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शलजम (turnip) एक सफेद कंदमूल वाली सब्जी है, जो पौष्टिकता से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। इसमें कैलोरी बहुत कम होता है इसलिए जो फिट रहना चाहते हैं उनके ही बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन आयुर्वेद में शलजम को खाने के अलावा औषधि के रुप में भी उपयोग किया जाता है। क्योंकि शलजम बहुत सारे बीमारियों से राहत दिलाने में सहायता करता है। चलिये इस बारे में आगे जानते हैं कि शलजम (shalgam) किन-किन बीमारियों के लिए लाभकारी है।
शलगम के जड़ तथा पत्ते का प्रयोग सलाद के रुप में तथा सब्जी के रुप में किया जाता है। इसके पत्ते मूली के पत्ते जैसे होते हैं। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी जड़ कुंभरुपी, गोल, सफेद तथा हल्के बैंगनी व गुलाबी रंग की आभा से युक्त होती है।
शलगम एक ऐसा सब्जी है जो ज्यादातर शीतकाल में ही पाया जाता है। आम तौर पर शलगम का सब्जी बनाकर ही खाया जाता है। लेकिन इसका पत्ता बहुत ही कड़वा होता है पर आयुर्वेद में इसको औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। शलजम मधुर, थोड़ा गर्म, छोटा तथा वात,पित्त और कफ को दूर करने वाला होता है। यह खाने में रुचि बढ़ाने वाला, पेट संबंधी समस्या तथा ज्वर में फायदेमंद होता है। इसका जड़ और पत्ता पित्त को बढ़ाने वाला, कृमि से निजात दिलाने वाला होता हैं। शलजम श्वास संबंधी समस्या, खांसी, अश्मरी या पथरी, अर्श या बवसीर, अरुचि व डिलीवरी के बाद के रक्तस्राव में हितकर होता है।
शलजम का वानास्पतिक नाम Brassica rapa Linn. (ब्रासिका रापा) Syn-Brassica campestris Linn. var. rapa (Linn.) Hartm है। शलजम Brassicaceae (ब्रैसीकेसी) कुल का है और अंग्रेजी में इसको Turnip (टरनिप) कहते हैं। लेकिन भारत के विभिन्न प्रांतों में शलगम को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
Turnip in-
वैसे तो शलगम एन्टीऑक्सिडेंट, मिनरल, फाइबर, विटामिन सी, कैल्शियम जैसे अनेक पौष्टिक गुणों का स्रोत है। इसलिए आयुर्वेद में शलगम का उपयोग अनेक बीमारियों के लिए औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
अगर मौसम के बदलने के साथ आपको बार-बार ब्रोंकाइटिस हो रहा है तो शलजम का प्रयोग इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है। शलजम तेल को छाती पर लगाने से श्वसनिका-शोथ या सूजन कम होता है।
मौसम बदला कि नहीं बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े सबको सर्दी-खांसी की शिकायत होने लगती है। शलजम को काटकर, भूनकर, नमक डालकर सेवन करने से खाँसी में लाभ होता है।
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आज कल के जीवनशैली में खान-पान में असंतुलन सभी से हो जाता है फल ये होता है कि अपच की समस्या होने लगती है।
–शलजम के पत्तों का शाक बनाकर सेवन करने से अजीर्ण या अपच में लाभ होता है।
-शलजम को काटकर सुखाकर काढ़ा बनाकर पीने से ड्राई कफ तथा अजीर्ण में लाभ होता है।
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अगर आपकी जीवनशैली असंतुलित है और इस कारण आप जो भी खाते हैं वह हजम नहीं होता है। शलजम को अदरख के साथ सेवन करने से यह पाचक तथा भूख बढ़ाने में मदद करता है।
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अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदत है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें शलजम का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। शलजम के पत्ते का साग बनाकर खाने से अर्श में फायदेमंद साबित होता है।
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अगर सही पॉश्चर में नहीं लेटने के कारण गर्दन में अकड़न हो रहा है तो शलजम का इस्तेमाल ऐसे करने से फायदा मिलता है। शलजम के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से आमवात तथा मन्यास्भं (Stiff neck) में लाभ होता है।
कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में शलजम का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। शलजम के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से व्रण जल्दी ठीक होता है।
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अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो शलजम के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। शलजम को काटकर गर्म कर पोटली बनाकर बांधने से सूजन कम होता है।
आयुर्वेद में शलगम के पत्ता, जड़ तथा तेल का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
बीमारी के लिए शलजम के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए शलजम का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
समस्त भारत में इसकी खेती की जाती है।
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