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नारंगी (narangi fruit in hindi) सभी को पसंद होती है। यह फल बहुत ही रसदार होती है। नारंगी का रंग सभी फलों से अलग होता है और इसकी स्वाद भी अन्य फलों से बिल्कुल भिन्न होती है। स्वाद में खट्टा-मीठे नारंगी को आप सभी लोग बहुत ही रुचि से खाते होंगे। आमतौर पर लोग केवल यह जानते हैं कि नारंगी का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि नारंगी का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता है।
खट्टी नारंगी (narangi fruit in hindi) का सेवन करने से वह देर से पचती है, वहीं कच्ची नारंगी कफ, पित्त एवं आमवर्द्धक व वात को दूर करने वाली होती है। नारंगी का उपयोग खांसी, जुकाम के रोगियों तथा कफ प्रकृति वालों के लिए बेहद फायेदमंद होता है। आयुर्वेद में इसके बहुत से गुणों पर विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं कि गेंद की तरह दिखने वाले नारंगी फल (narangi fruit) के फायदे क्या-क्या हैं।
नारंगी (narangi fruit in hindi) का पेड़ हमेशा ही हरा भरा होता है। यह लगभग 3-4 मीटर ऊंचा या मध्यम आकार का होता है। इसमें काफी टहनियां होती हैं और वे कंटीली होती हैं। यह झाड़ीनुमा दिखाई पड़ता है। नारंगी का स्वाद खट्टा-मीठा, तासीर गर्म और स्पर्श चिकना होता है। इस सुगंधित फल का सेवन बल प्रदान करने वाला तथा आमकारक होता है।
संतरा के फूल सुगंधित, मनमोहक होते हैं। ये बुखार मिटाने वाले और बल प्रदान करने में असरदार होते हैं। संतरा के फूल के नियमित सेवन से मूत्र की रुकावट दूर होती है। नारंगी के (narangi) फल की बात की जाए तो इसका आकार अर्धगोलाकार या गोलाकार होता है तथा मांसल होता है। कच्चा फल (narthangai) गहरे-हरे रंग का तथा पकने पर यह लालिमायुक्त-नारंगी अथवा चमकीले नारंगी रंग का हो जाता है। यह वात को दूरने करने वाला होता है। इसका सेवन हृदय के लिए फायदेमंद होता है।
देश भर में संतरा और नारंगी के नाम से मशहूर इस फल (narangi fruit) को देश–विदेश में कई नामों से जाना जाता है। नारंगी का वानस्पतिक नाम सिट्रस रेटिकुलेटा (Citrus reticulata Blanco, Syn-Citrus deliciosa Ten.) है और यह Rutaceae (रूटेसी) कुल का है। इसके अन्य नाम ये हैंः-
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नारंगी (narangi) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-
नारंगी के फल का गुदा, फल (narangi fruit) का छिलका, पत्ता और फूलों को भून लें। इसे पीसकर लगाने से शरीर के रोम छिद्रों के सूजन का उपचार होता है। यह बदबूदार घाव को ठीक करने में असरदार औषधि की तरह काम (narangi fruit benefits) करता है।
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10-20 मिलीग्राम नारंगी के रस में शहद तथा सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से सर्दी जुकाम, टीबी रोग, अस्थमा तथा सांस संबंधी रोगों का उपचार होता है।
1 से 2 बूंद नारंगी फल के रस को नाक के रास्ते लेने से सर्दी और जुकाम में लाभ होता है।
10-20 मिलीग्राम नारंगी (narangi) फल के छिलके के काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 मिलीग्राम नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से सर्दी और जुकाम में लाभ होता है।
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नारंगी के फूल के रस को छाती पर मालिश करें। इससे ह्रदय से संबंधित अनेक बीमारियां खत्म होती हैं।
नारंगी फल (naranja fruit) के छिलके का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिलीग्राम में पीने से हृदय रोगों में लाभ होता है।
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सूखे नारंगी के छिलके का चूर्ण बना लें। इसके साथ ही इलायची, जीरा, सोंठ तथा मरिच को बराबर भाग में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण (2-4 ग्राम) में सेंधा नमक मिलाकर छाछ या मट्ठा के साथ पिए। इससे उल्टी रुततती है।
नारंगी (narangi) फल के छिलके का चूर्ण बनाकर 500 मिलीग्राम मात्रा में खिलाने से उल्टी का निदान होता है।
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नारंगी फल (naranja fruit) के छिलके के चूर्ण को 500 मिलीग्राम मात्रा में खाएं। इससे पेट के दर्द तथा अपच की समस्या में लाभ मिलता है।
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10-15 मिलीग्राम नारंगी के फल के रस को पिएं। इससे गर्भवती महिलाओं में दस्त की समस्या दूर होती है।
10-15 मिलीग्राम कच्चे नारियल के पानी में 10-20 मिलीग्राम नारंगी के रस को मिला लें। इसका सेवन करने से मूत्राशय के सूजन, कीडनी के सूजन तथा मूत्रनलिका के सूजन में आराम मिलता है। इससे पेशाब आने में तकलीफ, कम पेशाब आने की परेशानी आदि रोग ठीक होते हैं।
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नारंगी (narangi) के पत्ते, फूल तथा छाल से पेस्ट बना लें। इसे थोड़ा गर्म कर दर्द तथा सूजन वाले जोड़ों पर लगाएं। इससे सूजन तथा दर्द, दोनों में आराम मिलता है।
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नारंगी फल (naranja fruit) के छिलके का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिलीग्राम में पीने से लिवर स्वस्थ बनता है और लिवर की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है।
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नारंगी के पत्ते तथा छाल को पीस लें। इसका लेप करने से रूसी से निजात मिलता है। यह लेप त्वचा पर चकत्ते की पुरानी परेशानी और एक्जिमा जैसी अत्यंत खुजली वाले रोगों के लिए भी लाभप्रद है। इससे शरीर की सामान्य खुजली और दूसरे त्वचा रोगों का भी उपचार किया जा सकता है।
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नारंगी के फलों के छिलकों को सुखाकर पीस लेें। उसमें गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। इससे चेहरे के कील-मुंहासे ठीक होते है और मुंह की खूबसूरती बढ़ जाती है।
नारंगी (naragi) के 10-20 मिली रस का सेवन करने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। इसके सेवन टॉयफाइड बुखार आदि बीमारियां ठीक होती है।
नारंगी के फूल का रस निचोड़ लें। इसके 1-2 बूंद को नाक में डालने और फूल के रस से मालिश करने से खुजली ठीक होती है। इससे शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।
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नारंगी फल के रस में नमक डालकर पीने से बुखार तथा खांसी में लाभ होता है।
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15-20 मिलीग्राम फल के छिलके के काढ़ा बना लें। इसमें नींबू का रस मिलाकर सुबह में खाली पेट सेवन करें। इससे आमदोष का पाचन होकर अपच की समस्या दूर होती है। इस काढ़े का सेवन भूख न लगने, पेट फूलने, उल्टी, दस्त तथा कब्ज में लाभप्रद है।
नारंगी (naragi) फल के रस का सेवन करने से पीटे के कीड़े को समाप्त करने, अत्यधिक प्यास, दस्त, अफारा तथा अपच में लाभ होता है।
सूखे नारंगी के छिलके का चूर्ण बना लें। इसके साथ ही इलायची, जीरा, सोंठ तथा मरिच को बराबर भाग में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण (2-4 ग्राम) में सेंधा नमक मिलाकर छाछ या मट्ठा के साथ पिए। इससे भूख बढ़ती है।
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नारंगी (narthangai) के फल का गुदा, फल का छिलका, पत्ता और फूलों को भून लें। इसे पीसकर लगाने से मधुमेह (डायबिटीज) व पेशाब संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
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5 मिलीग्राम चिरायता के रस में 20 मिलीग्राम नारंगी का रस मिला लें। इसे पिलाने से विभिन्न प्रकार के रक्त विकारों में लाभ होता है।
छोटे शिशु को रोजाना नारंगी फल (narthangai) के रस (5-10 मिलीग्रा) पिलाने से पेट तथा आंतों की बीमारियां ठीक होती हैं। इससे बच्चे की रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
काढ़ा – 5-10 मिलीग्राम
नारंगी (naragi) का रस 10-20 मिलीग्राम
औषधि के रूप में अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श नारंगी का इस्तेमाल करें।
फल
फल के छिलके
पत्ते
फूल
भारत में नारंगी (narthangai) का पेड़ मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में पाया जाता है।
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