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Kulattha: कई बिमारियों की काट है कुलत्थ- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

कुलत्थ का परिचय (Introduction of Kulattha)

कुलथी या कुलत्थ का नाम सभी ने सुना होगा लेकिन इसके औषधीय फायदों के बारे में अनजान होंगे। आम तौर पर कुलथी का इस्तेमाल घरेलू नुस्खे के रूप में पथरी के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा कुलथी के और भी औषधीकारक गुण होते हैं जो दूसरे बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Kulattha

कुलत्थ क्या है? (What is Kulattha in Hindi?)

कुलथी प्रकृति से कड़वा, मधुर, तीखा, कफवात को दूर करने वाली, पित्तकारक,, रक्तपित्तकारक, पित्त को बढ़ाने वाली, खून बढ़ाने वाले तथा अम्लपित्तकारक होती है।

इसका प्रयोग सांस संबंधी समस्या, खांसी, हिक्का, पथरी, दाह, पीनस, मोटापा, बुखार, कृमि, पेट फूलना, दिल की बीमारी, सिरदर्द, वस्तिशूल यानि मूत्राशय में दर्द, मूत्राघात, अश्मरी, अर्श, गुल्म, विषप्रभाव, विबन्ध या कब्ज, उदररोग या पेट संबंधी समस्या, अरुचि तथा प्रतिश्याय (Coryza) की चिकित्सा में किया जाता है।

कुलथी का जूस वातानुलोमक होता है। वात संबंधी रोग में कुलथी का प्रयोग फायदेमंद होता है। कुलथी मूत्रल, सूजन को कम करने वाली, बलकारक होती है।

अन्य भाषाओं में कुलत्थ के नाम (Names of Kulattha in Different Languages)

कुलत्थ का वानास्पतिक नाम Dolichos uniflorus Lamk. (डोलिकोस् यूनीफ्लोरस) Syn-Macrotyloma uniflorum (Lam.) Verdc. होता है। इसका कुल Fabaceae (फैबेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Horse-Gram (हॉर्स ग्राम) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि कुलत्थ और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

Sanskrit-कुलत्थिका, कुलत्थ; 

Hindi-कुरथी, कुलथी; 

Urdu-कुलत्थी (Kulathi); 

Kannada-हुरली (Hurali), जुरली (Jurli); 

Gujrati-कुलाथी (Kulathi), कुलीत (Kulit); 

Tamil-कोल्लु (Kollu); 

Telegu-उलुवा (Uluva), वुलावल्ली (Wulavalli); 

Bengali-कुर्तीकलाई (Kurtikalai); 

Nepali-गहत (Gahat); 

Punjabi-कुलत्थ (Kulath), कलत (Kalat); 

Marathi-कुलित्थ (Kulith), कुलथी (Kulthi); 

Malayalam-कुल्लु (Kullu), मुथेरा (Muthera); 

English-मद्रास ग्राम (Madras Gram)

Arbi-हब्बुलिलत (Habbulilat); 

Persian-किल्लत (Qillat), माशाहिन्दी (Mashahindi), संगे शिकन (Sange shikan), हब्बुल कुलथ (Habbul Qulth)।

कुलत्थ का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Kulattha in Hindi)

कुलथी प्रकृति से कड़वा, कषाय, मधुर, तीखा, कफवात को कम करने वाला, पित्तकारक, संग्राही या कब्ज, विदाही यानि जलन का एहसास, अतिरिक्त पसीना को रोकने वाली, रक्तपित्तकारक, पित्त और रक्त को बढ़ाने वाला और  अम्लपित्तकारक होती है।

इसके अलावा कुलत्थ का  प्रयोग सांस संबंधी समस्या, खांसी, हिक्का, अश्मरी या पथरी, दाह, पीनस (Rhinitis), मेद रोग या मोटापा, ज्वर, कृमि, आनाह या पेट फूलना, हृदय रोग, सिर दर्द, वस्तिशूल, मूत्राघात, अश्मरी, अर्श, गुल्म,तूनी रोग (Neuralgic pain), विषप्रभाव, विबन्ध या कब्ज, शोफ या अल्सर, उदररोग या पेट संबंधी रोग, अरुचि तथा प्रतिश्याय या साइनस की चिकित्सा में किया जाता है।

कुलथी का जूस वातानुलोमक होता है तथा गुल्म तूनी (Neuralgic pain) व प्रतूनी (Renal pain)आदि वातविकारों का को ठीक करने में मदद करता है।

कुलथी स्तम्भक (Styptic), मूत्रल, हृदय के कार्य को सही तरीके से करने में मददगार, सूजन को कम करने वाली, बलकारक तथा प्रत्यूर्जतारोधी यानि एलर्जी के इलाज में मदद करती है।

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कुलत्थ के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Kulattha in Hindi) 

कुलथी पथरी के इलाज में फायदेमंद होने के साथ-साथ किन-किन बीमारियों में औषधि के रूप में काम करती है, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

 

पथरी के इलाज में कुल्थी के फायदे (Kulattha Beneficial to Treat Kidney Stone in Hindi)

Kidney disease

अगर पथरी के लक्षणों से परेशान और आयुर्वेदिक इलाज के मदद से निकालना चाहते हैं तो कुलथी की फलियों को पानी में भिगोकर मसल-छानकर पिलाने से पथरी निकल जाती है। इसके अलावा 5-10 ग्राम कुलत्थाद्य घी को मात्रानुसार सेवन करने से अश्मरी, मूत्राघात (Anuria) , मूत्रकृच्छ्र तथा मूत्रविबन्ध में लाभ होता है।

 

अर्श या पाइल्स के इलाज में फायदेमंद कुल्थी (Kulattha Beneficial for Piles in Hindi)

अर्श के दर्द से परेशान है तो 20-40 मिली कुलथी जूस का सेवन करने से गण्डमाला (Scrofula), अर्श , आमवात (Rheumatoid arthritis) तथा संधिवात में लाभ होता है। इसके अलावा कुलथी को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से बवासीर में लाभ होता है।

 

खांसी से दिलाये राहत कुल्थी (Kulattha Beneficial to Get Relief from Cough in Hindi)

पंचकोल (पिप्पली, पिप्पलीमूल, चव्य, चित्रक, सोंठ) के पेस्ट से सिद्ध 10 ग्राम घी में 10-20 ग्राम कुलथी का काढ़ा मिलाकर पीने से अथवा कुलथी काढ़ा (10-30 मिली) तथा पंचकोल पेस्ट से सिद्ध घी का सेवन करने से बलगम वाली खांसी, सांस संबंधी रोग तथा हिचकी वाले रोग में बहुत लाभ मिलता है।

-कुलथी को भूनकर पीसकर 2-4 ग्राम की मात्रा में खाने से खांसी में लाभ होता है।

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हृदय रोग में फायदेमंद कुल्थी (Kulattha Beneficial in Heart Disease in Hindi)

कफज हृदय रोग में कुलथी के जूस को जौ से बने खाने के पदार्थों के साथ सेवन कर तीक्ष्ण द्रव्यों (सोंठ, मरिच, पिप्पली आदि) से सिद्ध जल को पीने से हृदय रोग में लाभ होता है।

 

अन्नद्रवशूल या पेट में घाव के कष्ट से दिलाये राहत कुल्थी (Benefit of Kulattha in Stomach Ulcer or Duodinal ulcer in Hindi)

पेट में घाव होने पर उसके दर्द से राहत पाने में कुल्थी का सेवन इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है। दही के साथ कुलथी के सतू् का सेवन करने से अन्नद्रव शूल में लाभ होता है।

 

पेट में कृमि होने पर उससे राहत दिलाये कुल्थी (Kulattha Beneficial to Treat Stomach Worm in Hindi)

Pinworm

20-30 मिली कुलथी के काढ़ा में 60 मिग्रा कुलथी क्षार तथा 60 मिग्रा यवक्षार मिलाकर पीने से उदरकृमि या पेट में जो कृमि होता है वह नष्ट हो जाता है।

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मूत्रमार्ग में संक्रमण के इलाज में फायदेमंद कुल्थी (Benefit of Kulthi in Urinary Infection in Hindi)

कुलथी के बीजों का काढ़ा बनाकर, 10-20 मिली मात्रा में पीने से मूत्र मार्ग गत संक्रमण तथा अश्मरी या पथरी में लाभ होता है।

 

रजोरोध में फायदेमंद कुल्थी (Kulthi Beneficial to Treat Amenorrhoea in Hindi)

10-20 मिली कुलथी के काढ़े का सेवन करने से आर्तव अवरोध (रजोरोध) तथा श्वेत प्रदर (लिकोरिया), मासिक विकार तथा शीतज्वर से राहत पाने में मदद मिलती है।

 

शीतपित्त के इलाज में लाभकारी कुल्थी (Benefit of Kulthi in Urticaria in Hindi)

शीतपित्त शरीर में लाल-लाल दाने की तरह दिखती है। कुलथी रस अथवा काढ़े के साथ भोजन करने से शीतपित्त में लाभ होता है।

 

बुखार के कष्ट से दिलाये राहत कुल्थी (Kulthi Beneficial to Treat Fever in Hindi)

अगर बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा तो भुनी हुई कुलथी के चूर्ण को शरीर में धूल की तरह लगाये तो ज्वर में लाभ होता है।

-मूंग, कुलथी आदि लघु दालों से बने 10-20 मिली जूस का सेवन करने से ज्वर दूर होता है।

 

मोटापा कम करने में फायदेमंद कुल्थी (Benefit of Kulthi for Weight loss in Hindi)

obesity

अगर किसी तरह भी वजन कम नहीं हो रहा है तो कुलथी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए कुलथी का सेवन करने के पहले चिकित्सक से सलाह ले लें। 

कुलत्थ का उपयोगी भाग (Useful Parts of Kulattha)

आयुर्वेद के अनुसार कुलत्थ का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-बीज।

 

कुलत्थ का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Kulattha in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए कुलत्थ का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें।

 

कुलत्थ सेवन के साइड इफेक्ट (Side Effect of Kulattha)

 

कुलत्थ का सेवन उच्चरक्तचाप यानि हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों, गर्भवती स्त्री, ज्यादा एसिडिटी होने वाले, अर्श या पाइल्स, व्रण या अल्सर तथा फूफ्फूसीय या लंग्स संबंधी रोगों में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

 

कुलत्थ कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Kulattha Found or Grown in Hindi)

 

भारत में प्राय सर्वत्र इसकी खेती की जाती है। इसकी दाल का प्रयोग अश्मरी यानि पथरी की चिकित्सा में किया जाता है।