गोरखचिंच को गोरखइमली (Gorakhichincha or Gorakhimali) भी कहते हैं। गोरखचिंच का पेड़ बड़ा और विशाल होता है। आपने बाग-बगीजों, खुले मैदान या जंगलों में गोरखचिंच के पेड़ को देखा होगा। गोरखइमली के पेड़ की खूबी यह है कि पेड़ का हर भाग जड़ी-बूटी की तरह काम करता है। क्या आप जानते हैं कि गोरखचिंच (गोरखइमली) के कई सारे औषधीय गुण होने के कारण कान दर्द, सिर दर्द, सूजन, दांत दर्द जैसी बीमारियों में गोरखचिंच (गोरखइमली) के इस्तेमाल से फायदे (Monkey bread tree benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, सांसों से संबंधित बीमारियों, दस्त, मूत्र रोग आदि रोगों में भी गोरखचिंच (गोरखइमली) के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार, गोरखचिंच (गोरखइमली) से आप गठिया, घाव, बुखार, त्वचा रोग, पाचनशक्ति विकार में गोरखचिंच (गोरखइमली) लाभ ले सकते हैं। मुंह के दुर्गंध, शरीर की जलन में भी गोरखचिंच (गोरखइमली) के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। आइए यहां गोरखचिंच (गोरखइमली) से होने वाले सभी फायदे और नुकसान (Monkey bread tree benefits and side effects) के बारे में जानते हैं।
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गोरखचिंच का वृक्ष 25 मीटर ऊँचा होता है। यह वृक्ष लगभग 11 मीटर के विशाल क्षेत्र में फैलता है। वृक्ष का आकार बोतल के आकार का होता है। गोरखचिंच वृक्ष बहुत सालों तक जीवित रहता है। इसके तने चौड़े होते हैं। इसकी छाल चिकनी और भूरे रंग की होती है। इसके पत्ते सेमल के पत्ते जैसे लम्बे और अण्डाकार होते हैं। पत्ते नुकीले और 5 से 12.5 सेमी लम्बे होते हैं।
गोरखइमली के फूल सफेद रंग के और लटके हुए होते हैं। इसके फल बड़े और लटके हुए होते हैं। फल का बाहरी रूप स्लेटी रंग का होता है। फल का छिलका कड़ा और अन्दर का गूदा खट्ठा होता है। इसके बीज श्यमाले रंग के होते हैं। गोरखइमली के वृक्ष में फूल और फल फरवरी से जुलाई तक होता है ।
विशेष- पके फल से बने सिरप दस्त और पेचिश में फायदेमंद होता है।
यहां गोरखचिंच (गोरखइमली) के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Monkey bread tree benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप गोरखचिंच (गोरखइमली) के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
गोरखचिंच का वानस्पतिक नाम Adansonia digitata Linn. (ऐडनसोनिया डिजिटेटा) Syn-Adansonia bahobab Linn है, और यह Bombacaceae (बॉम्बेकेसी) कुल का है। इसके अन्य ये नाम हैंः-
Monkey bread tree in –
गोरखचिंच (गोरखइमली) के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
गोरक्षी तिक्त, मधुर, शीत, पित्तशामक, विस्फोट, अतिसार, दाह और बुखार ठीक करती है। इसकी फल-मज्जा स्भंक, वेदनाशामक और स्वेदक होती है। इसके पत्ते स्वेदक, शोथहर, बलकारक, वमनहर, स्तम्भक और मृदुकारक होते हैं। इसका काष्ठ पूयरोधी और ज्वरघ्न होता है।
गोरखचिंच (गोरखइमली) के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
सिर दर्द में गोरखचिंच के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। गोरखचिंच की छाल का काढ़ा बना लें। 15-20 मिली को पीने से सिर दर्द ठीक होता है।
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गोरखइमली के पत्ते के रस से कान के दर्द और सूजन में फायदा होता है। आप गोरखइमली के पत्ते को मसलकर रस निकल लें। इसे 1-2 बूंद कान में डालें। इससे लाभ होता है।
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दांत में दर्द हो तो गोरखइमली का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। गोरखइमली के बीज का काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से दांत का दर्द तो ठीक होता ही है, साथ ही मसूड़ों की सूजन भी कम होती है।
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गठिया एक गंभीर बीमारी है। आप गोरक्षी के फायदे गठिया रोग में भी ले सकते हैं। गोरक्षी के पत्तों को पीस लें। इसका बीमारी वाले अंग पर लेप करें। इससे गठिया में लाभ होता है।
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घाव होने पर गोरक्षी के तने गोंद निकाल लें। इसके सााथ ही गोरक्षी फल के बाहरी भाग पर चिपके हुए चूर्ण को घाव पर लगाएं। इससे घाव में पस आने की समस्या तो दूर होती ही है, साथ ही घाव से आने वाली बदबू और घाव भी ठीक हो जाता है।
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गोरक्षी का औषधीय गुण से सूजन को कम कर सकते हैं। इसके लिए गोरक्षी के पत्तों का काढ़ा बना लें। इससे बीमार अंगर की सिकाई करें। इससे सूजन कम हो जाती है।
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गोरखइमली के पत्तों या फल की गिरी को पीसकर त्वचा पर लगाएं। इससे रोग ठीक हो जाता है। ध्यान रखें कि गोरक्षी को बीमार अंग पर लेप के रूप में लगाना है।
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आप गोरक्षी के औषधीय गुण से लाभ लेकर बुखार का इलाज कर सकते हैं। 1-2 ग्राम गोरक्षी की छाल के चूर्ण का सेवन करें। इससे बुखार उतर जाता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।
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गोरखइमली के 10-30 मिली छाल का काढ़ा बना लें। इसमें 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण डालकर पिलाने से पाचन-शक्ति बढ़ती है।
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गोरक्षी के सूखे पत्तों को महीन पीस लें। इसे शरीर पर मलने से पसीने से आने वाली बदबू खत्म हो जाती है।
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गोरक्षी के फलों का शर्बत बना लें। 15-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे शरीर की जलन खत्म हो जाती है। बेहतर नतीजे के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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गोरखचिंच (गोरखइमली) के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
गोरखचिंच (गोरखइमली) को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
गोरखचिंच के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैंः-
यहां गोरखचिंच (गोरखइमली) के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Monkey bread tree benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप गोरखचिंच (गोरखइमली) के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए गोरखचिंच (गोरखइमली) का सेवन करने या गोरखचिंच (गोरखइमली) का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
भारत में गोरक्षी का वृक्ष तमिलनाडू, आन्ध्र प्रदेश, मुम्बई और अन्य समुद्रतटवर्तीय प्रदेशों में पाया जाता है।
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