जब भी कोई व्यक्ति टॉन्सिल की बीमारी से परेशान होता है तो उसका खाना-पीना बंद हो जाता है। गले में बराबर दर्द होता रहता है। टॉन्सिल के कारण गले में जलन और सूजन हो जाती है। आमतौर पर जब किसी को टॉन्सिल रोग होता है तो रोगी एलोपैथिक दवाओं (Tonsil ki dawa) का उपयोग करता है, लेकिन कई बार एलोपैथिक दवा पूरी तरह असरदार साबित नहीं होती। ऐसे में आप टॉन्सिल का घरेलू उपचार कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक के अनुसार, टॉन्सिल्स की बीमारी अस्वस्थ खान-पान के कारण होती है। यह मुख्यतः कफ दोष के कारण होती है। आप आयुर्वेदीय उपचार से शरीर के दोषों को ठीक कर सकते हैं, जिससे टॉन्सिल्स की सर्जरी कराने की स्थिति नहीं आती।
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आयुर्वेद में टॉन्सिलाइिन को ‘तुण्डीकेरी शोथ’ कहा गया है। टॉन्सिल्स शरीर का ऐसा अंग हैं, जो गले के दोनों तरफ रहता है। यह शरीर के रक्षा-तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और बाहरी इन्फेक्शन से शरीर की रक्षा करता है। यह हमारे शरीर की लसीका प्रणाली (Lymphatic System) का हिस्सा हैं, जो बाहरी संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
जब टॉन्सिल्स में किसी भी प्रकार का संक्रमण होता है तो इनके आकार में बदलाव और सूजन आ जाती है। इसे टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) कहते हैं। टॉन्सिल्स आकार में 2.5 से.मी. लम्बे, 2 से.मी. चौड़े और 1.2 से.मी. मोटे होते हैं। वैसे तो टॉन्सिलाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह अधिकतर बचपन में होता है। यह बच्चों में पाया जाने वाला एक सामान्य संक्रमण है। छोटे बच्चों से लेकर किशोरावस्था (5-15 साल तक) के बच्चों में अधिक होता है।
टॉन्सिल्स होने के ये कारण हो सकते हैंः-
टॉन्सिल्स के ये लक्षण हो सकते हैंः-
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टॉन्सिल के इलाज के लिए आप ये घरेलू उपचार कर सकते हैंः-
नमक के पानी से गरारा करें। इससे सूजन कम होती है। यह टॉन्सिल को घर पर ही ठीक करने का बहुत ही आसान उपाय है।
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अदरक के रस को शहद के साथ मिलाकर चाटने से सूजन तथा दर्द से आराम मिलता है।
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गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर रात में सोने से पहले सेवन करें। हल्दी का सेवन टॉन्सिल के साथ-साथ कई रोगों को ठीक करने में मदद करता है।
फिटकरी के पाउडर को पानी में उबालकर गरारा करें। यह टॉन्सिल की परेशानी को कम कर आपको आराम पहुंचाता है।
पानी में 4-5 लहसुन डाल कर उबाल लें। इस पानी से गरारा करें। यह सूजन और जलन से आराम दिलाता है।
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6-7 ग्राम मेथी के बीजों को एक लीटर पानी में गरम करें। इससे दिन में तीन बार गरारा करें। यह टॉन्सिल में लाभदायक होता है।
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प्याज के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर गरारा करें। टॉन्सिल में यह बहुत लाभ पहुंचाता है।
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एक गिलास दूध में 4-6 तुलसी के पत्ते उबाल लें। गुनगुना होने पर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।
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सुबह लगभग 7-8 गिलास पानी को गुनगुना करें। इसमें नमक मिलाएं। उकड़ू होकर बैठ जाएं। अपनी क्षमता के अनुसार पानी पिएं। जब पानी गले तक आ जाए और उल्टी आने लगे, तब झुककर पेट को दबाएं। उंगली से जीभ को स्पर्श करें। ऐसा करने से उल्टी होगी। ऐसा पेट का सारा पानी बाहर निकलने तक करें। इसके आधे घण्टे बाद गुनगुना दूध पी (Tonsil ki dawa) लें। यह क्रिया सुबह खाली पेट करनी चाहिए।
आप योग से भी टॉन्सिल का उपचार कर सकते हैंः-
टॉन्सिल्स के लिए आयुर्वेदीय उपचार के दौरान ये परहेज करना चाहिएः-
टॉन्सिल से बचाव के लिए आपका जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
टॉन्सिल्स होने पर कब डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?
टॉन्सिल्स में संक्रमण होने पर तुरंत टॉन्सिल की दवा (Tonsil ki dawa) ना खाएं, बल्कि घरेलू उपचार से इलाज करें। अगर समस्या एक दो दिन में ठीक ना हो तब जाकर डॉक्टर से सलाह लें। टॉन्सिलाइटिस में सही उपचार एवं खान-पान से बीमारी एक हफ्ते में ठीक हो जाती, है लेकिन अगर बुखार एक हफ्ते से ज्यादा बना रहे, और दर्द लगातार बढ़ता जाए, तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यह किसी गम्भीर रोग का लक्षण भी हो सकता है।
अगर किसी व्यक्ति को साल में तीन से चार बार टॉन्सिलाइटिस होता है, और टॉन्सिल की दवा (tonsil ki dawa) से भी आराम नहीं मिलता हो तो उसे क्या करना चाहिए?
ऐसे में डॉक्टर रोगी को सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। इस ऑपरेशन में टॉन्सिल्स को निकाल दिया जाता है, जिससे समस्या दोबारा नहीं होती, लेकिन इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। रोगी को बार-बार वायरल एवं बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है।
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