व्याघएरण्ड (Vyaghraarand or Purging nut) को लोग घरों के बाहर बाड़ के रूप में लगाते हैं। आपने भी व्याघएरण्ड को घरों के बाहर देखा होगा लेकिन जानकारी नहीं होने से व्याघएरण्ड के फायदे नहीं ले पाते होंगे। व्याघएरण्ड के कई सारे गुण हैं और व्याघएरण्ड से इस्तेमाल से शरीर को बहुत लाभ होता है। क्या आप यह जानते हैं कि व्याघएरण्ड एक जड़ी-बूटी भी है, और पेट में कीड़े होने पर या शारीरिक कमजोरी में व्याघएरण्ड के इस्तेमाल से फायदे (Vyaghraarand benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, पेट की गड़बड़ी, दांतों के रोग, गठिया में भी व्याघएरण्ड के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में व्याघएरण्ड के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए बहुत जरूरी है। आप बवासीर, खुजली, दस्त आदि में व्याघएरण्ड के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप शारीरिक जलन, बुखार में भी व्याघएरण्ड से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि और किन-किन बीमारियों में व्याघएरण्ड के फायदे मिलते हैं, साथ ही यह भी जानते हैं कि व्याघएरण्ड से नुकसान (Vyaghraarand side effects) क्या-क्या हो सकता है।
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व्याघएरण्ड की एक दूसरी प्रजाति (Jatropha gossipifolia Linn.) है, जिसे लाल व्याघएरण्ड कहते हैं। यह ऊषर भूमि में, सड़कों के किनारे अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके पुष्प लाल रंग के होते हैं। इसका पौधा स्पर्श में चिपचिपा होता है।
यहां व्याघएरण्ड के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Vyaghraarand benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप व्याघएरण्ड के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए व्याघएरण्ड का सेवन करने या व्याघएरण्ड का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।
व्याघएरण्ड का वानस्पतिक नाम Jatropha curcas L (जॅट्रोफा कर्कस्) Syn-Curcas purgans Medikus, Jatropha moluccana Wallich है। यह Euphorbiaceae (यूफॉरबिएसी) कुल का है। व्याघएरण्ड को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Purging nut in –
व्याघएरण्ड के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
व्याघ एरण्ड के पत्ते स्तन्यवर्धक, पूयनिसारक, कृमिघ्न तथा रक्तिमाकारक होते हैं। इसका दूध विरेचक तथा रक्तस्तम्भक होता है। इसके बीज विरेचक, मधुर, उष्ण, स्वेदक, पाचक, बलकारक तथा कृमिघ्न होते हैं। इसका जड़ वामक तथा विरेचक होता है।
व्याघएरण्ड के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
व्याघएरण्ड के बीजों को पीसकर आंखों के बाहर काजल की तरह चारों ओर लगाने से आंखों का दर्द ठीक होता है।
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व्याघएरण्ड के तने की छाल को हींग एवं मक्खन के साथ घिस लें। इसका प्रयोग करने से अजीर्ण तथा दस्त की समस्या ठीक होती है। किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से प्रयोग की जानकारी जरूर लें।
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व्याघएरण्ड के पत्ते के रस को बवासीर के मस्सों में लगाएं। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।
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व्याघएरण्ड की जड़ की छाल को पीस लें। इसे शरीर की जलन वाले स्थान पर लगाने से जलन तथा सूजन की समस्या ठीक होती है।
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व्याघएरण्ड के पत्ते के रस में नींबू रस तथा जल मिला लें। इसे जल से स्नान करने पर बुखार में लाभ होता है।
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व्याघएरण्ड के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
व्याघएरण्ड को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
यहां व्याघएरण्ड के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Vyaghraarand benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप व्याघएरण्ड के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए व्याघएरण्ड का सेवन करने या व्याघएरण्ड का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
व्याघएरण्ड (Vyaghraarand or Purging nut) दक्षिण अमेरिका का आदिवासी पौधा है, लेकिन प्रायः भारत के सभी प्रान्तों में पाया जाता है।
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