करी पत्ता (Curry tree leaf) का प्रयोग भारतीय पकवानों में किया जाता है। शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां करी पत्ता उपयोग में नहीं लाया जाता होगा। करी पत्ता, को कैडर्य, कटनीम, मीठा नीम, पर्वत निम्ब और गिरिनिम्ब जैसे कई नामों से जाना जाता है, लेकिन आप लोग इसे करी पत्ता या मीठा नीम के नाम से ही जानते होंगे। क्या आपको पता है कि जिस करी पत्ता को आप लोग व्यजंनों के लिए प्रयोग में लाते हैं उसके कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आपको यह पता है कि करी पत्ता एक जड़ी-बूटी भी है, और आप सिर दर्द, मुंह के अनेक रोग में करी पत्ता (मीठा नीम) के इस्तेमाल से फायदे (Curry tree leaf benefits and uses) ले सकते हैं। इतना ही नहीं, मोतियाबिंद, पित्त विकार, कफज विकार आदि रोगों में भी मीठी नीम (करी पत्ता) के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में करी पत्ता (मीठा नीम) के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है, क्योंकि आप मीठा नीम (करी पत्ता) के औषधीय गुण के फायदे बदहजमी, दस्त, उल्टी, पेट दर्द, डायबिटीज आदि में तो ले ही सकते हैं, साथ ही मूत्र रोग, दाद-खाज-खुजली आदि त्वचा रोग, बुखार, कीड़े-मकौड़े के काटने पर भी करी पत्ता (मीठा नीम) से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि करी पत्ता के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा या नुकसान (Curry tree leaf benefits and side effects) हो सकता है।
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मीठा नीम का उपयोग भारत में बहुत साल पहले से किया जा रहा है। इसके गीले और सूखे पत्तों को घी या तेल में तल कर कढ़ी या साग आदि में छौंक लगाने से भोजन अति स्वादिष्ट, सुंधित हो जाते हैं। करी पत्ता के पत्तों को दाल में छौंक देने से दाल स्वादिष्ट बन जाती है। करी पत्ता को चने के बेसन में मिलाकर पकौड़ी बनाई जाती है।
करी पत्ता का वृक्ष लगभग 4-5 मीटर ऊंचा, सुगन्धित और छोटा वृक्ष होता है। इसके तने की छाल चिकनी गहरे भूरे रंग की होती है। इसके फूल सफेद रंग के और सुगन्धित होते हैं। इसके फल 2.5 सेमी लम्बे, 0.8 सेमी चौड़े, झुर्रीदार होते है। फल पकने पर बैंगनी रंग के हो जाते हैं। हर फल में प्रायः दो बीज होते हैं। इसके बीजों और पत्तों से एक सुगन्धित तेल निकाला जाता है। इस तेल को मिलाकर कई तरह के तेल तैयार किए जाते हैं। मुख्य रूप से करी पत्ता तीन तरह से प्रयोग में लाया जाता है, जो ये हैंः-
यहां करी पत्ता के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Curry tree leaf benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप करी पत्ता के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
करी पत्ता (मीठा नीम) का वानस्पतिक नाम Murraya koenigii (Linn.) Spreng. (मुराया कोईनीगी) है, और यह Rutaceae (रूटेसी) कुल का है। करी पत्ता के अन्य ये भी नाम हैंः-
Curry tree leaf in –
करी पत्ता के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
मीठी नीम कटु, तिक्त, कषाय, शीत, लघु, पित्तशामक, कण्ठ्य और संज्ञास्थापक होती है। इसके पत्ते और जड़ की छाल वमनरोधी, वातानुलोमक, आमाशयिक सक्रियतावर्धक, जीवाणुरोधी, बलकारक होती है। इसके पत्ते का काढ़ा शीत, लघु; अतिसाररोधी और प्रवाहिकारोधी होता है।
करी पत्ता के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
सिर दर्द होने पर करी पत्ता के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। आप करी पत्ता (मीठी नीम) के फूलों को पीस लें। इसे सिर पर लगाएं। इससे सिर दर्द ठीक होता है।
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मोतियाबिंद में भी मीठी नीम के उपयोग से लाभ होता है। मीठी नीम के ताजे पत्ते लं। इसका रस निकाल लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से मोतियाबिंद की बीमारी में लाभ होता है।
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मुंह से बदबू आने से परेशान हैं, और आयुर्वेदिक तरीके से मुंह की बदबू का इलाज करना चाहते हैं तो मीठी नीम की 2-4 पत्तियों को चबाकर खाएं। इससे मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
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मुंह में होने वाली बीमारी जैसे मुंह के छाले की समस्या में आप मीठी नीम के फायदे ले सकते हैं। इसके लिए मीठी नीम के पत्तों का काढ़ा बना लें। इससे गरारा करें। इससे बीमारी ठीक होती है।
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कफज विकार को दूर करने के लिए 5-10 मिली मीठी नीम के पत्ते का रस निकाल लें। इतनी ही मात्रा में शहद मिला लें। इसका सेवन करें। इससे कफज विकार ठीक होता है।
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मीठी नीम के पत्ते के रस में निम्बू का रस और शर्करा मिला लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह के समय पिएं। इससे उल्ट, मुंह से पानी आने (लार गिरना) की समस्या और बदहजमी के साथ-साथ बदहजमी के कारण होने वाली उल्टी भी ठीक होती है।
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दस्त पर रोक लगाने के लिए मीठी नीम के औषधीय गुण से फायदा होता है। इसके लिए मीठी नीम के 2-4 फलों को पीसकर खिलाएं। इससे दस्त पर रोक लगती है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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आप उल्टी को रोकने के लिए भी करी पत्ता का सेवन कर सकते हैं। उल्टी होने पर मीठी नीम के 5-10 पत्तों को पानी के साथ पीसकर पिएँ। उल्टी रुक जाती है।
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पित्तज विकार दूर करने के लिए 1-2 ग्राम करी पत्ता की जड़ लें। इसका चूर्ण निकाल लें। इसे शहद के साथ चाटें। इससे पित्तज-विकारों में लाभ होता है।
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10-15 मिली मीठी नीम पत्ते के रस को पिलाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं। अधिक लाभ के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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10-20 मिली मीठी नीम की जड़ के काढ़ा में 500 मिग्रा सोंठ चूर्ण मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है।
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मीठी नीम की 10 पत्तियों का रोज सुबह खाएं। इससे डायबिटीज और डायबिटीज के कारण होने वाली बीमारियों में लाभ होता है।
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पेशाब से जुड़ी बीमारी होने पर करी पत्ता का सेवन करने से फायदा होता है। इसके लिए करी पत्ता के 5 मिली रस को पिएं। इससे लाभ होता है।
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बुखार होने पर भी करी पत्ता के इस्तेमाल से फायदा मिलता है। मीठी नीम के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से बुखार ठीक होता है।
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कीड़े-मकौड़े के काट लेने पर करी पत्ता से इलाज कर सकते हैं। इसके लिए करी पत्ता की जड़ लें। इसकी छाल निकाल लें। इसे पीसकर कीटों के काटने वाले स्थान पर लगाएं। इससे दर्द, सूजन आदि विकार ठीक होते हैं।
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करी पत्ता के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
करी पत्ता को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
यहां करी पत्ता (मीठा नीम) के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Curry tree leaf benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप करी पत्ता के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए करी पत्ता का सेवन करने या करी पत्ता का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
मीठा नीम (करी पत्ता) पूरे भारत में 900 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। यह सिक्किम में 1500 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है।
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