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Vidhara: विधारा के हैं अनेक अनसुने फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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विधारा का परिचय (Introduction of Vidhara)

यदि आप किसी भी प्रकार की शारीरिक, मानसिक या यौन कमजोरी से परेशान हों तो आपको विधारा के इस्तेमाल के बारे में जान लेना चाहिए। आप विधारा (Vidhara Herb) के गुणों और प्रयोगों को जानते होंगे तो यह पक्का है कि आपको कभी किसी हकीम लुकमान या शेख सुलेमान के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। विधारा शारीरिक दुर्बलता और यौन कमजोरी की रामबाण औषधि है। इसे अश्वगंधा के साथ मिला कर अश्वगंधादि चूर्ण नामक आयुर्वेदिक औषधि बनाई जाती है जो सभी प्रकार की स्नावयिक कमजोरियों को दूर करने की एक प्रभावी दवा है। इसके अलावा अन्य कई रोगों में विधारा का प्रयोग किया जाता है।

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विधारा का इस्तेमाल जोड़ों का दर्द, गठिया, बवासीर, सूजन, डायबिटीज, खाँसी, पेट के कीड़े, सिफलिश, एनीमिया, मिरगी, मैनिया, दर्द और दस्त में किया जाता है। विधारा की जड़ (Vidhara ki Jad or Vidhara Root) पेशाब के रोगों तथा त्वचा संबंधी रोगों और बुखार दूर करने में उपयोगी होती है। जड़ (Vidhara Root) का एथेनॉलिक सार सूजन दूर करने के साथ-साथ घाव को भरता है। इसकी जड़ के चूर्ण का मेथेनॉल सार दर्द और सूजन को समाप्त करता है। इसके फूलों का ऐथेनॉल सार उपयुक्त मात्रा में लिए जाने पर घावों को भरता है। आइए जानते हैं कि विधारा का औषधीय प्रयोग कैसे किया जा सकता हैः-

विधारा क्या है? (What is Vidhara?)

विधारा (Vidhara Plant) एक लता प्रजाति की औषधीय वनस्पति है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग रसायन यानी सातों धातुओं को पुष्ट करने वाले पदार्थ के रूप में किया जाता है। आधुनिक वैज्ञानिक समुद्रशोष को ही विधारा मानते हैं तथा दक्षिण में मुम्बई, सूरत आदि के बाजारों में बरधारा या विधारा के नाम से समुद्रशोष या फांग की मूल या शाखाओं के टुकड़े ही प्राय देखने में आते हैं।

इसका एक मात्र कारण यही है कि समुद्रशोष (Salvia plebeia R. Br.) और विधारा में बहुत कुछ समानता पाई जाती है, लेकिन सच यह है कि दोनों पौधे पूरी तरह भिन्न हैं। इस समानता और भ्रम के कारण ही नेपाली और समुद्री इलाकों की भाषाओं तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मराठी, गुजराती आदि में इसका नाम समुद्रशोष से मिलता-जुलता है। कुछ विद्वान विधारा तथा निशोथ को एक ही पौधा मानते हैं, लेकिन यह पौधे भी आपस में पूर्णतया भिन्न है।

विधारा के वृद्धदारक और जीर्णदारू नाम से दो भेद हैं। वृद्धावस्था का नाशक होने से वृद्धदारक कहलाता है। इसकी लता लंबे समय तक चिरस्थायी रहने से इसे वृद्ध कहा गया है। इसकी लता की आकृति बकरी की आंत जैसी टेढ़ी-मेढ़ी होने से इसे अजांत्री या छागलांत्रिका कहते हैं। विधारा की लता खूब लम्बी होती है। इसलिए यह दीर्घवल्लरी भी कहलाती है। विधारा की दो प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

विधारा (Argyreia nervosa (Burm. ) Boj.)

इसकी अत्यन्त विस्तार से जमीन पर फैलने वाली, बड़े-बड़े वृक्षों पर चढ़ने वाली शाखा-प्रशाखायुक्त लता होती है। इसके फूल गुलाबी-बैंगनी रंग के, 7-15 सेमी लम्बे, बाहर से सफेद रोयें वाले तथा अन्दर से गुलाबी व जामुनी रंग के होते हैं। इसके फल 2 सेमी व्यास के, गोलाकार, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर भूरे-पीले रंग के होते हैं।

वन्य विधारा (Argyreia imbricate (Roth.) & Patel)

विधारा की एक और प्रजाति है वन्य विधारा। इसकी लम्बी, झाड़ीदार और ऊपर चढ़ने वाली लता होती है। इसके पत्ते अण्डाकार-हृदयाकार होते हैं। इसके फूल गुलाबी रंग के तथा फल लाल रंग के होते है। कई जगहों पर विधारा के स्थान पर इसका प्रयोग किया जाता है।

आयुर्वेद में दोनों ही प्रजातियों का उपयोग किया जाता है।

अनेक भाषाओं में विधारा के नाम (Vidhara Called in Different Languages)

विधारा का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम आर्जीरिआ नरवोसा (Argyreia nervosa (Burm. f.) Boj. & Syn-Argyreia speciosa (Linn. f.) Sweet) है। यह कान्वाल्वुलेसी (Convolvulaceae) कुल का पौधा है। अंग्रेजी भाषा में इसका नाम ऐलीफैण्ट क्रीपर (Elephant creeper) और वूली मार्निंग ग्लोरी (Wolly morning glory) है। विविध भारतीय भाषाओं में इसके नाम निम्नानुसार हैंः-

Vidhara in –

  • Hindi – समन्दर-का-पाटा, समुद्रशोष, घावपत्ता, विधारा
  • Sanskrit – वृद्धदारुक, आवेगी, छागात्री, वृष्यगन्धिका, वृद्धदारु, ऋक्षगन्धा, अजांत्री, दीर्घवल्लरी
  • Urdu – समंदरसोथ (Samandarsotha)
  • Oriya – मोन्डा (Monda), ब्रायध्धोहोतेरिकी (Bryadhoteriki)
  • Kannada – चन्द्रपाडा (Chandrapada), समुद्रवल्लि (Samudravalli)
  • Gujarati- वरघरो (Vargharo), समुद्रशोक (Samudrashok), वरधारी (Vardhari)
  • Tamil – कडाल-पलाई (Kadal-palai), समुत्रपच्चै (Samutrapachei), अम्बामार (Ambamar)
  • Telugu – चरदपाडा (Charadpada), समुद्रपला (Samudrapala)
  • Bengali – बीचतरक (Bichtarak), बीजतरक (Bijtarka), बिजताड़ (Bijtad), बिद्धताडक (Bidhtadak)
  • Nepali – समुद्रफल (Samudraphal)
  • Marathi – समुद्रसोक (Samudrasoka), समुद्रशोक (Samudarshoka)
  • Malayalam – समुद्रपला (Samudrapala), समुद्रपच्चो (Samudrapacho)

विधारा के फायदे (Vidhara Benefits and Uses)

विधारा स्वाद में कड़वा, तीखा, कसैला तथा गर्म प्रकृति का वनस्पति है। यह जल्द पचता है और भोजन को भी पचाता है। विधारा के प्रयोग से कफ तथा वात शान्त होता है। यह औषधि पुरुषों में शुक्राणुओं को बढ़ाती है और वीर्य को गाढ़ा करती है। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं, सातों धातु पुष्ट होते हैं और मनुष्य बलवान तथा तेजस्वी होकर लम्बी आयु तक जवान बना रहता है। विभिन्न रोगों में इसके औषधीय प्रयोग की विधि और मात्रा का विवरण नीचे दिया जा रहा है।

सिर दर्द में फायदेमंद विधारा का लेप (Use of Vidhara in Relief from Headache in Hindi)

सिर में दर्द हो तो फिर कोई भी काम करना कठिन होता है। विधारा के जड़ (Vidhara ki Jad) को चावल के पानी के साथ पीसकर माथे में यानी ललाट पर लगाने से सिर दर्द ठीक हो जाता है।और पढ़ें – घाव सुखाने में पारिजात के फायदे

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पेट का फोड़ा ठीक करे विधारा का प्रयोग (Vidhara Benefits in Cures Stomach Carbuncle in Hindi)

कई बार पेट में फोड़ा हो जाता है जिसमें बहुत सारे छेद होते हैं। इन्हें दबाने से इनमें से पीव भी निकलता है। ऐसे फोड़े को विद्रधि यानी बहुछिद्रिल फोड़ा या कार्बंकल कहते हैं। ऐसे फोड़े पर विधारा की जड़ (Vidhara Root) को पीसकर लगाने से फोड़ा ठीक हो हो जाता है।

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पेट दर्द में आराम दिलाए विधारा का सेवन (Benefits of Vidhara in Stomach Pain in Hindi)

पेट में दर्द मुख्यतः अपच, कब्ज और गैस के कारण ही होता है। विधारा भोजन को भी पचाता है, कब्ज को भी दूर करता है। विधारा वात यानी गैस को भी नष्ट करता है। पेट दर्द को ठीक करना हो तो विधारा के पत्तों के 5-10 मिली रस में शहद मिलाकर सेवन करें। निश्चित लाभ होगा।

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बवासीर में विधारा के प्रयोग से लाभ (Vidhara Benefits in Piles Treatment in Hindi)

विधारा, भल्लातक तथा सोंठ, तीनों द्रव्यों को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस 2-4 ग्राम चूर्ण का सेवन गुड़ के साथ करने से बवासीर रोग में लाभ होता है।

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मधुमेह में लाभकारी है विधारा का सेवन (Vidhara Uses in Controlling Diabetes in Hindi)

मधुमेह यानी डायबीटिज आज एक महामारी की तरह फैल चुकी है। विधारा डायबीटिज में तो लाभ पहुँचाता ही है, साथ ही यह धातुओं को पुष्ट करके इसे होने से भी रोकता है। विधारा का सेवन करने से मधुमेह होने की संभावना घट जाएगी और शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। इसके लिए एक से दो ग्राम विधारा चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। इससे पूयमेह यानी गोनोरिया में भी लाभ होता है।

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मूत्र रोग में विधारा का उपयोग फायदेमंद (Vidhara Uses to Cure Urinary Disease in Hindi)

मूत्रकृच्छ्र रोग में पेशाब में जलन और दर्द होता है। पेशाब की मात्रा भी कम होती है। विधारा पेशाब को बढ़ाता है और जलन तथा दर्द में आराम दिलाता है। दो भाग विधारा की जड़ के चूर्ण में एक भाग गाय का दूध मिलाकर सेवन करें। अवश्य लाभ होगा।

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गर्भधारण करने में मदद करता है विधारा का सेवन (Vidhara Helps in Getting Pregnant in Hindi)

यदि गर्भधारण करने में सफलता नहीं मिल रही हो तो विधारा का सेवन करें। विधारा तथा प्लक्ष की जड़ के काढ़े को एक वर्ष तक प्रतिदिन सुबह सेवन करें। इससे स्त्री के गर्भवती होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

काढ़े को मासिक धर्म के दिनों में न पिएं।

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उपदंश या सिफलिस रोग में विधारा से फायदा (Vidhara Benefits to Cure Syphilis in Hindi)

विधारा के सत् (जूस) का प्रयोग करने से उपंदश यानी सिफलिस रोग ठीक होता है।

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सफेद प्रदर या ल्यूकोरिया में विधारा के इस्तेमाल से लाभ (Benefits of Vidhara in Leucorrhea Treatment in Hindi)

सफेद प्रदर यानी ल्यूकोरिया स्त्रियों में संक्रमण के कारण योनी से सफेद पानी जाने की एक बीमारी है। समय पर चिकित्सा न किए जाने पर स्त्रियों में काफी कमजोरी आ जाती है। विधारा चूर्ण (Vidhara Churna) को ठंडे या सामान्य जल के साथ सेवन करने से सफेद प्रदर में लाभ होता है।

अण्डकोष की सूजन मिटाए विधारा का उपयोग (Vidhara Cures Testicles Swelling in Hindi)

विधारा के पत्ते में एरण्ड तेल को लगाकर थोड़ा सा गरम करके अण्डकोष पर बाँध दें। इससे अण्डकोष की सूजन ठीक होती है।

अर्धांग पक्षाघात (लकवा) में विधारा के सेवन से लाभ (Vidhara Benefits in Hemiplegia Paralysis in Hindi)

पक्षाघात यानी लकवा का एक प्रकार है। अर्धांग पक्षाघात में शरीर का बाँया या दाँया भाग लकवे का शिकार हो जाता है। विधारा की जड़ (Vidhara ki Jad) एवं कई अन्य घटक द्रव्यों के द्वारा बनाए अजमोदादि चूर्ण का सेवन करने से अर्धांग पक्षाघात में लाभ होता है।

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जोड़ों के दर्द में विधारा के इस्तेमाल से फायदा (Vidhara Benefits to Cure Gout in Hindi)

  • विधारा मूल (Vidhara Mool) में बराबर भाग शतावर मूल मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 15-30 मिली मात्रा में पीने से गठिया में लाभ होता है।
  • विधारा की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-30 मिली मात्रा में पीने से अथवा 1-2 ग्राम विधारा की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से जोड़ों के दर्द, आमवात यानी रयूमैटिस अर्थराइटिस तथा सभी प्रकार की सूजन में लाभ होता है।
  • विधारा के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से वात के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द आदि विकार ठीक होते हैं।

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हाथीपाँव (फाइलेरिया) में विधारा का उपयोग लाभदायक (Vidhara Uses to Cures Filariasis in Hindi)

  • गौमूत्र अथवा सौवीर कांजी के अनुपान से विधारा चूर्ण ((Vidhara Churna)) का सेवन करें। इससे एक वर्ष पुराने एवं कठिनाई से ठीक होने वाले हाथीपांव या फाइलेरिया रोग में भी लाभ होता है।
  • 2-4 ग्राम विधारा की जड़ के चूर्ण को कांजी के साथ सेवन करने से हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।
  • त्रिकटु (पिप्पली, मरिच, सोंठ), त्रिफला (आँवला, हरीतकी, बहेड़ा), चव्य, दारुहल्दी, वरुण, गोक्षुर, अलम्बुषा तथा गुडूची के बराबर-बराबर भाग लें। इसका चूर्ण बना लें। सबके बराबर विधारा चूर्ण मिलाकर 10-12 ग्राम की मात्रा में काञ्जी के साथ सेवन करें। पच जाने पर इच्छानुसार भोजन करने से हाथीपाँव, मोटापा, जोड़ों के दर्द, पेट फूलना, कुष्ठ रोग, भूख न लगना आदि वात तथा कफ प्रधान रोग ठीक होते हैं।

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चर्म रोग में विधारा से फायदा (Benefits of Vidhara in Skin Disease Treatment in Hindi)

2 भाग मिश्री, एक भाग विधारा मूल (Vidhara Mool), आधा भाग हल्दी तथा चौथाई भाग काली मिर्च के बारीक चूर्ण लें। इसे 5-6 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन जल के साथ सेवन करें। इसके बाद हाथों पर लगाएं। इससे खून की खराबी के कारण होने वाले खाज में छह दिनों में ही काफी लाभ होने लगता है।

विधारा के पत्तों के रस को लगाने से एक्जिमा रोग में लाभ होता है।

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विधारा के इस्तेमाल से घाव और चेचक में लाभ (Vidhara Cures Wounds & Chicken Pox in Hindi)

विधारा के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव की शुद्धि होती है और वह शीघ्र भरता है।

इससे चेचक के फोड़ों में भी लाभ होता है।

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मोटापा कम करने में विधारा करता है मदद (Vidhara Help in Reducing Obesity in Hindi)

विधारा के पत्तों के रस में करंज के बीज का तेल मिलाकर प्रयोग करने से मोटापे में लाभ होता है।

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विधारा का सेवन से बढ़ती है शारीरिक-मानसिक ताकत (Vidhara is Beneficial for Body and Mental Health in Hindi)

  • सात दिनों तक मधु तथा घी मिला कर विधारा की जड़ के चूर्ण का सेवन करें। इसके बाद दूधयुक्त भोजन करने से शरीर की पुष्टि होती है।
  • विधारा चूर्ण में बराबर भाग शतावरी चूर्ण मिलाकर सेवन करने से स्मरणशक्ति तेज होती है।
  • विधारा की जड़ में पकाए घी को दूध के साथ सेवन करने से शारीरिक और मानसिक ताकत बढ़ती है।

आँखों के रोग में लाभकारी है विधारा का प्रयोग (Vidhara Benefits to Cure Eye Problems in HIndi)

विधारा आँखों के लिए भी काफी लाभकारी है। 5 मिली विधारा रस में बराबर भाग मधु मिलाकर आँखों में काजल की तरह लगाने से कुकूणक रोग यानी आँखों में लाली, खुजली, चौंधियाना आदि में लाभ होता है।

विधारा के उपयोगी भाग (Useful Parts of Vidhara)

पत्ते

जड़

विधारा के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Vidhara)

रस – 5-10 मिली

काढ़ा – 15-30 मिली

चूर्ण – 2-4 ग्राम

अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार विधारा का प्रयोग करें।

विधारा कहाँ पाया या उगाया जाता है (Where is Vidhara Plant Found or Grown?)

विधारा मूलतः भारत का ही देसी पौधा है। भारत के असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडू, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों में 350 मीटर तक की ऊँचाई पर, नदियों के किनारे तथा वनों में पाया जाता है। भारत से ही यह हवाई, अफ्रीका, केरेबियन देशों में गया है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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