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Ararut (Ararot): बहुत गुणकारी है अरारूट (तीखुर भेद) – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

आपने अरारोट का नाम तो सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरारोट क्या है, या अरारोट के फायदे क्या हैं। क्या आप यह जानते हैं कि असली अरारोट की पहचान कैसे की जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, अरारोट (Ararot or Ararut) बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी है, और अरारोट के कई सारे औषधीय गुण हैं जिससे शरीर को बहुत लाभ होता है। आप सिर दर्द, खुजली, दस्त और खूनी बवासीर जैसी बीमारियों में अरारोट के इस्तेमाल से फायदे (Ararot benefits and uses) मिलते हैं। इसके अलावा आप मूत्र रोग, विसर्प रोग, घाव में भी अरारोट के औषधीय गुण से लाभ ले सकते हैं।

इतना ही नहीं, पेचिश, शारीरिक कमजोरी, अधिक पसीना आने पर अरारोट के औषधीय गुण के फायदा मिलता है। इसके साथ ही पित्त दोष के कारण होने वाले विकार, शरीर की जलन, आंखों की बीमारियों में भी अरारोट से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि अरारोट के सेवन या उपयोग करने से क्या-क्या फायदा और नुकसान (Ararot side effects) हो सकता है।

Contents

अरारोट क्या है? (What is Ararot (Ararut) in Hindi?)

कैरेबियन द्वीप में इसका प्रयोग जहरीले तीर (Arrow) से होने वाले घाव के इलाज में किया जाता था। इसी कारण इसे ऐरोरूट कहते हैं। ऐरोरूट से ही इसका नाम अरारोट पड़ा। अरारोट एक प्रकार का श्वेतसार (starch) है, जो इस पौधे की जड़ों से निकलता है। अरारोट का पौधा लगभग 90-180 सेमी ऊँचा, और सीधा होता है। यह पौधा मांसल और अनेक वर्ष तक जीवित रहता है। इसके पत्ते अण्डाकार-भालाकार होते हैं। पत्ते 25 सेमी लम्बे और 11.3 सेमी चौड़े होते हैं। ये हल्के हरे रंग के होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के गुच्छों में होते हैं। अरारोट के पौधे में फूल सितम्बर से फरवरी तक होता है।

बाजार में आलू, चावल, साबुनदाना के आटे को भी अरारोट पाउडर के नाम पर बेचा जाता है। इसलिए अरारोट आटा खरीदते समय इसकी जांच जरूर करनी चाहिए। इसके लिए आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सम्पर्क कर सकते हैं। यहां अरारोट के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Ararot benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप अरारोट के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अन्य भाषाओं में अरारोट के नाम (Name of Ararot (Ararut) in Different Languages)

अरारोट का वानस्पतिक नाम Maranta arundinacea Linn. (मैरन्टा अरुन्डिनेसीआ) Syn-Maranta indica Tussac है, और यह Marantaceae (मैरन्टेसी) कुल का है। अरोरोट को इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Ararot (Ararut) in –

  • Hindi- तीखुर भेद
  • English- West Indian arrowroot (वैस्ट इण्डियन ऐरोरूट), बरमुडा ऐरोरूट (Bermuda arrowroot), ओबीडिएन्स प्लान्ट (Obedience plant)
  • Bengali- अरारोट (Araroot);
  • Kannada- कुवेहिट्टू (Kuvehittu);
  • Gujarati- तपखीर (Tapkhir), तवखीर (Tavkhir);
  • Tamil- अरारोट्टुककिलंगु (Araruttukkilangu), कुकाई नीरु (Kukai niru);
  • Teluguपलागुंडा (Palagunda), पालागुन्टा (Palagunta)
  • Malayalam- कुव्वा (Kuwa)

अरारोट के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Ararot (Ararut) in Hindi)

अरारोट के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

प्रकन्द स्तम्भक, शीतल, बलकारक, वाजीकर, मृदुकारी, कफनिसारक, ज्वरघ्न और रक्तवृद्धिकारक होता है।

और पढ़ेंः बुखार के लिए घरेलू उपचार

अरारोट के फायदे और उपयोग (Ararot (Ararut) Benefits and Uses in Hindi)

अरारोट के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

अरारोट के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज (Benefits of Ararot (Ararut) in Relief from Headache in Hindi)

1-2 ग्राम अरारोट के चूर्ण में 200 मिली जल मिलाकर पकाएं। इसमें 250 मिली दूध और 50 ग्राम मिश्री डालकर फिर पकाएं। जब केवल दूध बाकी रह जाए तो उतार लें। इसे गुनगुना होने पर सेवन करें। इससे सिर दर्द से आराम मिलता है।

और पढ़ेंः सिर दर्द के लिए घरेलू उपाय

खुजली के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है अरारोट (Uses of Ararot to Treat Itching in Hindi)

खुजली में अरारोट के उपयोग से लाभ मिलता है। अरारोट के महीन चूर्ण को गुलाबजल में मिलाकर खुजली वाले जगह पर लगाएं। इससे खुजली की बीमारी ठीक होती है।

और पढ़ेंः दाद-खाज-खुजली का घरेलू इलाज

दस्त में अरारोट के सेवन से लाभ (Benefits of Ararot to Stop Diarrhea in Hindi)

1 चम्मच अरारोट प्रकंद के चूर्ण में दो चम्मच दूध मिला लें। इसे 500 मिली जल के साथ पकाएं। इसमें 250 मिली दूध और थोड़ी शक्कर डालकर फिर पकाएं। आधा पानी जल जाने पर उतारकर ठंडा करके 125 मिग्रा जायफल का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से दस्त पर रोक लगता है।

और पढ़ेंः दस्त में अभ्यारिष्ट के फायदे

खूनी बवासीर में अरारोट के सेवन से लाभ (Ararot (Ararut) Benefits for Piles Treatment in Hindi)

1-2 ग्राम अरारोट के चूर्ण में 200 मिली जल मिलाकर पकाएं। उसमें 250 मिली दूध और 50 ग्राम मिश्री डालकर पकाएं। जब सिर्फ दूध शेष रहे तो गुनगुना अवस्था में पिएं। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।

और पढ़ेंः बवासीर के लिए घरेलू इलाज

अरारोट के औषधीय गुण से मूत्र रोग का इलाज (Benefits of Ararot (Ararut) to Treat Urinary Disease in Hindi)

मूत्र संबंधी रोग जैसे पेशाब में जलन हो या पेशाब रुक-रुक कर हो तो अरारोट के सेवन से फायदा मिलता है। 1-2 ग्राम अरारोट के चूर्ण को 200 मिली पानी में पकाकर ठंडा कर लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब में जलन, और पेशाब रुक-रुक कर आने की समस्या में लाभ होता है।

और पढ़ें: मूत्र रोग में लाभ दिलाता है भुई-आंवला का सेवन

विसर्प रोग की आयुर्वेदिक दवा है अरारोट (Uses of Ararot for Erysipelas in Hindi)

विसर्प त्वचा से जुड़ा एक रोग है। इस बीमारी में रोगी को बहुत तकलीफ झेलना पड़ता है। इसके लिए भी अरारोट का उपयोग लाभदायक होता है। अरारोट प्रकंद को पीसकर त्वचा में लगाने से विसर्प रोग में लाभ होता है।

और पढ़ेंः विसर्प रोग में चिरायता के फायदे

घाव के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है अरारोट (Ararot (Ararut) Uses for Healing Wound in Hindi)

घाव होने पर भी अरारोट लाभ पहुंचाता है। अरारोट को थोड़े से जल में घोलकर गुनगुना कर लें। इसे घाव पर लेप के रूप में लगाएं। इससे पस वाले घाव और दुर्गन्ध वाले घाव ठीक होते हैं।

और पढ़ेंः घाव के इलाज में निर्गुण्डी के फायदे

पेचिश में अरारोट का औषधीय गुण फायेदमंद (Ararot (Ararut) Benefits for Dysentery Treatment in Hindi)

अरारोट के महीन चूर्ण को गुलाबजल में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे की झाई और फोड़े-फुन्सी ठीक होते हैं।

1 चम्मच अरारोट प्रकंद के चूर्ण में दो चम्मच दूध मिला लें। इसे 500 मिली जल के साथ पकाएं। इसमें 250 मिली दूध और थोड़ी शक्कर डालकर फिर से पकाएं। जब आधा पानी जल जाए तो उतारकर ठंडा कर लें। इसमें 125 मिग्रा जायफल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेचिश रोग में लाभ होता है।

और पढ़ेंः पेचिश में शमी का उपयोग

अरारोट के औषधीय गुण से पित्तज विकार का इलाज (Benefits of Ararot to Treat Pittaj Disorder in Hindi)

1-2 ग्राम अरारोट के चूर्ण में 200 मिली जल मिलाकर पकाएं। इसके बाद इसमें 250 मिली दूध और 50 ग्राम मिश्री डालें, और फिर से पकाएं। केवल दूध रहने पर गुनगुना ही सेवन करें। इससे पित्तज-विकार, शरीर की जलन में लाभ होता है।

और पढ़ेंः जानिए वात्त-पित्त-कफ दोष और उससे होने वाले रोग

शारीरिक कमजोरी में अरारोट के सेवन से लाभ (Benefits of Ararot to Treat Body Weakness in Hindi)

1-2 ग्राम प्रकंद के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करें। इससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है। इसके सेवन से शरीर स्वस्थ होता है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

और पढ़ें : शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए करें अश्वगंधा का प्रयोग

पसीना आने की समस्या में अरारोट के फायदे (Ararot (Ararut) Uses to Treat Sweating Problem in Hindi)

किसी रोगी को बीमारी की वजह से अगर अधिक पसीना आता है, और रोगी आयुर्वेदिक उपाय से पसीने की समस्या का समाधान करना चाहता है तो अरारोट का उपयोग करने से लाभ मिलेगा। अरारोट का चूर लें। इस चूर्ण से मालिश करें। इससे लाभ होता है।

और पढ़ेंः अधिक पसीना आने पर बबूल के इस्तेमाल से लाभ

बदहजमी में अरारोट का औषधीय गुण फायेदमंद (Ararot Benefits for Indigestion in Hindi)

1 चम्मच अरारोट प्रकंद के चूर्ण में दो चम्मच दूध मिला, और 500 मिली जल मिलाकर पकाएं। इसके बाद 250 मिली दूध और थोड़ी शक्कर डालकर दोबारा पका लें। जब आधा पानी जल जाने पर उतारकर ठंडा करके 125 मिग्रा जायफल चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बदहजमी आदि पेट के रोगों में लाभ होता है।

और पढ़ेंः पाचनतंत्र विकार में नारियल के फायदे

आंखों की बीमारी में अरारोट का औषधीय गुण फायेदमंद (Ararot (Ararut) Uses for Eye Disease in Hindi)

1-2 ग्राम अरारोट के चूर्ण में 200 मिली जल मिलाकर पकाएं। इसमें 250 मिली दूध और 50 ग्राम मिश्री डालकर पकाएं। दूध केवल शेष रहने पर गुनगुना अवस्था में सेवन करें। इससे आंखों के रोग में लाभ होता है।

और पढ़ेंः आंखों के रोग में करेला के फायदे

अरारोट के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Ararot (Ararut) in Hindi)

अरारोट के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

प्रकंद

अरारोट का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Ararot (Ararut) in Hindi?)

अरारोट को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

1-2 ग्राम

यहां अरारोट के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Ararot benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप अरारोट के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए अरारोट का सेवन करने या अरारोट का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

अरारोट कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Ararot (Ararut) Found or Grown?)

भारत में अरारोट का पौधा उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, और केरल में मिलता है। यह मूलतः उष्णकटिबंधीय अमेरिका में प्राप्त होता है। इसके अलावा वेस्ट इण्डीज के सेन्ट विन्सेन्ट द्वीप, श्रीलंका, इण्डो चीन, इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स एवं ऑस्टेलिया में भी होता है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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