आपने काकजंघा (Kakjangha) को अपने घरों के आस-पास जरूर देखा होगा, लेकिन इसके बारे में शायद बहुत अधिक जानकारी नहीं रखते होंगे। काकजंघा एक औषधि है, और इसके सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है। काकजंघा के कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि काकजंघा एक जड़ी-बूटी भी है, और सिर दर्द, बहरापन, पेट के कीड़े होने पर काकजंघा के इस्तेमाल से फायदे (Kakjangha benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, बदहजमी, दस्त, कुष्ठ रोग आदि में भी काकजंघा के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में काकजंघा के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए जानना बहुत जरूरी है। आप फाइलेरिया, बुखार, अनिद्रा आदि में काकजंघा के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप प्रसव संबंधी समस्या और सांप के काटने पर भी काकजंघा से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि काकजंघा के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि काकजंघा से नुकसान (Kakjangha side effects) क्या-क्या हो सकता है।
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काकजंघा वनों में पाया जाता है। इसके बारे में बहुत मतभेद एवं विभिन्नताएं हैं। कई विद्वान काकजंघा, काकनासा और काकमाची को एक समान मानते हैं, लेकिन ये तीनों पौधे बिल्कुल अलग-अलग हैं। आयुर्वेद में काकजंघा नाम से दो पौधों का वर्णन किया गया है।
असली काकजंघा का पौधा 0.9-1.2 मीटर ऊँचा होता है। इसका पौधा शाखा-प्रशाखा से युक्त, सीधा और रोमश होता है। इसकी शाखाएं षटकोणयुक्त खुरदरी, सुतली से अधिक मोटी तथा गाँठदार होती हैं। तने या डण्डियों की जोड़ मोटी और आगे की ओर पतली होती है। थोड़ी-थोड़ी दूर पर काक की जंघा के जैसी गाँठें होती हैं, इसलिए इसे काकजंघा कहते हैं।
यहां काकजंघा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kakjangha benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप काकजंघा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
काकजंघा का वानस्पतिक नाम Peristrophe bicalyculata (Retz.) Nees (पेरिस्ट्रोफी बाईकेलीक्युलेटा) Syn-Peristrophe paniculata (Forssk.) Brummit, Dicliptera bicalyculata (Forssk.) I. Darbysh. है, और यह Acanthaceae (ऐकेन्थेसी) कुल का है। इसके अन्य नाम ये हैंः-
Kakjangha in –
काकजंघा के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
काकजंघा तिक्त, कषाय, कटु, लघु, कफपित्तशामक तथा वर्णप्रसादक होती है। यह बुखार, घाव, खुजली, विष, पेट के कीड़े, बहरेपन सहित टाइफाइड, रक्त-दोष और कुष्ठ रोग नाशक है।
काकजंघा के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
सिर दर्द एक आम बीमारी है, और किसी को भी हो सकती है। इसके लिए काकजंघा जड़ को पानी में उबाल लें। इसका भाप देने से सिर दर्द ठीक होता है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
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काकजंघा पंचांग को तेल में पका लें। तेल में पक जानने के बाद इसे छान लें। इसकी 1-2 बूंद कान में डालें। इससे बहरेपन की समस्या में लाभ होता है।
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दांतों में कीड़े लगना एक बहुत ही आम बीमारी है। इस रोग से बच्चे और बड़े दोनों परेशान हो सकते हैं। इसके लिए काकजंघा की जड़ को दाँतों से चबाएं। इससे दांतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
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अनेक लोग बदहजमी की समस्या से परेशान रहते हैं। इस परेशानी में काकजंघा के औषधीय गुण से लाभ मिल सकता है। 1-2 ग्राम काकजंघा चूर्ण को खाने से बदजहमी में लाभ होता है।
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पेट में कीड़े हो गए हैं तो आप काकजंघा के सेवन से लाभ ले सकते हैं। काकजंघा की जड़ का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा को पीने से पेट के कीड़ मर जाते हैं।
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दस्त से परेशान लोग घरेलू उपाय से दस्त पर रोक लगा सकते हैं। 1-3 ग्राम काकजंघा की जड़ चूर्ण को खाने से दस्त पर रोक लगती है।
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काकजंघा का उपयोग करने से गर्भवती महिलाओं बहुत लाभ होता है। काकजंघा की जड़ को गर्भवती महिलाएं अपनी कमर पर बांधें। इससे प्रसव आसानी से होने में मदद मिलती है।
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घाव में तीन दिनों तक काकजंघा पत्ते या जड़ के पेस्ट का लेप करें। इससे घाव, घाव का पस निकल जाता है। इससे घाव भर जाता है और दर्द ठीक हो जाता है। इसके प्रयोग से खुजली आदि त्वचा विकार भी ठीक होते हैं।
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अनिद्रा से परेशान हैं तो काकजंघा के उपयोग से लाभ मिलता है। काकजंघा की जड़ को सिर के नीचे रखकर सोएं। इससे नींद अच्छी आती है।
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1-2 ग्राम काकजंघा की जड़ को चावल के धोवन में पीस लें। इसके बाद इसमें मधु मिलाकर पिएं। इससे सांप के काटने के कारण होने वाली जलन, दर्द आदि दुष्प्रभाव ठीक होते हैं।
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काकजंघा के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
काकजंघा को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
चूर्ण- 3-6 ग्राम
यहां काकजंघा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kakjangha benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप काकजंघा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए काकजंघा का सेवन करने या काकजंघा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
यह पूरे भारत में मिलता है। यह पंजाब, सिंध से आसाम एवं तमिलनाडु के जंगलों तथा झाड़ियों एवं खुले स्थानों में प्राप्त होता है।
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