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Raai: डॉक्टर से ज़्यादा उपयोगी है राई – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

राई का पहाड़ बनाने वाली कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी। जी हां, ये वही राई है जिसकी खेती देश भर में की जाती है और लगभग सभी घरों में राई का उपयोग भी किया जाता है। इसके बाद भी राई की पहचान को लेकर कुछ भ्रम आज भी है। कुछ लोग सरसों तथा राई को एक ही मानते हैं, लेकिन सच यह है कि ये दोनों एक नहीं है। आमतौर पर लोग राई या राई के तेल का प्रयोग केवल आहार के लिए करते हैं। यही कारण है कि लोगों को राई के उपयोग के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। क्या आप जानते हैं कि राई एक बहुत ही गुणी औषधि भी है जिसके प्रयोग से एक-दो नहीं बल्कि अनेक रोगों को ठीक किया जा सकता है?

mustard benefits

आयुर्वेदिक किताबों के अनुसार आप राई का प्रयोग कर कफ-पित्त दोष, रक्त विकार को ठीक कर सकते हैं। राई खुजली, कुष्ठ रोग, पेट के कीड़े को खत्म करता है। राई के पत्तों की सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होती है। इससे भी कई रोग ठीक होते हैं। राई का तेल सिर दर्द, कान के रोग, खुजली, कुष्ठ रोग, पेट की बीमारी में फायदेमंद होता है। यह अपच, भूख की कमी, बवासीर और गठिया में भी लाभदायक होता है। राई मूत्र रोग में भी उपयोग होता है। इतना ही नहीं, काली राई त्रिदोष को ठीक करने वाला और बवासीर में फायदेमंद होता है। यह सांसों की बीमारी, अपच, दर्द, गठिया आदि में भी लाभदायक होता है। आइए आपको राई के उपयोग से होने वाले एक-एक फायदे के बारे में बताते हैं।

Contents

राई क्या है? (What is Mustard Powder in Hindi?)

सरसों और राई से सब परिचित हैं और अधिकांश लोग दोनों को एक ही मानते हैं लेकिन दोनों पूरी तरह से भिन्न-भिन्न है। चिकित्सा कार्यों में राई की दो प्रजाति का प्रयोग किया जाता है।

राई (Brassica juncea (Linn.) Czein. & Coss.)

राई का पौधा सीधा, 1.5 मीटर तक ऊँचा, शाखा-प्रशाखायुक्त होता है। इसके फूल चमकीले पीले रंग के होते हैं। बीज (rai seeds) छोटे, लाल-भूरे रंग के, गोलाकार तथा झुर्रीदार होते हैं। इसमें फूल एवं फल खेती के तीन माह बाद होता है।

काली राई (Brassica nigra (Linn.) Koch.)

काली राई का पौधा 60-90 सेमी ऊँचा, कठोर, बहुशाखीय होता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी फली 0.6-1.2 सेमी लम्बी होती है जिसमें आगे के भाग पर नुकीली होती है। बीज भूरे-श्यामले रंग के, 3-5 की संख्या में, गोलाकार होते हैं। बीज (rai seeds) लगभग एक पंक्ति में व्यवस्थित होते हैं। इसमें फूल एवं फल दिसम्बर से जनवरी तक होता है। इसके पौधे में कैलस (Callus), अनॉक्सीकारक एवं जीवाणुरोधी गुण होता है।

अनेक भाषाओं में राई के नाम (Name of Raai in Different Languages)

राई का वानस्पतिक नाम Brassica juncea (Linn.) Czein. & Coss. (ब्रैसिका जन्सिआ) Syn-Sinapsis juncea Linn. है और यह Brassicaceae (ब्रैसिकेसी) कुल का है। राई को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Raai in –

  • Hindi – राई, लाल राई, माकड़ा राई
  • English – ब्राउन मस्टर्ड (Brown mustard), कॉमन इण्डियन मस्टर्ड (Common Indian mustard), Indian mustard (इंडियन मस्टर्ड)
  • Sanskrit – आसुरी, तीक्ष्णगंधा, क्षुज्जनिका, राजिका, राजी, क्षुदभिजनक, कृष्णिका, कृष्णसर्षप
  • Urdu – राई (Rai)
  • Kashmir – असुर (Asur)
  • Konkani – ससम (Sasam)
  • Kannada – सासि (Sasi), सासिवे (Saasivey)
  • Gujarati – सरसवा (Sarsva), राइ (Rai)
  • Tamil – कडुगु (Kadugu), चेरुकटुकु (Cherukatuku)
  • Telugu – आबालु (Abalu), आवालु (Avalu)
  • Bengali – सरीसा (Sarisa), राइ (Rai), सरिषा (Sarisha)
  • Marathi – मोहरी (Mohari), रायन (Rayan),  राई (Rai)
  • Malayalam – कडुगु (Kadugu), कडूका (Kaduka)
  • Arabic – खरदेल (Khardel), खर्दल हिन्दी (Khardal hindi)
  • Persian – सर्शपैं (Shearshaf)

काली राई के नाम (Brassica nigra (Linn.) Koch.)

  • Hindi – बनारसी राई, राजिका भेद
  • English – ब्लैक मस्टर्ड (Black mustard)
  • Sanskrit – राजक्षवक, राजसर्षप, कृष्णसर्षप
  • Urdu – राई (Rai)
  • Kannada – विलेससिवे (Vilaesasive), बिली (Bili)
  • Gujarati – रेडो (Redo)
  • Tamil – कडुगू (Kadugu)
  • Telugu – अवालू (Avalu)
  • Bengali – कालसर्षे (Kaalsarshe), राईसारीशा (Raisarisha)
  • Nepali – काल तोरी (Kal tori)
  • Marathi – काणतिखी (Kantikhi)
  • Arabic – खरडाल (Khardl), खीरडाल (Khirdal)
  • Persian – सरशाफ (Sarshaf)

राई के औषधीय गुण (Raai Benefits and Uses in Hindi)

राई सिर्फ मसाले के रूप में नहीं औषधी के रूप में भी आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है। राई  के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

आंखों के रोग में राई का उपयोग फायदेमंद (Mustard Seeds Benefits in Cure Eye Disease in Hindi)

mustard paste

आंखों की पलकों पर फुन्सी होने पर राई के दाने के चूर्ण को घी में मिला लें। इसका लेप करने से यह बीमारी तुरन्त ठीक हो जाती है।

फुंसी और खुजली में राई का प्रयोग लाभदायक (Benefits of Raai in Cure Boil and Itching Problem in Hindi)

राई का काढ़ा बनाकर उससे सिर धोने से बाल गिरने बन्द हो जाते हैं तथा सिर के जूं, फुंसी तथा खुजली आदि रोग दूर हो जाते हैं।

कक्षा (बगल या काँख) में होने वाली गांठ को पकाने के लिए, गुड़, गुग्गुल और राई को बारीक पीसकर, जल में मिला लें। इसे कपड़े की पट्टी पर लेप कर चिपका दें। गांठ पककर फूट जाती है।

और पढ़ें: बालों से जूँ निकालने के घरेलू नुस्ख़े

सिर दर्द में राई से लाभ (Raai Benefits in Relief from Headache in Hindi)

 अगर आप सिरदर्द से हमेशा परेशान रहते हैं तो राई को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द में लाभ होता है।

जुकाम में राई से लाभ (Uses of Raai in Cure Cold Disease in Hindi)

राई के फायदे से आप जुकाम का इलाज कर सकते हैं। इसके लिए 500-750 मिग्रा राई तथा 1 ग्राम शक्कर को मिलाकर जल के साथ सेवन करें। इससे जुकाम दूर हो जाता है।

कान की सूजन में राई का इस्तेमाल लाभदायक (Mustard Oil Benefits in Ear Swelling in Hindi)

राई के आटे को सरसों के तेल या एरंड तेल (rai ka tel) में मिलाकर कान के जड़ पर लेप करें। इससे कान के जड़ के आस-पास होने वाली सूजन में लाभ होता है।

कान का बहना या कान के घाव में राई से लाभ (Mustard Oil Benefits in Ear Disease Treatment in Hindi)

100 मिली सरसों तेल या तिल तेल को अच्छी प्रकार से उबालें। उबाल आने पर आंच बन्द कर दें। कुछ ठंडा होने पर 10 ग्राम राई के दाने (rai ke daane), 10 ग्राम लहसुन और डेढ़ ग्राम कपूर डालकर ढक कर रख दें। ठंडा होने पर छानकर, बोतल में भरकर रख लें। इसे कान में 4-5 बूंदे डालते रहने से कान का बहना रुक जाता है और कान के घाव ठीक होते हैं।

दांतों के दर्द में राई के प्रयोग से लाभ (Raai Uses to Treat Dental Disease in Hindi)

toothache

राई को पीसकर गुनगुने जल में मिलाकर कुल्ला करने से दांत का दर्द का ठीक होता है।

मसूड़ों के रोग में राई के उपयोग से फायदा (Mustard Oil Benefits in Cure Gum Disease in Hindi)

राई के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर मलने से मसूड़ों से सम्बन्धित विकारों में लाभ होता है।

सांसों की बीमारी में राई के उपयोग से लाभ (Mustard Seeds Uses for Respiratory Disease in Hindi)

आप राई के फायदे सांसों के रोग में भी ले सकते हैं। 500 मिग्रा राई चूर्ण में घी तथा मधु मिलाकर, सुबह-शाम सेवन करें। इससे सांसों के रोग में लाभ होता है।

कफ दोष में राई के प्रयोग से फायदा (Benefits of Raai in Kafaj Vikar in Hindi)

खांसी हो और कफ गाढ़ा हो जाए तथा आराम से कफ ना निकलता हो तो, 500 मिग्रा राई, बनाएं 250 मिग्रा और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम लें। इससे कफ पतला होकर सरलता से बाहर निकलने लगता है।

राई के इस्तेमाल से ह्रदय रोगों का इलाज (Mustard Seeds Benefits for Heart Disorder in Hindi)

राई की पत्तियों में कोलेस्ट्रॉल कम करने का गुण पाया जाता है। ये पत्तियां कोलेस्ट्रॉल को कम करके दिल की बीमारियों से बचाव करती हैं।हृदय में कम्पन या दर्द हो, व्याकुलता और बैचेनी हो, कमजोरी महसूस होती हो तो हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से लाभ होता है।

और पढ़ें: हार्ट ब्लॉकेज का देसी इलाज

हैजा में राई के इस्तेमाल से फायदा (Raai Benefits in Cure Cholera in Hindi)

  • हैजा में जब रोगी को बहुत उलटी दस्त होते हों तो राई को पीसकर पेट पर लेप करने से उलटी-दस्त बन्द हो जाते हैं।
  • किसी भी प्रकार की उलटी-दस्त में पेट पर राई का लेप करने से लाभ होता है।
  • हैजे की शुरुआती अवस्था में 1 ग्राम राई को शक्कर के साथ सेवन कराने से लाभ होता है।

और पढ़े: हैजा में ताड़ के पेड़ के फायदे

उल्टी की परेशानी में राई से फायदे (Uses of Raai to Stop Vomiting in Hindi)

राई के फायदे (rai ke fayde)उल्टी को रोकते हैं। राई तथा कर्पूर को पीसकर थोड़ा गर्म कर पेट पर लेप करने से उल्टी में लाभ होता है।

अपच और पेट दर्द में राई से फायदे (Mustard Seeds Uses in Cure Indigestion and Abdominal Pain in Hindi)

राई का सेवन हाजमे को अच्छा रखने में मदद करता है क्योंकि राई पाचक रसो के स्त्राव को बढ़ाकर खाने को पचाने में मदद करती है। इसके लिए 1-2 ग्राम राई चूर्ण में, शक्कर मिलाकर सेवन करें। साथ में आधा कप पानी पीने से हाजमा दुरूस्त होने के साथ ही पेट का दर्द भी ठीक होता है।

 

राई का प्रयोग कर पेट की गैस का इलाज (Raai Uses for Cure Acidity in Hindi)

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2 ग्राम राई में शक्कर मिलाकर सेवन करें और ऊपर से 750 मिग्रा से 1 ग्राम चूने को आधा कप जल में मिलाकर पिलाने से पैट की गैस में लाभ होता है।

राई का उपयोग कर लिवर-तिल्ली विकार का उपचार (Uses of Mustard Powder in Liver and Spleen Disorder in Hindi)

बनाए और राई के दाने (rai ke daane) को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 500 मिग्रा-1 ग्राम चूर्ण को गोमूत्र के साथ पीने से लिवर, तिल्ली विकार में लाभ (rai benefits)होता है।

और पढ़े: तिल्ली के बढ़ने की समस्या में करंज के फायदे

राई का इस्तेमाल कर मासिक धर्म विकार में लाभ (Mustard Powder Uses in Menstrual Disorder in Hindi)

मासिकधर्म की रुकावट हो या मासिक धर्म के समय कष्ट होता हो या मासिक धर्म स्राव कम होता हो तो गुनगुने जल में राई का चूर्ण मिला लें। रोगी स्त्री को इस जल में बैठाने (कमर में डूबे) से लाभ (rai benefits)होता है।

और पढ़े: मासिक धर्म विकार में नागरमोथा के फायदे

राई के गुण से गर्भाशय के दर्द से आराम (Benefits of Raai in Cure Uterine Pain in Hindi)

गर्भाशय के दर्द या बहुत अधिक दर्द की स्थिति में राई के फायदे ले सकते हैं। नाभि के नीचे या कमर पर राई का लेप लगाने से दर्द ठीक होता है।

राई के गुण से गठिया के दर्द से आराम (Mustard Oil Benefits in Arthritis in Hindi)

आर्थराइटिस में राई का उपयोग फ़ायदेमंद होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि राई में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो जोड़ों में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। आइये जानते हैं गठिया या संधिशूल के इलाज में राई का उपयोग कैसे करें :

  • गठिया या सूजाक के कारण या अन्य किसी कारण से जोड़ों पर सूजन और पीड़ा हो तो राई के लेप में कपूर मिलाकर शून्य हुए अंग पर मालिश करने से बहुत लाभ होता है।
  • राई (rai in hindi)और शक्कर को पीसकर, कपड़े की पट्टी पर लेप करें और दर्द वाले स्थान पर बांधने से दर्द ठीक होता है।
  • यदि दर्द हल्का-हल्का कई दिनों तक बना रहे तो राई के दाने और सहिजन की छाल को मट्ठे में पीसकर पतला-पतला लेप करें। इससे आराम मिलता है।
  • राई के तेल (rai ka tel) में पकौड़े या पूरी तलकर खाएं। राई के तेल की मालिश कर, गुनगुने जल से स्नान करें। इससे वात विकार जैसे गठिया ठीक होता है। ध्यान रहे कि मस्तिष्क, आंख आदि कोमल भागों पर राई के तेल की मालिश ना करें।
  • दर्द वाले स्थान पर राई का लेप लगाने से लाभ होता है।

कांटा चुभने पर राई का औषधीय प्रयोग (Benefits of Raai in Fork Stinging Problem in Hindi)

कांटा चुभ गया है तो राई के फायदे इसमें भी प्राप्त कर सकते हैं। त्वचा के भीतर कांटा घुस जाय तो राई के आटे में घी और शहद मिलाकर लेप करने से कांटा ऊपर आ जाता है।

कुष्ठ रोग में राई का औषधीय प्रयोग (Raai Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)

राई (rai) के आटे को 8 गुने पुराने गाय के घी में मिलाकर लेप करने से कुष्ठादि रोग ठीक होते हैं। खुजली, एक्जिमा, दाद आदि पर इस मलहम को लगाने से राई का लाभ औषधी के रूप में मिलता है।

और पढ़े: कुष्ठ रोग में मकोय के फायदे

शरीर की जलन में राई औषधि का उपयोग (Raai Uses in irritation and Swelling Disease in Hindi)

शरीर की जलन में राई के फायदे मिलते हैं। शरीर में कहीं जलन हो रही हो और सूजन भी हो तो ऐसे रोग में राई का लेप लाभदायक होता है।

सूजन की समस्या में राई के गुण लाभदायक (Raai Reduces Swelling in Hindi)

  • फेफड़ों की सूजन, लिवर की सूजन तथा श्वास नलिका में सूजन हो तो राई का लेप बहुत फायदेमन्द होता है।
  • हाथ-पैर मुड़ जाने से दर्द या सूजन आ जाय तो अरंड के पत्ते पर राई का लेप चुपड़ कर गुनगुना कर बांध देने से सूजन उतर जाती है।
  • राई के दाने और नमक को जल में पीसकर लेप करने से भी सूजन ठीक होता है।

बुखार उतारने के लिए राई औषधि का उपयोग (Raai Helps in Fighting with Fever in Hindi)

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार राई में मौजूद औषधीय गुण बुखार के लक्षणों को कम करने में सहायक हैं। इसके लिए नीचे बताए गए घरेलू उपाय अपनाएं। 

जीभ पर सफेद मैल-सा जम जाय, भूख-प्यास ना लगती हो, साथ-साथ हल्का-हल्का बुखार भी रहता हो तो ऐसे लक्षणों में 500 मिग्रा राई के आटे को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

बुखार और हैजा में बेहोशी आ जाने पर, कांख, छाती और जंघा पर राई का लेप प्रभावकारी है।

जहर उतारने के लिए राई के गुण का इस्तेमाल (Uses of Mustard Powder in Poisoning in Hindi)

राई के फायदे जहर को भी कम करने का काम करते हैं। अफीम विष के प्रभाव से या सांप के विष प्रभाव से यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो कांख, छाती, जांघ आदि स्थानों पर राई का लेप लगाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

राई (rai) के 5-10 ग्राम चूर्ण को ठंडे जल में पीस लें। इसे लगभग एक-डेढ़ गिलास जल में डालकर पिला दें। इससे उल्टी होती है और जहर तत्काल शरीर से बाहर निकल जाता है। इसका सबसे बेहतर लाभ यह भी है कि अन्य उल्टी कराने वाली औषधियों की तरह इससे शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है या शिथिलता नहीं आती है।

काली राई के प्रयोग से होने वाले लाभ (Benefits of Black Raai in Hindi)

काली राई का उपयोग कर इन रोगों में फायदा लिया जा सकता हैः-

आधासीसी (अधकपारी) में काली राई का प्रयोग (Benefits of Black Raai in Relief from Migraine in Hindi)

काली राई को पीसकर मस्तक में लेप करने से आधासीसी या अधकपारी रोग में लाभ होता है।

गंजेपन की समस्या में काली राई का उपयोग (Black Raai Benefits in Baldness Problem in Hindi)

राई के फायदे से गंजेपन की समस्या में लाभ मिलता है। आधी कच्ची और आधी सेंकी हुई काली राई के दाने को पीसकर कड़वे तेल (सरसों) में मिला लें। इसे लगाने से सिर के गंजेपन में लाभ होता है।

और पढ़े: गंजेपन के लिए तंबाकू के फायदे

प्रतिश्याय (जुकाम) में काली राई का इस्तेमाल (Uses of Black Raai in Cure Cold Disease in Hindi)

काली राई के तेल को पैरों और पैरों के तलवे पर मालिश करें। इससे जुकाम में लाभ होता है।

नाक पर इसके तेल की मालिश करने से नाक का बहना तुरन्त बन्द हो जाता है।)

गले की सूजन में काली राई से लाभ (Black Raai Uses in Throat Swelling in Hindi)

गले की हल्की सूजन हो तो काली राई के दाने की तेल से मालिश करने से लाभ होता है।

कब्ज की समस्या में काली राई से फायदा (Mustard Powder Benefits in Fighting with Constipation in Hindi)

2-4 ग्राम काली राई के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज ठीक होता है।

काली राई के प्रयोग से उल्टी पर रोक (Benefits of Black Raai to Stop Vomiting in Hindi) 

काली राई के फायदे से उल्टी पर रोक लगती है। काली राई को पीसकर पेट तथा वक्ष-स्थल (छाती) पर लगाने से उल्टी (वमन) बंद हो जाती है।

गठिया में लाभदायक काली राई (Benefits of Black Raai in Arthritis in Hindi)

काली राई के तेल (rai ka tel) में कपूर मिलाकर लेप करने से भी गठिया में लाभ होता है।

काली राई के उपयोग से दाद का इलाज (Black Raai Benefits in Cure Ringworm in Hindi)

काली राई (rai) को सिरके के साथ पीसकर लेप करने से दद्रु (दाद) का ठीक होता है।

काली राई के उपयोग से फोड़ा का इलाज (Black Raai Uses in Boils Treatment in Hindi)

black mustard

काली राई को जल के साथ पीसकर लेप करने से फोड़ा में लाभ होता है।

काली राई का लेप लगाने से गांठ की परेशानी से आराम मिलता है।

काली राई के प्रयोग से सूजन का उपचार (Benefits of Black Rai in Reducing S welling in Hindi)

आप सूजन को ठीक करने के लिए राई के फायदे ले सकते हैं। काली राई के तेल (rai ka tel) की मालिश करने से सूजन ठीक होती है। इससे आलस्य मिटता है, चुस्ती तथा फूर्ति आती है।

रक्तविकार में काली राई से लाभ (Black Raai Benefits in Blood Disorder Problem in Hindi)

शरीर के भीतर अगर कहीं खून का जमाव हो जाये तो वहां काली राई के तेल की मालिश करके सेंक दें। खून का जमाव खुल जाता है।

काली राई के इस्तेमाल से पित्त दोष का उपचार (Uses of Black Raai in Cure Pitta Disorder in Hindi)

पित्त की सूजन में काली राई की पट्टी बांधने से बहुत जल्दी लाभ होता है।

बच्चों की खांसी में राई से फायदा (Black Raai Uses in Cure Children’s Cough in Hindi)

बच्चों को खांसी होती है तो राई के फायदे ले सकते हैं। बच्चों की छाती पर काली राई के तेल (rai ka tel) की मालिश करने से उनकी खांसी मिट जाती है। 

बिच्छू का जहर उतारने के लिए काली राई का प्रयोग (Black Rai is Beneficial in Scorpion Biting in Hindi)

कपास के पत्ते और काली राई के दाने को पीसकर बिच्छू के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे बिच्छू के डंक का असर खत्म हो जाता है।

सांप का जहर उतारने के लिए काली राई का उपयोग (Black Rai Helps in Snake Biting Problem in Hindi)

काली राई को अधिक मात्रा में खिलाने से उल्टी होती है और इससे सांप के विष का असर कम हो जाता है।

राई के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Raai)

बीज (rai seeds)

तेल (rai ka tel)

राई के प्रयोग की मात्रा (How Much to Consume Raai?)

बीज चूर्ण – 1-3 ग्राम

राई की पुल्टिस बनाने की विधि (वयस्क व्यक्ति के उपयोग के लिए)

3 भाग अलसी चूर्ण और 1 भाग राई को ठंडे जल में घोटकर बनाएं।

राई की पुल्टिस बनाने की विधि (बच्चों के लिए)

राई चूर्ण 1 भाग तथा अलसी चूर्ण 10-15 गुना अधिक लें।

राई का लेप बनाने की विधि

  • 1 भाग राई (rai) चूर्ण और 3 गुना गेहूँ या चावल के आटे को, ठंडे जल में घोलकर आवश्यकतानुसार बनाकर प्रयोग में लाएं।
  • 1 राई की पुल्टिस या लेप कपड़े पर लगाकर प्रयोग करें।
  • अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार राई का इस्तेमाल करें।

राई से इस्तेमाल से जुड़ी सावधानियां (Precaution Tips for the Uses Of Raai)

राई के इस्तेमाल से जुड़ी कुछ सावधानियां हैं जिनका आपको ध्यान रखना हैः-

  • थोड़ी मात्रा में राई का सेवन करने से भूख बढ़ती है, पसीना आता है। इसका अधिक मात्रा में सेवन वामक है।
  • लेप-राई का लेप हमेशा ठंडे जल में बनाएं।
  • राई का लेप सीधे त्वचा पर ना लगाएं, इससे फुंसी, फफोले आदि उठने का भय रहता है।
  • त्वचा के लाल होने पर लेप को उतार दें और उस अंग को पोंछ कर वहां पर घी या तेल लगा दें।
  • राई को शीतल जल के साथ महीन पीसकर लेप को साफ मलमल के कपड़े पर पतला-पतला लेपकर कपड़े को रोगग्रसित-अंग पर रख दें। धयान रहें लेप सीधा त्वचा के सम्पर्क में ना आए।
  • आंतरिक प्रयोग के लिऐ राई का छिलका उतार कर प्रयोग करें। इसके लिए राई को हल्के से पानी में भिगोकर हिलाते रहें। इसके बाद जब छिलका उतर जाये तो सुखा लें तथा पीसकर आटा बनाकर शीशी में सुरिक्षत रख लें।

राई कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Raai Found or Grown in Hindi?)

पूरे भारत में राई (rai) की खेती की जाती है। मुख्यतः गुजरात एवं महाराष्ट्र में इसकी खेती की जाती है।

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