कुठिञ्जर (Kuthijjar) एक खरपतवार है। आपने कुठिञ्जर को मैदानों में देखा होगा। बारिश के मौसम में जो फसल होते हैं। कुठिञ्जर उन फसलों के बीच भी पैदा होता है। कुठिञ्जर की सब्जी भी कई घरों में खाई जाती है। कुठिञ्जर के सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है, और इसके कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि कुठिञ्जर एक जड़ी-बूटी के रूप में भी इस्तेमला किया जाता है, और कब्ज, लिवर रोग, तिल्ली रोग में कुठिञ्जर के इस्तेमाल से फायदे (Kuthijjar benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, पथरी रोग, डायबिटीज, वीर्य रोग आदि में भी कुठिञ्जर के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में कुठिञ्जर के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आप शुक्राणु की कमी की परेशानी, बवासीर आदि में कुठिञ्जर के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप त्वचा रोग और रक्त विकार में भी कुठिञ्जर से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां जानते हैं कि कुठिञ्जर के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि कुठिञ्जर से नुकसान (Kuthijjar side effects) क्या-क्या हो सकता है।
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कुठिञ्जर पूरे भारत में परती भूमि पर पैदा होता है। यह बारिश के मौसम में फसलों के बीच खरपतवार के रूप में भी होता है।
यहां कुठिञ्जर के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kuthijjar benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कुठिञ्जर के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
कुठिञ्ज का वानस्पतिक नाम Digera muricata (Linn.) Mart. (डाइजेरा म्युरिकेटा) Syn-Digera arvensis Fosrsk. Sp. है, और यह Amaranthaceae (एमारेन्थेसी) कुल का है। कुठिञ्ज को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Kuthijjar in –
कुठिञ्जर के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
कुठिञ्जर मधुर, ईषत् कषाय, शीत, रूक्ष, लघु, कफशामक, वातकारक, रुचिकारक होता है। यह देर से पचता है, कब्ज और पाचनतंत्र विकार में लाभ पहुंचाता है।
कुठिञ्जर के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
अनेक लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। आप भी कब्ज का इलाज करना चाहते हैं तो कुठिञ्जर के फायदे ले सकते हैं। कुठिञ्जर के पत्ते और तने की सब्जी बनाकर खाएं। इससे कब्ज की समस्या (Kuthijjar Uses) ठीक होती है।
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कुठिञ्जर के पत्ते और तने का काढ़ा बना लें। इसे पिएं। इससे खून की कमी, लिवर और तिल्ली विकार और पथरी की समस्या में लाभ होता है।
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डायबिटीज में कुठिञ्जर के सेवन से लाभ (Kuthijjar Benefits for Urinal Disease in Hindi)
कुठिञ्जर के फूल और बीजों का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में काढ़ा पीने से डायबिटीज में लाभ मिलता है। इसके साथ ही इससे मूत्र रोग में भी फायदा होता है।
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कुठिञ्जर के पत्ते को पीसकर त्वचा पर लेप करें। इससे त्वचा पर होने वाली सूजन, जलन और लालिमा जैसी परेशानी ठीक होती है।
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कुठिञ्जर के फूल और बीज का चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम बीज के चूर्ण को मिश्री के साथ मिला लें। इसे दिन में एक बार 1 माह तक सेवन करें। इससे वीर्य का पतला होना और शुक्राणु की कमी आदि रोग में लाभ होता है।
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कई लोग रक्त संबंधी विकार से ग्रस्त होते हैं। ऐसे में कुठिञ्जर के सेवन से लाभ मिल सकता है। कुठिञ्जर पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे पीने से रक्त संबंधी विकारों में लाभ होता है।
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बवासीर एक गंभीर बीमारी है। रोगी को बवासीर के कारण बहुत तकलीफ झेलना पड़ता है। कुठिञ्जर के पत्ते और तने की सब्जी बनाकर खाएं। इससे बबासीर का इलाज होता है।
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कुठिञ्जर के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
यहां कुठिञ्जर के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kuthijjar benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कुठिञ्जर के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कुठिञ्जर का सेवन करने या कुठिञ्जर का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
समस्त भारत में परती भूमि पर कुठिञ्जर पाया जाता है। यह वर्षाऋतु में फसलों के बीच खरपतवार के रूप में उत्पन्न होता है।
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