जुकाम ऊपरी श्वसन तंत्र का आसानी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो अधिकांशत नासिका को प्रभावित करता है। इसे नैसोफेरिंजाइटिस, अधिक नजला आदि नाम से भी जाना जाता है। बहुत से प्रकार के वायरस इस बीमारी के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन राइनोवायरस इनका सबसे आम प्रकार है। 50 प्रतिशत सर्दी जुकाम के मामलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
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बच्चों को बार-बार जुकाम होना एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। आमतौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10-12 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन कई बार यह खतरनाक भी हो जाता है, खासकर 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में क्योंकि उनकी इम्युनिटी कम होती है। दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौतों में 18 फीसदी सिर्फ निमोनिया की वजह से होती है। निमोनिया होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है। निमोनिया होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। बच्चों में आमतौर पर वायरल से निमोनिया होता है, जबकि स्मोकिंग करने वालों में बैक्टीरिया से। निमोनिया होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। बच्चों में आमतौर पर वायरल से निमोनिया होता है। निमोनिया को 2 कैटिगरी में बांट सकते हैं। एक कम्यूनिटी से होने वाला और दूसरा हॉस्पिटल से होने वाला। पहली कैटेगरी में वायरस, बैक्टिरीया और फंगस आदि से होने वाला निमोनिया आता है।
मौसम के बदलने के समय ज्यादातर लोग सर्दी-जुकाम का शिकार बनना शुरु हो जाते हैं। वहीं इनमें से कुछ लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। जिन्हें हर मौसम में बार-बार सर्दी जुकाम होता रहता है, वैसे तो सर्दी जुकाम होना आम बात है लेकिन बार-बार होने पर बहुत परेशानी होती है।
बच्चों में जुकाम एक वायरस समूह के कारण भी हो सकता है। राइनोवायरस सामान्य जुकाम का सबसे आम कारण है। सामान्य जुकाम का वायरस आमतौर पर दो मुख्य तरीकों से फैलता है। वायरस छोटी बूंदों को साँस के द्वारा अथवा मुँह के द्वारा अन्दर लेने से अथवा संक्रमित नासिका के म्यूकस या संक्रमित वस्तुओं के संपर्क में आने से वातावरण में लम्बे समय तक बचे रह सकते हैं। इसके बाद वायरस हाथों से नाक अथवा आँखों में प्रसारित हो जाता है, जहां संक्रमण हो जाता है। एक दूसरे के पास बैठने वाले लोगों से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। पारम्परिक सिद्धांत है कि जुकाम बहुत अधिक समय तक ठण्डे मौसम में रहने के कारण भी होता है।
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बच्चों को जुकाम होने पर खांसी या हल्का बुखार होने के अलावा और भी लक्षण होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
-नाक का बंद होना।
–साइनस पर दबाव।
-नाक का लगातार बहना।
-नाक भारी होना।
-कुछ भी न सूंघ पाना अर्थात् सूंघने में कठिनाई होना।
-आपके गले के पिछले हिस्से में नाक से स्राव होना।
-आंखों से पानी बहना।
-सिर में दर्द होना।
-खांसी होना।
-लसीका का सूज जाना।
-थकान महसूस होना।
-ठण्ड की अनुभूति होना।
-शरीर में दर्द होना।
-हल्का बुखार आना।
–सीने में तकलीफ महसूस होना।
-गहराई से सांस लेने में कठिनाई।
सामान्य तौर पर सर्दी-जुकाम संक्रमण की वजह से होते हैं और बिना इलाज के ही एक से दो सप्ताह के भीतर अपने आप सही भी हो जाते हैं। हालांकि, आपको सर्दी जुकाम के लक्षण महसूस होने पर स्वस्थ आहार खाना चाहिए, यह सर्दी जुकाम के जल्दी ठीक करने में मदद करता है। कुछ खाद्य और पेय पदार्थ सर्दी जुकाम के लक्षणों को कम करते हैं और इससे राहत भी दिलाते हैं।
–सर्दी जुकाम में डेरी प्रोडक्ट्स खाना बहुत अधिक नुकसानदायक होता है, क्योंकि यह बलगम को गाढ़ा करता है और इसे बढ़ाता भी है। सर्दी जुकाम के दौरान डेरी उत्पाद खाने से इसे ठीक होने में अधिक समय लग सकता है, इसलिए सर्दी जुकाम में डेयरी उत्पाद बच्चों को नहीं देनी चाहिए।
-तले हुए खाद्य पदार्थों में बहुत अधिक वसा होती है, जो सर्दी जुकाम को बढ़ा सकता है। इसलिए तले हुए खाद्य पदार्थों को न खाएं। इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थ सूजन को भी बढ़ाते हैं। सूजन बढ़ने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसके साथ ही साथ तले हुए खाद्य पदार्थ पाचन तंत्र को भी प्रभावित करते हैं।
-प्रोसेस्ड फूड में किसी भी प्रकार के पोषक तत्व नहीं होते हैं। इसलिए सर्दी जुकाम में फास्ट फूड नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक होते हां।
-भरपूर नींद लेने से आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।
-एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं, लेकिन यह सर्दी जुकाम के वायरस को मारने में किसी तरह से मदद नहीं कर पाते हैं। इसलिए सर्दी जुकाम में किसी तरह के एंटीबायोटिक्स नहीं देनी चाहिए।
-बच्चों को सर्दी जुकाम होने पर अपने मन से दवाईयां न दें, इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए किसी प्रकार की दवा देने से पहले बच्चों के डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
-सर्दी जुकाम में चिकन सूप को बहुत फायदेमंद बताया गया है। इसका इस्तेमाल सर्दी जुकाम को ठीक करने के लिए सालों से किया जा रहा है। सर्दी जुकाम में चिकन सूप पीना लाभदायक होता है।
-लहसुन के कई स्वास्थ्य लाभ है। लहसुन में जीवाणुरोधी, एंटीफंगल एवं एंटीवायरल गुण होते हैं और इन्हीं गुणों की वजह से सर्दियों से इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटीयों के रूप में किया जा रहा है।
-बीमारी के दौरान बच्चों को हाइड्रेट रखना चाहिए। सर्दी जुकाम में बुखार सामान्य बात है। बुखार की वजह से शरीर में पानी की कमी होती है। इसलिए सर्दी जुकाम में नारियल पानी पीना आपके लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है और यह शरीर में पानी की मात्रा को बराबर बनाए रखने में मदद करता है। नारियल पानी में ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट मौजूद होते हैं, जो आपके शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं।
-शहद में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। शहद का उपयोग घाव को ठीक करने में भी किया जाता है। इसके अलावा इस बात की भी पुष्टि हो गई है कि शहद प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी) को मजबूत बनाता है।
-अदरक को पीसकर उसका रस निकाल लें और इसे अपने बच्चे को चटा दें। बच्चों को सर्दी, खांसी लग जाने पर रोजाना रात को सोते समय व सुबह उठने के बाद दें। यह उपाय सर्दी जुकाम को दूर करता है।
-छोटे बच्चों को सर्दी होने पर छोटी सी कली लहसुन की लें और बारीक पीस लें। उसमें हल्का सा शहद मिला दें और बच्चे को चटवाये। यह दिन में दो से तीन बार करें। रात को सोने से पहले सुबह उठने के बाद व दोपहर तक।
-1 चम्मच नींबू के रस में दो से तीन चम्मच शहद मिलाये और हर दो घंटे के बाद बच्चे को यह मिश्रण पिलाते रहें। इसके साथ ही एक गिलास गर्म दूध में एक से दो चम्मच शहद मिलाकर भी बच्चों को पीला सकते हैं।
-बच्चों को तुलसी व अदरक की चाय पिलाते रहें।
-रोजाना बच्चों को रात को सोते समय एक गिलास या एक कप में एक चम्मच हल्दी मिलाकर दें।
-अपने बच्चे को जिन्दगी भर सर्दी से दूर रखने के लिए उसे रोजाना सुबह के समय खाली पेट तुलसी के तीन से चार पत्ते खिलायें और एक गिलास पानी पिलाएं।( और पढ़े: तुलसी के फायदे )
-मौसम में परिवर्तन आने पर अपने बच्चों को मौसम के अनुसार कपड़े पहनायें व पूरा बदन ढका हुआ रहे ऐसे कपड़े पहनाएं।
-बच्चों को ठण्डी हवा में जाने से रोके व अन्य गन्दी चीजें खाने से भी रोकें।
-थोड़े से नारियल के तेल में बहुत थोड़ा-सा कपूर का पाउडर लेकर गरम कर लें। इस तेल को ठण्डा करके इसके चार से पांच बूंदे अपनी हथेली पर लें और अपने बच्चे की छाती पर मालिश जैसा कर दें।
-नियमित रूप से हाथ धोने से जुकाम के विषाणुओं के संचरण या उन्हें फैलने से रोका जा सकता है।
-संक्रमित लोगों के आस-पास रहने के दौरान मास्क पहनना लाभकारी होता है।
इसके अलावा कुछ आसान से उपाय है जिनका ध्यान रखने में बच्चों को जुकाम होने से अनायास ही बचाया जा सकता है-
-बच्चे का कमरा साफ-सुथरा रखें।
-बच्चों को बार-बार न छूएं और बाहर से आते ही बिना धोए बच्चे को न उठाएं।
-बीमार या संक्रमित शख्स से बच्चों को दूर रखें।
-लक्षण नजर आने पर बच्चे का इलाज घर पर न करें, बल्कि तुरन्त डॉक्टर को दिखाएं।
-बच्चों को गरम एवं पूरे कपड़े पहना के रखने चाहिए।
-सर्दी जुकाम से बचाने के लिए बच्चों को ठण्डी चीजे जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, आईस-क्रीम आदि का सेवन न करने दें।
-बच्चों को ठण्डे पानी से परहेज करवाएं।
-पीने को गुनगुना पानी ही दें।
-सर्दी के मौसम में बच्चों को गरम सूप पीने को दें।
-शिशु को स्तनपान करवाना उसके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के बेहतरीन उपायों में से एक है। शिशु की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यह पक्का उपाय नहीं है, मगर स्तनपान करने वाले शिशु सर्दी जुकाम और अन्य इन्फेक्शन से बेहतर बचाव कर पाते हैं।
-शिशु को संक्रमणों से बचाने के लिए बेहतर तो यही है कि उसे बीमार व्यक्ति से दूर रखा जाए या फिर आप उन्हें शिशु को पकड़ने या उसकी चीजों को छूने से पहले हाथ धोने के लिए कहे।
-यदि आप या आपके पति धूम्रपान करते हैं, तो इसे बंद कर देना शिशु के लिए अच्छा रहेगा। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के साथ रहने वाले शिशुओं को धुएँ के संपर्क में रहने वाले शिशुओं की तुलना में कम जुकाम होता है। शिशु को ऐसी जगहों पर भी ले जाने से बचें, जहां कोई धूम्रपान कर रहा हो।
-सर्दी जुकाम में मसालेदार भोजन करें। सर्दी जुकाम में मसालेदार खाद्य पदार्थ लाभदायक होते हैं। मिर्च में कैप्साइसिन नाम यौगिक मौजूद होता है, जो सर्दी-जुकाम के दौरान गर्म रखता है। कैप्साइसिन नामक यौगिक का इस्तेमाल दर्द निवारक दवाईयों में किया जाता है। बहुत से लोगों का मानना है कि मसालेदार भोजन से बंद नाक खोलने और बलगम को निकालने में मदद मिलती है।
-सर्दी जुकाम के दौरान दही खाना बहुत अधिक लाभदायक है, क्योंकि इससे पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलता है।
-बीमारी के दौरान आपको भरपूर मात्रा में विटामिन और खनिज की आवश्यकता होती है। इसलिए आप जब बीमार हो तब भी हरी सब्जियां खाना न भूलें। पालक, पत्ता गोभी जैसे हरी पत्तेदार सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-ए, विटामिन-के, विटामिन-सी और फोलेट मौजूद होते हैं।
-सामान्य जुकाम के फैलाव को रोकने का एकमात्र प्रभावी तरीका इसके विषाणु को फैलने से रोकना ही है। इसमें मुख्यत हाथ को धोना और चेहरे पर मास्क पहनना शामिल होता है।
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बच्चों को सर्दी और जुकाम लगना आम बात है। माता-पिता पूरी कोशिश करते हैं कि वे अपने छोटे बच्चों को सर्दी के प्रभाव से दूर रख सकें। लेकिन, फिर भी कभी-कभी सर्द हवायें बच्चों को परेशान कर ही जाती हैं। छोटे बच्चों की सेहत को लेकर फिक्रमंद होना स्वाभाविक ही है। अगर आपके बच्चे को शुरुआती लक्षण नजर आ रहें है तो उसका इलाज कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित घरेलू उपाय अपनाने चाहिए-
बच्चे की नाक पर पेट्रोलियम जेली लगायें। बच्चे की नाक पर जेली लगाते ही उसे काफी सुकून मिलेगा। बच्चे की नाक जहां पर अधिक लाल और सूजी हुई हो, वहां पर जेली अधिक मात्रा में लगायें।
जुकाम से ग्रस्त बच्चे को स्टीम या भाप नाक से लेने से जल्दी आराम मिलता हे इससे बच्चे का नाक खुलने में आसानी होती है और उसे आराम मिलता है।
अपने बच्चे को तरल पदार्थों का अधिक सेवन करवाएं। अधिक तरल पदार्थों का सेवन निर्जलीकरण या डिहाईड्रेशन से बचाता है। इसके साथ ही इससे नाक स्राव भी पतला हो जाता है।
यूकीलिप्टस तेल की कुछ बूंदे बच्चे को सूँघा दें। इसकी कुछ बूंदे बच्चे के बिस्तर पर छिड़कने से भी आराम आ सकता है।
अगर आप चाहें तो 8 माह से ऊपर के बच्चों को चिकन सूप देकर उनका जुकाम ठीक कर सकते हैं।
शहद भी सर्दी, खांसी ठीक करने के उपाय के रूप में अपनाया जा सकता है। एक वर्ष से ऊपर के बच्चों को आधा चम्मच शहद दूध में मिलाकर दिन में दो बार दिया जा सकता है।
नवजात शिशु को जुकाम से बचाने के उपाय कभी-कभी बहुत मुश्किल होते हैं। ऐसे में अजवाइन का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए अजवाइन को थोड़ा-सा लेकर हल्की आंच पर भून लें और इसकी एक छोटी-सी पोटली बना लें। इस पोटली को अपने नवजात शिशु की नाक के पास लाएं जिससे उसकी साँसों के साथ इसकी महक उनके नाक में जाए।
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सलाइन का पानी बंद नाक में जादू जैसा काम करता है। इस पानी की दो से तीन बूंद नाक के दोनों ओर डाल कर बच्चे का सिर हल्के हाथ से ऐसे हिलाएं जिससे वो पानी आसानी से नाक में अंदर चला जाए। इससे भी बच्चों को सर्दी में तुरन्त आराम आ जाएगा।
दालचीनी एक प्रभावशाली एंटी बैक्टीरिया और एंटी ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होने के कारण बहुत फायदेमंद होता है।
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5-10 चम्मच सरसों के तेल में पिसे हुए लहसुन और अजवायन के बीज को तड़का दें। इसके ठण्डा होने पर इसे छान कर एक बोतल में भर लें। इसको हल्के हाथ से बच्चे के माथे, गले और छाती में मालिश करें।
बच्चों को जुकाम होने पर बिना नजरअंदाज किये तुरन्त डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए, विशेष रूप से यह लक्षण नजर आने पर-
-उसका जुकाम तीन दिन से ज्यादा हो।
-उसका बुखार 100.4 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा हो जाए।
-उसे सांस लेने में परेशानी हो रही हो।
-उसकी खांसी ठीक न हो रही हो।
-वह अपने कान खुजलाता रहता है और चिड़चिड़ा हो गया है।
-उसके खांसने पर हरा, पीला या भूरा श्लेष्म निकल रहा है।
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