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टॉन्सिल के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और परहेज (Home Remedies for Tonsils)

जब भी कोई व्यक्ति टॉन्सिल की बीमारी से परेशान होता है तो उसका खाना-पीना बंद हो जाता है। गले में बराबर दर्द होता रहता है। टॉन्सिल के कारण गले में जलन और सूजन हो जाती है। आमतौर पर जब किसी को टॉन्सिल रोग होता है तो रोगी एलोपैथिक दवाओं (Tonsil ki dawa) का उपयोग करता है, लेकिन कई बार एलोपैथिक दवा पूरी तरह असरदार साबित नहीं होती। ऐसे में आप टॉन्सिल का घरेलू उपचार कर सकते हैं।

आयुर्वेदिक के अनुसार, टॉन्सिल्स की बीमारी अस्वस्थ खान-पान के कारण होती है। यह मुख्यतः कफ दोष के कारण होती है। आप आयुर्वेदीय उपचार से शरीर के दोषों को ठीक कर सकते हैं, जिससे टॉन्सिल्स की सर्जरी कराने की स्थिति नहीं आती।

Contents

टॉन्सिल क्या है? (What is Tonsillitis or Tonsils in Hindi?)

आयुर्वेद में टॉन्सिलाइिन को ‘तुण्डीकेरी शोथ’ कहा गया है। टॉन्सिल्स शरीर का ऐसा अंग हैं, जो गले के दोनों तरफ रहता है। यह शरीर के रक्षा-तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और बाहरी इन्फेक्शन से शरीर की रक्षा करता है। यह हमारे शरीर की लसीका प्रणाली (Lymphatic System) का हिस्सा हैं, जो बाहरी संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।

जब टॉन्सिल्स में किसी भी प्रकार का संक्रमण होता है तो इनके आकार में बदलाव और सूजन आ जाती है। इसे टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) कहते हैं। टॉन्सिल्स आकार में 2.5 से.मी. लम्बे, 2 से.मी. चौड़े और 1.2 से.मी. मोटे होते हैं। वैसे तो टॉन्सिलाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह अधिकतर बचपन में होता है। यह बच्चों में पाया जाने वाला एक सामान्य संक्रमण है। छोटे बच्चों से लेकर किशोरावस्था (5-15 साल तक) के बच्चों में अधिक होता है।

टॉन्सिल्स होने के कारण (Tonsils Causes in Hindi)

टॉन्सिल्स होने के ये कारण हो सकते हैंः-

  • वायरल इन्फेक्शन (कॉमन कोल्ड) के कारण।
  • टॉन्सिलाइटिस में होने वाला सबसे सामान्य रोग Streptococcus Pyogenes है।
  • इसके अलावा Staphylococcus Aureus, Mycoplasma Pneumonia है।
  • इन्फ्लुएंजा के कारण टॉन्सिल्स होता है, जिसे फ्लू कहा जाता है।
  • कोरोनावायरस के कारण, इसके दो उपप्रकारों में से एक SARS का कारण भी है।
  • बहुत ज्यादा ठण्डा खाने या पीने (आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक) से।
  • रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से।

टॉन्सिल्स के लक्षण (Tonsillitis Symptoms in Hindi)

टॉन्सिल्स के ये लक्षण हो सकते हैंः-

  • गले में तेज दर्द होना तथा कुछ भी निगलने में कठिनाई होना।
  • कान के निचले भाग में भी दर्द रहना।
  • जबड़ों के निचले हिस्से में सूजन
  • गले में खराश महसूस होना, एवं मुंह से बदबू आना।
  • अत्यधिक कमजोरी, थकान और चिड़चिड़ापन होना।
  • छोटे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ, एवं लार टपकाना जैसी समस्याएं।

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टॉन्सिल्स का इलाज करने के लिए घरेलू उपाय (Home Remedies for Tonsillitis in Hindi)

टॉन्सिल के इलाज के लिए आप ये घरेलू उपचार कर सकते हैंः-

नमक से टॉन्सिल का इलाज (Salt: Home Remedy to Treat Tonsils in Hindi)

नमक के पानी से गरारा करें। इससे सूजन कम होती है। यह टॉन्सिल को घर पर ही ठीक करने का बहुत ही आसान उपाय है।

नींबू से टॉन्सिल का घरेलू उपचार (Lemon: Home Remedies for Tonsil in Hindi)

  • एक चम्मच शहद में नींबू के रस की 2-3 बूंद मिलाकर बच्चे को दिन में तीन बार सेवन कराएं।
  • गरम पानी में नींबू का रस और ताजा अदरक पीस कर मिलाएं। इस पानी से हर 30 मिनट में गरारा करें।
  • गरम पानी में नींबू का रस, चुटकी भर नमक, तथा काली मिर्च मिला कर गरारा करें।

और पढ़ेंः नींबू के अनेक फायदे

टॉन्सिल के घरेलू इलाज के लिए अदरक का प्रयोग (Ginger: Home Remedies for Tonsils Treatment in Hindi)

अदरक के रस को शहद के साथ मिलाकर चाटने से सूजन तथा दर्द से आराम मिलता है।

और पढ़ेंः अदरक के फायदे और नुकसान

दूध और हल्दी से टॉन्सिल का उपचार (Milk with Turmeric: Home Remedies for Tonsillitis Treatment in Hindi)

गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर रात में सोने से पहले सेवन करें। हल्दी का सेवन टॉन्सिल के साथ-साथ कई रोगों को ठीक करने में मदद करता है।

टॉन्सिल का घरेलू इलाज फिटकरी से (Alom: Home Remedy to Treat Tonsils Disease in Hindi)

फिटकरी के पाउडर को पानी में उबालकर गरारा करें। यह टॉन्सिल की परेशानी को कम कर आपको आराम पहुंचाता है।

टॉन्सिल का घरेलू इलाज लहसुन के सेवन से (Garlic: Home Remedy for Tonsillitis Treatment in Hindi)

पानी में 4-5 लहसुन डाल कर उबाल लें। इस पानी से गरारा करें। यह सूजन और जलन से आराम दिलाता है।

और पढ़ेंः लहसुन के फायदे और नुकसान

टॉन्सिल का घरेलू उपचार मेथी से (Methi: Home Remedies to Cure Tonsillitis in Hindi)

6-7 ग्राम मेथी के बीजों को एक लीटर पानी में गरम करें। इससे दिन में तीन बार गरारा करें। यह टॉन्सिल में लाभदायक होता है।

और पढ़ेंः मेथी के फायदे और नुकसान

टॉन्सिल के इलाज के लिए प्याज का नुस्खा (Onion: Home Remedy for Tonsillitis in Hindi)

प्याज के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर गरारा करें। टॉन्सिल में यह बहुत लाभ पहुंचाता है।

और पढ़ेंः प्याज के फायदे और नुकसान

तुलसी और शहद से टॉन्सिल का उपचार (Tulsi and Honey: Home Remedies for Tonsillitis Disease in Hindi)

एक गिलास दूध में 4-6 तुलसी के पत्ते उबाल लें। गुनगुना होने पर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

और पढ़ेंः तुलसी के अनेक फायदे

कुंजल क्रिया से टॉन्सिल का इलाज  (Kunjal Helps in Tonsils Disease in Hindi)

सुबह लगभग 7-8 गिलास पानी को गुनगुना करें। इसमें नमक मिलाएं। उकड़ू होकर बैठ जाएं। अपनी क्षमता के अनुसार पानी पिएं। जब पानी गले तक आ जाए और उल्टी आने लगे, तब झुककर पेट को दबाएं। उंगली से जीभ को स्पर्श करें। ऐसा करने से उल्टी होगी। ऐसा पेट का सारा पानी बाहर निकलने तक करें। इसके आधे घण्टे बाद गुनगुना दूध पी (Tonsil ki dawa) लें। यह क्रिया सुबह खाली पेट करनी चाहिए।

योग से टॉन्सिल का उपचार (Yoga Helps in Tonsillitis)

आप योग से भी टॉन्सिल का उपचार कर सकते हैंः-

  • प्राणायाम करें।
  • कपालभांति, अनुलोम-विलोम, उज्जायी एवं भस्त्रिका करें।
  • कुंजल क्रिया करें।
  • सेतुबंधासन
  • पवनमुक्तासन
  • भुजंगासन
  • उष्ट्रासन

टॉन्सिल्स से बचाव के लिए आपका खान-पान (Avoid These in Tonsillitis)

टॉन्सिल्स के लिए आयुर्वेदीय उपचार के दौरान ये परहेज करना चाहिएः-

  • कफवर्धक पदार्थो (दही, ठण्डा दूध, ठण्डा पानी, आईसक्रीम, चावल) का सेवन बिल्कुल ना करें।
  • बासी भोजन, जंकफूड का सेवन ना करें।
  • तला-भुना एवं अधिक मसालेदार भोजन ना करें।
  • ठण्डी चीजे जैसे- दही, आइसक्रीम, ठण्डे पानी का सेवन बिल्कुल ना करें।
  • जंकफूड, तली-भुनी, मसालेदार चीजों का सेवन बिल्कुल ना करें।
  • खाने को फ्रिज में रखने के बाद बार-बार गर्म ना करें। ऐसा करने से खाने के पोषक तत्व कम हो जाते हैं। इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है।

टॉन्सिलाइटिस से बचाव के लिए आपकी जीवनशैली (Avoid Lifestyle in Tonsillitis)

टॉन्सिल से बचाव के लिए आपका जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-

  • यह संक्रमण के कारण होने वाला रोग है, इसलिए इसमें साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • कुछ खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  • छोटे बच्चों में संक्रमण होने पर घर पर रखकर देखभाल करें। स्कूल में वायरल संक्रमण होने का खतरा रहता है।
  • खांसने और छींकने के बाद हाथों को धोएं।

टॉन्सिल्स से संबंधित आपके सवाल-जवाब (Tonsils Related Your FAQ)

टॉन्सिल्स होने पर कब डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?

टॉन्सिल्स में संक्रमण होने पर तुरंत टॉन्सिल की दवा (Tonsil ki dawa) ना खाएं, बल्कि घरेलू उपचार से इलाज करें। अगर समस्या एक दो दिन में ठीक ना हो तब जाकर डॉक्टर से सलाह लें। टॉन्सिलाइटिस में सही उपचार एवं खान-पान से बीमारी एक हफ्ते में ठीक हो जाती, है लेकिन अगर बुखार एक हफ्ते से ज्यादा बना रहे, और दर्द लगातार बढ़ता जाए, तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यह किसी गम्भीर रोग का लक्षण भी हो सकता है।

अगर किसी व्यक्ति को साल में तीन से चार बार टॉन्सिलाइटिस होता है, और टॉन्सिल की दवा (tonsil ki dawa) से भी आराम नहीं मिलता हो तो उसे क्या करना चाहिए?

ऐसे में डॉक्टर रोगी को सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। इस ऑपरेशन में टॉन्सिल्स को निकाल दिया जाता है, जिससे समस्या दोबारा नहीं होती, लेकिन इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। रोगी को बार-बार वायरल एवं बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, स्वामी रामदेव जी के साथी और पतंजलि योगपीठ और दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) के एक संस्थापक स्तंभ है। उन्होंने प्राचीन संतों की आध्यात्मिक परंपरा को ऊँचा किया है। आचार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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