चमेली (Chameli) के पौधे या फूल से आप सभी परिचित होते हैं। चमेली के फूल जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही सुगंधित भी होते हैं। चमेली के फूलों से इत्र और तेल भी बनाया जाता है। क्या आप को पता है कि चमेली एक जड़ी-बूटी भी है, और चमेली के पौधे में कई सारे औषधीय गुण भी हैं। क्या आप यह जानते हैं कि कान दर्द, सिर दर्द, जीभ की सूजन और मोतियाबंद जैसी बीमारियों में चमेली के इस्तेमाल से फायदे (Chameli benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, मुंह के अनेक रोग, एड़ियों के फटने, और कान बहने पर भी चमेली के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में चमेली के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आप पेट में कीड़े होने पर, एसीडिटी, रक्तपित्त में चमेली के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा आपप बुखार, घाव, और वात दोष में भी चमेली से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि चमेली के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि चमेली से क्या-क्या नुकसान (Chameli side effects) हो सकता है।
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चमेली का एक पौधा आठ से पद्रह वर्षों तक फूल देता है। इसके फूलों की गंध इतनी अच्छी और मनोहारिणी होती है कि निराश हृदय में खुशी की लहर उठने लगती है। इसी गुण के कारण इसे सुमना, हृद्यगंध, चेतिका इत्यादि नाम भी दिए गए हैं। फूल के भेद के अनुसार इसकी दो जातियाँ पाई जाती हैं, जो निम्न हैंः-
1.Jasminum grandiflorum Linn. (चमेली)- इसके फूल सफेद होते हैं।
2.Jasminum humile Linn. (स्वर्णयूथिका)- इसे स्वर्ण जाति कहते हैं। लैटिन में इसका नाम Jasminum humile है। इसके फूल पीले सुंगन्धित होते हैं। इस पौधे में झाड़ीदार अनेक शाखाएं होती हैं। इसकी पत्तियां चमकीले हरे रंग की होती है। पत्ते विभिन्न आकार के होते हैं। इसके फूल पीले रंग के और सुगन्धित होते हैं। यहां चमेली के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Chameli benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप चमेली के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
चमेली का वानस्पतिक नाम Jasminum grandiflorum Linn. (जैस्मिनम ग्रैन्डीफ्लोरम) Sys-Jasminum officinale Linn. var. grandiflorum (Linn.) Stokes है, और यह Oleaceae (ओलिएसी) कुल का है। इसके अन्य ये भी नाम हैंः-
Chameli in –
चमेली के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
चमेली कफपित्तशामक, वातशामक, त्रिदोषहर, व्रणरोपक, व्रणशोधक, वर्ण्य, वाजीकारक और वेदना स्थापक है। चमेली तेल वातशामक और सौमनस्यजनन है। इसके पत्ते मुखरोग नाशक, कुष्ठघ्न, कंडूघ्न और दांतों के लिए हितकारी है।
चमेली के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
सिर दर्द में चमेली के पत्ते के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। चमेली के तीन पत्तों को गुल रोगन के साथ पीस लें। इसे 2-2 बूंद नाक में टपकाने से सिर दर्द से आराम मिलता है।
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आप चमेली से फूलों से मोतियाबिंद का इलाज कर सकते हैं। मोतियाबिंद के उपचार के लिए चमेली के फूलों की 5-6 सफेद कोमल पंखुडियां लें। इसमें थोड़ी-सी मिश्री के साथ खरल कर लें। इसे आंख की फूली (मोतियाबिन्द) पर लगाएं। इससे कुछ दिनों में मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
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वात दोष के कारण शरीर में अनेक तरह की बीमारियां होने लगती हैं। वात दोष से लकवा, मासिक धर्म विकार आदि होने लगते हैं। इन विकारों के इलाज के लिए चमेली की जड़ को पीस लें। इसका लेप करने और तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
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जीभ में सूजन हो तो चमेली के इस्तेमाल से लाभ होता है। चमेली के नए पत्तों को पीसकर जीभ पर लगाएं। इससे जीभ की सूजन ठीक होती है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।
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पेट में कीड़े होने पर चमेली के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। चमेली के 10 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिला लें। इसे पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
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पेट दर्द से आराम पाने के लिए चमेली के तेल को गर्म कर लें। इस तेल में रूई का फोहा भिगो लें। रूई को नाभि पर रखने से पेट दर्द ठीक होता है।
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एसीडिटी से राहत पाने के लिए 10-20 मिली चमेली की जड़ का काढ़ा बना लें। इसका नियमित रूप से सेवन करने से एसीडिटी और गैस की समस्या में लाभ होता है।
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पैर की एड़ी के फटने पर चमेली के पौधे बहुत लाभदायक होते हैं। इसके लिए चमेली के पत्तों के ताजे रस को पैरों के फटी एड़ी पर लगाएं। इससे फायदा होता है।
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कटु पटोल पत्ते, मालती पत्ते, नीमपत्ते, दोनों चन्दन और पठानी लोध्र लें। इनका काढ़ा बना लें। 20-40 मिली काढ़ा में मधु और मिश्री मिलाकर प्रयोग करने से रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) में लाभ होता है।
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आप चमेली के औषधीय गुण से फोड़े-फुन्सी का उपचार कर सकते हैं। चमेली के फूलों को पीसकर लेप करने से फोड़े खत्म होते हैं।
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चमेली की पत्ती, आँवला, नागरमोथा और यवासा को बराबर मात्रा में लें। इसका काढ़ा बना लें। काढ़ा में गुड़ मिलाकर दिन में दो बार 30 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे बुखार में लाभ होता है।
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चमेली के 10-20 फूलों को पीसकर नाभि और कमर पर लेप करें। इससे मूत्र रोग और मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभ होता है।
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शरीर में जलन हो तो चमेली के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। चमेली के फूलों से बने तेल का लेप करने से शरीर की जलन ठीक होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।
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चमेली के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
चमेली को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
काढ़ा- 50-100 मिली
चूर्ण- 1-3 ग्राम/3-5 ग्राम
चमेली के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैंः-
इसके अधिक सेवन से गर्म प्रकृति वाले लोगों के सिर में दर्द होता है। इसके दर्द का ठीक करने के लिए, गुलाब का तेल और कपूर का प्रयोग करना चाहिए।
यहां चमेली के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Chameli benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप चमेली के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए चमेली का सेवन करने या चमेली का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
चमेली की बेल पूरे भारत में घरों, वाटिकाओं और मन्दिरों में सौन्दर्य बढ़ाने के लिए लगाई जाती हैं।
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