नियमित सुबह शाम एक-एक गोली का सेवन करने में गोनोरिया की समस्या में सुधार होता है।

और पढ़ेंः गोनोरिया में फायदेमंद भुई आवंला का प्रयोग

गठिया के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है तिधारा सेहुंड (Tidhara Sehund Benefits for Gout in Hindi)

तिधारा में ऐसे गुण होते हैं जो जोड़ों के दर्द से आराम दिलाते हैं. गठिया या आर्थराइटिस में होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए आप कई तरीकों से तिधारा का उपयोग कर सकते हैं. आइये जानते हैं इन बीमारियों में तिधारा सेहुंड का कैसे करें उपयोग :

  • गठिया :  तिधारा के तने का काढ़ा बनाकर इससे सिंकाई करने से गठिया में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
  • आर्थराइटिस : तिधारा की शाखाओं को कूटकर इनका रस निकाल लें. इस रस को जोड़ों में लगाने से जोड़ों का दर्द कम होता है।
  • जोड़ों में सूजन : तिधारा के तने के गूदे में सुहागा तथा नमक मिलाकर गुनगुना करके लगाने से जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत मिलती है। इसके अलावा तिधारा के गुदे में नीम की निबौली का तेल मिलाकर लेप करने से भी जोड़ों की सूजन कम होती है।

और पढ़ें: जोड़ों के दर्द (गठिया) में अजमोदादि चूर्ण के फायदे

घाव के कीड़ों को खत्म करने में मदद करता है तिधारा सेहुंड (Tidhara Beneficial in Wound Healing in Hindi)

कई बार घावों में मौजूद कीड़े, घाव को और सड़ाने लगते हैं जिससे समस्या और बढ़ जाती है. तिधारा के रस में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो घाव के इन कीड़ों को खत्म करने में मदद करता है. इसके लिए तिधारा सेहुंड के रस को घाव पर लगाएं, इससे घाव जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा आप तिधारा के तने को पीसकर गुनगुना कर लें. इसे ऊँगलियों या नाख़ून में होने वाले घावों पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।

और पढ़ेंः घाव में मेथी के फायदे

दाद की समस्या दूर करता है तिधारा सेहुंड ( Use Tidhara to get rod of Ringworm in Hindi)

अगर आप दाद की समस्या से परेशान हैं तो इससे जल्दी छुटकारा पाने के लिए तिधारा सेहुंड का उपयोग करें. इसके लिए तिधारा के तने के रस को दाद वाली जगह पर लगाएं. इससे कुछ ही दिनों में दाद ठीक होने लगता है.

और पढ़ेंः दाद का इलाज करने के लिए असरदार घरेलू उपाय

तिधारा सेहुंड के उपयोगी भाग (Useful Parts of Tidhara Sehund in Hindi)

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार तिधारा सेहुंड के निम्न भाग बहुत उपयोगी हैं :

  • गूदा (लेटेक्स)
  • तने का रस

तिधारा सेहुंड का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Tidhara Sehund in Hindi?)

आमतौर पर तिधारा के जूस का सेवन  5 मिली की मात्रा में और काढ़े का सेवन 10-20 मिली की मात्रा में करना चाहिए. अगर आप किसी बीमारी के घरेलू इलाज के रूप में तिधारा का उपयोग करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार इसका उपयोग करें.

तिधारा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Tidhara Found or Grown in Hindi)

तिधारा सेहुंड का पौधा बिहार, उत्तर प्रदेश, दक्कन प्रायद्वीप, दक्षिण भारत एवं उड़ीसा में पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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