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Tintideek: गुणों से भरपूर है तिन्तिडीक- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

तिन्तिडीक के पौधे के बारे में बहुत कम लोग जाते हैं. पहाड़ी इलाकों में ऊंचाई पर पर पाया जाने वाला यह पौधा सेहत के लिए बहुत गुणकारी है. आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार पेट से जुड़े रोगों जैसे कि कब्ज, अपच, पेट फूलने आदि के इलाज में तिन्तिडीक बहुत ही उपयोगी है. इस लेख में हम आपको तिन्तिडीक के फायदे, औषधीय गुण  और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

Contents

तिन्तिडीक क्या है? (What is Tintideek?)

तिन्तिडीक का पौधा 1.2 से 4-5 मी लम्बा होता है और यह हर मौसम में हरा रहने वाला पौधा है. इसका तना गोल, खुरदुरा भूरे रंग का होता है. अगस्त से नवंबर के बीच इसमें गुच्छों में फूल उगते हैं. इसमें कफ और वात को कम करने वाले गुण होते है जिस वजह से कफ और वात से जुड़ी बीमारियों में इसका उपयोग किया जाता है.

अन्य भाषाओं में तिन्तिडीक के नाम (Name of Tintideek in Different Languages)

तिन्तिडीक का वानस्पतिक नाम Rhus parviflora Roxb.(रस पारवीफ्लोरा) Syn-Toxicodendron parviflorum Kuntze है. यह Anacardiaceae (ऐनाकार्डिऐसी) कुल का पौधा है. आइये जानते हैं कि अन्य भाषाओं में तिन्तिडीक को किन नामों से जाना जाता है.

Sumac in :

  • Hindi : समाकदाना, तुंगला, रायतन्ग, तुमरा, तुंग
  • English : स्मॉल फ्लावरड पॉइजॅन सुमैक (Small flowered poison sumac)
  • Sanskrit : तिन्तिडीक, तिन्तिडी
  • Urdu : समन्दरफल (Samandarphal);
  • Kumaon/Garhwali : तुंगा (Tunga), तुंगला (Tungla);
  • Kashmiri : समक (Samak)
  • Nepali : सति बयर (Sati baiar), सतबेसी (Satbesi)
  • Punjabi : खट्टे मसूर (Khatte massor), रायतुन्ग (Raitung), तुम्र (Tumra), तुंगला (Tungla)
  • Nepal : सुमेक (Nepal sumac)

तिन्तिडीक के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Tintideek in Hindi)

अधपका तिन्तिडीक वात को कम करने वाला, गर्म, गुरु और कफ पित्त बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होता है। पका हुआ तिन्तिडीक लघु, दीपन, रुचिकर, उष्ण, ग्राही तथा कफवातशामक होता है। यह ग्रहणी-विकारशामक होता है। इसके फल भूख बढ़ाने वाले, रक्तस्दंन, आमाशयिक क्रियाविधि उत्तेजक होते हैं।

तिन्तिडीक के फायदे एवं उपयोग (Benefits and Uses of Tintideek in Hindi)

तिन्तिडीक में कफवातशामक और ग्राही गुण होने के कारण यह कई तरह की बीमारियों के इलाज में सहायक है. आइये जानते हैं कि अलग अलग बीमारियों के घरेलू इलाज के दौरान तिन्तिडीक का उपयोग कैसे करें.

बंद नाक की समस्या से आराम दिलाता है तिन्तिडीक (Tintideek gives relief from Nose Congestion in Hindi)

तिन्तिडीक आदि द्रव्यों से बने व्योषादि वटी (1-2 वटी) का सेवन करने से सर्दी-खांसी और बंद नाक की समस्या से जल्दी आराम मिलता है। खुराक संबंधी और अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें.

कान के दर्द से आराम दिलाता है तिन्तिडीक (Tintideek gives relief from Ear Pain in Hindi)

कान में संक्रमण होने की वजह से या अन्य कई कारणों की वजह से कान में दर्द होना एक आम समस्या है. कान का दर्द दूर करने के लिए तिन्तिडीक का उपयोग करें. इसके लिए बिजौरा निम्बू, अनार, तिन्तिडीक का रस और गोमूत्र से सिद्ध तेल को एक से दो बूंद कान में डालें। इससे कान का दर्द ठीक होता है.  अगर कान में तेज दर्द तो घरेलू उपाय के साथ साथ चिकित्सक की सलाह भी लें.

और पढ़ेंः कान दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

पेट से जुड़े रोगों में लाभदायक है तिन्तिडीक (Benefits of Tintideek in Abdominal Disorder in Hindi)

तिन्तिडीक आदि द्रव्यों से निर्मित यवानी षाड्व चूर्ण का मात्रानुसार प्रयोग करने से जीभ साफ होती है. यह चूर्ण भूख ना लगना, खांसी, कब्ज, बवासीर जैसी बीमारियों के इलाज में भी फायदेमंद है।

तिन्तिडीक आदि से निर्मित हिंग्वादि चूर्ण का 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, पेट फूलना, हिचकी, भूख ना लगना आदि में लाभ मिलता है.

तिन्तिडीक, काली मिर्च, धनिया आदि से बनी चटनी का सेवन करने से पेट की अग्नि तीव्र होती है और पेचिश की समस्या से आराम मिलता है.

दस्त -तिन्तिडीक के तने के चूर्ण की पोटली बनाकर इसे पानी में भिगोकर रखें. पोटली से निकलने वाले पानी को दही में मिलाकर खाने से दस्त रूक जाती है।

पेट दर्द : एक भाग तिन्तिडीक फल, भुनी हुई सौंफ तथा भुने हुए जीरे का चूर्ण, दो भाग अनार के दानों का चूर्ण और पाँच भाग शर्करा चूर्ण मिलाकर रख लें. इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में लेकर सेवन करने से अपच और दस्त के कारण होने वाले पेट दर्द में राहत मिलती है।

और पढ़ें : पेट दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

पेट में कीड़े : तिन्तिडीक के फलों के रस का सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं। चिकित्सक के सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें.

और पढ़ेंः पेट में कीड़े होने पर अपनाएं ये घरेलू उपाय

गले में जलन और सूजन की समस्या दूर करता है तिन्तिडीक (Uses of Tintideek in Throat irritation in Hindi)

अगर आपके गले में दर्द हो रहा है तो तिन्तिडीक फल का काढ़ा बनाएं और उससे गरारे करें. यह काढ़ा गले की जलन दूर करने के साथ साथ सूजन में भी कमी लाता है।

दिल के रोगों में फायदेमंद है तिन्तिडीक (Benefits of Tintideek in Heart Problems in Hindi)

आज के समय में खराब खानपान और अनियमित जीवनशैली के कारण दिल के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. हालांकि अगर आप दिल से जुड़े रोगों के मरीज हैं तो नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच कराएं साथ ही साथ कुछ घरेलू उपाय भी अपनाएं. जैसे कि तिन्तिडीक के फल दिल के रोगों के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं. इस फलों का काढ़ा बनाकर पिएं इससे ह्रदय स्वस्थ रहता है.

और पढ़ेंः ह्रदय रोग होने पर कैसा होना चाहिए आपका डाइट प्लान

बवासीर के इलाज में फायदेमंद है तिन्तिडीक (Benefits of Tintideek in Treatment of Piles in Hindi) 

क्या आप जानते हैं कि तिन्तिडीक कब्ज या बवासीर के इलाज में भी फायदेमंद है? त्र्यूषणादि चूर्ण को मात्रानुसार दही, गुनगुने या गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज और बवासीर की समस्या में लाभ मिलता है।

और पढ़ेंः बवासीर के इलाज के लिए असरदार घरेलू उपाय

घाव को जल्दी ठीक करता है तिन्तिडीक (Tintideek Helps in Wound Healing in Hindi)

अगर आप घाव से परेशान हैं तो घरेलू इलाज के रूप में तिन्तिडीक का प्रयोग कर सकते हैं. इसके लिए तिन्तिडीक, अंकोल, धतूरा, तथा पुनर्नवा जड़ का काढ़ा बनाकर उससे घाव का स्वेदन करें. इससे घाव जल्दी ठीक होता है.

और पढ़ेंः घाव में मेथी के फायदे

मांसपेशियों की सूजन घटाने में सहायक है तिन्तिडीक (Tintideek benefits in reducing Swelling in Hindi)

इस पौधे के तने की छाल को लगाने से घाव से होने वाली सूजन या आघात के कारण होने वाली मांसपेशियों की सूजन में कमी आती है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि मांसपेशियों में सूजन होने पर इसका उपयोग चिकित्सक की देखरेख में करें।

शराब की लत से छुटकारा दिलाती है तिन्तिडीक (Tintideek Helps to get rid of Alcohol addiction in Hindi)

तिन्तिडीक आदि द्रव्यों से निर्मित अष्टांगलवण का मात्रानुसार प्रयोग करने से स्रोतों की शुद्धि होती है तथा जठराग्नि का दीपन होकर कफ-प्रधान-मदात्यय में लाभ होता है।

नाक-कान से खून बहने की समस्या से आराम दिलाता है (Tintideek Helps to stop Nose and Ear Bleeding in Hindi)

गर्मियों के मौसम में अक्सर कई लोगों के नाक कान से खून बहने लगता है। इस समस्या को आयुर्वेद चिकित्सा में रक्तपित्त नाम दिया गया है।  शतावर्यादि घृत का सेवन करने से नाक- कान से खून बहने की समस्या में लाभ मिलता है।

तिन्तिडीक के उपयोगी भाग (Useful Parts of Tintideek in Hindi)

आयुर्वेद में तिन्तिडीक के निम्न भागों को सेहत के लिए उपयोगी बताया गया है।

  • तना
  • फल

तिन्तिडीक का इस्तेमाल कैसे करें (How to use Tintideek in Hindi)

तिन्तिडीक का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसार ही करें।

विशेष : दूध के साथ तिन्तिडीक का सेवन ना करें. इसे विरुद्ध आहार माना गया है।

तिन्तिडीक कहां पाया या उगाया जाता है ? (Where is Tintideek found or grown in Hindi)

यह भारत में उत्तर-पश्चिमी हिमालय में सतलज से नेपाल तक 600-1600 मी की ऊँचाई पर, मध्य प्रदेश (पंचमढ़ी), गुजरात के पहाड़ी क्षेत्रों एवं दक्षिण भारत में प्राप्त होता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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