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शंखपुष्पी (Shankhpushpi) का नाम सुनते ही पहली बात जो दिमाग में आती है वह ये है कि शंखपूष्पी के फूल (shankhpushpi flower) और शंखपूष्प के पौधे (shankhpushpi plant) यादाश्त बढ़ाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। वैसे तो शंखपुष्पी के फूल कई तरह के रंगों के होते हैं लेकिन आयुर्वेद में सफेद रंग के शंखपुष्पी का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। चलिये शंखपुष्पी के फायदे (shankpushpi benefits)और गुणों बारे में विस्तार से जानते हैं कि कैसे ये बीमारियों के उपचार में काम आती है।
शंखपुष्पी एक प्रकार का फूल है तो आयुर्वेद के औषधि के क्षेत्र में अहम् भूमिका निभाती है। शंखपुष्पी फूलों के रंग के अनुसार दो प्रकार के होते हैं -(1) श्वेत (Convolvulus pluricaulis choisy), (2) नील (Evolvulus alsinoides (L.)। लेकिन औषधि में सफेद रंग के फूल का ही व्यवहार करना चाहिए।
Convolvulus pluricaulis choisy (शंखपुष्पी)- यह जमीन पर फैलने वाला मुलायम तथा रोम वाला पौधा होता है। इसकी शाखाएं लम्बी तथा फैली हुई होती हैं। इसके फूल हल्के सफेद या गुलाबी रंग के, बाहर से रोमयुक्त तथा कुप्पी के आकार के होते हैं। ऊपर जिस प्रजाति की बात की गई उसमें मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रजाति का प्रयोग भी चिकित्सा में किया जाता है।
Convolvulus arvensis Linn. (हिरणखुरी)- पूरे भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 3000 मी की ऊँचाई तक तथा बेकार पड़ी हुई भूमि और सड़कों के किनारों, झाड़ियों में इसकी बेलें चढ़ी हुई पाई जाती हैं। इसकी लम्बी लतायें होती हैं। इसके पत्ते चिकने, रेखाकार, नोंकदार, तीर के समान होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के या गुलाबी रंग की आभा से युक्त सफेद रंग के होते हैं। इसके जड़ के सेवन से पेट से अवांछित पदार्थ मल के द्वारा निकलने में मदद मिलती है। शंखपुष्पी में इसकी मिलावट की जाती है। इसका प्रयोग सांप के विष का असर कम करने तथा सांस संबंधी बीमारी के चिकित्सा में किया जाता है।
चरकसंहिता के ब्रह्मरसायन में तथा मिर्गी के चिकित्सा में शंखपुष्पी का प्रयोग का उल्लेख मिलता है। इसके अतिरिक्त खांसी की चिकित्सा के लिए अगस्तयहरीतकी योग में और द्विपंचमूलादिघृत में शंखपुष्पी का वर्णन मिलता है। आचार्य सुश्रुत ने भी तिक्त गण में शंखपुष्पी के बारे में चर्चा की है तथा सुवर्णादि के साथ बच्चों में शंखपुष्पी के सूक्ष्म चूर्ण के प्रयोग का तरीका भी बताया है।
शंखपुष्पी कड़वा और ठंडे तासीर का होता है। आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी (shankh pushp) एक ऐसी जड़ी बूटी है जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रूप में काम करती है। कहने का मतलब ये है कि शंखपुष्पी की खास बात ये है कि यह मानसिक रोगों के लिए बहुत ही लाभादायक होती है। यह कुष्ठ, कृमि और विष का असर कम करने में भी मदद करती है। शंखपुष्पी सिर्फ यादाश्त बढ़ाने में ही मदद नहीं करती बल्कि सेक्स संबंधी समस्याओं में भी लाभकारी होती है।
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शंखपुष्पी भारत के हर प्रांत में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे-
वैसे तो आम तौर पर शंखपुष्पी को मस्तिष्क का टॉनिक कहा जाता है लेकिन इसके अलावा भी शंखपुष्पी अनेक तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रूप में काम करती है। चलिये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
आजकल के जीवनशैली में सिरदर्द आम बीमारी बन गई है। 1 ग्राम शंखपुष्पी तथा 250 मिग्रा खुरासानी अजवायन चूर्ण को मिलाकर गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सिर दर्द में तुरन्त फायदा मिलता है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
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सर्दी-खांसी के परेशानी से आराम पाने के लिए शंखपुष्पी का प्रयोग ऐसा करना चाहिए। शंखपुष्पी के पत्तों को जलाकर उसका धूम्रपान करने से सांस लेने में आसानी होती है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
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उल्टी से अगर हाल बेहाल है तो शंखपुष्पी को इस तरह से लेने पर आराम मिलता है। शंखपुष्पी पञ्चाङ्ग के दो चम्मच रस में एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मधु के साथ बार-बार पिलाने से उल्टी होना कम हो जाता है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
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अगर उल्टी करने पर खून निकल रहा है तो तुरन्त राहत पाने के लिए 5-10 मिली शंखपुष्पी का रस पियें। इसके सेवन से आराम मिलता है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
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मूत्र रोग या मूत्रकृच्छ्र वह रोग है जिसमें पेशाब करते समय जलन या दर्द होना या रूक-रूक कर पेशाब होने जैसी समस्याएं होती है। ऐसे रोगों से राहत पाने के लिए 10-30 मिली शंखपुष्पी के काढ़े में दूध मिलाकर पिलाने से इस रोग फायदा मिलता है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
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अक्सर उम्र होने पर यादाश्त कमजोर होने लगती है तो शंखपुष्पी का सेवन इस तरह से करें। इससे याद रखने की शक्ति बढ़ती है।
मिर्गी के मरीज को अगर बार-बार दौरा पड़ता है तो शंखपुष्पी का सेवन इस तरह कराने से लाभ मिलता है –
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उन्माद अवस्था में मरीज को 5-10 मिली शंखपुष्पी पञ्चाङ्ग का रस पिलाने से मन शांत होता है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]और पढ़ें – ब्लीडिंग रोकने में दूर्वा घास के फायदे
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अगर लू लगने से बुखार हुआ है और उस अवस्था में मरीज बेमतलब की बात कर रहा है तो उस समय नींद लाने के लिए 5-10 ग्राम शंखपुष्पी चूर्ण को दूध एवं मधु के साथ देने से बहुत लाभ होता है। (Shankhpushpi ke Fayde) [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
अगर कहीं चोट लगने से रक्तस्राव हो रहा है तो 10-20 मिली शंखपुष्पी के रस को मधु के साथ देने से रक्त का बहना तुरन्त बन्द हो जाता है । [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
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आजकल तनाव भरी जिंदगी में ब्लड प्रेशर हाई होना आम बात हो गया है। हाई ब्लडप्रेशर को निंयत्रण में करने के लिए ताजी शंखपुष्पी के 10-20 मिली के रस को सुबह, दोपहर तथा शाम, कुछ दिनों तक सेवन करने से उच्चरक्त चाप में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
अगर मानसिक दुर्बलता या बुद्धि कम है तो शंखपुष्पी का सेवन करने से लाभ मिलेगा। इसके लिए शंखपुष्पी पञ्चाङ्ग को पीसकर पेस्ट या कल्क बना लें । 1-2 ग्राम पेस्ट का सेवन गाय के दूध के साथ करने से शक्ति, रंग, एनर्जी, आयु तथा बुद्धि की वृद्धि होती है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
शरीर को नवजीवन प्रदान करने के लिए समान मात्रा में खस तथा कुटकी के कल्क या पेस्ट (1-3 ग्राम) में ठीन गुना मात्रा में शंखपुष्पी का रस तथा चार-चार गुना गाय का दूध और गाय का घी मिलाकर पकायें और मिश्रण को 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से बोलने और सुनने की शक्ति बढ़ती है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
शिशुओं के लिए पहली बार दांत निकलना बहुत बड़ी समस्या होती है, क्योंकि इस दौरान उन्हें तरह-तरह के सेहत संबंधित समस्याएं होती हैं। शिशुओं को दांत निकलते समय जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उस समय शंखपुष्पी की जड़, जवासे की जड़ तथा दुद्धी की जड़ को शुभ नक्षत्र में शिशु की भुजा पर बांधने से दांत निकलने के समय के समस्याओं से राहत मिलती है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
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अक्सर बच्चे रात में सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। इसके बीमारी में भी शंखपुष्पी का चूर्ण काम आता है। उन बच्चों को रात में सोते समय 2 ग्राम शंखपुष्पी चूर्ण और 1 ग्राम काला तिल मिलाकर दूध के साथ सेवन कराने से इस बीमारी से राहत मिलती है। [Go to: Benefits of Shankhpushpi]
आयुर्वेद में शंखपुष्पी के जड़, फूल और रस का प्रयोग औषधि के तौर पर ज्यादा होता है।
रोगों के उपचार के लिए शंखपुष्पी का सेवन कैसे करेंगे ये ऊपर बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए शंखपुष्पी का उपयोग कर रहें हैं आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
– 3-6 ग्राम शंखपुष्पी का सेवन चिकित्सक के सलाह अनुसार कर सकते हैं।
बारिश के मौसम में पथरीली एवं परती भूमि में प्राकृतिक तरीके से शंखपुष्पी (sankhapuspi) के छोटे-छोटे घास के समान पौधे उगते हैं। बहुत से स्थानों पर यह बारह मास देखी जा सकती है।
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